गुरुवार, 31 जुलाई 2014

कच्चा ले पक्का होना

कच्चा ले पक्का होना : अनभवी होना। (अनुभवी होना)

चेत लगा के जउन हा अपन बुता ला कमात रही तउन हा एक दिन कच्चा ले पक्का होबे करही।

कउवाँ हाँकन बनाना

कउवाँ हाँकन बनाना : बरजे बर बिबस कर देना। (प्रतिरोध के लिए विवश कर देना)

ये टूरा हा अत्तिक उतियइल हे के थोरको नइ देखबे ते कउवाँ हाँकन बना देथे।

कउद परना

कउद परना : आदी होना। (अभ्यस्त होना)

छुटपन ले खेत जोंतत-जोंतत कउद पर गेहे तउन ला का सिखाबे, नइ जाने तउन ला बता।

कउड़ी खइत्ता होना

कउड़ी खइत्ता होना : अबिरथा होना। (व्यर्थ होना)

देखब मा तो बइला हा साँगर-मोंगर दिखत हे फेर कोढ़ियई के सेती कउड़ी खइत्ता ताय।

कउड़ी काम के नइ होना

कउड़ी काम के नइ होना : एकदम बेकार होना। (यथावत)

एला पढ़ाएन-लिखाएन, खरचा करने, हमर ओ जम्मो मिहिनत हा आज कउड़ी काम नइ होइस।



कइंच्चा कान के होना

कइंच्चा कान के होना : उभरउनी मा आना। (बहकावे में आना)

तोर भइया तो निच्चट कइंच्चा कान के हाबे, एकर सेती अपन बिचार मा अड़ के नइ रहि सके।

कइंच्चा उम्मर होना

कइंच्चा उम्मर होना : छुटपन होना। (बचपना होना)

आघू कइंच्चा उम्मर मा बिहाव हो जात रिहिसे, एकर सेती तन जलदी कमजोर हो जाए।

कंचन पान बर भुगतना

कंचन पान बर भुगतना : अबबड़ दुख सहना। (बहुत कष्ट सहना)

सुख-सांति के दिन अइस तब जम्मों झन माछी कस झूमत हें। जब कंचन पान बर भुगतत रिहिसे तब कोन्हों हियाव नइ करत रिहिसे।

औने-पौने मा बरोना

औने-पौने मा बरोना : बिन नफा-नकसानी देखे बेंचना। (लाभ-हानि पर ध्यान न देते हुए बेचना)

बइला हा निच्चट कोढ़ियामुहाँ रिहिसे, तेकरे सेती ‘‘औने-पौने मा बरो देंव’’।




ओली भरना

ओली भरना : असीस देना। (आशीष देना)

आज तो जिनगी हा अइसे धरा-रपटा के हो गेहे के बर-बिहाव मा घलो ओली भरे बर नइ जुरिया पाएँ।

ओरी के छाँव होना

ओरी के छाँव होना : थोरकिन के सुख होना। (अल्पकालिक सुख होना)

नोनी मन बर दाई-ददा के घर हा ओरी के छाँव ताय। उँकर सरी जिनगी तो ससुरारे मा पहाथे।

ओरिछा बोहाना

ओरिछा बोहाना : छान्हीं ले भुइयाँ मा पानी गिरे के लइक बरखा होना। (छाजन से जमीन पर पानी गिरने के लायक वर्षा होना )

दिन भर घाम रथे अउ रातकुन रोज ओरिछा चुहऊ पानी गिर जथे।

ओरिछा चुचवाना

ओरिछा चुचवाना : छान्हीं ले भुइयाँ मा पानी गिरे के लइक बरखा होना। (छाजन से जमीन पर पानी गिरने के लायक वर्षा होना)

बादर तो बिकराल उठथे फेर पानी अइसे गिरथे के ओरिछा नइ चुचवा पाय।

ओर-छोर नइ मिलना :

ओर-छोर नइ मिलना : सुरु अउ आखरी के पता नइ च लना। (आदी और अंत का पता न च लना)

ये टूरा हा सूँत ला अइसे गुँझिया डरे के ओर-छोर के पता नइ च लत हे।

बुधवार, 30 जुलाई 2014

तुम्हारी तारीफों के पुल क्यों बांधते रहते हैं ?


दोस्त क्यूँ नहीं आया आज कमेन्ट तुम्हारा...


नशा हर गम को भुला देता है |


सर बधाई हो...! ‘सलाद’ हुआ है.!!


ओन्नइस होना

ओन्नइस होना : कुछ कमजोर होना। (यथावत)

बलहा बइला हा अपन जोंड़ी ले ओन्नइस हाबे।

ओन्नइस-बीस होना

ओन्नइस-बीस होना : तारा-सीरा होना। (मिलता-जुलता होना)

दूनों बइला हा ओन्नइस-बीस हाबे। बढ़िया खाप माड़ही।

ओकर ऊपर झन जाना

ओकर ऊपर झन जाना : ओकर संबंध मा नइ सोंच ना। (उसके संबंध में न सोच ना)

सबो जानथें भीखम हा झक्‍की मुहाँ हाबे। कुछु कहि दिस ते ओकर ऊपर झन जा रामू, अपन बुता मा चेत कर।

ओकर परसार, ओकर डेहरी होना

ओकर परसार, ओकर डेहरी होना : दर-दर भटकना। (यथावत)
 
उम्मर भर तो धने सकेले हस, बूढ़त-काल मा अब सुख-चैन ले खा-पी। मरबे तब अपन संग थोरहे लेग जबे तेमा आज ले ओकर परसार, ओकर डेहरी करत हस।

ओंड़ा देना

ओंड़ा देना : डटे रहना। (यथावत)

बिरान के झगरा-लड़ई मा काबर ओंड़ा दे हस, अपन बुता ला नइ कमास।

ओंठ चाँटना

ओंठ चाँटना : (i) लालच लागना। (लालच लगना)

पइसा-कउड़ी ला धर के ओंठ चाँटत बइठे रथे। असनो सूम मनखे का काम के।

(ii) पछताना (यथावत)

समे के पहिली जउन अपन जाक-जोखा जमा लेथे, ओकरे हुसियारी काम आथे। समे निकले के बाद ओंठ चाँटे ले कुछु नइ होय।

ओंटी मारना

ओंटी मारना : (i) अइँठ के बाँधना। (ऐंठ कर बाँधना)

ओंटी मार के धोती पहिरे ले पागी ढ़ील नइ होय।

(ii) अँचरा ला थइली असन बनाना। (आँचल को थैलानुमा बनाना)

काकर खेत के भाजी लानत हस मंगतिन, ओंटी मार के बने गजब अकन धरे हस।

एती के बात ला ओती करना

एती के बात ला ओती करना : चारी करना। (चुगली करना)

