शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

उठ-बइठ करना

उठ-बइठ करना : (i) आना-जाना करना। (यथावत) 

अब उँकर दूनों भाई के सुंता हो गेहे। एक-दूसर के घर उठ-बइठ करथें। 

(ii) हल-चल करना। (चलना-टहलना) 

बलीराम ला खटिया पच त पंदरही होगे रिहिसे। काली ले बने उठ-बइठ करत हे। 

(iii) नंगत लगधीर होना। (बहुत घनिष्ठता होना) 

गुरूजी हा गुरूच जी घर उठ-बइठ करही। आन घर जाके का करही बपरा हा।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!