शनिवार, 31 मई 2014

अंतस

अंतस— सं. हृदय, दिल।

अंतरिच्छ

अंतरिच्छ— सं. 1.आकाश। 2.अधर।

अंतरा

अंतरा— सं. गीतों में टेक के अतिरिक्त पद या चरण।

अंतरयामी

अंतरयामी— सं. वह जो हृदय की बात जानता हो, भगवान।

अंतरधान

अंतरधान— सं. अदर्शन, लोप।

वि. 1.गुप्त। 2.अलक्ष, अदृश्य।

अंतर

अंतर— सं. 1.भेद, भिन्नता। 2.परिवर्तन, बदलाव। 3.आड़, परदा। 4.बीच का समय। 5.दो वस्तुओं के बीच की दूरी।

क्रि.वि. दूर, अलग।

अंतजहा

अंतजहा— वि. 1 अनुमान लगाने योग्य, अनुमेय। 2.अनुमान लगाया हुआ, अनुमानित।

अंतगती

अंतगती— सं. 1.मृत्यु। 2.अंतिम दशा।

अंत

अंत— सं. 1.मृत्यु, नाश। 2.समाप्ति, आखरी। 3.परिणाम, फल। 4.वह स्थान जहाँ कोई वस्तु समाप्त होती हो, छोर, सिरा।

अंडी

अंडी— सं. 1.छोटा एरंड। 2.एक प्रकार का रेशमी कपड़ा, सिल्क।

अंडाभाजी

अंडाभाजी— सं. अंडे के समान गोलाकार पिंड के रूप में बँधी भाजी, पत्ता-गोभी, बंद-गोभी।

अंडापान

अंडापान— सं. एरंड का पत्ता।

अंडा

अंडा1— सं. 1.एरंड का पौधा। 2.एरंड का बीज।

अंडा2— सं. 1.वह गोल पिंड जिसमें से मछलियाँ, चिड़ियाँ आदि जन्म लेती है। 2.अंडकोष के भीतर की गोली। 3.अंडे के आकार का बना चिन्ह। 4.शून्य।

अंड-संड

अंड-संड— सं. 1.व्यर्थ-प्रलाप। 2.गाली-गलौज।

वि. 1.बेसिर-पैर का, व्यर्थ। 2.भद्दा और अनुचित, खराब। 3.टेढ़ा-मेढ़ा, बेढंगा।

अंड-बंड

अंड-बंड— सं. 1.व्यर्थ-प्रलाप। 2.गाली-गलौज।

वि. 1.बेसिर-पैर का, व्यर्थ। 2.भद्दा और अनुचित, खराब। 3.टेढ़ामेढ़ा, बेढंगा।

अंठावन

अंठावन— वि. पचास और आठ की संख्या।

अंठानबे

अंठानबे— वि. नब्बे और आठ की संख्या।

अंजेरी

अंजेरी— सं. 1.दूसरे के हित या विकास से जलने की स्थिति में कही जाने वाली बात, ताना, व्यंग्य। 2.ईर्ष्यावश बोलने की क्रिया या भाव।

अंजाम

अंजाम— सं. फल, परिणाम।

अंजवइन

अंजवइन— सं. एक पौधा जिसके सुगंधित बीज मसाले और दवाई के काम आते हैं, अजवायन।

अंजरी

अंजरी (ली)— सं. दोनों हथेलियों को मिलाकर बनाया गया संपुट, अंजलि।

अंजनी

अंजनी1— सं. वह सलाई जिससे आँख में अंजन लगाया जाता है।

अंजनी2— सं.स्त्री. हनुमान जी की माता।

अंजन

अंजन— सं. नेत्र-सौंदर्य का साधन, काजल, सूरमा।

अंगूर

अंगूर— सं. एक प्रसिद्ध मीठा फल जो लताओं पर गुच्छों में फलता है, द्राक्षा।

अंगुर

अंगुर— सं. एक नाप जो उँगली की चौड़ाई के बराबर होती है।

अंगियाल

अंगियाल (वल)— वि. 1.अपने अंग में या अपने ऊपर लिया हुआ। 2.अंग में चिपकाया हुआ।

अंगियाना

अंगियाना— स.क्रि. 1.अपने अंग में या अपने ऊपर लेना। 2.अपने अंग से चिपकाये रखना।

अंगियई

अंगियई— सं. 1.अपने अंग में या अपने ऊपर लेने की क्रिया या भाव। 2.अपने अंग से चिपकाये रखने की क्रिया या भाव।

अंगियइया

अंगियइया— वि. 1.अपने अंग में या अपने ऊपर लेने वाला। 2.अपने अंग से चिपकाये रखने वाला।

अंगार

अंगार— सं. आग।

अंगरौता

अंगरौता— वि.पु. (स्त्री.अंगरौतिन (ती) मेहनत करने वाला, मेहनती, परिश्रमी।

अंगरी

अंगरी— सं. उँगली।

शुक्रवार, 30 मई 2014

छत्तिसगढ़ी तड़का,





अंगरा

अंगरा— सं. लकड़ी, कोयला या उपल की धधकती हुई आग।

अंगरल

अंगरल— वि. 1.शरीर का वह अंग जो गल गया हो। 2.वह जिसका शरीर क्षीण हो गया हो। 3.वह जिसका हाथ-पैर सरदी के कारण ठिठुर गया हो। 4.वह जिसके शरीर का कोई अंग अधिक ठंड के कारण अकड़ गया हो।

अंगरल

अंगरल— वि. 1.शरीर का वह अंग जो गल गया हो। 2.वह जिसका शरीर क्षीण हो गया हो। 3.वह जिसका हाथ-पैर सरदी के कारण ठिठुर गया हो। 4.वह जिसके शरीर का कोई अंग अधिक ठंड के कारण अकड़ गया हो।

अंगरना

अंगरना1— अ.क्रि. अधिक ठंड के कारण अंगों का अकड़ जाना।

अंगरना2— अ.क्रि. 1.बीमारी के कारण अंगों का गलना। 2.शरीर का क्षीण होना। 3.बीमारी से अंगों का अचल हो जाना।

अंगरखा

अंगरखा— सं. 1.ग्रामीण पुरुषों का ढीला कुर्ता, सलूखा। 2.गमछा।

अंगरक्खा

अंगरक्खा— सं. 1.ग्रामीण पुरुषों का ढीला कुर्ता, सलूखा। 2.गमछा।

अंगरउता

अंगरउता— वि.पु. (स्त्री.अंगरउतिन(ती) दे. ‘अंगरौता’।

अंगभंग

अंगभंग— सं. अंग का भंग या खंडित होना।

अंगना

अंगना— सं. घर के अंदर का सहन, अजिर, आँगन।

अंगद

अंगद— सं.पु. किष्किंधा के राजा बालि का पुत्र जो रामचंद्र की सेना का पराक्रमी योद्धा था।

अंगछा

अंगछा— सं. पटका, गमछा।

अंग

अंग— सं. 1.शरीर, बदन, देह। 2.शरीर का कोई भाग, जैसे– हाथ, पैर, कान आदि। 3.हिस्सा, अंश, भाग। 4.पक्ष, जैसे ‘ये बिसय के कई अंग हें’।

अंकुस

अंकुस— सं. 1.वह छोटा भाला जिससे हाथी चलाया और वश में रखा जाता है। 2.किसी को रोकने या दबाने के लिए प्रयोग होने वाली वस्तु या कार्य। 3.दबाव, रोक।

अंकुरित

अंकुरित— वि. वह बीज जिसमें अंकुर निकल आया हो।

अंकुरल

अंकुरल (हा)— वि. अंकुर निकला हुआ, अंकुरित।

अंकुरना

अंकुरना— अ.क्रि. अंकुर निकलना।

अंकुर

अंकुर— सं. 1.बोए हुए बीज में से निकलने वाला कोंपल, पत्तियों की प्रारंभिक अवस्था। 2.किसी वस्तु का वह प्रारंभिक रूप जो आगे चलकर बहुत बढ़ सकता है।