चार ठन भाँड़ा रथे तब ठेस तो लागबे करथे। एमा एती के बात ला ओती करे ले का फायदा। ये तो घर-घर के किस्सा आए।

एती-ओती करना

एती-ओती करना : तितिर-बितिर करना। (तितर-बितर करना)

कुकुर हा छेरी मन ला भूँक-भूँक के एती-ओती कर दिस। अब कते-कते ला छेकों।

एको आना नइ सुहाना

एको आना नइ सुहाना : चिटको नइ भाना। (बिलकुल पसंद नहीं आना)

झूठ-लबारी मोला एको आना नइ सुहाय। फरा-फरी गोठ हा बने लागथे।

सोमवार, 28 जुलाई 2014

एके होना

एके होना : घनिष्ट होना। (यथावत)

खोरबाहरा अउ भीखम मा पानी पलई बेखन फरक खागे रिहिसे। मेला बेखन दूनों कोई फेर एके होगें।

एके लउठी मा खेदना

एके लउठी मा खेदना : सबो ले एके जइसे बेवहार करना। (सभी से समान व्यवहार करना)

समाज मा जतके मनखे वतके गोठ, सब ला कइसे एके लउठी मा खेदबे। ऊँच-नींच के लिहाज घलो करे ला परथे।

एके नाऊँ के मुँड़े होना

एके नाऊँ के मुँड़े होना : एके जइसे बिचार होना। (एक जैसे विचार होना)

बड़े ला काहस चाहे छोटे ला काहस, दूनों एके नाऊँ के मुँड़े हें कोन्हों सँहराए के लइक नइहें।

एके गुरू के चेला होना

एके गुरू के चेला होना : एके बिचारवाला होना। (एक जैसे विचारवाले होना)

जसने कंगालू ओतिहा वसने भकालू ओतिहा। दूनों एके गुरू के चेला ताँय , कोन ला सँहराबे।

एके खेत के ढेला होना

एके खेत के ढेला होना : गुन सुभाव मा एके जइसे होना। (गुण-स्वभाव में एक-सा होना)

जइसे टेटकू चोरहा तइसे छेरकू चोरहा। दूनों एके खेत के ढेला ताँय, कोन ला सँहराबे

ए कान ले सुनना अउ ओ कान ले बोहा देना

ए कान ले सुनना अउ ओ कान ले बोहा देना : धियान नइ धरना। (ध्यान न देना)

दाऊ हा दरोगा ला समझइस, लमती डोली डाहन ले पानी ला पलाबे फेर दरोगा तो मंद के नसा मा रिहिसे। दाऊ के बात ला ए कान ले सुनिस अउ ओ कान ले बोहा दिस।

एक हाँत मा चूरी पहिरना

एक हाँत मा चूरी पहिरना : नेमी होना। (सिद्धांतवादी होना)

लबरा-लफंगा के समाज मा एक हाँत मा चूरी पहिरे रबे तब तोला कोन भाही।

एक ले दू होना

एक ले दू होना : बिहाव होना। (विवाह होना)

एक ले दू होए मा घर गिरहस्थी के खरचा अउ चिंता दूनों बाढ़ जथे।

एक ले एक होना

एक ले एक होना : एक ले बाढ़ के एक होना। (एक से बढ़कर एक होना)

दुनिया मा एक ले एक हुसियार हाबे। अपन आप ला जादा हुसियार कभू नइ समझना चाही।

एक ला माँय, एक ला मोसी करना

एक ला माँय, एक ला मोसी करना : दुआभाव करना। (भेदभाव करना)

घर-परिवार हा एक ला माँय, एक ला मोंसी करे मा नइ चले। सबो बर बरोबर बेवहार होना चाही।

एक ला दू बताना

एक ला दू बताना : बड़ई मार के गोठियाना। (बढ़ाकर बोलना)

अउ कुछु आए ते झन आए फेर एक ला दू बताए बर चरनदास ला भिरोइया नइ हे हमर गाँव मा।

एक ला एक्‍कइस करना

एक ला एक्‍कइस करना : बढ़ा-चढ़ा के गोठियाना। (बढ़ा-चढ़ाकर बोलना)

आज के जबाना मा सिधवा हा लात खाथे अउ एक ला एक्‍कइस करइया हा भात खाथे।

एक लाँघन एक फरहार मा जीना

एक लाँघन एक फरहार मा जीना : गरीबी मा जीना। (गरीबी में जीना)

एक कमइया चार खवइया जब तक रही, एक लाँगन एक फरहार मा जीनच परही।

एक मई करना

एक मई करना : (i) टोर-फोर देना। (नष्ट कर देना)

एसो के पूरा हा मुँहीं पार ला एक मई कर दे हे जम्मों ला सुधारे ला परही।

(ii) बुता ला बिगाड़ना। (कार्य को बिगाड़ना)

गहूँ ला बने निमार के मड़ाए रेहेंव तउनो ला टूरा हा एक मई कर दिस।

उस देश में धर्म और राष्ट्र की उन्नति कैसे होगी?


रविवार, 27 जुलाई 2014

तोर स्माइल म का चमक हे..


करिया कुकुर हबक देता है...


गौ हत्या अब नहीं स्वीकार


एकबोलिया होना

एकबोलिया होना : बचन के पक्‍का होना। (वचन का पक्‍का होना)

संत महात्मा मन एकबोलिया होथें।

एक नजर मा देखना :

एक नजर मा देखना : सबो बर एक जइसे बेवहार करना। (सभी के लिए एक समान व्यवहार करना)

ओतो अपन तीनों लइका ला एक नजर मा देखथे।

एकफेंट होना

एकफेंट होना : सुम्मत होना। (संगठित होना)

एकफेंट होके कमाए मा पहाड़ कस बुता हा घलो सध जथे।

एक नजर देखना

एक नजर देखना : भेंट करना। (मुलाकात करना)

दाई-ददा के घेरी-बेरी सुध लामत रथे, एक नजर देख लेथों कहिके गोसइन हा अपन मइके गेहे।

एक-न-एक दिन

एक-न-एक दिनः कभू-न-कभू। (कभी-न-कभी)

सबरी ला पूरा बिसवाँस रिहिस के एक-न-एक दिन ओकर झाला मा राम हा जरुर आही।

एक नइ सुनना

एक नइ सुनना : अपनेच जिद्द मा रहना। (अपने ही हठ में रहना)

टूरा हा मोर नइ सुने, अपने सुर मा करथे, का करथे ते।

एक नइ मानना

एक नइ मानना : एको ठन बात नइ मानना। (एक भी बात न मानना)

ओतो अपन मँहतारी के एक नइ माने, अपने जिद्द मा रथे।

एक नइ चलना

एक नइ चलना : कोनो उदीम सफल नइ होना। (कोई उपाय साथर्क न होना)

आज बिसाहिन के आघू मा बैसाखू के एक नइ चलिस।

एक धान के दू चाउँर होना

एक धान के दू चाउँर होना : लाभे-लाभ होना। (लाभ ही लाभ होना)

