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शुक्रवार, 27 जून 2014

अपहास

अपहास— सं. उपहास, हँसी, खिल्ली।

अपसोसी

अपसोसी— वि. 1.अपने ही स्वार्थ में लगा रहने वाला, मतलबी, स्वार्थी। 2.अधिक खाने वाला। 3.अतिचाहत की भावना रखने वाला। 4.अपने हिस्से से संतुष्ट न रहने वाला, लोलुप।

अपसगुन

अपसगुन— वि. अपशकुन।

अपसोस

अपसोस— सं. 1.दुख। 2.चिंता, सोच।

अपराधी

अपराधी— वि. अपराध करने वाला, दोषी।

अपराध

अपराध— सं. 1.अनुचित काम, बुरा काम। 2.भूल-चूक, गलती। 3.दोष, पाप।

अपरंपार

अपरंपार— वि. 1.जिसके पार या किनारे का पता न चले, असीम, अपार। 2.अथाह। 3.जिसकी चाल या चतुराई का पता न चले। 4.दृष्टि से ओझल। 5.समझ से परे। 6.बहुत अधिक, बेहद।

अपरस

अपरस— सं. एक चर्म रोग जिससे हाथ-पैर में खुजली और जलन होता है, तथा त्वचा का परत निकलता है।

अपया

अपया— सं. 1.बदनामी, अपकीर्ति। 2.कलंक, दुर्गुण, दोष।

अपमान

अपमान— सं. अनादर, तिरस्कार।

अपबित्तर

अपबित्तर— वि. अशुद्ध, अपवित्र।

अपने-अपन

अपने-अपन— क्रि.वि. 1.आप ही आप, बिना कुछ किए। 2.स्वाभाविक रूप से।

अपनो

अपनो— सर्व. स्वयं भी।

अपने

अपने— सर्व. 1.स्वयं ही। 2.अपना ही।

अपनाल

अपनाल (वल)— वि. 1.अपना बनाया हुआ, अपने वश में किया हुआ। 2.ग्रहण किया हुआ, स्वीकार किया हुआ, शरण में लिया हुआ।

अपनाना

अपनाना— सं. क्रि . 1.अपना बनाना, अपने वश में करना। 2.ग्रहण करना, स्वीकार करना, शरण में लेना।

अपनभरोसी

अपनभरोसी— वि. अपने पर भरोसा करने वाला, आत्मावलंबी।

अपन-बिरान

अपन-बिरान— सं.दे. ‘अपन-तुपन’।

अपनभरोसा

अपनभरोसा— सं. अपने पर भरोसा करने की क्रिया, आत्मावलंबन।

अपन-तुपन

अपन-तुपन— सं. 1.अपना-पराया। 2.वाद-विवाद, झगड़ा-झंझट।

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!