अंकाल

अंकाल— सं. अकाल, दुर्भिक्ष।

वि. अभाव, कमी।

अंकलहा

अंकलहा— वि. 1.अकाल के समय का, दुर्भिक्षकाल का। 2.अकाल के समय काम आने वाला। 3.अकाल के समय उत्पन्न होने वाला।

वि.पु. (स्त्री.अंकलहिन) अकाल के समय जिसका जन्म हुआ हो।

अंक

अंक— सं. 1.संख्या का सूचक चिन्ह, जैसे– 1, 2, 3....आदि। 2.नंबर। 3.पत्र-पत्रिका आदि का कोई प्रकाशन जो अपने निर्धारित समय पर एक बार में हुआ हो।

अँसुवाल

अँसुवाल (वल)— वि. जिसकी आँखों से आँसू आ गया हो, आँखें डबडबाया हुआ।

अँसुवाना

अँसुवाना— अ.क्रि. आँखों में आँसू आना, आँखें डबडबाना, रोने को होना।

अँसुवहा

अँसुवहा— वि.पु. (स्त्री.अँसुवहिन(ही) वह पशु जिसकी आँखों में आँसू बहता हो।

अँवरा-भात

अँवरा-भात— सं. कार्तिक शुक्ल नवमी को आँवला वृक्ष के नीचे भोजन पकाकर खाने का एक रस्म।

अँवरा

अँवरा— सं. आँवला।

अँवरक्का

अँवरक्का— सं. मसाले डालकर रखा गया आँवला, आँवले का अचार।

अँवरई

अँवरई— सं. आँवले का बगीचा।

अँवटासी

अँवटासी— सं. औटाने की इच्छा।

अँवटाल

अँवटाल (वल)— वि. औटाया हुआ।

अँवटाना

अँवटाना— स.क्रि. औटाना।

अँवटउनी

अँवटउनी— सं. औटाने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँवटई

अँवटई— सं. औटाने की क्रिया, भाव या खर्च ।

अँवटइया

अँवटइया— वि. औटाने वाला।

अँव

अँव— निपा. वर्तमान कालिक एकवचन रूप– हूँ।

अँयरी

अँयरी1— सं. जल में स्वाभाविक उगने वाली एक वनस्पत्ति।

अँयरी2— सं. एक पक्षी जिसकी गर्दन के बाल और पूँछ लंबी होती है।

अँधौर

अँधौर— सं. आँधी, तूफान।

अँधियारी-पाख

अँधियारी-पाख— सं. परिवा से अमावस्या तक के पंद्रह दिन, कृष्ण पक्ष।

गुरुवार, 29 मई 2014

अँधियारी

अँधियारी— वि. वह समय जब अंधकार हो, अंधकारयुक्त, अँधेरी (रात)।

अँधियारल

अँधियारल— वि. 1.अँधेरा छाया हुआ। 2.मेघाच्छादित। 3.अँधेरा किया हुआ।

अँधियारना

अँधियारना— अ.क्रि. 1.अंधकार होना। 2.आकाश में मेघाच्छादित हो जाना।

स.क्रि. अँधेरा करना।

अँधियार

अँधियार— सं. 1.अंधकार, अँधेरा। 2.छाया, परछाई। 3.रात, रात्रि।

अँधियरहा

अँधियरहा— वि. वह समय जब अंधकार हो गया हो।

क्रि.वि. अंधकार के समय का।

अँधवा

अँधवा— वि.पु. (स्त्री.अंधवी) अंधा, नेत्रहीन।

अँधरौटी

अँधरौटी— सं. एक प्रकार का नेत्र दोष, रतौंधी।

अँधरी

अँधरी— वि.स्त्री. नेत्रहीन, अंधी।

सं. सर्प की एक जाति।

अँधरा

अँधरा— वि.पु. नेत्रहीन, अंधा।

अँदोहल

अँदोहल— सं. हो-हल्ला, शोर, कोलाहल।

अँतरीबुखार

अँतरीबुखार— सं. एक दिन के अंतर में आने वाला ज्वर, अँतरिया।

अँड़ौरी

अँड़ौरी— सं. अंडकोष।

अँड़ियाल

अँड़ियाल (वल)— वि. 1.हठ किया हुआ, अकड़ा हुआ। 2.अनपेक्षित रूप से डटा हुआ।

अँड़ियाना

अँड़ियाना— अ.क्रि. 1.हठ करना, अकड़ना। 2.अनपेक्षित रूप से डटे रहना।

अँड़ियहा

अँड़ियहा— वि.पु. (स्त्री.अँड़ियहिन (ही) अड़ा रहने वाला, हठ करने वाला, जिद्दी।

अँड़ियई

अँड़ियई— सं. 1.हठ करने या अकड़ने की क्रिया या भाव। 2.अनपेक्षित रूप से डटे रहने की क्रिया या भाव।

अँड़ियइया

अँड़ियइया— वि. 1.हठ करने या अकड़ने वाला, हठीला। 2.अनपेक्षित रूप से डटा रहने वाला।

अँड़ाल

अँड़ाल (वल)— वि. अटकाया हुआ, अवरोधित।

अँड़ाना

अँड़ाना— स.क्रि. अवरोध उत्पन्न कराना, अटकाना।

अँड़वारी

अँड़वारी— वि. 1.अंडे देने वाली। 2.गर्भवती (अंडज)।

अँड़वा-चीला

अँड़वा-चीला— सं. अंडे की रोटी, आमलेट।

अँड़वा

अँड़वा— सं. अंडा।

अँड़ल

अँड़ल— वि. 1.हठ किया हुआ, अकड़ा हुआ। 2.रुका हुआ, ठहरा हुआ।

अँड़ना

अँड़ना— अ.क्रि. 1.हठ करना, अकड़ना। 2.रुकना, ठहरना।

अँड़ई

अँड़ई— सं. हठ करने या रुके रहने की क्रिया।

अँड़इया

अँड़इया— वि. 1.हठ करने वाला। 2.रुका रहने वाला।

अँटेलहा

अँटेलहा— वि.पु. (अँटेलहिन (ही) 1.घमंड करने वाला, घमंडी। 2.विपरीत विचारों वाला। 3.दूसरों की बातों को नकारकर अपनी चलाने वाला।

अँटियासी

अँटियासी— सं. 1.अँगड़ाई लेने की इच्छा या अवस्था। 2.घमंड करने या अकड़ने की स्थिति।

अँटियाल

अँटियाल (वल)— वि. 1.जो ऐंठ गया हो, जिस पर बल पड़ा हो। 2.अकड़ा हुआ। 3.घमंड किया हुआ। 4.अँगड़ाई लिया हुआ। 5.ऐंठ चढ़ाया हुआ, ऐंठा हुआ।

अँटियाना

अँटियाना— अ.क्रि. 1.ऐंठ चढ़ना, बल पड़ना। 2.अकड़ जाना। 3.घमंड करना। 4.अँगड़ाई लेना।
स.क्रि. ऐंठ चढ़ाना, ऐंठना।

अँटियहा

अँटियहा— वि. ऐंठा हुआ, मुड़ा हुआ।
वि.पु. (स्त्री.अँटियहिन (ही) 1.बारबार अँगड़ाई लेने वाला। 2.घमंड करने वाला, घमंडी।

अँटियउनी

अँटियउनी— सं. ऐंठने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँटियई

अँटियई— सं. 1.ऐंठने की क्रिया या भाव। 2.अँगड़ाई लेने की क्रिया या भाव। 3.घमंड करने की क्रिया भाव।