ओकर बिहाव होइस ते ससुरारी जमीन मिलगे अउ नउकरी घलो मिलगे। एक धान के दूर चाँउर होगे ओकर।

एक-दू-तिन होना

एक-दू-तिन होना : भाग जाना। (यथावत)

पुलिस ला देख के रिखीराम हा कतका बेर एक-दू-तिन होइस ते कोन्हों नइ जानिन।

एकढंग के होना

एकढंग के होना : अलकरहा होना। (विचित्र प्रकार का होना)

खोरबाहरा के सबो गुन बने हे। ओकर बोलइच हा एकढंग के हाबे तेकरे सेती कोनो नइ भाए।

एकडउल के होना

एकडउल के होना : अलकरहा होना। (विचित्र प्रकार का होना)

ए भइँस्सा के रेंगई हा एकडउल के हाबे। गाड़ा फाँदबे ते अपने डाहन खींचत-खींचत रद्दा ले उतार देथे।

एक टक देखना

एक टक देखना : बिना मिलकी मारे देखना। (बिना पलक झपकाए देखते रहना)

बिलई हा मुसवा ला एक टक देखत रिहिसे।

एक ठन ताग नइ उपकाना

एक ठन ताग नइ उपकाना : कुछु नइ बिगाड़ पाना। (कुछ भी बिगाड़ नहीं पाना)

बड़े-बड़े संग मितानी हे कहिके बड़ अँइठे। एक दिन भीखू हा ठठइस ते आज ले ओकर एकठन ताग नइ उपका सकिस।

एक जुआर ले :

एक जुआर ले : अबबड़ बेर ले। (बहुत देर से)

एक जुआर ले इही कर तो बइठे रिहिसे, कहाँ रेंग दिस ते।

एक जइसे होना

एक जइसे होना : एके रंग, रुप, आकार नइते आदत बेवहार वाले होना। (एक ही रंग, रुप, आकार या आदत व्यवहार वाले होना)

निचे ले ऊपर तक सबो एके जइसे हें।

एकक पइसा बर मरना

एकक पइसा बर मरना : निच्चट लालची होना। (अत्यंत लोभी होना)

जउन हा खुदे एकक पइसा बर मरत हे तउन हा दूसर ला का दान करही।

एकक पइसा बर तरसना

एकक पइसा बर तरसना : निच्चट गरीब होना। (अत्यंत निधर्न होना)

ओ तो एकक पइसा बर तरसत हे तिहाँ ओकर कोढ़ियई नइ गिस।

एकक ठन बताना

एकक ठन बताना : सप्फा-सप्फा बताना। (साफ-साफ बताना)

का-का होइस तउन ला एकक ठन बता तब तो बात मा सनंद परही।

एँड़ी के रिस तरूवा मा चघना

एँड़ी के रिस तरूवा मा चघना : गुँस्सा आना। (गुस्सा आना)

अनियाँय के देखत तो मोरो एँड़ी के रिस तरूवा मा चघथे।

एँड़ी के धोवन होना

एँड़ी के धोवन होना : कुछुच के लइक नइ होना। (एकदम तुच्छ होना)

भाग ले भगवान हा एकोकन चेहरा-मोहरा नइ दे हे, तभो बड़े-बड़े हिरोइन मन ले अपन मिलान करथे। देखबे ते उँकर ‘‘एँड़ी के धोवन’’ के बरोबर नइ हे।

ऊपर चल देना

ऊपर चल देना : मर जाना। (यथावत)

आज ले भूखमर्री के सेती कतको झन ऊपर चल देथें।

ऊँच सुनना

ऊँच सुनना : थोरिक भैरा होना। (कुछ बहरा होना)

ओहा ऊँच सुनथे, थोकिन चिल्ला के गोठिया।

उतलंग बाय करना

उतलंग बाय करना : अतियाचार करना। (अत्याचार करना) 

बाप के मरे ले ये टूरा हा उतलंग बाय करत हे। अपन दाई ला घेपे नहीं।

उसर-पुसर के खाना

उसर-पुसर के खाना : घेरी-बेरी खाना। (बार-बार खाना) 

ये टूरा के पेट मा कइसन हाही समा गेहे। उसर-पुसर के खात हे, कभू नइ खाए हे तइसे।

उहिच-उही होना

उहिच-उही होना : कोनो जिनिस हा नंगत के होना। (वस्तु विशेष की प्रचूरता होना) 

कतका चिरईजाम खाना हे ते च ल हमर गाँव के फुलवारी मा उहिच-उही हाबे।

उल्टा हँसिया चलाना

उल्टा हँसिया चलाना : दुख देना। (यथावत) 

दाई-ददा के मयाँ कस कोनो दूसर के मयाँ नइ मिलै। फेर वाह रे जबाना, आज काल के लइका मन पढ़-लिख के दाई-ददा बर उल्टा हँसिया चलाथें।

उम्मर भर के दुख झपाना

उम्मर भर के दुख झपाना : राँड़ी होना। (विधवा होना)

पउर साल बिहाव होइस हे। आज बर बिनोती ऊपर उम्मर भर के दुख झपागे। कइसे जिनगी पहाही बपरी के ते।

उम्मर पहाना

उम्मर पहाना : जिनगी बिताना। (जीवन व्य तीत करना)

खेती-किसानी मा बुता कमावत उम्मर पहा जथे फेर सुख-चैन ले खाए बर नइ मिले।

उम्मर खिरना

उम्मर खिरना : सियाना होना। (वृद्ध होना) 

हमर तो उम्मर खिर गे बेटा, अब तुमन जानो। काला बनाहू अउ काला बिगाड़हू ते।

उम्मर खपना

उम्मर खपना : (i) अनभवी होना। (अनुभवी होना) 

रास-बरग देखत हमर तो सरी उम्मर खपगे बाबू..! हमला का सिखाबे। अभी सीखे के तोर उम्मर हे, तैं हा सीख। 

(ii) सियान होना। (वृद्ध होना) 

अब तो उम्मरे खपगे, गोठियाबोन तेहा लबारी हो जही नइ ते हमर पाहरो मा तुँहर अस पँच-पँच झन जवान ला पछाड़ देत रेहेन।

उमर खियाना

उमर खियाना : अनभवी होना। (अनुभवी होना) 

गाय-भइँस के दुहना-बँधना करत हमर उमर खियागे। आज हमीं ला दुहे बर सिखोत हस बिरजू, करम नइ फाट जही?

