मंगलवार, 16 सितंबर 2014

गिरत-हपटत

गिरत-हपटतः (i) बड़ मसकुल ले। (बड़ी कठिनाई से )

में तो तुँहर मन के मयाँ खातिर सियाना उम्मर मा घलो गिरत-हपटत आ जथों बेटा, तुमन तो अतको सुध नइ लेवौ।

(ii) जल्दबाजी मा। (जल्दबाजी में )

अत्तिक का लउहा रिहिसे तेमा गिरत-हपटत आवत हस भोलाराम, थीर-थार ले आए रतेस।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!