आगी बरना/लगना : (i) गुँस्सा आना। (गुस्सा आना)
अनियाँय के देखत ईमानदार मनखे के मन मा आगी बरबे करथे।
(ii) अबबड़ मँहगा होना। (अधिक मँहगा होना)
एसो तो साग-पान हा आगी बर गेहे, काला बिसाबे तइसे लागथे।
(iii) झगरा-झंझट होना। (झगड़ा-झंझट होना)
छोटकी बहू हा घर मा अभी पाँव रखे हे अउ भाई-भाई के तु-तु में-में के सेती घर मा आगी बरगे।
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