उमर कटना

उमर कटना : उम्मर बीत जाना। (उम्र व्यतीत होना) 

दाऊ घर दरोगी करत हमर उम्मर कटगे फेर पाँच पइसा के गड़बड़ी नइ जानेन।

उबुक-चुबुक होना

उबुक-चुबुक होना : बुड़ो-बुड़ो होना। 

एक झन लइका हा पथरा ले बिछल के तरिया मा उबुक-चुबुक होगे रिहिसे। धन तो बिंदा इहाँ के नँगरिहा हा देखिस ते झप ले निकाल दिस।

उबर जाना :

उबर जाना : बाँच जाना। (शेष रह जाना) 

एसो के दिन हा कइसे पहाही? जम्मो करजा ला पटाए ले आठ गाड़ा धान मा एक-आध गाड़ा धान कहूँ उबर जही तउनो हा बहुँत हे।

उबज के खड़ा होना

उबज के खड़ा होना : बुता कमाए के लइक होना फेर अनभो नइ होना। (कार्य करने के योग्य होना किंतु अनुभवहीन होना) 

हमला तो बच्छर दू कोरी हो गेहे कमावत। तैं तो काली उबज के खड़ा होए हस। हमर अतिक कइसे जान जबे इहाँ के नीत-नियाँव ला।

उप्पर डाहर रेंगना :

उप्पर डाहर रेंगना : मर जाना। (मृत्यु हो जाना) 

मरना-जीना तो भगवान के हाँत मा हे। कोन कब उप्पर डाहर रेंग दीही तेकर का ठिकाना।

उपरछावा गोठियाना

उपरछावा गोठियाना : देखावटी बात करना। (ऊपरी मन से बात करना) 

रमौतिन हा सगा-सोदर के आघू मा मोहलो-मोहलो उपरछावा गोठियाथे। बाद मा रात-दिन ओकर गारिच-बखाना ताए।

उपनबाय करना

उपनबाय करना : लाहो लेना। (अधिक उत्पात मचाना) 

उपनबाय करइया हा समझौना बात ला नइ माने। जब करनी के फल आघू मा आथे तभे चेतथे।

उन्ना के दुन्ना होना

उन्ना के दुन्ना होना : आघू ले दुगुना होना। (पहले से दूना होना) 

परेमू ला सब झन कोढ़िया हे काहँय, कमाए ला भिड़िस ते ओकर पूँजी हा उन्ना के दुन्ना होगे।

उधम मचाना

उधम मचाना : उपदरो करना। (उत्पात मचाना) 

बेंदरा के उधम मचई के सेती खपरा-छान्हीं वाले मन रोज रोथें।

उदबत्ती नइ जरना

उदबत्ती नइ जरना : बुता सिध नइ परना। (कार्य न बनना) 

तोर-हमर गोठ ला कोनो नइ सूने भइया, राज-काज के बुता मा बिना नेता धरे उदबत्ती नइ जरे।

उतारा लेना

उतारा लेना : नसा के आखरी दौर च लाना। (नशे का अंतिम दौर चलाना) 

सगा मन मँड़ई मनाए बर आए हन कथें अउ पी के पटियाए रिहिन हें। आज बर उतारा लेवत हें। इही तो इंकर मँड़ई ए।

उतलंग नापना

उतलंग नापना : लाहो लेना। (अधिक उत्पात करना) 

बड़े-बड़े राजा-महाराजा ला देखे हन ; जउन हा उतलंग नापिस, तउन खपिस घलो हे।

उतरा-चितरा नइ जानना

उतरा-चितरा नइ जानना : बाँझ होना। (यथावत) 

जउन हा कभू उतरा-चितरा नइ जाने हे तेकर हिरदे मा लोग-लइका बर मयाँ कहाँ ले रही।

शनिवार, 26 जुलाई 2014

कारगिल विजय दिवस


हरेली परब


हरेली परब


हरेली परब


हरेली परब


शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

शादीशुदा आदमी...


मयॉं दे..दे.. मयॉं ले..ले...


तोर मोर यारी-


उठ ना... ८ बज गे..!


SENT MSG के मतलब


जेन में कोनों कमी नइ राहय


मेहा रोज ऐस करत हँव...


उड़ानुक होना

उड़ानुक होना : काम बुता करे के लइक होना। (कार्य करने के योग्य होना) 

सब घर के इही हाल हे मंटोरा..! लइका मन उड़ानुक होइन ताँह ले दाई-ददा ला नइ पूछें। अपने मन के करथें।

उड़ा देना

उड़ा देना : (i) खरचा कर देना। (खर्च कर देना) 

नउकरी-चाकरी के जबाना हे। जतके पइसा कमात हें, वतके मंद-मउँहा मा 

उड़ा देथें। एकरे सेती तो अतियाचारी बाढ़गे। 

(ii) खा डारना। (खा डालना) 

एक दरजन केरा लाने रेहेंव, तेला ये टूरा हा कतिक-कतिक बेर एके झन उड़ा डरिस।

उड़ती चिरइया चिन्हना

उड़ती चिरइया चिन्हना : मन के बात जानना। (मन की बातों को जानना) 

तोला गोठियाए के जरुरत नइ हे पुनिया, हम तो देखते साठ उड़ती चिरइया चिन लेथन।

उठ-बइठ करना

उठ-बइठ करना : (i) आना-जाना करना। (यथावत) 

अब उँकर दूनों भाई के सुंता हो गेहे। एक-दूसर के घर उठ-बइठ करथें। 

(ii) हल-चल करना। (चलना-टहलना) 

बलीराम ला खटिया पच त पंदरही होगे रिहिसे। काली ले बने उठ-बइठ करत हे। 

(iii) नंगत लगधीर होना। (बहुत घनिष्ठता होना) 

गुरूजी हा गुरूच जी घर उठ-बइठ करही। आन घर जाके का करही बपरा हा।

उठ जाना

उठ जाना : खतम हो जाना। (समाप्त हो जाना) 

घर-घर मा ईरसा-बैर ला देख के अइसे लागथे जइसे दुनियाँ ले मयाँ-पिरित उठ गेहे।

उछरत-बोकरत ले खाना

उछरत-बोकरत ले खाना : खूब खाना। (यथावत) 

बर-बिहाव वाले घर मा भिखमंगा मन ला घलो उछरत-बोकरत ले खाए बर मिलथे।

उछर-उछर के खाना

उछर-उछर के खाना : नंगतेहे खाना। (खूब खाना) 

कंगालू हा धनीराम के बरात मा उछर-उछर के खाए हे, जइसे बाप पुरखा खाए नइ रिहिसे।

उछला मारना

उछला मारना : नंगतेहे खुस होना। (अति उत्साहित होना) 

एसो बीस हजार के नफा होइस ते उछला मारे ला धर लेस रे फकालू। धंधा मा नफा-नकसान लगे रथे। धीर धरना चाही।

उगलवा देना

उगलवा देना : कबुला लेना। (कबूल करवा लेना)

पुलिस अपन डंडा के बल मा कसुरवार मन ले जम्मों कसुर ला उगलवा लेथे।

उगल देना

उगल देना : बता देना। (व्यक्‍त कर देना) 

पुलिस के मार देख के बड़े-बड़े कसूरवार मन अपन कसूर उगल देथें।

उखान के भारा बाँधना

उखान के भारा बाँधना : (i) नुकसान पहुँचाना। (हानि पहुँचाना) 

बिगारी करवा के ताव देखाथस तब नइ करन तोर एको ठन बुता ला। जा, का उखान के भारा बाँधबे ते बाँधले। 

(ii) बिकास करना। (विकास करना) 

दू-दू साल ले तोर सियानी ला देख डरेन, का उखान के भारा बाँधेस?