अँटियइया

अँटियइया— वि. 1.ऐंठने वाला। 2.अँगड़ाई लेने वाला 3.घमंड करने वाला।

अँटाल

अँटाल (वल)— वि. 1.जो कम हो गया हो, घटा हुआ। 2.जो समाप्त या खाली हो गया हो। 3.सूखा हुआ। 4.ऐंठ चढ़ा हुआ।

अँटाना

अँटाना— अ.क्रि. 1.कम होना, घटना। 2.समाप्त होना, खाली होना। 3.सूख जाना। 4.ऐंठ चढ़ना।
स.क्रि. 1.कम करना, घटाना। 2.समाप्त करना, खाली करना। 3.सुखा देना। 4.ऐंठ चढ़ाना।

अँटहा

अँटहा— वि. 1.ऐंठा हुआ, बल खाया हुआ। 2.घटा हुआ, समाप्त। 3.सूखा हुआ।

अँटवाल

अँटवाल (वल)— वि. 1.रस्सी आदि बटवाया हुआ। 2.किसी वस्तु को समाप्त या कम कराया हुआ। 3.सुखाने के लिए प्रवृत्त किया हुआ।

अँटवाना

अँटवाना1— प्रे.क्रि. रस्सी आदि बटवाना, ऐंठन चढ़वाना।

अँटवाना2— प्रे.क्रि. 1.किसी वस्तु को समाप्त या कम कराना। 2.सुखाने के लिए प्रवृत्त करना।

अँटवउनी

अँटवउनी— सं. 1.रस्सी आदि बटवाने का खर्च या पारिश्रमिक। 2.किसी वस्तु को समाप्त या कम कराने का खर्च या पारिश्रमिक। 3.सुखाने के लिए प्रवृत्त करने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँटवई

अँटवई— सं. 1.रस्सी आदि बटवाने की क्रिया, भाव या खर्च। 2.किसी वस्तु को समाप्त या कम कराने की क्रिया, भाव या खर्च। 3.सुखाने के लिए प्रवृत्त करने की क्रिया, भाव या खर्च।

अँटवइया

अँटवइया— वि. 1.रस्सी आदि बटवाने वाला। 2.समाप्त या कम कराने वाला। 3.सुखाने के लिए प्रवृत्त करने वाला।

रविवार, 25 मई 2014

अँटल

अँटल— वि. 1.ऐंठन चढ़ा हुआ, ऐंठा हुआ। 2.जो समाप्त या कम हो गया हो।

अँटना

अँटना1— अ.क्रि. 1.रस्सी आदि में ऐंठन चढ़ना। 2.ऐंठना।

अँटना2— अ.क्रि. 1.सूख जाना (नदी, तालाब आदि)। 2.समाप्त होना, कम होना, घटना।

अँटउनी

अँटउनी— सं. 1.ऐंठने या रस्सी आदि बटने का खर्च या पारिश्रमिक। 2.किसी वस्तु को समाप्त या कम करने का खर्च या पारिश्रमिक। 3.सुखाने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँटई

अँटई— सं. 1.ऐंठने या रस्सी आदि बटने की क्रिया, भाव या खर्च। 2.किसी वस्तु के समाप्त या कम होने की क्रिया या भाव। 3.सुखाने की क्रिया या भाव।

अँटइया

अँटइया— वि. 1.ऐंठने वाला, रस्सी आदि बटने वाला। 2.समाप्त या कम करने वाला। 3.सुखा देने वाला।

अँजोरी-पाख

अँजोरी-पाख— सं. परिवा से पूर्णिमा तक का पंद्रह दिन, शुक्ल पक्ष।

अँजोरी

अँजोरी— सं. उजाला, प्रकाश।

अँजोरहा

अँजोरहा— वि. प्रकाशयुक्त, रोशनीयुक्त।

अँजोरल

अँजोरल— वि. 1.उजाला या प्रकाश फैला हुआ। 2.उजाला या प्रकाश फैलाया हुआ।

अँजोरना

अँजोरना— अ.क्रि. 1.उजाला होना, प्रकाश फैलना। 2.धूप निकलना।

स.क्रि. उजाला फैलाना, प्रकाश फैलाना।

अँजोर

अँजोर— सं. उजाला, प्रकाश।

अँजुरी

अँजुरी— सं. करसंपुट।

अँजाल

अँजाल (वल)— वि. अंजन लगवाया हुआ।

अँजाना

अँजाल (वल)— वि. अंजन लगवाया हुआ।

अँजवाल

अँजवाल (वल)—वि. अंजन लगवाया हुआ।

अँजवाना

अँजवाना— प्रे.क्रि. अंजन लगवाना।

अँजवउनी

अँजवउनी— सं. अंजन लगवाने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँजवई

अँजवई— सं. अंजन लगवाने की क्रिया, भाव या खर्च।

अँजवइया

अँजवइया— वि. अंजन लगवाने वाला।

अँजवइन

अँजवइन— सं. एक तरह का मसाला, अंजवायन।

अँजउनी

अँजउनी— सं. अंजन लगाने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँजई

अँजई— सं. अंजन लगाने की क्रिया, भाव या खर्च।

अँजइया

अँजइया— वि. अंजन लगाने वाला।

अँजउनी

अँजउनी— सं. अंजन लगाने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँजई

अँजई— सं. अंजन लगाने की क्रिया, भाव या खर्च।

अँजइया

अँजइया— वि. अंजन लगाने वाला।

अँछरा

अँछरा— सं. साड़ी या धोती का किनारा, आँचल।

अँचोल

अँचोल (वल)—वि. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धोया हुआ।

अँचोनी

अँचोनी— सं. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धोने का पात्र।

अँचोना

अँचोना— स.क्रि. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धोना।

अँचोइया

अँचोइया— वि. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धोना।

अँचाना

अँचाना— स.क्रि. आँच देना, गर्म करना।

अँचवाल

अँचवाल (वल)—वि. भोजनोपरांत हाथ मुँह धुलवाया हुआ।

अँचवाना

अँचवाना— स.क्रि. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धुलाना।

अँचवई

अँचवई— सं. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धुलाने की क्रिया या भाव।

अँचवइया

अँचवइया— वि. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धुलाने वाला।

अँचवइन

अँचवइन1— सं. चारपाई के पैताने की रस्सी जिसे खींचकर चारपाई का तनाव ठीक करते हैं।

अँचवइन2— सं. भोजनोपरांत हाथ-मुँह धोया हुआ पानी।

अँचरी

अँचरी— सं. कीड़ों के काटने से धान की बाली के गिरे हुए छोटे-छोटे टुकड़े।

अँचरा

अँचरा— सं. साड़ी का एक किनारा, आँचल।

अँगोटल

अँगोटल (हा)— वि. जिसे बाहों में भर लिया या अंगीकार किया हो।

अँगोटना

अँगोटना— स.क्रि. बाहों में भर लेना, अंगीकार करना।

अँगोटई

अँगोटई— सं. बाहों में भर लेने या अंगीकार करने की क्रिया या भाव।

अँगोटइया

अँगोटइया— वि. बाहों में भर लेने या अंगीकार करने वाला।

अँगोछी

अँगोछी— सं. छोटा अँगोछा, तौलिया, गमछा।

अँगोछिया

अँगोछिया— सं. छोटा अँगोछा, तौलिया, गमछा।

अँगोछाल

अँगोछाल (वल)— वि. 1.गीले कपड़े से रगड़ने पर जिसका शरीर साफ हो गया हो। 2.शरीर को गीले कपड़े से पोंछवाया हुआ।

