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रविवार, 6 नवंबर 2016

जंगली प्याज़ : कमर और घुटनों के दर्द के लिये रामबाण इलाज

एक ज़माना था जब अपने आपको नपुंसक अनुभव करने वालो को जमकर लूटा जाता था हर जगह। “नाकाम मर्द निराश ना हों” के विज्ञापन देखने को मिल जाते थे ट्रेन में सफ़र करते हुये शहर आने से पहले ना जाने कितने हकीम, वैद्य और डॉक्टरों के विज्ञापन नपुंसक लोगों को महामर्द बनाने का दावा करते हुये दिखाई दे जाते थे। समय बदला अब लोगों से टी.वी. के विज्ञापनों के द्वारा उगाही शुरू हो गई। इस समय अधिकाँश शातिर लोगों के निशाने पर गंजेपन, घुटने और कमर दर्द से पीड़ित लोग आ गये हैं। इसमें मुझे गंजे लोगों को लूटने वालों पर बहुत गुस्सा आता है क्योंकि एक गंजा इंसान बहुत निरीह और मासूम होता है। उसकी बेचारगी की इन्तेहा देखिये कई बार ठगे जाने के बाद भी वह गंजापन दूर करने वाले नये दावेदार के झाँसे में आ ही जाता है।

बहरहाल आज लेख लिखने का मेरा उद्देश्य घुटने और कमर दर्द से पीड़ित लोगों को व्यर्थ के खर्चे से बचाना है। इन दिनों अन्नू कपूर अस्थिजीवक नाम की दवा का भेराभूत विज्ञापन कर रहे हैं। जब भी टी.वी. खोलो ये महाशय बड़े अपनेपन के साथ पूरे देश के घुटने और कमर दर्द से पीड़ित लोगों कों दर्द से राहत दिलाने के दावे करते नज़र आ जाते हैं।
निश्चित रूप से आयुर्वेद में कई औषधियाँ बेमिसाल हैं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि लोगों की जेब तराशी की जाये। जो लोग ढाई हज़ार की अस्थिजीवक दवा मंगा चुके हैं उन्हें कितना लाभ हुआ होगा यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन मैं आपको एक रामबाण दर्द निवारक दवा के बारे में बताता हूँ।

प्याज जैसी दिखने वाली यह “जंगली प्याज” (indian squill) इन दिनों जंगलों में भरपूर मात्रा में ऊग रही है जहाँ हम लोगों ने वृक्षारोपण किया हुआ है वहाँ यह प्रचुर मात्रा में ऊग रही है। आपको सिर्फ इतना करना है कि इसे प्याज की तरह क़तर कर शुद्ध सरसों के तेल में तब तक तलना (फ्राय करना ) है जब तक वो काली ना पड़ जाय। (दौ सौ ग्राम तेल में जंगली प्याज की दो गाँठें)।
फिर उस तेल को कपड़े से छानकर एक बोतल में सहेज कर रख लीजिये और रोज दो बार घुटनों की मालिश कीजिये दर्द ऐसे खत्म हो जायेगा जैसे कभी था ही नहीं, यह घुटने के दर्द के लिये रामबाण है और लगभग मुफ्त है। चूँकि हम प्रतिदिन यहाँ पौधों पक्षियों की सेवा करते हैं इसलिये घास के बीच इस कंद को पहचान जाते हैं। एक अनजान व्यक्ति के लिये यह कठिन होगा इसलिये फोटो संलग्न है। घास के बीच में लम्बी पत्तियों वाली वनस्पति जंगली प्याज है।


ध्यान रहे इसे खाने का प्रयास ना करें यह जहरीली होती है।
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– अजित भोंसले

रविवार, 14 अगस्त 2016

मोबाइल फ़ोन इंटरनेट यूजर्स के लिये

 यदि आपके मोबाइल फ़ोन का इंटरनेट पैक खत्म हो जाता है और mobile data ऑन है तो कंपनी द्वारा पैसे main balance से काट लिये जाते हैं। किसी-किसी का तो पूरा balance ही खत्म हो जाता है यदि धोखे से रात भर डाटा ऑन रह गया हो।
उपरोक्त समस्यायों को देखते हुये ट्राई ने सभी मोबाइल ऑपरेटर्स को सख्त आदेश दिया है कि -

मैसेज बॉक्स में जाकर STOP लिखे और 1925 में भेज दे मेन बैलेंस से राशि कभी नहीं काटी जायेगी, सिर्फ नेट पैक रहेगा या जब नेट पैक करवायेंगे तभी इन्टरनेट काम करेगा। हाँ , यदि आपको कभी कोई इमरजेंसी में नेट यूज़ करना हो और नेट पैक नहीं है अथवा खत्म हो गया हो तो START लिखकर 1925 पर भेजें तो ही main balance से राशि काटी जायेगी। इस जानकारी को अक्सर मोबाइल ऑपरेटर कंपनी ग्राहक से छिपाते हैं यदि आप जान गये या पहले से जानते हैं फिर भी शेयर करें...

एक जरुरी हक़ जिसके बारे में आपको शायद पता ही नहीं

आपके एटीएम पर भी है दुर्घटना बीमा
क्या आप जानते हैं कि शहर से लेकर गाँवों तक बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो एटीएम का इस्तेमाल ना करते हों, लेकिन बड़ी संख्या में लोग एटीएम के दुर्घटना स्कीम के बारे में नहीं जानते। आजकल ज्यादातर लोग एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन एटीएम का एक और फायदा है जो आपको पता ही नहीं है और वो जानकारी आपके बेहद काम की है

यदि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी बैंक का एटीएम आपके पास है तो आपका उस बैंक में अपने आप ही दुर्घटना बीमा हो गया है। ये बीमा 25,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का होता है। इस योजना को शुरु हुये कई साल हो गये हैं, लेकिन 90-95 फीसदी लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं है क्योंकि बैंक कभी खुद ये जानकारी ग्राहकों को नहीं देते।



