रविवार, 2 नवंबर 2014

घर के घर

घर के घरः अपनेच परवार नइते चिन पहिचान मा। (अपने ही परिवार या जान पहचान में )

खेत ला तोर भतीजा लेहूँ काहत तब ओला दे दे सोनसाय, तुँहर पूँजी-पसरा हा घर के घर रही।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!