शुक्रवार, 23 मई 2014

अँगोछाना

अँगोछाना— अ.क्रि. गीले कपड़े से रगड़ने पर शरीर का साफ हो जाना।

प्रे.क्रि. शरीर को गीले कपड़े से पोंछवाना।

अँगोछा

अँगोछा— सं. गीला शरीर पोंछने का छोटा कपड़ा, तौलिया, गमछा।

अँगोछहा

अँगोछहा— वि.दे.‘अँगोछल’।

अँगोछल

अँगोछल— वि. शरीर को गीले कपड़े से पोंछा हुआ।

अँगोछना

अँगोछना— स.क्रि. शरीर को गीले कपड़े से पोंछना।

अँगोछउनी

अँगोछउनी— सं. शरीर को गीले कपड़े से पोंछने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँगोछई

अँगोछई— सं. शरीर को गीले कपड़े से पोंछने की क्रिया, भाव या खर्च ।

अँगोछइया

अँगोछइया— वि. शरीर को गीले कपड़े से पोंछने वाला।

अँगेठी

अँगेठी— सं. जलती हुई पतली और छोटी लकड़ी।

अँगेठा

अँगेठा— सं. जलती हुई मोटी और बड़ी लकड़ी।

अँगेजना

अँगेजना— स.क्रि. 1.अंगीकार करना। 2.स्वीकार करना। 3.सहन करना।

अँगुरी

अँगुरी— सं. उँगली।

अँगुर

अँगुर— सं. एक उँगली की माप।

अँगुठी

अँगुठी— सं. हाथ की उँगली में पहनने का छल्ला, मुँदरी।

अँगुठा

अँगुठा— सं. 1.हाथ-पैर की मोटी उँगली, अँगूठा। 2.अँगूठे की छाप।

अँगीठी

अँगीठी— सं. जलती हुई पतली लकड़ी।

अँगारल

अँगारल— वि. आग से पकाया हुआ।

अँगारना

अँगारना— स.क्रि. आग से पकाना।

अँगाकर

अँगाकर— सं. अँगार से सेंकी हुई मोटी रोटी, हथुई रोटी।

अँगरेजी

अँगरेजी— सं. अंगरेजी।

अँगरेज

अँगरेज— सं. अंगरेज।

अँगना

अँगना— सं. घर के अंदर का सहन, अजिर, आँगन।

अँगड़ई

अँगड़ई— सं. अँगड़ाई।

अँगड़इया

अँगड़इया— सं. अँगड़ाई।

वि. अँगड़ाई लेने वाला।

अँगठी

अँगठी— सं. हाथ-पैर की पतली उँगली।

अँगठा

अँगठा— सं. 1.हाथ-पैर की मोटी उँगली, अँगूठा। 2.अँगूठे की छाप।

अँगठही

अँगठही— वि. वह चप्पल जिसमें अँगूठे को फँसाने के लिए पट्टी लगी हो।

अँखुआल

अँखुआल (वल)— वि. जिसमें अंकुरण आ गया हो, अंकुरित।

अँखुआना

अँखुआना— अ.क्रि. अंकुरित होना।

अँखुआ

अँखुआ (वा)— सं. अंकुर, अंकुरण।

अँखियाल

अँखियाल (वल)— वि. आँखों से संकेत किया हुआ, आँख मारा हुआ।

अँखियाना

अँखियाना— अ.क्रि. 1.आँखों से संकेत करना, आँख मारना। 2.अंकुरण आना।

स.क्रि. अंकुरण लाना।

अँखियहा

अँखियहा— वि. 1.आँखों से संकेत किया हुआ, आँख मारा हुआ। 2.जिसमें अंकुरण आ गया हो, अंकुरित।

अँखियई

अँखियई— सं. आँखों से संकेत करने या आँख मारने की क्रिया या भाव।

अँखियइया

अँखियइया— वि. आँखों से संकेत करने वाला या आँख मारने वाला।

अँखमुंदा

अँखमुंदा— क्रि.वि. आँख बंद करके, बिना देखे।

अँखफुट्टा

अँखफुट्टा— वि.पु. (स्त्री.अँखफुट्टिन(टी) दे. ‘अँखफुटहा’।

अँखफुटहा

अँखफुटहा— वि.पु. (स्त्री.अँखफुटहिन(ही) 1.जिसकी आँख फूट गई हो, काना। 2.जो दूसरों का हित, विकास या प्रतिष्ठा देखकर सहन न कर पाता हो, ईर्ष्यालु। 3.जो दूसरों की वस्तु को अनधिकृत रूप से पाने की चेष्टा करता हो। 4.नजर चुराकर किसी वस्तु को ले जाने वाला, नीयतखोर।

अँकोड़

अँकोड़— सं. लोहे का बना हँसियानुमा छोटा एवं नुकीला औजार जिसका प्रयोग बोरे उठाने के लिए करते हैं, अंकुश।

अँकुआल

अँकुआल (वाल या वावल)— वि. 1.अनुमान लगवाया हुआ, कुतवाया हुआ। 2.दगवाया हुआ, चिन्हित कराया हुआ।

अँकुआना

अँकुआना (वाना)— प्रे.क्रि. 1.अनुमान लगवाना, कुतवाना। 2.दगवाना, चिन्हित कराना।

अँकुआ

अँकुआ (वा)— वि. 1.दागने या चिन्हित करने के लिए प्रयुक्त होने वाला(औजार)। 2.दागा हुआ, चिन्हित किया हुआ। 3.अनुमान लगाया हुआ।

अँकाल

अँकाल(वल)— वि. 1.अनुमान लगा हुआ। 2.जो चिन्हित हो गया हो। 3.अनुमान लगवाया हुआ, कुतवाया हुआ। 4.दगवाया हुआ, चिन्हित कराया हुआ।

अँकाना

अँकाना— अँकाना— अ.क्रि. 1.अनुमान लगाना। 2.चिन्हित होना।

प्रे.क्रि. 1.अनुमान लगवाना, कुतवाना। 2.दगवाना, चिन्हित कराना।

अँकहा

अँकहा— वि. 1.अनुमान लगाया हुआ, कूता हुआ। 2.दागा हुआ, चिन्हित किया हुआ।

अँकवाल

अँकवाल (वल)— वि. 1.अनुमान लगवाया हुआ, कुतवाया हुआ। 2.दगवाया हुआ, चिन्हित कराया हुआ।

अँकवारल

अँकवारल— वि. गले लगाया हुआ, अंक में भरा हुआ, आलिंगन किया हुआ।

अँकवारना

अँकवारना— स.क्रि. गले मिलना, अंक में भरना, आलिंगन करना।

अँकवार

अँकवार— सं. 1.दोनों भुजाओं की पकड़, दोनों भुजाओं से पकड़ने पर प्राप्त फसल या वस्तु की मात्रा। 2.आलिंगन।

अँकवाना

अँकवाना— स.क्रि. 1.अनुमान लगवाना, कुतवाना। 2.दगवाना, चिन्हित कराना।

गुरुवार, 22 मई 2014

अँकवउनी

अँकवउनी— सं. अनुमान लगवाने, कुतवाने, दगवाने या चिन्हित कराने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँकवई

अँकवई— सं. अनुमान लगवाने, कुतवाने, दगवाने या चिन्हित कराने की क्रिया या भाव।

अँकवइया

अँकवइया— वि. अनुमान लगवाने, कुतवाने, दगवाने या चिन्हित कराने वाला।

अँकरी

अँकरी— सं. घास की जाति का एक अनाज जिसके छोटे-छोटे दाने होते हैं। दे. ‘जिल्लो’।

अँकउनी

अँकउनी— सं. अनुमान लगाने, कूतने, दागने या चिन्हित करने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँकई

अँकई— सं. अनुमान लगाने, कूतने, दागने या चिन्हित करने की क्रिया या भाव।

अँकइया

अँकइया— वि. अनुमान लगाने, कूतने, दागने या चिन्हित करने वाला।

अँउसाल

अँउसाल (वल)— वि. 1.वह पदार्थ जो नमी के कारण सड़ गया हो। 2.(कपड़े आदि) जिसमें नमी के कारण बदबू उठ रहा हो। 3.नमी देकर किसी पदार्थ को सड़ाया हुआ।