राजनीति पाक नाम के व्यंजन की रैसिपी...


गुरुवार, 24 जुलाई 2014

इहाँ खाना, उहाँ पीना

इहाँ खाना, उहाँ पीना : लकर-लकर करना। (जल्दबाजी करना)

मंगलू के काम हा इहाँ खाना, उहाँ पीना ताय। एकरे सेती ओकर कोनो बुता सनंद नइ परे।

इमान डोलना

इमान डोलना : नीयतखोर होना। (यथावत)

मायाँ जब अपन फंदा फेंकथे तब बड़े-बड़े के इमान डोल जथे।

इज्जत लेना

इज्जत लेना : हिनमान करना। (अपमान करना)

ओहा तोर का बिगाड़े हे तेमा ओकर इज्जत लेत हस।

इज्जत लुटाना

इज्जत लुटाना : अइसे काम करना जेकर ले इज्जत बिगड़ जाए। (ऐसा काम करना जिससे इज्जत बिगड़ जाए)

जउन हा अपने इज्जत लुटाए हे तउन हा बिरान के इज्जत ला का बचाही।

इज्जत माँटी मा मिलाना/सानना

इज्जत माँटी मा मिलाना/सानना : इज्जत गवाँ देना। (इज्जत गँवा देना)

असने कपूत मन पुरखा के इज्जत ला माटी मा मिलाथें।

इज्जत मा हाँत डारना

इज्जत मा हाँत डारना : (i) हिनमान करे के उदीम करना। (अपमानित करने का प्रयास करना)

बड़े-बड़े दाऊ-लाला के इज्जत मा हाँत डारे बर तोर कना हिम्मत कहाँ ले आगे?

(ii) कोनो माईलोगिन ले छेंड़छाड़ करना। (किसी स्त्री के साथ छेंड़छाड़ करना)

बहू-बेटी हा घर के इज्जत होथे। जउन हा घर के इज्जत मा हाँत डारही। ओला कोनो माफी नइ करे।

मातृभूमि, मातृभाषा व मॉं का कोई विकल्प नहीं...


कहते हैं कि पहला प्यार कभी भुलाया नहीं जाता...


कई दिनों तक चूल्हा रोया...



बुधवार, 23 जुलाई 2014

इझार माँगना

इझार माँगना : हिसाब माँगना। (यथावत) 

जउन ला सदा ले बड़े मानत हन तउन ले एकक पइसा के इझार मँगई हा बने नइ लागे।

इज्जत बेंचना

इज्जत बेंचना : इज्जत गवाँ देना। (इज्जत गँवा देना)

अपन बुता मा चेत करना चाही। दस झन के लंद-फंद मा रेहे ले इज्जत बेंचाबे करही।

इज्जत बिगाड़ना

इज्जत बिगाड़ना : (i) सब के आघू मा हिनमान करना। (सावर्जनिक रुप से अपमानित करना)

मंदू मन मंद के नसा मा बने-बने के घलो इज्जत बिगाड़ देथे।

(ii) परबित नारीधरम ला बिगाड़ना। (सतीत्व नष्ट करना)

मंद के निसा मा आदमी हा अतका नीच हो जथे के कोनो भी माईलोगिन के इज्जत बिगाड़े मा ओला डर तरास

नइ राहय।

इज्जत जाना

इज्जत जाना : हिनमान होना। (बेइज्जती होना)

जउन बुता ले इज्जत जाथे तउन बुता ला करइया हा मुरूख कहाथे।

इज्जत गवाँना

इज्जत गवाँना : नाँव बोरना। (प्रतिष्ठा खोना)

सियान के बरजई ला चेत नइ धरबे तब अपने इज्जत तो गवाँही।

इज्जत कमाना

इज्जत कमाना : नाँव कमाना नइते मान बाढ़ना। (नाम कमाना या ख्याति फैलना)

गरीब हन ते का भइस, अपन जाँगर के परसादे हमूँ इज्जत कमाए हन।

इज्जत उतरना

इज्जत उतरना : हिनमान होना। (अपमान होना)

दू कोरी रूपिया खातिर बपरा के इज्जत उतरगे।

इंदरी कलपना

इंदरी कलपना : एकदम दुखी होना। (यथावत)

टरक मा रउँदाए लइका ला देख के हमर इंदरी कलपगे फेर ओकर दाई-ददा के जीव कते मेर रिहिस होही ते।

कलयुग बैठा मार कुण्डली..


कन्या भ्रुण कहे समाज से


सर्वोच्च न्यायाल कि घोषणा है, कि...


रविवार, 20 जुलाई 2014

भारत को अंग्रेजी में इंडिया क्यों कहते हैं?


छत्तीसगढ़ के गौरव की जय...


छत्तिसगढ़ी यानी सबले सुग्घर भासा...


आसरा मा रहना

आसरा मा रहना : भरोसा मा रहना। (उम्मीद में रहना)

में तो इही आसरा मा रेहेंव के दाऊ जी आही ताँह ले पइसा मिल जही।

आसन डोलना

आसन डोलना : विचलित होना। (यथावत)

सुजानिक के आघू मा मुरूख मन के आसन डोली जथे।

आसन मार के बइठना

आसन मार के बइठना : जमके बइठना। (जमकर बैठना)

खबर बता के जल्दी आबे केहेंव तब तैं तो अच्छा आसन मार के बइठे हस, काम-बुता नइ करना हे का?