दुर्घटना बीमा की ये प्रक्रिया क्या है और मुआवजा कैसे मिलता है वो जान लीजिये..?
स्कीम के मुताबिक अगर किसी एटीएम धारक की दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके परिवार के सदस्य को 2 महीने से लेकर 5 महीने के भीतर बैंक की उस ब्रांच में जाना होगा जहाँ उस शख्स का खाता था और वहाँ पर मुआवजे को लेकर एक एप्लीकेशन देनी होगी। अगर आपके पास किसी एक बैंक में एक ही अकाउंट हो या फिर उस बैंक की दूसरी ब्राँच में भी अकाउंट हो तो भी मुआवजा आपको किसी एक एटीएम पर ही मिलेगा जिससे पैसे का लेन-देन किया जा रहा हो। मुआवजा देने के पहले बैंक ये देखेंगे कि मौत से पहले पिछले 45 दिन के भीतर उस एटीएम से किसी तरह का वित्तीय लेन-देन हुआ था या नहीं।
बैंक में अकाउंट खुलने के बाद जैसे ही एटीएम आपको मिलता है बीमा पॉलिसी लागू हो जाती है। बैंक की तरफ से बीमा करवाया जाता है जिससे एटीएम धारक की मौत होने के बाद परिवार को मदद मिल सके।
इस स्कीम के मुताबिक आंशिक विकलाँगता से लेकर मृत्यु होने तक अलग अलग तरह के मुआवजे का प्रावधान दिया गया है। इसके लिये एटीएम धारक को कोई पैसा भी जमा नहीं करना होता, यदि आपके पास एटीएम है तो उस बैंक में ऑटोमैटिक दुर्घटना बीमा का फायदा आपको मिल सकता है। नियम ये है कि अगर एटीएम धारक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके घरवालों को उस बैंक से मुआवजा मिलेगा। ये योजना बैंक के ग्राहकों के लिये ही होती है लेकिन बैंक कभी भी इस बात की जानकारी ग्राहक को नहीं देते।

जानें किस स्थिति में कितना मिल सकता है मुआवजा
अगर आपके पास साधारण एटीएम है तो 1 लाख रुपये तक का मुआवजा परिवार वालों को मिलेगा और अगर कार्ड मास्टरकार्ड है तो ये मुआवजा 2 लाख रुपये तक हो सकता है। आंशिक विकलाँगता की सूची में अगर एक हाथ या एक पैर खराब होता है तो बैंक से 50,000 रुपये का मुआवजा मिल सकता है। वहीं दोनों हाथ या दोनों पैर खराब होने की सूरत में भी 1 लाख रुपये का मुआवजा एटीएम धारक को मिल सकता है।

अलग-एलग एटीएम टाइप पर अलग-अलग बीमा राशि
मास्टर कार्ड धारक को 50 हजार रुपये का बीमा और क्लासिक एटीएम पर 1 लाख रुपये तक का बीमा होता है। सभी वीजा कार्ड पर 2 लाख रुपये का बीमा और मास्टर मित्र कार्ड पर 25 हजार रुपये का बीमा होता है। वहीं प्लैटिनम कार्ड पर 2 लाख रुपये और मास्टर प्लैटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपये तक का बीमा आपको बैंक से मिल सकता है।
मतलब ये कि अगर आपके पास प्लेटिनम कार्ड है जो आपके कार्ड पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा का प्रावधान है। अगर आपके पास क्लासिक कार्ड या फिर किसान डेबिट कार्ड है तो उस पर 50 हजार रुपये की राशि तय की गई है पीएनबी मित्र एटीएम कार्ड पर 25 हजार रुपये का दुर्घटना बीमा होता है। जबकि मास्टर रक्षक प्लेटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपये का बीमा राशि तय की गई है।

जानें अपने हक को
आपके लिये सलाह यही है कि बैंक में अपने एटीएम के बारे में पूछताछ करें और इस बात की जानकारी माँगें कि आपके एटीएम कार्ड पर आपको कितना बीमा मिला है। बैंक अगर इंकार करे तो उसे बतायें कि आपको सरकार द्वारा इस योजना की पूरी जानकारी है। अगर दुर्घटना या एटीएम धारक की मृत्यु हो जाती है तो कार्ड टाइप के अनुसार मिलने वाली बीमा राशि की माँग करें और अगर बैंक इंकार करता है तो कंज्यूमर फोरम में जाकर अपना हक ले सकते हैं।

मंगलवार, 19 जुलाई 2016

अलसी से पाइये सम्पूर्ण पोषण

क्या आप अलसी के बारे में नहीं जानते तो जान लीजिये, क्योंकि ये गुणों की खान है। अलसी (Alsi or Flax Seeds)  तिल के बीज से थोड़े बड़े आकार में होती है। खाने में इसका प्रयोग बेक की जाने वाली रेसिपी पर छिड़क कर या इसे पीस कर लड्डूओं या कुकीज़, केक आदि में प्रयोग किया जाता है। यदि आप बिना अंडे के केक आदि बनाना चाहते हैं तो अंडे के विकल्प के रूप में भी अलसी के पिसे हुए चूरे को या अलसी के बीज को भिगो कर पीसकर प्रयोग कर सकते हैं।

इसमें प्रोटीन, फाइबर, लिग्नन, ओमेगा-3 फेटी एसिड, विटामिन-बी ग्रुप, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, सेलेनियम आदि तत्व होते हैं। अश्वगंधा व हरी सब्जियों में पाया जाने वाला विटामिन नियासीन भी अलसी में प्रचुरता से होता है।


अलसी रक्तचाप को संतुलित रखती है, कॉलेस्ट्रॉल (LDL-Cholesterol)  की मात्रा को कम करती है, दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है, हृदयघात व स्ट्रोक जैसी बीमारियों से बचाव करती है, हृदय की गति को नियंत्रित रखती है और वेन्ट्रीकुलर एरिदमिया से होने वाली मृत्युदर को बहुत कम करती है। यह कब्ज और बबासीर के लिये बहुत कारगर है।

अलसी के एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं जिससे त्वचा आकर्षक, कोमल, नम व बेदाग रहती है। यह स्वस्थ त्वचा जड़ों को भरपूर पोषण दे कर बालों को भी स्वस्थ, चमकदार व मजबूत बनाती है।

