मंगलवार, 31 मई 2011

अजन्मी बेटी का पत्र

         मेरी प्यारी माँमैं खुश हूँ और भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि आप भी खुश रहें। यह पत्र मैं इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मैंने एक सनसनी खेज खबर सुनी हैजिसे सुनकर मैं सिर से पाँव तक काँप उठी हूँ। स्नेहदात्री माँआपको मेरे कन्या होने का पता चल गया हैऔर मुझे मालूम है कि आप मेरे को जन्म लेने से रोकने जा रही है- यह सुनकर मुझे यकीन ही नहीं हुआभला मेरी प्यारी-प्यारी कोमल हृदय माँ ऐसा कर सकती हैकोख में पल रही लाडली के सुकुमार शरीर पर नश्तरों की चुभन एक माँ कैसे सह सकती है?

         पुण्यशीला माँ! बसआप एक बार कह दीजिए कि यह जो कुछ मैंने सुना वह सब कुछ झूठ है। दरअसल यह सब सुनकर मैं दहल सी गई हूँ। मेरे तो हाथ भी इतने सुकोमल है कि इनसे डॉक्टर की क्लीनिक की तरफ जाते वक्त आपकी चुन्नी को जोर से नहीं खींच सकती ताकि आपको रोक लूं। मेरी बाँहे भी इतनी पतली और कमजोर है कि इन्हें आपके गले में डालकर लिपट भी नहीं सकती। हेमधुमय माँ! मुझे मारने के लिये आप जो दवा लेना चाहती हैं वह मेरे नन्हें शरीर को बहुत कष्ट देंगी। स्नेहमयी माँ। मुझे दर्द होगा। आप तो देख भी नहीं पायेंगी कि वह दवाई आपके पेट के अंदर मुझे कितनी बेरहमी से मार डालेगी। डॉक्टर की हथौड़ी कितनी क्रूरता से मेरी कोमल खोपड़ी के टुकड़े-टकड़े कर डालेगीउसकी कैची मेरे नाजुक हाथ पैंरों को काट डालेगी। अगर आप यह दृश्य देखती तो ऐसा करने का कभी सोचती भी नहीं। 

         सुखदात्री माँ! मुझे बचाओ... कृपा करोदयामयी माँ! मुझे बचाओ... यह दवा मुझे आपके शरीर से इस तरह फिसला देगी जैसे गीले हाथों से साबुन की टिकिया फिसलती है। भगवान के लिए माँऐसा मत करनामैं यह पत्र इसीलिए लिख रही हूँ क्योंकि अभी तो मेरी आवाज भी नहीं निकलती। कहूँ भी तो किससे और कैसेमुझे जन्म लेने की बड़ी ललक है माँ। अभी तो आपके आँगन में मुझे नन्हें पैरों से छम-छम नाचना हैआपकी ममता भरी गोद में खेलना है। चिन्ता नहीं करो माँ! मैं आपका खर्चा नहीं बढ़ाऊँगी। मत लेकर देना मुझे पायल...। मैं दीदी की छोटी पड़ चुकी पायल पहन लूँगी। भैया के छोटे पड़ चुके कपड़ों से तन ढँक लूँगी। बस एक बार... मुझे इस कोख से निकालकर चाँद तारों से भरे आसमान तले जीने का मौका दीजिए। मुझे भगवान की मंगलमय सृष्टि को तो देखने दीजिये। मैं आपकी बेटी हूँ आपकी लाडली शहजादी! मुझे अपने घर में आने दोमाँ! बेटा होता तो आप पाल लेती फिर मुझमें क्या बुराई हैक्या आप दहेज के डर से मुझे नहीं चाहतीना... ना... आप दहेज से मत डरना। यह सब भुलावा है। कुछ कोशिश आप करनाकुछ मैं करूँगी। बड़ी होकर मैं अपनी पैरों पर खड़ी हो जाऊँगीफिर दहेज क्या चीज हैइसका भय तो फुर्र हो जायेगा। देखना..! मेरे हाथों पर भी मेंहदी रचेगीशगुन भरी डोली निकलेगी और आपके आँगन से चिड़िया बनकर मैं उड़ जाऊँगी। आप अभी से मुझे मत उड़ाइये। मैं आपका प्यार चाहती हूँ। एक बेटे के लिए मासूम बेटियों की बलि देना कहाँ तक उचित हैआखिर यह महापाप भी तो आप और आपके चहेते बेटे के सिर पर ही चढ़ेगा। ना... ना... ऐसा कभी मत होने देना। माँ... मेरी प्यारी माँ! बस अब कृपा करके मुझे जन्म दे दीजिये। मुझे मत मारियेअपनी बगल की डाल पर फूल बनकर खिल लेने दीजिये। 

-आपकी नन्हीं सी अजन्मी बेटी



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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!