अँउसाना

अँउसाना— अ.क्रि. 1.नमी के कारण किसी पदार्थ का सड़ जाना। 2.नमी के कारण कपड़े आदि से बदबू आना।
स.क्रि. नमी देकर किसी पदार्थ को सड़ाना।

अँउसवाल

अँउसवाल (वल)— वि. किसी पदार्थ को नमी देकर सड़ाने के लिए प्रवृत्त किया हुआ।

अँउसवाना

अँउसवाना— प्रे.क्रि. किसी पदार्थ को नमी देकर सड़ाने के लिए प्रवृत्त करना।

अँउसल

अँउसल (हा)— वि. नमी के कारण सड़ा हुआ(पदार्थ)।

अँउसना

अँउसना— अ.क्रि. नमीयुक्त पदार्थों का सड़ना।

अँउसई

अँउसई— सं. नमीयुक्त पदार्थों के सड़ने की क्रिया।


अँउरा

अँउरा— सं.दे. ‘अँवरा’।

अँउधी

अँउधी— वि. वह कच्ची फली जिसे उबालकर उनकी गरिष्ठता कम कर दी गई हो।

अँउठियाल

अँउठियाल (वल)— वि. दीवार के निचले भाग की पोताई किया या कराया हुआ।

अँउठियाना

अँउठियाना— स.क्रि. दीवार के निचले भाग की पोताई करना।

अँउठियउनी

अँउठियउनी— सं. दीवार के निचले भाग की पोताई करने या कराने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँउठियई

अँउठियई— सं. दीवार के निचले भाग की पोताई करने की क्रिया या भाव।

बुधवार, 21 मई 2014

अँउठ

अँउठ— वि. तीन और आधा, साढ़े तीन(रुपये)

अँउटाल(वल)

अँउटाल (वल)— वि. औटाया हुआ।

अँउटाना

अँउटाना— स.क्रि. औटाना।

अँउटल (हा)

अँउटल (हा)— वि. औटा हुआ।

अँउटना

अँउटना— अ.क्रि. औटना।

अँउटउनी

अँउटउनी— सं. औटाने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँउटई

अँउटई— सं. औटाने की क्रिया, भाव या खर्च ।

अँउटइया

अँउटइया— वि. औटाने वाला।

मंगलवार, 20 मई 2014

अँइठूपन

अँइठूपन— सं. अकड़बाजी।

अँइठू

अँइठू— वि.पु. ऐंठ की भावना रखने वाला, घमंडी।

अँइठी

अँइठी— सं. चाँदी का बना ऐंठदार एक आभूषण जिसे स्त्रियाँ कलाई पर पहनती हैं।

अँइठाल

अँइठाल (वल)— वि. 1.ऐंठा हुआ, बल या घुमाव पड़ा हुआ। 2.ऐंठाया हुआ, घुमाव या बल डलवाया हुआ।

अँइठाना

अँइठाना— अ.क्रि. 1.ऐंठन होना, तनाव या मरोड़ उत्पन्न होना। 2.ऐंठ पड़ना, बल पड़ना।
प्रे.क्रि. ऐंठने या मरोड़ने का कार्य दूसरे से कराना।

अँइठहा

अँइठहा— वि. 1.तड़फा हुआ। 2.ऐंठा हुआ, ऐंठाया हुआ।

वि.पु. (स्त्री.अँइठहिन(ही) ऐंठ दिखाने वाला, घमंड करने वाला, घमंडी।

अँइठल

अँइठल— वि. 1.ऐंठा हुआ, मरोड़ा हुआ। 2.घमंड किया हुआ। 3.तड़फा हुआ।

अँइठना

अँइठना— अ.क्रि. 1.ऐंठना, मरोड़ उत्पन्न होना। 2.अकड़ जाना। 3.घमंड आना। 4.तड़फना। 5.मर जाना।
स.क्रि. 1.ऐंठना, मरोड़ना। 2.घुमाव या बल देना। 3.घमंड करना। 4.गर्व करना। 5.धोखा देकर या दबाव डालकर लेना(धन आदि)।

अँइठन

अँइठन— सं. 1.ऐंठ। 2.घमंड। 3.तड़फन।

अँइठती

अँइठती— क्रि.वि. 1.ऐंठते हुए, मरोड़ते हुए। 2.घमंडपूर्ण।

अँइठउनी

अँइठउनी— सं. 1.ऐंठने का खर्च या पारिश्रमिक। 2.तड़फने का खर्च या पारिश्रमिक।

अँइठई

अँइठई— सं. 1.ऐंठने या मरोड़ने की क्रिया या भाव। 2.ऐंठने या मरोड़ने का खर्च या पारिश्रमिक। 3.घमंड करने की क्रिया या भाव। 4.तड़फने या तड़फाने की क्रिया या भाव।

अँइठइया

अँइठइया— वि. 1.ऐंठने या मरोड़ने वाला। 2.घमंड करने वाला। 3.तड़फने या तड़फाने वाला।

अँइठ

अँइठ— सं. 1.ऐंठने की क्रिया या भाव। 2.अकड़। 3.घमंड, गर्व।

अँ

अँ— सं. खीज, निषेध आदि भावों का सूचक शब्द।

सर्व. 1.अभिप्रेत वस्तु की जिज्ञासा का सूचक शब्द। 2.कौन सी वस्तु या बात? 3.क्या?

क्रि.वि. क्यों? किसलिए?

विस्मयादि. एक अव्यय जो आश्चर्य, असम्मति आदि का सूचक है।

— देवनागरी वर्णमाला का पहला अक्षर स्वर वर्ण, इसका उच्चारण कंठ से होता है। सभी व्यंजन वर्णों का उच्चारण ‘अकार’ युक्त होता है, जैसे ‘क्+अ=क, ख्+अ=ख इत्यादि। निषेध, अभाव तथा विपर्याय के अर्थ में इसका प्रयोग उपसर्ग की तरह होता है, जैसे ‘अनींदा, अबोला, अगम’। जब किसी व्यंजन का उच्चारण इसके बिना होता है तब वह हल् कहलाता है।

गुरुवार, 15 मई 2014

उपयोगी बातें

कुछ ऐसी बातें जिनके बारे में आपको और हमें जानकारी नहीं होती लेकिन मुसीबत के समय यह बहुत मददगार साबित होगी।



मोबाईल इमरजेंसी नंबर
दुनिया भर में मोबाईल का इमरजेंसी नंबर 112 है । अगर आपका मोबाईल कवरेज एरिया से बाहर हैं तो 112 नंबर द्वारा आप उस क्षेत्र के नेटवर्क को सर्च करें लें। मुख्य बात यह है कि यह नंबर तब भी काम करता है जब आपका की पैड लॉक हो।

मोबाईल की बैटरी में अभी जान अभी बाकी है
मोबाईल जब बैटरी लो दिखाये और उस दौरान आपको जरुरी कॉल करनी हो, ऐसे में आप *3370# डॉयल करें, आपका मोबाईल फोन फिर से चालू हो जायेगा और आपका सेलफोन बैटरी में 50% का इजाफा दिखायेगा। मोबाईल का रिजर्व स्टॉक दोबारा चार्ज हो जायेगा, जब आप अगली बार मोबाईल को हमेशा की तरह चार्ज करेंगे।