अलसी के बीज के चमत्कारों का हाल ही में खुलासा हुआ है कि इनमें 27 प्रकार के कैंसररोधी तत्व खोजे जा चुके हैं। अलसी में पाये जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है। दूसरा महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि अलसी के बीज सेवन से महिलाओं में सेक्स करने की इच्छा तीव्रतर होती है।

कैसे खायें अलसी के बीज
अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून ले्ं। फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख ले्ं। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ ले्ं। इसे सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है।

इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिये, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिये थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखे्ं। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए्। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है।

एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आँच पर पकायें जब तक कि यह पानी आधा न रह जाये। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शक्कर मिलाकर सेवन करे्ं। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा आदि के उपचार में उपयोगी है।

अलसी के बीज के चूरे को रोटी, दूध, दाल या सब्जी की ग्रेवी में मिलाकर खाया जा सकता है। प्रति व्यक्ति पाँच ग्राम से दस ग्राम तक अलसी का खाना स्वास्थ्य के लिये गुणकारी रहता है।

अलसी को नमक लगे पानी में भिगो कर फिर सूखाकर सेक लें, फिर इसे खाना खाने के बाद मुखवास के तौर पर भी खाया जा सकता है।
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विशेष : अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एसिड थायरायड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिये।
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गर्मी में आप इसकी मात्रा आधी कर लें। 

रविवार, 17 जुलाई 2016

मूर्ख हिन्दुओं की मानसिकता

अगर मूर्ख हिन्दुओं के मानसिकता के बारे में जानना हो तो... सोशियल मीडिया फेसबुक आदि में ये एक पोस्ट है जो खुद हिन्दू ही पोस्ट व शेयर कर रहे हैं... ये है वो पोस्ट की मुख्य बातें-

"जब मैं दूरदर्शन पर न्यूज़ देखता हूँ तो मुझे ये लगता है कि...मेरे देश में शांति और सदभाव है। देश धीरे-धीरे विकास भी कर रहा है, सभी कुछ सामान्य सा ही है… फिर जब में प्राइवेट न्यूज़ चैनल देखता हूँ तो मुझे पता लगता है कि पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे चल रहे हैं, हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को मार-काट रहे हैं, दलितों पर भारी अत्याचार हो रहा है, करीब-करीब सारे दलितों की हत्या हो चुकी है और सवर्ण-वर्ग दलितों के घरों को लूट रहे हैं, हिन्दुस्तान में गृह-युद्ध शुरू हो रहा है। इससे घबराकर जब मैं बचने के लिये घर से बाहर निकलता हूँ तो पाता हूँ कि बाज़ार में तो सब कुछ सामान्य सी हलचल है।

कहीं मुस्लिम वर्ग RSS के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर रहा है तो कहीं गणपति के पंडाल में नमाज़ पढ़ी जा रही है… कहीं मंदिर के अंदर मुस्लिम महिला की डिलीवरी हिन्दू महिलायें करवा रही है।

पता लगा कि सारी साम्प्रदायिकता और अशांति न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में और न्यूज़ एंकर के दिमाग में ही थी, जो कि ब्रीफ़केस में भरे हुये कागज़ की शक्ल में स्टूडियो में पहुँचाई जा रही थी।"


इसके बाद कहते हैं कि ये लड़ाई-झगडे सब मीडिया के द्वारा फैलाये गये वहम है... ऐसे हिन्दुओं को देखता हूँ तो खून खौलता है… तो क्या कश्मीरी पंडित मुसलमानों के पुष्पवर्षा से भाग गये..? जितने दंगे मुहर्रम में या आज तक हज़ारों दंगे हुये हैं वो सब दंगे नहीं बल्कि मुसलमानों की तरफ से हिन्दुओं पर किये गये पुष्पवर्षा थे..? अगर मानलें कि मीडिया ने करवाया है तो बाबर ने राममंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद मीडिया के उकसावे में किया है..? औरंगजेब, बाबर, खिलजी, अकबर, टीपू आदि सब AAJTAK, NDTV और ABP देखने के बाद बहक गये और लाखों करोड़ों हिन्दुओं को काट दिया..? जजिया कर लगा दिया..? उस दिन जो ओवैसी ने कहा था..? वो मीडिया की उपज थी..? हज़ारों मंदिर तोड़े गये पर ये लिख रहे हैं कि मुस्लिम तो पूजा कर रहे हैं गणेश भगवान की..? इनके हिसाब से कहीं कुछ नहीं हुआ..? कल भी जितने दंगे हुये तो इनके हिसाब से वो सामान्य हलचल है..? आजकल कश्मीर में जो कुछ हो रहा है वो सब तो बस टीवी स्टूडियो में हो रहे हैं..? इनको सारे दंगे टीवी में ही चलते दिखते हैं... बाहर नहीं..? क्यूँ ..? क्योंकि दंगों की आँच इनके घरों के आसपास अभी तक नहीं पहुँचा है तो.. इनको लगता है कि सबकुछ ठीक है.. सब कुछ सामान्य है… जैसे सावन के अंधे को चारों तरफ हरा ही हरा दिखाई देता है..?

जब तक ऐसे दिमाग से पैदल टाइप हिन्दू रहेंगे... तब तक भगवान भला करे.. हिन्दुओं का.... खुद तो मूर्ख है ही.... दूसरों को भी असावधान करते हैं.. बेवकूफ बनाते हैं...?

