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रविवार, 22 फ़रवरी 2015

आधुनिक दोहा - 1

फैला है पाखंड का, अंधकार सब ओर।
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर।।

आधुनिक दोहा-2

पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग।
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे प्यासे लोग।।


आधुनिक दोहा-3

बचे कहाँ अब शेष हैं, दया-धरम-ईमान।
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान।।


आधुनिक दोहा-4

मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश।
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश।।

आधुनिक दोहा-5

भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास।
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास।।

आधुनिक दोहा-6

पानी आँखों का मरा, मरी शर्म और लाज।
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज।।


आधुनिक दोहा-7

नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात।
बेटा कहता बाप से, तेरी क्‍या औकात।।




भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!