मोबाईल चोरी होने पर
मोबाईल फोन चोरी होने की स्थिति में सबसे पहले जरुरत होती है, फोन को निष्क्रिय करने का जिससे चोर उसका दुपयोग न करें सके । अपने फोन के सीरयल नंबर को चेक करने के लिये *#06# दबायें। इसे दबाते ही आपके मोबाईल स्क्रीन पर 15 डिजिट का एक कोड नंबर आयेगा। इसे अपनी डायरी में नोट करें सुरक्षित रख लें। जब कभी आपका फोन खो जाये, उस दौरान अपने सर्विस प्रोवाइडर को ये कोड देंगे तो वह आपके हैण्डसेट को लॉक करें देगा।

कार की चाभी खो जाने पर
अगर आपकी कार की “रिमोर्ट-कीलेस-इंट्री’’ है, और गलती से कार की चाभी कार में बंद रह गयी है और दूसरा चाभी घर पर है तो आपका मोबाईल काम आ सकता है। घर में किसी व्यक्ति के मोबाईल फोन पर कॉल करें। घर में बैठे व्यक्ति से कहें कि वह अपने मोबाईल को होल्ड रखकर कार की चाभी के पास ले जायें और चाभी के अनलॉक बटन को दबाये साथ ही आप अपने मोबाईल फोन को कार दरवाजे के पास रखें, दरवाजा खुल जायेगा।

मोबाईल से मोबाईल में बैलेन्स ट्रान्सफर

जरुरत पड़ने पर आप कोई भी मोबाईल कम्पनी का बैलेन्स ट्रान्सफर करें अपने करीबियों, परिचितों या अन्य व्यक्तियों की मोबाईल बैलेन्स ट्रान्सफर द्वारा करके मदद करें सकते हैं, बशर्ते दोनों मोबाईल समान नेटवर्क द्वारा संचालित हो रहा हो। लगभग अधिकाँश मोबाईल कम्पनियों ने एक मोबाईल से दूसरे मोबाईल में बैलेन्स ट्रान्सफर करने की सुविधा प्रदान करें रखी है। इसके लिये आपको प्रत्येक मोबाईल कम्पनियों द्वारा तयशुदा निर्देशित मापदंडों को अपनाना पड़ेगा–

TATA DOCOMO

(Mobile to Mobile Balance Transfer On TATA DOCOMO Network ) SMS कीजिये– 
BT बैलेन्स प्राप्त करने वाला मोबाईल नम्बर और राशि को 54321 पर कीजिये ।
जैसे– 9000000000 पर 50 रुपये का बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये टाइप करें– 
BT 9000000000 50 और सेंट कीजिये– 54321 पर।
नोट– हर ट्रान्सफर पर एक रुपये का सर्विस चार्ज कटेगा।

AIRTEL

(Mobile to Mobile Balance Transfer On AIRTEL Network )
अपने एयरटेल मोबाईल से *141# नम्बर पर डॉयल करें और बताये जाने वाले निर्देश का पालन करें।
AIRCELL
(Mobile to Mobile Balance Transfer On AIRCELL Network )
बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये अपने एयरसेल फोन से *122*666# डॉयल करें और निर्देशों का पालन करें।
नोट– 1. हर ट्रान्सफर पर एक रुपये सर्विस चार्ज कटेगा।
2. दिनभर में केवल एक बार और प्रीपेड सर्विस वाले मोबाईल के बीच ही बैलेन्स ट्रान्सफर हो सकता है।

B.S.N.L.

(Mobile to Mobile Balance Transfer On B.S.N.L. Network)
आपको सिर्फ एक SMS भेजना होगा।
टाइप करें– GIFT बैलेन्स प्राप्त करने वाला– मोबाईल नम्बर, राशि और 53733 पर भेज दें। 
जैसे– 9000000000 पर 50 रुपये का बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये टाइप करें– GIFT 9000000000 50 और 53733 पर SMS कीजिये।

VODAPHONE

(Mobile to Mobile Balance Transfer On VODAPHONE Network ) वोडाफोन से वोडाफोन में बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये डॉयल करें *131*राशि* राशि प्राप्त करने वाला मोबाईल नम्बर#।
जैसे– 9000000000 पर 50 रुपये का बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये डॉयल करें *131*50* 9000000000#
नोट– हर ट्रान्सफर पर दो से चार रुपये सर्विस चार्ज कटेगा।

IDIA

(Mobile to Mobile Balance Transfer On IDIA Network )
आइडिया से आइडिया में बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये एस.एम.एस. टाइप करें–
SMS GIVE बैलेन्स प्राप्त करने वाला मोबाईल नम्बर और राशि+ 55567 पर कीजिये।
जैसे– 9000000000 पर 30 ररुपये का बैलेन्स ट्रान्सफर करने के लिये एस.एम.एस. टाइप करें– GIVE 9000000000 30 और 55567 पर एस.एम.एस. कीजिये।
(विशेष- बड़ा बैलेन्स ट्रान्सफर करने के पहले बहुत कम राशि को ट्रान्सफर करके चेक करें लें।)

बुधवार, 14 मई 2014

कैसा होता होगा असली धार्मिक इन्सान!

अक्सर संगठित धर्मों की जमी-जमाई बासी परिभाषाओं, उनकी हृदयहीनता पर संवेदनशील लोग सवाल उठाते हैं। सिर्फ यह कहने से कि धर्म लोगों की अफीम है, धर्म के वर्तमान स्वरूप से मुक्ति नहीं मिल सकती। सच तो यह है कि ये तथाकथित धार्मिक लोग बलात्कारी, भ्रष्ट, राजनीति में लिप्त, हद दर्जे के लम्पट होते हुए भी हमारे ओपिनियन मेकर्स हैं। बड़ी संख्या में गृहणियां, रिटायर्ड लोग, महत्वकांक्षी लड़के-लडकियां, अपनी ही बेवकूफियों और नासमझी में फंसे लोग इन 'धार्मिक' लोगों के आगे पीछे घूमते दिखते हैं। भारतीय सब-कॉन्शस मन पर इसकी पकड़ भयंकर रूप से गहरी है।

तो ऐसे ही सोचा कि कैसा होना चाहिए एक सही अर्थ में धार्मिक व्यक्ति...एक अज्ञात सत्य की तलाश में लगा वो कितना विनम्र, ईमानदार और सच्चा और सरल हो जाता होगा। समूची कुदरत के साथ एक हो जाता होगा... कैसे समस्त विभाजनों से परहेज करता होगा... और आज हम जिन्हें धार्मिक मानते हैं, उन्हें देख कर क्रोध कम, दुःख का अनुभव ज़्यादा होता है। सोचा आपके साथ शेयर करूं...

यदि कोई सही अर्थ में धार्मिक होगा, तो सबसे पहले वह दाढ़ी बढ़ाकर, अलग किस्म के कपड़े पहन कर अलग दिखने की कोशिश नहीं करेगा। वह अपने व्यक्तित्व को लेकर एक और विभाजन का निर्माण नहीं करेगा। जैसे बाकी लोग हैं, वैसा ही दिखेगा। वह प्रश्न उठाएगा; प्रश्नों को आमंत्रित करेगा न कि उनसे घबरा कर धर्म ग्रंथों के पीछे पनाह लेगा। न ही कहानी किस्सों में उलझाएगा, न किसी रूमानी भविष्य या अतीत की यात्रा पर लोगों को ले जाने की कोशिश करेगा। वह लोगों का मनोरंजन नहीं करेगा, लतीफ़े सुना कर, भजन कीर्तन में उन्हें फंसा कर। सारे सतही खेल-तमाशों के बीच वह इशारे करेगा उन आवाजों की ओर, जो हमारी घायल दुनिया के बेढंगे शोर के नीचे कहीं दब गई हैं। हल्के, महीन इशारे करेगा और शायद आपको छोड़ देगा, अपने ह्रदय के क्रूर एकाकीपन के साथ, उस सत्य की खोज करने के लिए जिसे आप खुद के बाहर कहीं ढूंढ़ रहे हैं। लेकिन वह आपके दर्द के अहसास में आपके साथ हमेशा बना रहेगा।

