अगर मूर्ख हिन्दुओं के मानसिकता के बारे में जानना हो तो... सोशियल मीडिया फेसबुक आदि में ये एक पोस्ट है जो खुद हिन्दू ही पोस्ट व शेयर कर रहे हैं... ये है वो पोस्ट की मुख्य बातें-
"जब मैं दूरदर्शन पर न्यूज़ देखता हूँ तो मुझे ये लगता है कि...मेरे देश में शांति और सदभाव है। देश धीरे-धीरे विकास भी कर रहा है, सभी कुछ सामान्य सा ही है… फिर जब में प्राइवेट न्यूज़ चैनल देखता हूँ तो मुझे पता लगता है कि पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे चल रहे हैं, हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को मार-काट रहे हैं, दलितों पर भारी अत्याचार हो रहा है, करीब-करीब सारे दलितों की हत्या हो चुकी है और सवर्ण-वर्ग दलितों के घरों को लूट रहे हैं, हिन्दुस्तान में गृह-युद्ध शुरू हो रहा है। इससे घबराकर जब मैं बचने के लिये घर से बाहर निकलता हूँ तो पाता हूँ कि बाज़ार में तो सब कुछ सामान्य सी हलचल है।
कहीं मुस्लिम वर्ग RSS के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर रहा है तो कहीं गणपति के पंडाल में नमाज़ पढ़ी जा रही है… कहीं मंदिर के अंदर मुस्लिम महिला की डिलीवरी हिन्दू महिलायें करवा रही है।
पता लगा कि सारी साम्प्रदायिकता और अशांति न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में और न्यूज़ एंकर के दिमाग में ही थी, जो कि ब्रीफ़केस में भरे हुये कागज़ की शक्ल में स्टूडियो में पहुँचाई जा रही थी।"
इसके बाद कहते हैं कि ये लड़ाई-झगडे सब मीडिया के द्वारा फैलाये गये वहम है... ऐसे हिन्दुओं को देखता हूँ तो खून खौलता है… तो क्या कश्मीरी पंडित मुसलमानों के पुष्पवर्षा से भाग गये..? जितने दंगे मुहर्रम में या आज तक हज़ारों दंगे हुये हैं वो सब दंगे नहीं बल्कि मुसलमानों की तरफ से हिन्दुओं पर किये गये पुष्पवर्षा थे..? अगर मानलें कि मीडिया ने करवाया है तो बाबर ने राममंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद मीडिया के उकसावे में किया है..? औरंगजेब, बाबर, खिलजी, अकबर, टीपू आदि सब AAJTAK, NDTV और ABP देखने के बाद बहक गये और लाखों करोड़ों हिन्दुओं को काट दिया..? जजिया कर लगा दिया..? उस दिन जो ओवैसी ने कहा था..? वो मीडिया की उपज थी..? हज़ारों मंदिर तोड़े गये पर ये लिख रहे हैं कि मुस्लिम तो पूजा कर रहे हैं गणेश भगवान की..? इनके हिसाब से कहीं कुछ नहीं हुआ..? कल भी जितने दंगे हुये तो इनके हिसाब से वो सामान्य हलचल है..? आजकल कश्मीर में जो कुछ हो रहा है वो सब तो बस टीवी स्टूडियो में हो रहे हैं..? इनको सारे दंगे टीवी में ही चलते दिखते हैं... बाहर नहीं..? क्यूँ ..? क्योंकि दंगों की आँच इनके घरों के आसपास अभी तक नहीं पहुँचा है तो.. इनको लगता है कि सबकुछ ठीक है.. सब कुछ सामान्य है… जैसे सावन के अंधे को चारों तरफ हरा ही हरा दिखाई देता है..?
जब तक ऐसे दिमाग से पैदल टाइप हिन्दू रहेंगे... तब तक भगवान भला करे.. हिन्दुओं का.... खुद तो मूर्ख है ही.... दूसरों को भी असावधान करते हैं.. बेवकूफ बनाते हैं...?
"जब मैं दूरदर्शन पर न्यूज़ देखता हूँ तो मुझे ये लगता है कि...मेरे देश में शांति और सदभाव है। देश धीरे-धीरे विकास भी कर रहा है, सभी कुछ सामान्य सा ही है… फिर जब में प्राइवेट न्यूज़ चैनल देखता हूँ तो मुझे पता लगता है कि पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे चल रहे हैं, हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को मार-काट रहे हैं, दलितों पर भारी अत्याचार हो रहा है, करीब-करीब सारे दलितों की हत्या हो चुकी है और सवर्ण-वर्ग दलितों के घरों को लूट रहे हैं, हिन्दुस्तान में गृह-युद्ध शुरू हो रहा है। इससे घबराकर जब मैं बचने के लिये घर से बाहर निकलता हूँ तो पाता हूँ कि बाज़ार में तो सब कुछ सामान्य सी हलचल है।
कहीं मुस्लिम वर्ग RSS के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर रहा है तो कहीं गणपति के पंडाल में नमाज़ पढ़ी जा रही है… कहीं मंदिर के अंदर मुस्लिम महिला की डिलीवरी हिन्दू महिलायें करवा रही है।
पता लगा कि सारी साम्प्रदायिकता और अशांति न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में और न्यूज़ एंकर के दिमाग में ही थी, जो कि ब्रीफ़केस में भरे हुये कागज़ की शक्ल में स्टूडियो में पहुँचाई जा रही थी।"
इसके बाद कहते हैं कि ये लड़ाई-झगडे सब मीडिया के द्वारा फैलाये गये वहम है... ऐसे हिन्दुओं को देखता हूँ तो खून खौलता है… तो क्या कश्मीरी पंडित मुसलमानों के पुष्पवर्षा से भाग गये..? जितने दंगे मुहर्रम में या आज तक हज़ारों दंगे हुये हैं वो सब दंगे नहीं बल्कि मुसलमानों की तरफ से हिन्दुओं पर किये गये पुष्पवर्षा थे..? अगर मानलें कि मीडिया ने करवाया है तो बाबर ने राममंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद मीडिया के उकसावे में किया है..? औरंगजेब, बाबर, खिलजी, अकबर, टीपू आदि सब AAJTAK, NDTV और ABP देखने के बाद बहक गये और लाखों करोड़ों हिन्दुओं को काट दिया..? जजिया कर लगा दिया..? उस दिन जो ओवैसी ने कहा था..? वो मीडिया की उपज थी..? हज़ारों मंदिर तोड़े गये पर ये लिख रहे हैं कि मुस्लिम तो पूजा कर रहे हैं गणेश भगवान की..? इनके हिसाब से कहीं कुछ नहीं हुआ..? कल भी जितने दंगे हुये तो इनके हिसाब से वो सामान्य हलचल है..? आजकल कश्मीर में जो कुछ हो रहा है वो सब तो बस टीवी स्टूडियो में हो रहे हैं..? इनको सारे दंगे टीवी में ही चलते दिखते हैं... बाहर नहीं..? क्यूँ ..? क्योंकि दंगों की आँच इनके घरों के आसपास अभी तक नहीं पहुँचा है तो.. इनको लगता है कि सबकुछ ठीक है.. सब कुछ सामान्य है… जैसे सावन के अंधे को चारों तरफ हरा ही हरा दिखाई देता है..?
जब तक ऐसे दिमाग से पैदल टाइप हिन्दू रहेंगे... तब तक भगवान भला करे.. हिन्दुओं का.... खुद तो मूर्ख है ही.... दूसरों को भी असावधान करते हैं.. बेवकूफ बनाते हैं...?
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