आमा ला अमली कहना

आमा ला अमली कहना : लबारी मारना। (झूठ बोलना)

तोर केहे ले हम काबर आमा ला अमली कहिबो। सच तो एक दिन परगट होबे करही।

आसन छोंड़ना

आसन छोंड़ना : स्थान छोंड़ना/चल देना। (जगह छोंड़ना/चले जाना)

सुखी राम हा बुता के राहत ले जोंक कस चिपके रथे। बुता होइस ताँहले ओला आसन छोंड़त देरी नइ लागे।

आरी लगाना

आरी लगाना : पाछू पड़ना। (पीछे पड़ना)

पर के जिनिस बर आरी लगाए के कोनो-कोनो के सुभावे होथे तब कइसे कर डारबे।

आभा मारना

आभा मारना : सीटी बजाना (यथावत)

अंजली ला बड़ बेर के आभा मारत रिहिसे फेर ओहा नइ निकलिस, ओकर भाई आगे ताँहले जी-परान दे के भागिस।

आधा सीसी होना

आधा सीसी होना : अम्मल मा होना। (गभर्वती होना)

रामपरसाद के बहू हा आधासीसी हो गेहे तभो ले झाँय-झाँय बुता कमाथे। थोरको नइ थिराय।

शनिवार, 19 जुलाई 2014

आधा हो जाना

आधा हो जाना : निच्चट रेगड़ा जा जाना। (बहुत दुर्बल हो जाना)

बिमारी के सेती चैनसिंग हा आधा हो गेहे।

आदमी बनाना

आदमी बनाना : काम-बुता के लइक बनाना। (कार्य के योग्य बनाना)

बसंता हा निच्चट कोढ़िया रिहिसे, ओकर ममा ओला अपन कना राख के आदमी बना दिस।

आदमी बरन रहना

आदमी बरन रहना : बेवहारिक होना। (व्यवहारिक होना)

आदमी ला आदमी बरन रहना चाही। जादा के उतलंग नपई हा कोनो ला नइ सुहाय।

आदमी बनना

आदमी बनना : मनखे बरन बेवहार करना। (मानवोचित व्यवहार करना)

आदमी जनम धरे हस तब आदमी बनके रा।

आड़ी-पूँजी बिगाड़ना

आड़ी-पूँजी बिगाड़ना : गहना-गूठा नइते खेत-खार ला बेंचना। (आभूषण या जमीन-जायजाद बेंचना)

का करबे, बिमारी के मारे बपरा के आड़ी-पूँजी बिगड़गे।

आत्मा कलपना

आत्मा कलपना : दिल दुखना। (यथावत)

हमरे चीज-बस ला लूट के हमरे बइगुन गाथे तब आत्मा तो कलपबेच करही।

आड़ काटना

आड़ काटना : बिरोध मा बात करना। (विरोध में बातें करना)

जब कोनो गोठियावत रथे तब बिना जाने-सुने बीच मा आड़ काटना बने नोहे।

आज-काली करना

आज-काली करना : टालमटोल करना। (यथावत)

कोनो बुता होय क माए ले सिध होथे। आज-काली करबे तब कइसे बनहीं।

आघू-पाछू होना

आघू-पाछू होना : ताक मा रहना। (ताक में रहना)

जउन टूरा हा चोरी मा पकड़ाए रिहिसे तउने हा बिहाव घर मा बने पहिरे-ओढ़े माई लोगिन मन के आघू-पाछू होवत रिहिसे।

आघू-पाछू नइ देखना/सोंचना

आघू-पाछू नइ देखना/सोंचना : हित-अनहित के बिचार नइ करना। (हित-अहित का बिचार न करना)

आघू-पाछू नइ देखिस अउ चारा-पानी नइहे कहिके घाम घरी बइला बेंच दिस।

आघू-पाछू झूलना

आघू-पाछू झूलना : हरदम संगे-संग घूमना। (सदा साथ में घूमना)

रामकुमार हा जब ले धनवान बने हे तब ले कतको झन ओकर आघू-पाछू झूलत रथें।

आघू-पाछू

आघू-पाछू : देर-सबेर। (यथावत)

अभी तोर काम तो निकाल, ताँहले आघू-पाछू देख लेबोन का करना हे तेला।

आघू आना

आघू आना : (i) हिम्मत के काम करे बर अगुआ बनना। (साहसिक कार्य करने के लिए पहले उपस्थित होना) बिपत बेरा जउन हा आघू आथे। ओकरे नाँव जागथे।

(ii) मिहिनत के फल मिलना। (प्रतिफलित होना)

अबबड़ कमाथस बेटा..! एक दिन तोर ए मिहिनत हा जरुर आघू आही।

आगी लगाना

आगी लगाना : टोर-फोर डारना। (तोड़-फोड़ डालना)

सउँख करके लइका बर खेलौना बिसाए रेहेंव, तहू ला ए हुड़मा हा आगी लगा डरिस।

आगी होना

आगी होना : गुँस्सा होना। (क्रुद्ध होना)

दाऊ के तो अइसन सुभाव नोहे फेर का पायके ते आज बिहिनियाँ ले आगी हो गेहे।

आगी लगना

आगी लगना : (i) झगरा-झंझट होना। (कलह पैदा होना)

तुँहर घर के बँटवारा के गोठ ला का गोठियावन बाबू..! हमरो घर मा उही आगी लगे हे।

(ii) सुभाव बिगड़ना। (स्वभाव बिगड़ना)

चाल मा तो आगी लगे हे, बात बर बजरंगा, तेकर कोन बिसवाँस करही।

(iii) गुँस्सा आना। (गुस्सा आना)

सुरूपनखा के नाक-कान ला कटाए देख के रावन के तन-बदन मा आगी लग गे रिहिसे।

आगी मा रेंगना

आगी मा रेंगना : कठिन काम करना। (यथावत)

आज नाननान लइका मन के पढ़ई-लिखई हा घलो आगी मा रेंगे जइसे हो गेहे।

आगी मा मूतना

आगी मा मूतना : बिक्कट उतलइन करना। (अधिक उत्पाती होना)

कोनो-कोनो के सुभावे हा आगी मा मूते के होथे। काकरो बरजना ला नइ माने।

आगी मा घीव डारना

आगी मा घीव डारना : गुँस्सा ला अउ बढ़ाना। (गुस्से को और बढ़ाना)

एक तो ओ हा गुँसियहा मनखे, तउन ला चुलका के आगी मा घीव काबर डारत हस?

आगी मा कूदना

आगी मा कूदना : जान-बूझ के बिपत मा परना। (जान-बूझकर विपत्ति में पड़ना)

जउन बात ला आज सोंचत हस, उही बात ला आगी मा कूदे के बेरा घोखे रतेस तब ए दिनकाबर आतिस।

आगी बारना

आगी बारना : झगरा मताना। (कलह पैदा करना)

अँखफुट्टा मनखे मन के का काम? सुख-सुम्मत वाले घर मा आगी बार के तमासा देखना ताय।

आगी बरसना

आगी बरसना : घाम कड़कड़ाना। (तेज धूप पड़ना)

एसो के जेठ तो अइसे आगी बरसत हे के मनखे ते मनखे चिरई ला घलो पानी नइ मिले।

ताजा शोध से पता चला है...


सुख शांति से जियेंगे...


