शनिवार, 14 नवंबर 2015

घुरूर-घारर होना

घुरूर-घारर होना : (i) थोर-थोर बादर गरजना। (हल्का-हल्का मेघ गजर्न होना)आज बिहनियाँ कुन घुरूर-घारर होवत रिहिसे, फेर पानी नइ गिरिस।
(ii) टट्टी लागना। (दस्त लगना)
पढ़ेच-लिखे के बेर तोर पेट हा घुरूर-घारर करथे रे भकालू, खेले के बेर नइ करे।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!