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

की-बोर्ड से पाइए मुक्ति

समय है की-बोर्ड से 99% मुक्ति पाने का। जब आप फेसबुक पर कोई लम्बी पोस्ट लिखते हैं तो आपकी अंगुलियाँ थकने लगती हैं या मोबाइल की किसी भी एप्लीकेशन में ज़्यादा लिखना पड़े तो ये विचार मन में आता ही है कि कोई ऐसा उपाय हो कि फटाफट लिखना हो जाये।

तो ये बिल्कुल संम्भव है और इसके लिए किसी भारी भरकम एप की भी जरूरत नहीं। बस, दो मिनट दीजिये और आपका ‘निजी सचिव’ यानि आपका एंड्रॉयड मोबाइल आपकी आवाज पर फटाफट टाइप करेगा।

प्रक्रिया आसान है।
सबसे पहले Setting में जायें।
Language & input को टच करें।
Automatic को अनटिक करें।
भाषाओं की सूची सामने होगी।
नीचे की तरफ जायेंगे तो हिन्दी (भारत) को सिलेक्ट कर लें।
वापस language & input पर आयें।

Google Voice Typing को ऑन कर दें।
अब कोई एप्लीकेशन खोलें जिसमें आपको कुछ लिखना हो। की-बोर्ड प्रकट होगा। अब देखिये स्पेस बार के बाँयीं ओर या की-बोर्ड के ऊपरी तरफ दाहिनी ओर एक छोटा -सा माईक दिखाई देगा।
इसे टच करेंगे तो की-बोर्ड ग़ायब हो जायेगा और बड़े आकार का माईक सामने होगा। माईक के ऊपर हिन्दी भारत लिखा होगा और नीचे Speak Now या अब बोलें ।
बस, अब आप अपने मोबाइल को पास में लेकर वह सब बोलना शुरू कर दीजिये और आपका निजी सचिव फटाफट उसे टाइप करता जायेगा।

( ये सुविधा केवल नेट ऑन होने पर ही मिलेगी)
स्क्रीन शॉट्स के माध्यम से भी आप इस प्रक्रिया को पूरी कर सकते हैं।
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– संजय कुमार शुक्ला

कानूनी रूप से किया जाना ज़रूरी है ई-मेल एड्रेस का पंजीकरण

इंटरनेट से जुड़ी आज की दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति का ई-मेल एड्रेस होना एक अनिवार्यता बन चुका है। ई-गवर्नेंस पेपर लैस बैंकिंग तथा रोजमर्रा के विभिन्न कार्यों हेतु कम्प्यूटर व इंटरनेट का उपयोग बढ़ता जा रहा है।

मोबाइल के द्वारा इंटरनेट सुविधा ब्रॉड बैंड, 3जी, 4जी सेवाओं आदि की बढ़ती देशव्यापी पहुँच से एवं इनके माध्यम से त्वरित वैश्विक संपर्क सुविधा के कारण अब हर व्यक्ति के लिये ई-मेल पता बनाना जरूरी सा हो चला है।

नई पीढ़ी की कम्प्यूटर साक्षरता स्कूलों के पाठ्यक्रम के माध्यम से सुनिश्चित हो चली है। समय के साथ अद्यतन रहने के लिये बुजुर्ग पीढ़ी की कम्प्यूटर के प्रति अभिरुचि भी तेजी से बढ़ी है। ई-मेल के माध्यम से न केवल टैक्सट वरन, फोटो, ध्वनि, वीडियो इत्यादि भी उतनी ही आसानी से भेजे जाने की तकनीकी सुविधा के चलते ई-मेल का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। 

हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओ में सॉफ्टवेयर की उपलब्धता तथा एक ही मशीन से किसी भी भाषा में काम करने की सुगमता के कारण जैसे-जैसे कम्प्यूटर का प्रयोग व उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है, ई-मेल और भी प्रासंगिक होता जा रहा है।


ई-मेल के माध्यम से सारी दुनिया में किसी भी इंटरनेट से जुड़े हुये कम्प्यूटर पर बैठकर केवल अपने पासवर्ड से ई-मेल के द्वारा आप अपनी डाक देख सकते हैं व बिना कोई सामग्री साथ लिये अपने ई-मेल एकाउंट में सुरक्षित सामग्री का उपयोग कर पत्राचार कर सकते हैं। यह असाधारण सुविधा तकनीक का, युग को एक वरदान है।

आज लगभग हर संस्थान अपनी वेबसाइट स्थापित करता जा रहा है। विजिटिंग कार्ड में ई-मेल पता, वेब एड्रेस, ब्लॉग का पता होना अनिवार्य सा हो चला है। किसी संस्थान का कोई फार्म भरना हो, आपसे आपका ई-मेल पता पूछा ही जाता है।

हार्डकॉपी में जानकारी तभी आवश्यक हो जाती है, जब उसका कोई कानूनी महत्व हो, अन्यथा वेब की वर्चुअल दुनिया में ई-मेल के जरिये ही ढेरों जानकारी ली दी जा रही हैं। मीडिया का तो लगभग अधिकांश कार्य ही ई-मेल के माध्यम से हो रहा है।

विभिन्न कंपनियाँ जैसे गुग्गल, याहू, हॉटमेल, रैडिफ आदि मुफ्त में अपने सर्वर के माध्यम से ई-मेल पता बनाने व उसके उपयोग की सुविधा सभी को दे रही हैं। ये कंपनियाँ आपको वेब पर फ्री स्पेस भी उपलब्ध करवाती हैं, जिसमें आप अपने डाटा स्टोर कर सकते हैं।

क्लिक हिट्स के द्वारा इन कंपनियों की साइट की लोकप्रियता तय की जाती है, व तद्नुसार ही साइट पर विज्ञापनों की दर निर्धारित होती है जिसके माध्यम से इन कंपनियों को धनार्जन होता है।

ई-मेल की इस सुविधा के विस्तार के साथ ही इसकी कुछ सीमायें व कमियाँ भी स्पष्ट हो रही हैं। मुफ्त सेवा होने के कारण हर व्यक्ति लगभग हर प्रोवाइडर के पास मामूली सी जानकारियाँ भरकर, जिनका कोई सत्यापन नहीं किया जाता, अपना ई-मेल एकाउंट बना लेता है।

ढेरों फर्जी ई-मेल एकाउंट से साइबर क्राइम बढ़ता ही जा रहा है। वेब पर पोर्नसाइट्स की बाढ़ सी आ गई है। आतंकी गतिविधियों में पिछले दिनों हमने देखा कि ई-मेल के ही माध्यम से धमकी दी जाती है या किसी घटना की जवाबदारी मीडिया को मेल भेजकर ही ली गई। यद्यपि वेब आईपी एड्रेस के जरिये आईटी विशेषज्ञों की मदद से पुलिस उस कम्प्यूटर तक पहुँच गई जहाँ से ऐसे मेल भेजे गये थे, पर इस सब में ढेर सा श्रम, समय व धन नष्ट होता है।