जो सही अर्थ में धार्मिक होगा, वह सही अर्थ में प्रेमी भी होगा... मुदिता, करुणा, मैत्री, और उपेक्षा भाव वाला प्रेमी। आपके करीब भी, आपसे दूर भी। वह अपनी अनुपस्थिति में आपको प्रेम करेगा, आपको सिखाएगा, आपसे सीखेगा, आपका हाथ थामेगा। लेकिन अपनी अनुपस्थिति में। वह एक अर्थ में क्रूर भी होगा, आपके लिए नहीं, हर उस चीज़ के लिए जिसने इस धरती को मैला कर दिया है, हमारे हर दिन को एक न खत्म होने वाले संघर्ष में बदल दिया है, जिसने बचपन की उम्र कम दी है। ऐसी हर चीज़ के लिए वह झुलसा देने वाली एक लपट होगा। वह एक मशाल होगा। न ही उसकी कोई जात होगी, न कोई मज़हब, न कोई देश, न कोई ठिकाना। न वह कोई स्त्री होगा, न ही पुरुष। एक अपरिभाषित, अज्ञेय अस्तित्व।

सबको हैरान कर देने वाला; बस दिल में आने वाला, समझ में न आने वाला।

http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/chaitanyanagar

आसाराम बापू का सच क्या है


कहते हैं जब समय ख़राब आता है तब इन्सान की परछाई भी उसका साथ छोड़ जाती है। मुझे लगता है कुछ ऐसा ही आसाराम बापू के साथ भी हुआ है। वर्ना जाने कितने बड़े – बड़े नेता , मंत्री , मुख्यमन्त्री उनके प्रवचनों पर पहुँचते थे। आज सब ने उनसे कन्नी काट ली है। जब से उन पर बलात्कार का आरोप लगा है।


पता नहीं इन आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो आरोप लगाने वाला ही जानता होगा। आरोप का क्या है कोई भी किस पर लगा सकता है। कई बार आपसी खुंदक में ही लोग आरोप लगा देते हैं। अभी जल्दी में ही डी एस पी जिया उल हक़ की विधवा ने रघु राज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या पर अपने पति की हत्या करवाने का आरोप लगा दिया। बिन बुलाये मुसीबत उनके गले मढ़ गई। उनको न लेना एक न देना दो पर क्या करे, मंत्री पद भी गया। इतनी लम्बी जाँच पड़ताल के बाद नतीजा वही ढांक के तीन पात। मुफ्त में परेशानी अलग झेलनी पड़ी।पहले तो C .B .I जाँच करवाने का प्रदेश सरकार पर दबाब बनाया। अब जब C .B .I को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो नई कहानी शुरू कर दी कि अभी अदालत का निर्णय नहीं आया है। अभी उन्हें दोबारा से मंत्री क्यों बनाया जा रहा है। उस समय भी सारे के सारे न्यूज चैनल राजा भैय्या के खिलाफ हुंकार भर रहे थे। इल्जाम लगाने वाला मस्ती से सरकारी सुवधाओं  का आनन्द ले रहा है। उस पर कोई कार्यवाही नहीं क्यों ?

अब आता हूँ आसाराम बापू के मामले में, तो पहले बता दू कि न तो मै इनका भक्त हूँ और न ही कहीं इनके सत्संग में गया। लेकिन जब भी मुझे कुछ गलत लगता है तो मैं  उसका समर्थन नहीं कर सकता।

ऐसा लगता है बहुत सारे ब्लागर के अन्दर हलाहल भरा हुआ है। जब भी उन्हें मौका मिलता है वह अपना जहर उगलना शुरू कर देते हैं। आसाराम बापू के खिलाफ भी लोगो ने जम कर विष वमन किया और कर रहे हैं। एक भेड़ चाल है एक ने जहर उगला तो दूसरा शुरू हो गया दुसरे को देख कर तीसरा और इस तरह से एक झुण्ड चाहे वह मीडिया का हो या ब्लागर का सारे के सारे शुरू हो जाते हैं।

एक ब्लागर हैं महेंद्र श्रीवास्तव जिन्होंने ने अपने परिचय में लिखा है कि वह पिछले 6 सालो से न्यूज चैनल से जुड़े हैं। उन्होंने आसाराम बापू के खिलाफ जहर उगलते हुए एक फोटो भी एक अमेरिकन की लगाई जिसकी सूरत काफी कुछ आसाराम बापू से मिलती हुई सी है वह शख्स अपने गोद में एक स्त्री को बैठाये हुए है। पहले तो यह जनाब उस व्यक्ति को आसाराम बापू ही बताते रहे जब कई लोगो ने इनकी खिंचाई की तब भी उसे हटाया नहीं बल्कि लिख दिया पहचानो कौन। यह तो मानसिकता है आज कल के लोगो की और मुख्य रूप से न्यूज चैनल से जुड़े हुए लोगी की। पिछले कुछ दिनों से एक होड़ सी लगी हुई है न्यूज चैनलों में आसाराम बापू के खिलाफ जहर उगलने की। प्रतिदिन ही शाम को किसी न किसी चैनल पर आसाराम बापू के खिलाफ वाद- प्रतिवाद हो रहा होता है। ऐसा लगता है इन न्यूज चैनलों ने अपनी अलग से अदालत बना ली है और उसमे आसाराम बापू को कटघरे में खड़ा करके तरह – तरह के आरोप लगाना शुरू कर देते हैं। पता नहीं कहाँ से ऐसे साधु – गेरुआ वस्त्र धारी को पकड़ कर ले आते हैं जिन्हें कोई जानता भी नहीं न ही उनका कोई वजूद है और उन लोगो के माध्यम से विष वमन का कार्य शुरू हो जाता है। मै समझता हूँ जितने लाख आसाराम बापू के अनुयायी हैं उतने शायद ही किसी के होंगे। अब उनसे इर्ष्या होना तो स्वाभाभिविक ही है, यह लोग निजी इर्ष्यावश जहर उगलने का कार्य शुरू कर देते हैं। पानी पी - पी कर गाली दे रहे हैं।

सारे के सारे ऐसा प्रकट कर रहे हैं कि इनसे बड़ा कोई ब्रह्मचारी नहीं है। स्त्री के सामने आते ही इनकी नजरे जमीन में गड़ जाती हैं।

कहावत है मुंह में राम, बगल में छुरी, वह हाल है इन न्यूज चैनलो में इन जहर उगलने वाले लोगो का। अभी एक सुन्दर सी लड़की मिनी स्कर्ट पहन कर सामने आ जाय तो वहीँ लार टपकने लगेगी। चले हैं नैतिकता का पाठ पढ़ाने।