एक ‘‘लोटा’’


बुधवार, 16 जुलाई 2014

आगी बरसना

आगी बरसना : घाम कड़कड़ाना। (तेज धूप पड़ना)

एसो के जेठ तो अइसे आगी बरसत हे के मनखे ते मनखे चिरई ला घलो पानी नइ मिले।

आगी बरना/लगना

आगी बरना/लगना : (i) गुँस्सा आना। (गुस्सा आना)

अनियाँय के देखत ईमानदार मनखे के मन मा आगी बरबे करथे।

(ii) अबबड़ मँहगा होना। (अधिक मँहगा होना)

एसो तो साग-पान हा आगी बर गेहे, काला बिसाबे तइसे लागथे।

(iii) झगरा-झंझट होना। (झगड़ा-झंझट होना)

छोटकी बहू हा घर मा अभी पाँव रखे हे अउ भाई-भाई के तु-तु में-में के सेती घर मा आगी बरगे।

विचार प्रवाह



आगी-पानी बंद करना

आगी-पानी बंद करना : समाज ले निकाल देना। (समाज से बहिष्कृत करना)

समाज मा आज ले अत्तिक कट्टरता हाबे के आन जात संग बिहाव करे मा आगी-पानी बंद कर देथें।

आगी नइ बरना

आगी नइ बरना : जेवन नइ बनना। (भोजन नहीं बनना) 

कंगाली के दुख ला का गोठियाबे, घर मा कई-कई दिन आगी नइ बरे।

आगी धराना

आगी धराना : (i) लेसना। (आग लगाना)

काँड़ी-खूँटी मन ला आगी धरा देबे नइ ते हावा मा अउ बिगर जही।

(ii) झगरा-झंझट लाना। (कलह पैदा करना)

मंथरच आए, रानी कैकेई के मन मा राम के राजतिलक के बदला बनवासा देवाए के आगी धरइस।

आगी देना

आगी देना : चिता मा आगी देना। (चिता में आग लगाना)

बड़का बेटा हा बाप के चिता मा आगी देथे, एकरे सेती ओला दगदेवा कथें।

आगी झलकना

आगी झलकना : घाम कड़कड़ाना। (कड़ी धूप पड़ना)

एसो तो बैसाखे मा आगी झलकत हे, जेठ मा का हाल होही ते।

दोस्ती करो


फेसबुक को ईमानदार और पारदशी बनायें...


मंगलवार, 15 जुलाई 2014

आगी जियाना

आगी जियाना : आगी सिपचाना। (अग्नि प्रज्वलित करना)

बेर बुड़गे, जेवन बनाए बर आगी जियाए ला परही।

आगी खाना

आगी खाना : गुँस्सा ला दबा के रहना। (गुस्सा पी जाना)

परसूराम के गोठ सुनके लछमन हा अपन भइया राम के लिहाज मा आगी खा के रहिगे।

आगी उगलना :

आगी उगलना : गुँस्सा करना। (गुस्सा करना)

सीता सियंबर के धनुस ला जब टोरिस तब परसूराम हा अइसे आगी उलगत रिहिसे जइसे भगवान राम ला ठाढ़ेच-ठाढ़े लेस डारही।

आँसू ढारना

आँसू ढारना : रोए के देखावा करना। (रोने का दिखावा करना)

जियत ले बाप संग झगरा लड़ेस, मरगे तब काबर आँसू ढारत हस?

आँसू पोंछना

आँसू पोंछना : धीरज धराना। (साँत्वना देना)

अपन मनसे के मयाँ तो ओहा जानबे नइ करिस, ते ओकर आँसू जरुर पोंछे हस।

आँसू पी के रह जाना

आँसू पी के रह जाना : हिरदे के दुख ला बताए नइ सकना। (हृदय का दुख प्रकट कर पाना)

रावन हा बिभीसन ला आनी-बानी के बखानिस फेर बिभीसन हा बड़े भइया ए अइसे सोंच के आँसू पी के रहिगे।

आँय-बाँय करना

आँय-बाँय करना : उल्टा-पुल्टा करना। (यथावत)

निच्चट भोकवा हे बिया भकालूदास हा। कानो-कान चेताए रबे तभो आँएच-बाँए करथे।

आँड़ी के काँड़ी नइ करना

आँड़ी के काँड़ी नइ करना : कुच्छुच बुता नइ करना। (कुछ भी कार्य न करना)

अत्तिक बर बाढ़ गेहस हुड़म्मा नइ तो, आँड़ी के काँड़ी नइ करस। खाएच के पातुर हाबस।

आँटी मा चाँटी खुसेरना

आँटी मा चाँटी खुसेरना : ईमानदारी मा घलो बइगुन खोजना। (ईमानदारी में भी दोष ढूँढना)

रामभरोसा हा मितानी के परसादे तोर लइका ला पढ़ा-लिखा के नउकरी लगा दिस अउ तेहा ओकरे आँटी मा चाँटी खुसेरत हस जेठू? ये हा नींक बात नोहे।

आँजत-आँजत कानी होना

आँजत-आँजत कानी होना : बने बनाए के उदीम करत बुता ला बिगाड़ डारना। (अच्छा करने के प्रयास में कार्य को बिगाड़ डालना)

सियान मन अपन अनभो के सेती बरजथें। ओमा चेत करना चाही। चेत नइ करे ले कभू-कभू आँजत-आँजत कानी हो जथे तउन हा अखरथे।

आँच नइ आन देना

आँच नइ आन देना : थोरको नकसान नइ होए ला देना। (जरा भी हानि न होने देना)

मोर खातिर मिहिनत करत हस बोधन, तब महूँ तोर उपर कोनो किसम के आँच नइ आवन देंव। ये बात ला तहूँ याद राखबे।

आँच आना

आँच आना : असर पड़ना। (यथावत)

जात ला उटके मा आँच तो आबे करही। अपन जात के हिनमान कोनो नइ सहे।

आँखी ले पानी छुटना :

आँखी ले पानी छुटना : अखर जाना। (यथावत)

सियान मन के बरजे ले तोर कान नइ तिपिस। नंगत अकन नकसानी होगे तब आँखी ले पानी छुटत हे?

आँखी ला पँड़राना

आँखी ला पँड़राना : चक्कर आए ले गिर जाना। (चक्कर आने से गिर जाना)

सरी मंझनियाँ झन जा कहिके बरजेंव फेर नइ मानिस। अब आँखी ला पँड़रा दिस ना।

आँखी ललियाना

आँखी ललियाना : गुँस्सा करना। (गुस्सा करना)

बिसाहू के कोई बेला-बिचार नइ राहय, कब कोन बात मा आँखी ललिया देही ते। एकरे सेती ओकर संग गोठियाए बर सब डरार्थें।

आँखी लड़ेरना

आँखी लड़ेरना : (i) मर जाना। (मृत्यु होना)

(i) अब तो सरकार हा बहुँत सहायता कर देथे। आघू के जबाना मा कतको गरीब मन अन-पानी के बिना आँखी लड़ेर देवैं।

(ii) गुँस्सा करना। (गुस्सा करना)

हम तोर का बिगाड़े हन तेमा हमर बर आँखी लड़ेरबे। जउन हा बिगाड़े होही तेकर बर लड़ेर।

आँखी लड़ाना

आँखी लड़ाना : आँखी ले मयाँ के बात करना। (आँखों से प्रेम की बातें करना)

एक जुआर ले खड़े-खड़े काकर संग आँखी लड़ात हस रे मोती..! बेरा-कुबेरा के घलो चिन्हाँरी नइहे?

