रविवार, 24 अगस्त 2014

खँड़री ओदारना

खँड़री ओदारना : मनमाने ठठाना। (खूब पीटना)

बिन मतलब के झन रेंधियाए रा। तोर ददा आही ते तोर खंड़री ओदार डारही।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!