चूँकि एक ही कम्प्यूटर अनेक प्रयोक्ताओं के द्वारा उपयोग किया जा सकता है, विशेष रूप से इंटरनेट कैफे या कार्यालयों में इस कारण इस तरह के साइबर अपराध होने पर व्यक्ति विशेष की जवाबदारी तय करने में बहुत कठिनाई होती है।

अब समय आ गया है कि ई-मेल एड्रेस का पंजीकरण कानूनी रूप से जरूरी किया जावे। जब जन्म, मृत्यु, विवाह, ड्राइविंग लाईसेंस, पैनकार्ड, पासपोर्ट, राशन-कार्ड, जैसे ढेरों कार्य समुचित कार्यालयों के द्वारा निर्धारित पंजीयन के बाद ही होते हैं तो इंटरनेट पर यह अराजकता क्यों?

ई-मेल एकाउंट के पंजीयन से धारक का डाक्यूमेंटेड सत्यापन हो सकेगा तथा इसके लिये निर्धारित शुल्क से शासन की अच्छी खासी आय हो सकेगी । पंजीयन आवश्यक हो जाने पर लोग नये नये व्यर्थ ई-मेल एकाउंट नही बनायेंगे, जिससे वेब स्पेस बचेगी, वेब स्पेस बनाने के लिये जो हार्डवेयर लगता है, उसके उत्पादन से जो पर्यावरण ह्रास हो रहा है वह बचेगा, इस तरह इसके दीर्घकालिक, बहुकोणीय लाभ होंगे।

जब ई-मेल उपयोगकर्ता वास्तविक हो जायेगा तो उसके द्वारा नेट पर किये गये कार्यों हेतु उसकी जवाबदारी तय की जा सकेगी। हैकिंग से किसी सीमा तक छुटकारा मिल सकेगा। वेब से पोर्नसाइट्स गायब होने लगेंगी, व इससे जुड़े अपराध स्वयमेव नियंत्रित होंगे तथा सेक्स को लेकर बच्चों के चारित्रिक पतन पर कुछ नियंत्रण हो सकेगा।

चूंकि इंटरनेट वैश्विक गतिविधियों का सरल, सस्ता व सुगम संसाधन है, यदि जरूरी हो तो ई-मेल पंजीयन की आवश्यकता को भारत को विश्वमंच पर उठाना चाहिये। मेरा अनुमान है कि इसे सहज ही विश्व की सभी सरकारों का समर्थन मिलेगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर माफिया आतंकी अपराधों के उन्मूलन में भी इससे सहयोग ही मिलेगा।
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विवेक रंजन श्रीवास्तव

(लेखक को नवाचार व रचनात्मक साहित्यिक गतिविधियों के लिये रेड एण्ड व्हाइट पुरुस्कार मिल चुका है)

रविवार, 3 जुलाई 2016

ट्रैक्टर और बैल नहीं मिले, तो अपनी खाट से ही खेत को जोत दियाअपनी खाट से ही खेत को जोत दिया

आश्चर्यजनक ! ट्रैक्टर और बैल नहीं मिले, तो अपनी खाट से ही खेत को जोत दिया

लोगों को हमेशा आपने अपने ट्रैक्टर या फिर बैल से खेत को जोतते हुए आपने जरूर देखा ही होगा। हरियाणा के कुछ गाँवों में शायद कुछ नया करने की तलाश में रहने वाले किसानों को ट्रैक्टर और बैल के बजाय अपनी बाइक की मदद से खेत को जोतते देखा होगा, लेकिन क्या कभी किसी किसान को अपनी खाट से खेत जोतते हुये देखा है। निश्चित तौर पर नहीं देखा होगा। 

विषम परिस्थितियों से कैसे तालमेल बनाया जाता है, इस गरीब किसान ने अपने बुलंद हौसले से साबित कर दिया। आइये बताते हैं कैसे- 

एक तरफ जहाँ सूखाग्रस्त महराष्ट्र में किसान अपनी जिंदगी से हार मानकर खुदखुशी कर रहे हैं वहीं पर महाराष्ट्र के बुद्रूक गाँव के इस गरीब किसान के पास जोतने के लिए औजार न होने पर अपनी खाट पर एक बड़ा सा पत्थर बाँध कर करीब 3 एकड़ खेत को जोत डाला। 

महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के खिड़की बुद्रूक गाँव के किसान ‘‘विठोबा मांडोले’’ इलाके के कई खेतों में मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करता है मजदूरी से खर्च नहीं निकलने पर एक खेत को किराये पर ले लिया। खेत किराये पर तो मिल गया पर अब भी एक समस्या उसका पीछा कर रही थी – और वो थी खेत की जुताई। 

आर्थिक तंगी के कारण विठोबा के पास खेत को जोतने के लिए ना तो कोई बैल थे या ना ही औजार लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपनी खाट पर एक बड़ा सा पत्थर बाँधकर ही करीब 3 एकड़ खेत को अपनी मेहनत और सूझबूझ से जोत डाला। 

उनके इस हौसले भरे कदम को लेकर विठोबा के इस साहसिक कदम की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। विठोबा के इस हौसले से एक सीख मिलती है कि काम को अगर कोई करना चाहे, तो रास्ते मिल ही जाते हैं। ऐसे किसान को को हमारा सलाम…!

दिन में चार चम्मच और कैंसर गायब !

दिन में चार चमच और कैंसर गायब ! रूस के मशहूर वैज्ञानिक ने बनाई एक शक्तिशाली औषधि...!