यहाँ पर आसाराम बापू के विषय में कुछ प्रश्न ऐसे हैं जो अनुत्तरित हैं।
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जैसे कि इस घटना से पहले से ही एक अमेरिकन जो की चाल–ढाल से आसाराम बापू जैसा ही देखने में लगता है उसकी आपत्तिजनक फोटो सोशल मीडिया पर डाल कर आसाराम बापू को बदनाम करने का प्रयास कौन कर रहा है।
  • जिस व्यक्ति ने अपनी बेटी पर बलात्कार करने का आरोप आसाराम बापू पर लगाया वह 6 दिन बाद क्यों लगाया? कही ऐसा तो नहीं कि अगर आरोप तुरंत लगाता तो मेडिकल जाँच होने पर यह साबित हो जाता कि बलात्कार हुआ ही नहीं है। लेकिन इतने दिन बाद इस तरह की जाँच हो नहीं सकती।
  • जोधपुर से शाहजहाँपुर पहुँच गई इस बीच कम से कम माँ को तो बता सकती थी, किन्तु नहीं बताया क्यों
  • दूसरी बात अगर लड़की किसी कारणवश आश्रम में विरोध नहीं भी कर सकी पर आश्रम से निकलने के बाद तो तुरंत अपने मां -बाप से कह सकती थी। इतने दिन इन्तजार क्यों किया गया?
  • जब लड़की को कोई बीमारी या परेशानी नहीं थी फिर जरुरत क्या थी उसको जोधपुर ले जाने की। आदमी छोटी- मोती बीमारी पर जल्दी डाक्टर के पास नहीं जाता है यहाँ बिना बीमारी के आप इतनी दूर पुरे परिवार के साथ गए लड़की का इलाज करवाने ?
  • इसमें कोई शक नहीं कि यह व्यक्ति काफी ऊँची पहुँच वाला है वर्ना शाहजहाँपुर से दिल्ली आकर पुलिस में रिपोर्ट लिखवाता है और वह लिख ली जाती है। जबकि या तो रिपोर्ट जोधपुर में लिखी जाती या फिर शाहजहाँपुर में।
  • मैंने पढ़ा है कि पुलिस ने इस केस में जो धाराए लगाई उसमे आरोपी को यह सिद्ध करना है कि वह निर्दोष है।
  • आरोपी का कहना है कि बापू को वशीकरण विद्या आती है जिससे वह सबको वश में कर लेते हैं। अब अगर ऐसा था तब तो उन्हें जाँच करने वाले अधिकारी पर ही यह अस्त्र चलाना चाहिए था , और अगर वहां नहीं चलाया तो जज साहब पर चला कर जेल जाने से तो बच सकते थे।
  • राजस्थान के मुख्य मंत्री का बयान आया कि अधिकारी बिना किसी दबाब में आये आसाराम बापू के खिलाफ कार्यवाही करे। समझ में नहीं आया कि एक मुख्य मंत्री को ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई कि वह विशेष रूप से पुलिस अधिकारी को इस तरह के निर्देश दे रहे हैं।
  • आरोपी कहता है वह तीन लाख रूपये अपने बच्चो की पढाई के लिए हर साल आश्रम में देता है और उसने शाहजहाँपुर के आश्रम बनवाने में भी बहुत पैसा दिया है। जो आदमी इतना पैसा खर्च करता है उसकी आमदनी भी 15 -20 लाख तो सालाना होगी ही। अगर और कोई मामला होता तो सबसे पहले आयकर वाले उसकी आमदनी चेक करने बैठ जाते।
  • आरोपी ने शाहजहाँपुर में एक बहुत बड़ा जलूस आसाराम बापू के खिलाफ निकला। एक आम आदमी तो इस तरह का कार्य बिना किसी राजनितिक समर्थन के तो नहीं कर सकता।

इन सभी बातो को देखने बाद ऐसा लगता है कि आसाराम बापू कहीं किसी बड़ी साजिश के शिकार तो नहीं बनाये गए हैं। न्यूज में आया है कि सूरत की दो बहनों ने आरोप लगाया है कि 2002 में उनके साथ आसाराम बापू ने उनके लड़के ने बलात्कार किया और आसाराम बापू की पत्नी भी उसमे शामिल थीं। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। कमाल है।आठ – दस साल बाद इनकी नींद टूटी और तब इन्हें पता लगा कि इनके साथ बलात्कार किया गया था।

यह सब बाते , आरोप एक षड्यंत्र की कड़ी नहीं हैं तो क्या है। कि किसी भी तरह आसाराम बापू की जमानत न हो सके और साथ ही साथ अगर उनका पूरा परिवार जेल में चला जाय फिर पैरवी करने वाला भी कोई नहीं रहेगा,

लगता है सारे के सारे इस समय बहती गंगा में हाथ धोने को बेताब हैं।


कुछ जानने योग्य बातें


·        सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लेना चाहिए। प्रातः खाली पेट मटके का बासी पानी पीना स्वास्थ्यप्रद है
·        तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए। तुलसी के पत्ते खाकर थोड़ा पानी पीना पियें।

·        जलनेति से पंद्रह सौ प्रकार के लाभ होते हैं। अपने मस्तिष्क में एक प्रकार का विजातिय द्रव्य उत्पन्न होता है। यदि वह द्रव्य वहीं अटक जाता है तो बचपन में ही बाल सफेद होने लगते हैं। इससे नजले की बीमारी भी होती है। यदि वह द्रव्य नाक की तरफ आता है तो सुगन्ध-दुर्गन्ध का पता नहीं चल पाता और जल्दी-जल्दी जुकाम हो जाता है। यदि वह द्रव्य कान की तरफ आता है तो कान बहरे होने लगते हैं और छोटे-मोटे बत्तीस रोग हो सकते हैं। यदि वह द्रव्य दाँत की तरफ आये तो दाँत छोटी उम्र में ही गिरने लगते हैं। यदि आँख की तरफ वह द्रव्य उतरे तो चश्मे लगने लगते हैं। जलनेति यानि नाक से पानी खींचकर मुँह से निकाल देने से वह द्रव्य निकल जाता है। गले के ऊपर के प्रायः सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
·        आईसक्रीम खाने के बाद चाय पीना दाँतों के लिए अत्याधिक हानिकारक होता है।
·        भोजन को पीना चाहिए तथा पानी को खाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि भोजन को इतना चबाओ कि वह पानी की तरह पतला हो जाये और पानी अथवा अन्य पेय पदार्थों को धीरे-धीरे पियो।
·        किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीना हो तो दायां नथुना बन्द करके पियें, इससे वह अमृत जैसा हो जाता है। यदि दायाँ स्वर(नथुना) चालू हो और पानी आदि पियें तो जीवनशक्ति(ओज) पतली होने लगती है। ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए, शरीर को तन्दरुस्त रखने के लिए यह प्रयोग करना चाहिए।
·        तुम चाहे कितनी भी मेहनत करो किन्तु जितना तुम्हारी नसों में ओज है, ब्रह्मचर्य की शक्ति है उतने ही तुम सफल होते हो। जो चाय-कॉफी आदि पीते हैं उनका ओज पतला होकर पेशाब द्वारा नष्ट होता जाता है। अतः ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए चाय-कॉफी जैसे व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
·        पढ़ने के बाद थोड़ी देर शांत हो जाना चाहिए। जो पढ़ा है उसका मनन करो। शिक्षक स्कूल में जब पढ़ाते हों तब ध्यान से सुनो। उस वक्त मस्ती-मजाक नहीं करना चाहिए। विनोद-मस्ती कम से कम करो और समझने की कोशिश अधिक करो।
·        •जो सूर्योदय के पूर्व नहीं उठता, उसके स्वभाव में तमस छा जाता है। जो सूर्योदय के पूर्व उठता है उसकी बुद्धिशक्ति बढ़ती है।
·        नींद में से उठकर तुरंत भगवान का ध्यान करो, आत्मस्नान करो। ध्यान में रुचि नहीं होती तो समझना चाहिए कि मन में दोष है। उन्हें निकालने के लिए क्या करना चाहिए?
·        मन को निर्दोष बनाने के लिए सुबह-शाम, माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए, गुरुजनों को प्रणाम करना चाहिए एवं भगवान के नाम का जप करना चाहिए। भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे भगवान! हे मेरे प्रभु! मेरी ध्यान में रुचि होने लगे, ऐसी कृपा कर दो।' किसी समय गंदे विचार निकल आयें तो समझना चाहिए कि अंदर छुपे हुए विचार निकल रहे हैं। अतः खुश होना चाहिए। 'विचार आया और गया। मेरे राम तो हृदय में ही हैं।' ऐसी भावना करनी चाहिए।
·        निंदा करना तो अच्छा नहीं है किन्तु निंदा सुनना भी उचित नहीं।

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!