आँखी लगाना

आँखी लगाना : चस्मा लगाना। (चश्मा लगाना)

ओकरो चालीसा पुर गेहे, नइ दिखे। नवाँ बिसा के लाने हे तउने आँखी ला लगाथे तब पढ़

आँखी मुँदाना

आँखी मुँदाना : नींद आना। (यथावत)

रात किन नाचा देख देंव ते बइठेच-बइठे आँखी मुँदावत हे।

आँखी मूँदना

आँखी मूँदना : (i) मर जाना। (यथावत)

बड़ मयाँरूक रिहिसे बसंता दाई हा। आज दुनियाँ ले आँखी मूँद लिस ते रहि-रहि के सुरता आवत हे।

(ii) धोखा देना। (यथावत)

काली तक तो ‘‘संग निभाहूँ, हिरदे चीर के देख ले’’ काहत रेहेस। आज बर कइसे आँखी मूँदलेस?

(iii) धियान नइ देना। (ध्यान न देना)

मयाँ खातिर लइका के बइगुन ले आँखी मूँद लेबे, तब ओ तो बिगड़बे करही।

आँखी मूँद के रहना

आँखी मूँद के रहना : अनदेखा करना। (यथावत)

सरासर अनियाँय ला देख के कइसे आँखी मूँद के रबे? असने हा मोर ले नइ होवय।

आँखी मिलना

आँखी मिलना : मयाँ ले एक दूसर ला देखना। (प्रेमपूर्वक एक दूसरे को देखना)

दयाराम के बिहाव बेखन ऊँकर दूनों के आँखी मिलगे रिहिसे।

आँखी मा समाना

आँखी मा समाना : पिरित होना। (प्यार होना)

कोन जनी ओकर गोठ मा का जादू हे ते, ओहा मोर आँखी मा समा गेहे।

आँखी मारना

आँखी मारना : आँखी ले इसारा करना। (आँख से इशारा करना)

तोर आँखी मारे ले का होही। जब तक में हा जा नइ कहूँ, तब तक जेठू हा इहाँ ले नइ टरे।

आँखी मा रात काँटना

आँखी मा रात काँटना : रात भर जागना। (पूरे रात जगना)

इहाँ तुमन कइसे सुतथो ते तूहीं मन जानो भइया, मसाड़ के नाँव ले के हम तो आँखी मा रात काँटे हन।

आँखी मा बसाना

आँखी मा बसाना : पिरित बाढ़ना। (प्यार बढ़ना)

अपन मयाँरु ला सब अपन-अपन आँखी मा बसा के राखथें। ये हा कोनो नवाँ बात नोहे।

आँखी मा बइठारना

आँखी मा बइठारना : बिक्कट मयाँ करना। (अत्यधिक प्यार करना)

चार भाई मा बड़े के बेटा-बहू रमसिल्ला आए। तीन झन के बेटच नइ हे। एकर पाय के रमसिल्ला ला जम्मों झन आँखी मा बइठार के राखथें।

आँखी मा धुर्रा छींचना

आँखी मा धुर्रा छींचना : धोखा देना। (यथावत)

लबारी मार के जउन हा अपने आँखी मा धुर्रा छींच त हे तेकर ले मुरूख कोन होही।

आँखी मा थूक आँजना

आँखी मा थूक आँजना : दुख धरे के चोचला करना। (दुख होने का दिखावा करना)

आँखी मा थूक आज के दुनियाँ ला कब तक धोखा देबे। एक दिन तो पोल खुलबेच करही।

आँखी मा टोपा बाँधना

आँखी मा टोपा बाँधना : जानबूझ के खटकरमी के संग देना। (जानबूझ कर अन्यायी का साथ देना)

धिरितरास्ट तो अंधरच रिहिसे, गंधारी घलो अपन आँखी मा टोपा बाँध लिस एकरे सेती दुरयोधन के अतियाचार हा नंगत के बाढ़गे।

आँखी मा टोपा बँधाना

आँखी मा टोपा बँधाना : नइ दिखना। (नहीं दिखना)

तोर आँखी मा टोपा बँधाए हे का रे टूरा..! मँझोत मा डँगनी उपर सलूखा टँगाए हे तउन ला नइ देख सकस।

आँखी मा आँखी डारना

आँखी मा आँखी डारना : (i) परेम करना। (प्रेम करना)

मोर आँखी मा आँखी डार के देख, मोर सपना हा घलो तोला दिखही।

(ii) बिना डर नइते संकोच के। (बिना डर या संकोच के)

जब कोनो किसम के बइगन नइ करे हस तब मोर आँखी मा आँखी डार के देख।

आँखी मा काँटा कस गड़ना

आँखी मा काँटा कस गड़ना : बहुँत बुरा लगना। (बहुत बुरा लगना)

ओकर छइहाँ घलो मोर आँखी मा काँटा कस गड़थे।

आँखी मटकाना

आँखी मटकाना : नखरा करना। (यथावत)

झपझिप खा अउ पढ़े बर बइठ। तोर ददा आही ते आँखी मटकात हस तेन घुसड़ जही।

आँखी भर देखना

आँखी भर देखना : नजर भर देखना। (यथावत)

गउहाँडोमी हा कोठा मा नींगे हे। में हा आँखी भर देखे हँव।

आँखी फोरना

आँखी फोरना : मुरूख बनाना। (मूर्ख बनाना)

पाँच रूपिया के जिनिस ला पच्चीस बता के काकर आँखी फोरत हस?

आँखी फूटना

आँखी फूटना : (i) नइ दिखना। (दिखाई न देना) पानी बरसत हे तब कपड़ा-लत्ता ला सकेलस नहीं, तोर आँखी फूट गेहे। (ii) ईरसा होना। (ईर्ष्या होना)

अपन पइसा मा जिनिस बिसाबे तभो देखइया मन के आँखी फूट जथे। कहूँ मोफत मा मिलतिस तब कोन जनी अउ का करतिन ते।

आँखी फरियाना

आँखी फरियाना : गियान होना। (ज्ञान होना)

असनेच झमेला मा तो हीरामन हा घलो परे रिहिसे। ओकर का हाल होइस तेला

बताएँव तब बोधन के आँखी फरियइस हे।

तुम ही दिन चढ़े....


आँखी फरकना

आँखी फरकना : संका होना। (आशंका होना)

घूमे ला जाए बर तो महूँ ला बड़ मनइस फेर आँखी फरकत रिहिसे, तेकर पाय के नइ गेंव।

जब कोई वस्तु ऊपर फेंकी जाती है....


पानी मेें विस्की मिलाओ तो नशा चढ़ता है...


मन के बात बताये ल लागथे...


भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!