दुनिया भर के अरबों लोग कैंसर से पीड़ित हैं, आज के समय की यह सबसे घातक बीमारी है, लेकिन कुछ लोगों का दावा है कि यह रूसी वैज्ञानिक Hristo Mermerski द्वारा की गई खोज से कैंसर को प्राकृतिक उपचार द्वारा ठीक किया जा सकता है।

रूस के एक वैज्ञानिक Hristo Mermerski ने घर में बनाई जाने वाली एक ऐसी औषधि इजाद की है जिसके इस्तेमाल से बहुत सी भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों अथवा कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी से भी बचा जा सकता है।

ये औषधि कई प्रकार के कैंसर के इलाज में फायदेमंद हो सकती है-

औषधि तैयार करने की सामग्री-
  • 400 ग्राम ताज़ा अखरोट
  • 400 ग्राम अँकुरित अनाज (Sprouted Grains)
  • 1 किलो प्राकृतिक शहद
  • 12 ताज़ा लहसुन की कलियाँ
  • 15 ताज़ा नीबू
अंकुरित अनाज (sprouted grains ) तैयार करने का तरीका –
अनाज को एक काँच के बर्तन में रख दें उसमें उतना ही पानी डालें जिससे अनाज अच्छी तरह भीग जाये। इसे एक रात के लिये इसी तरह छोड़ दें… अगली सुबह अनाज को छान कर पानी निकाल दें फिर अच्छी तरह पानी से धोने के बाद अनाज में से सारा पानी निकल दें। पानी निकालने के बाद अनाज को दोबारा कांच के बर्तन में डाल कर 24 घंटे तक रख दें। इससे अँकुरित अनाज तैयार हो जायेगा।

औषधि तैयार करने का तरीका –
लहसुन की कलियाँ, अखरोट और अँकुरित अनाज को ले कर एक साथ पीस लें।
5 नीबू लेकर बिना छिलका उतारे पीस लें।
(बाकि के 10 नीबुओं का रस निकालकर मिश्रण में मिला लें।)
सभी चीज़ों को अच्छे से मिला लें।

अब इस मिश्रण में शहद मिलायें इसे मिलाने के लिये लकड़ी के चम्मच का इस्तेमाल करें। इस मिश्रण को एक काँच के बर्तन में भर लें और फ्रिज़ (fridge) में रख दें। इसे तीन दिनों के लिये फ्रिज़ में रखें और आगे बताये अनुसार इसका सेवन करे-

Hristo Mermerski के अनुसार इसे सोने से आधा घंटा पहले लें और हर बार खाना खाने से आधा घंटा पहले लें। अगर आप इस औषधि का इस्तेमाल कैंसर के इलाज के लिये कर रहें हों तो हर 2 घंटे में 1– 2 चमच लें।

Hristo Mermerski के अनुसार ये औषधि लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिये सहायक है। ये कैंसर के इलाज में बहुत लाभकारी है और साथ ही जवान दिखने और शारीरिक ताकत के लिये भी फायदेमंद है। ये शरीर में मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है , गुर्दों और लीवर को साफ़ करता है, शरीर में बीमारिओं से लड़ने की शक्ति पैदा करता है और दिल के दौरे से बचाता है।

अगर आपको ये जानकारी लाभकारी लगे तो इसके बारे में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बताना ना भूलें।

गुरुवार, 30 जून 2016

गुजरात के प्रोफेसर गोलकिया ने बनाया गौमूत्र से सोना


गुजरात के जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर डॉ. बी.ए. गोलकिया ने गोमूत्र से सोना निकालने का दावा किया है। चार सालों की रिसर्च के बाद डॉ. बी.ए. गोलकिया ने गुजरात में पायी जाने वाली प्रसिद्ध गीर नस्ल की गायों के मूत्र से सोना निकालने का दावा किया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय के बाॅयोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.गोलकिया ने अपने चार सालों की रिसर्च के दौरान गीर नस्ल की 400 से अधिक गायों के मूत्र की लगातार जाँच करने के बाद उन्होंने एक लीटर गोमूत्र से 3 मिलीग्राम से 10 मिलीग्राम तक सोना निकालने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि यह धातु आयन के रूप में पाया गया और यह पानी में घुलनशील है।

गोमूत्र परीक्षण के लिए डॉ. गोलकिया और उनकी टीम ने क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री विधि का इस्तेमाल किया था। डॉ. गोलकिया ने कहा- ‘‘अभी तक हम प्राचीन ग्रंथों में ही गो-मूत्र में स्वर्ण पाये जाने की बात सुनते थे, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं था। हम लोगों ने इस पर शोध करने का फैसला किया। हमने गिर नस्ल की 400 गायों के मूत्र का परीक्षण किया और हमने उसमें सोने को खोज निकाला।’’

उन्होंने कहा कि-गोमूत्र से सोना सिर्फ रासायनिक प्रक्रिया के जरिये ही निकाला जा सकता है जिसमें एक स्वस्थ गाय के मूत्र से एक दिन में कम से कम 3000 हजार रुपये कीमत का एक ग्राम सोना अर्थात महीने भर में लगभग एक लाख रुपये की कीमत का सोना निकाला जा सकता है।

डॉ. गोलकिया ने कहा कि- ‘शोध के दौरान हमने गाय के अलावा, भैंस, ऊँट, भेड़ों के मूत्र का भी परीक्षण किया था लेकिन किसी में सोना नहीं मिला। इसके अलावा शोध में यह भी पाया गया है कि गो-मूत्र में 388 ऐसे औषधीय गुण होते है जिससे कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। गोलकिया के मुताबिक, गीर गायों के मूत्र में 5,100 पदार्थ मिले हैं जिनमें से 388 में कई बीमारियाँ दूर करने के चिकित्सकीय गुण हैं।

डॉ. गोलकिया की टीम अब भारत में पाये जाने वाली अन्य देसी गायों के गो-मूत्र पर शोध करेंगे।

मंगलवार, 28 जून 2016

बिच्छु काटने पर तुरंत आराम के लिए 4 रामबाण उपाय

गाँवों या शहरों में अक्सर कच्ची जगह या बरसात में घर में बिच्छू निकल आते हैं, अगर ये काट ले तो भयंकर पीड़ा होती है, और इनके ज़हर चढ़ने का भी खतरा रहता है, ऐसे में ये रामबाण उपाय सिर्फ 2 मिनट में ज़हर को उतार देगा और दर्द शांत कर देगा...! आइये जाने इस रामबाण उपचार को-

