बुधवार, 30 जुलाई 2014

ओकर परसार, ओकर डेहरी होना

ओकर परसार, ओकर डेहरी होना : दर-दर भटकना। (यथावत)
 
उम्मर भर तो धने सकेले हस, बूढ़त-काल मा अब सुख-चैन ले खा-पी। मरबे तब अपन संग थोरहे लेग जबे तेमा आज ले ओकर परसार, ओकर डेहरी करत हस।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!