उठ-बइठ करना : (i) आना-जाना करना। (यथावत)
अब उँकर दूनों भाई के सुंता हो गेहे। एक-दूसर के घर उठ-बइठ करथें।
(ii) हल-चल करना। (चलना-टहलना)
बलीराम ला खटिया पच त पंदरही होगे रिहिसे। काली ले बने उठ-बइठ करत हे।
(iii) नंगत लगधीर होना। (बहुत घनिष्ठता होना)
गुरूजी हा गुरूच जी घर उठ-बइठ करही। आन घर जाके का करही बपरा हा।
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