1. बिच्छू के काटने पर रामबाण फिटकरी का प्रयोग
  • फिटकरी को किसी साफ़ किये हुए पत्थर पर, थोड़ा सा पानी डालकर चंदन की तरह घिसें... फिर जहाँ पर बिच्छु ने काटा हो वहाँ पर इस फिटकरी का लेप लगाकर, आग से थोड़ा सेंकें। कैसा भी जहरीला बिच्छु का काटा क्यों न हो, इस फिटकरी के प्रयोग से जहर सिर्फ दो ही मिनट में उतर जाता है।
  • फिटकरी को चिमटी से पकड़ कर थोडा गर्म कर लीजिये, जैसे ही फिटकरी पिघलने लगे तो फिटकरी को बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लगा दीजिये, फिटकरी तुरंत वहाँ चिपक जायेगी, और पूरा ज़हर चूसकर अपने आप उतर जायेगी।


2. बिच्छु काटने पर इमली का बीज
इमली के बीज को साफ़ पत्थर पर घिंसें, घिसते-घिसते अन्दर का सफ़ेद भाग निकल आयेगा तो उसे भी बिच्छु के काटने के स्थान पर लगा देंगे तो यह चिपक जायेगा, जैसे ही नीचे गिरे तो दूसरा बीज घिसकर लगाइये... इस प्रकार बिच्छु का ज़हर उतर जाता है।


3. बिच्छु काटने पर माचिस का मसाला
बिच्छु के डंक मारने पर माचिस की 5-6 तीलियों के मसाले को निकालकर पानी में घोलकरर बिच्छु के डंक लगे स्थान पर लगाने से तत्काल बिच्छु का जहर उतर जाता है। इससे मधुमक्खी व बर्रे के काटने पर लगाने से भी जहर नहीं फैलता और तुरन्त आराम मिलता है।


4. बिच्छू काटने पर सेंधा नमक
बिच्छू के डंक मार जाने पर अगर ज़हर का स्थान ना मिले तो ऐसे में ये उपाय बेहद लाभकारी है। लाहोरी (सेंधा नमक) पंद्रह ग्राम और साफ़ पानी 75 ग्राम आपस में मिलकर साफ़ शीशी में भर कर रखे लें... बस दवा तैयार है... बिच्छु काटने पर आँखों में सलाई (सुरमा लगाने वाली) की सहायता से आँखों में एक एक बूँद डाल दीजिये, कुछ ही मिनटों में ज़हर उतर जायेगा... ये प्रयोग अन्य प्रयोगों के साथ भी किया जा सकता है।

बिच्छु काटने पर विशेष

1. उग्र विष वाले बिच्छु जिसकी दुम धरती पर घिसटती चलती है, के काटने पर, अगर किसी ऐसी जगह काटा हो जहाँ पटी बांध सकें तो बांध दें जैसे की हाथ, पैर या जाँघ पर, जहाँ काटा गया हो वहाँ से चार ऊँगली ऊपर बाँध देना चाहिये फिर उसके चार ऊँगली ऊपर फिर से बाँध दें। ऐसा करने से विष पूरे शरीर में नहीं फैलेगा।

2.यदि डंक दंश स्थान में रह गया हो तो किसी सेफ्टीपिन या चिमटी को आग की लौ में गर्म करने के बाद त्वचा में घुसे हुए डंक को उसकी सहायता से निकाल देना चाहिए और बिना समय नष्ट करें उपरोक्त उपचारों में से एक उपचार कर लेना चाहिये।

3. बारीक़ पिसा हुआ सेंधा नमक को प्याज के टुकड़े से उठाकर दंश-स्थान पर मले, इससे जहर और डंक दोनों दूर होंगे।

मंगलवार, 14 जून 2016

आधार कार्ड में छपी अपनी फोटो भी बदलवा सकते हैं।

आप आधार कार्ड में छपी अपनी फोटो भी बदलवा सकते हैं। इसके लिये आपको बस 15 रूपये खर्च करने होंगे। इसे बदलने के लिये एक साधारण कार्य आपको करना है जो इस प्रकार है-
  • सबसे पहले आपको आधार कार्ड सेंटर जाना होगा। अगर आधार कार्ड आप तक नहीं पहुँच पाया है तो आप अपना इनरोलमेंट नंबर लेकर आधार कार्ड सेंटर जायें।
  • आधार कार्ड सेंटर पर पहुँचकर आपको एक बार फिर आधार कार्ड का आवेदन भरना होगा। इस आवेदन में आपको अपना आधार नंबर भी देना होगा।
  • आवेदन भरने के बाद आपको फिर से अपनी अँगुलियों व आँखों की स्कैनिंग के साथ फोटो खिंचवानी होगी। अगर फोटो सही न आये तो आप दुबारा फोटो खिंचवा सकते हैं।
  • इसके बाद आपकी सारी जानकारी आधार कार्ड सेंटर बेंगलुरू को भेज दी जायेगी, जिसके बाद आपका डाटा प्रोसेस होगा और नई फोटो के साथ आपका आधार कार्ड दो हफ्ते के अंदर आपके घर पहुँच जायेगा।
  • इसके लिए आपको मात्र 15 रुपए खर्च करने होंगे, क्योंकि आधार कार्ड केवल एक बार फ्री बनता है। बॉयोमेट्रिक डीटेल बदलवा कराने के लिए सेंटर पर पैसे खर्च करने होंगे।
अपने बच्चे के आधार कार्ड को सुधार करवा सकते हैं
  • 0 से 5 साल के बच्चे का आधार कार्ड बन जाता है, लेकिन उसका बॉयोमेट्रिक अपडेट नहीं लिया जाता है।
  • पहले कार्ड में माता-पिता का एड्रेस लिया जाता है, जिससे आधार कार्ड बन जाता है।
  • जब बच्चे की उम्र 5 साल से ऊपर हो जाती है, तब बॉयोमेट्रिक अपडेट होता है।
  • फिर 15 साल और 18 साल पूरा कर लेने पर बच्चे के कार्ड में फोटो अपडेट किया जाता है।
पोष्ट के माध्यम से भी करवा सकते हैं आधार कार्ड में बदलाव
  • अगर आपके घर या फिर ऑफिस में ऑनलाइन अपडेशन की सुविधा नहीं है और आप अपने आधार कार्ड की डिटेल्स को पोष्ट के द्वारा भी बदलवा सकते हैं।
  • इसके लिए आपको आधार कार्ड अपडेशन आवेदन भरना होगा।
  • आवेदन भरने के बाद आपको अपने डॉक्युमेंट अटेस्ट करने होंगे और अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी भी डॉक्युमेंट के साथ लगानी होगी।
  • इसके बाद आपको अपना आवेदन आधार कार्ड के रीजनल ऑफिस में भेजना होगा।
  •  UIDAI के भारत में 6 रीजनल ऑफिस हैं-
    1
    Chandigarh

