रविवार, 27 जुलाई 2014

उम्मर खपना

उम्मर खपना : (i) अनभवी होना। (अनुभवी होना) 

रास-बरग देखत हमर तो सरी उम्मर खपगे बाबू..! हमला का सिखाबे। अभी सीखे के तोर उम्मर हे, तैं हा सीख। 

(ii) सियान होना। (वृद्ध होना) 

अब तो उम्मरे खपगे, गोठियाबोन तेहा लबारी हो जही नइ ते हमर पाहरो मा तुँहर अस पँच-पँच झन जवान ला पछाड़ देत रेहेन।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!