    0172-2711947
    2
    Delhi

    011-23481126
    3
    Hyderabad

    040-23119266, 040-23119911
    4
    Lucknow

    0522-2304979, 0522-2304978
    5
    Mumbai

    022-22163492/94
    6
    Ranchi

    0651-6450145(Ranchi), 
    0612-2545678(Patna)

  • रीजनल ऑफिस में आवेदन भेजने के बाद आपका कार्ड दो से तीन हफ्ते के भीतर अपडेट होने के बाद आपके पास आ जायेगा। 
आधार कार्ड के फायदे
  • अगर आपके पास आधार कार्ड है तो आप आसानी से किसी भी बैंक में एकाउंट खुलवा सकते हैं।... 
  • अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक करने पर आपको सरकार की डीबीटीएल स्कीम में कैश सब्सिडी आसानी से ट्रांसफर हो जायेगी।... 
  • आधार कार्ड की मदद से आप इन्कम टैक्स रिटर्न आसानी से फाइल और वैरिफाई कर सकते हैं, जिसके बाद आपको एक्नॉलेजमेंट आवेदन बेंगलुरू नहीं भेजना पड़ेगा। 
  • पासपोर्ट बनवाने के लिये, गैस और बिजली का कनेक्शन लेने, केवाईसी के लिये आप आधार कार्ड प्रयोग में ला सकते हैं।... 

गुरुवार, 17 मार्च 2016

बायोगैस प्लांट

अब किसी कीरसोई घरमें 4-5घंटे कोगैस सप्लाईमिल सकतीहै


केवल 3000 रु. खर्च करअब किसीकी रसोईघर में4-5 घंटेकी गैससप्लाई मिलसकता है।जी हॉं, हम बातकर रहेहैं, एकअनोखे गोबरगैस प्लांटकी जिसेडिजायन कियाहै श्रीकृष्णराजू ने। श्री राजू मुदिगिरीतालुका केडाराडहली मेंएक वरिष्ठपशु-चिकित्सकके रूपमें कार्यरतरहे हैंउन्हें नईतकनीकियों के विकास में भीकाफी रुचिहै।


इस कम लागतवालेबायोगैस प्लांटकी खासियतयह हैकि इसमेंएक बारकेवल एकबाल्टी गोबरकी आवश्यकताहोती है।इसे तैयारकरने केलिए केवलएक 11 फ़ीटलंबी, 7फ़ीट चौड़ी250 मि.मी. कीप्लास्टिक शीट तथा दो पीवीसीपाइप कीज़रूरत होतीहै। यानि टंकी बनानेके लिएगढ्ढा खोदनेकी ज़रूरतनहीं होती।टंकी कानिर्माण प्लास्टिकशीट द्वाराही कियाजाता है।गोबर-पानीके मिश्रणको पीवीसीपाइप द्वाराडाला जाताहै औरएक घंटेके बादमीथैन गैसका उत्पादनशुरु होजाता है, जो 4घंटों तकचालू रहताहै।

श्री कृष्णराजू केमुताबिक, बॉयोगैसके किसीअन्य प्लांटके निर्माणमें केवल20,000 रु. की आवश्यकताहोती है, जिसमें वार्षिकमेंटिनेंस लागत भी शामित होतीहै, परयह काफीसस्ती हैऔर इसकसंचालन काफीआसान हैऔर एकबार संस्थपितकरने केबाद इसे5-6 वर्षोंतक चालूरखा जासकता है।

श्री कृष्णराजू कहतेहैं किउनक मुख्यउद्देश्य वनोंकी रक्षाकरना है।यदि घरआरसीसी  निर्मित हो तो इस यूनिटको घरके छ्तपर रखाजा सकताहै। उन्होंनेइसे डाराडहलीके डी. एन .वीरेंद्रगौड़ा कीछत परस्थापित कियाहै। उन्हेंअपने गौशालेके गोबरसे प्रतिदिन5 घंटेका बायोगैसईधन प्राप्तहो जाताहै।
गैस का इस्तेमालकरने केबाद गोबरका उपयोगखाद केरूप मेंकिया जाताहै।
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इस बारे मेंविशेष जानकारीके लिएश्री कृष्णराजूसे इसनम्बर परसंपर्क कियाजा सकताहै
मोबाइल: 9448073711

रविवार, 13 मार्च 2016

सेहत के दोहे-90

हृदय रोग सेआपको, बचनाहै श्रीमान

सुरा, चाय याकोल्ड्रिंक, का मत करिये पान।।

सेहत के दोहे-88

जब भी लघुशंका करें, खड़े रहेयदि यार।

इससे हड्डी रीढ़की, होतीहै बेकार।।

सेहत के दोहे-89

सीतल, गर्म जलसे कभी, करिये मतस्नान।

घट जाता हैआत्मबल, नैननको नुकसान।।

सेहत के दोहे-87

मूली खाओ हरदिवस, करेरोग कानाश।

गैस और पाईल्सका, मिटजाये संत्रास।।

सेहत के दोहे-86

सौ वर्षों तकवह जिये, लेत नाकसे सांस।

अल्पकाल जीवें करें, मुँह सेश्वांसोच्छ्वास।।

सेहत के दोहे-85

चैत्र माह मेंनीम की, पत्ती हरदिन खाव।

ज्वर, डेंगू यामलेरिया, बारहमील भगाव।।

सेहत के दोहे-84

हृदय रोग, खॉंसीऔर आँवकरें बदनाम।

दो अनार खायेंसदा, बनेंगेबिगड़े काम।।

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!