सोमवार, 30 नवंबर 2015
रविवार, 29 नवंबर 2015
रविवार, 22 नवंबर 2015
सेहत का बादशाह खजूर
एनर्जी- खजूर एनर्जी के बड़ा स्त्रोत है। इसमें प्राकृतिक शुगर जैसे ग्लोकोज, सुक्रोज और फ्रुक्टोज पाई जाती है। ज्यादा एनर्जी के लिए खजूर को दूध के साथ लें। इससे यह एक अच्छा पोषक स्नेक्स बन जाता है।
कब्ज- अगर आप कब्ज से परेशान हैं तो खजूर इसमें बहुत फायदेमंद है। कब्ज दूर करने के लिए रात को खजूर भिगोकर रखें और सुबह खा लें। जिस पानी में आपने खजूर भिगोये थे। वह भी लाभदायक है।
बालों का झड़ना रोके- खजूर बालों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। रोजाना 2-3 खजूर खाने से बाल मजबूत और हेल्दी बनते हैं। खजूर का तेल भी बालों को झड़ने से बचाता है।एनिमिया- खजूर में भारी मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो एनिमिया के इलाज में बहुत फायदेमंद है। इसे ज्यादा मात्रा में भी खाया जा सकता है क्योंकि यह शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं डालता।
एंटीएजिंग- खजूर में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो एजिंग प्रोसेस को धीमा करता है और आपकी स्किन को जवाँ बनाता है और झुर्रियाँ मिटाता है। खजूर स्किन की समस्याओं को दूर करता है।
कैंसर- खजूर का बॉडी पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और यह पूरी तरह से प्राकृतिक है। खजूर पेट के कैंसर की जोखिम को कम करता है। साथ ही खजूर से आँखों की रोशनी तेज होती है और रात के वक्त होने वाले अंधेपन से भी बचाता है।
लो फैट- खजूर कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं मोटापा नहीं बढ़ता है। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स पाये जाते हैं। साथ ही यह पाचन तंत्र को भी दुरूस्त रखता है। इसमें बहुत कम कैलोरी पाई जाती है।
त्वचा संबधी समस्या- 2-3 खजूर खाने से स्किन समस्या में फायदा होता है।
गुड़ एक ऐसा शानदार मेवा
सर्दियों में खाये जाने वाले पौष्टिक पदार्थों में गुड़ एक ऐसा शानदार मेवा है जिससे ना केवल आपकी सेहत में चार चाँद लग जाते हैं बल्कि आपके बाल, हड्डियाँ और सम्पूर्ण सेहत सुधर जाती है। गुड़ आपकी मीठा खाने की चाहत तो पूरी करता ही है, साथ ही आपकी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
झुर्रियाँ और पिंपल्स- गुड़ में भरपुर विटामिन और मिनरल्स पाये जाते हैं, जो स्किन को पोषित करते हैं। गुड़ से स्किन सॉफ्ट, हेल्दी, हाइड्रेट और ग्लोइंग बनती है। इससे चेहरे पर झुर्रियाँ भी नहीं पड़ती और यह पिंपल्स होने से भी रोकता है।
कम करें वजन- मीठा खाने से कैलोरी बढ़ती है जिससे वजन ज्यादा होने लगता है, लेकिन गुड़ में पाये जाने वाले मिनरल्स विशेषत पोटेशियम वजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। साथ ही यह मेटाबोलिज्म भी बढ़ाता है।
कब्ज- गुड़ पाचन का एक बहुत अच्छा साधन है। इससे पाचन तंत्रा दुरूस्त बना रहता है और कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याएं नहीं होती है। खाने के बाद गुड़ खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद रहता है।
घने बाल- गुड़ आयरन का एक अच्छा स्त्रोत है। इसे विटामिन सी से भरपुर चीजों जैसे नींबू, आँवला आदि के साथ खाने से बाल लंबे, घने, काले और हेल्दी बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि महिने में दो बार शैंपू से पहले गुड़, मुल्तानी मिट्टी और दही का मिश्रण बालों में लगाने से बाल प्राकृतिक रूप से खूबसूरत और लंबे होते हैं।
लिवर की सफाई- गुड़ का एक छोटा सा टुकड़ा आपके शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर कर देता है। अगर कोई एल्कोहल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करता है तो लिवर की सफाई के लिए गुड़ बेस्ट है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि गुड़ खाकर आप ज्यादा एल्कोहल पी सकते हैं। एल्कोहल शरीर के लिए हानिकारक होता है।
जोड़ों के दर्द में सहायक- गुड़ में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। गुड़ के सेवन से हड्डियों से जुड़ी समस्याओं और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है। रोज अदरक के एक टुकड़े के साथ गुड़ खाने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है और ज्वॉइंट्स मजबूत बनते हैं।
अस्थमा में सहायक- गुड़ में एंटीऑक्सीडेंट्स पाये जाने से यह गले और फेफड़ों के इंफेक्शन से बचाव करता है। साथ ही अस्थमा मरीज को साँस लेने में होने वाली दिक्कत को भी दूर करता है।
इम्यूनिटी- गुड़ में एंटिऑक्सीडेंट्स, जिंक, सेलेनियम पाया जाता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, जिससे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है इसलिए रोज एक छोटा सा गुड़ का टुकड़ा खाना चाहिये।
खून की सफाई- अगर रोजाना गुड़ खाया जाय तो यह खून को प्योरिफाई करता है। इससे खून साफ रहता है। गुड़ खाने से ब्लड हीमोग्लोबिन बढ़ता है और खून संबंधी कई बीमारियों की जोखिम कम होती है।
मनखे बर बरदान... तुलसी के बिरवा
संगवारी हो हमर संस्किरिति अऊ परमपरा म रूख.राई के बड़ महातम बताय गे हे। वो रूख-राई म तुलसी के बिरवा हे जेकर नाव घलो ल बड़ पबरित के साथ लेय जाथे। जम्मो बिरवा म तुलसी के बिरवा ल परमुख बताय गे हे। हमर घर म माइलोगन मन तुलसी के बिरवा के पूजा-पाठ कई जुग ले करत आवत हे। तुलसी के बिरवा हिन्दुमन के अलावा बौद्ध, जैन अऊ सिख धरम म समान रूप ले सनमानित हे। पराचीन संत के संगे-संग पुरान अऊ नीति सास्त्र के लोककथा मन म तुलसी के बरनन घातेच मिलथे। ग्रीस के चर्च म तुलसी
के पूजा आज भी होथे अऊ सेंत बिजली जयंती के दिन तुलसी के परसाद ल माइलोगन घर-घर म बगराथे। पुरान के कथा अनसार सागर मंथन म चउदा रतन निकलिस जेमा एक तुलसी घलो रिहिस तुलसी म लवछमी के निवास होथे एकरे सेति पंचामरित य तुलसी के दल डाले जथे। माने जथे के भगवान बिन तुलसी के कोनो परसाद ल गरहन नई करय। तुलसी के महिमा के बखान करत गाँव के माइलोगन गीत गाथे के-
के पूजा आज भी होथे अऊ सेंत बिजली जयंती के दिन तुलसी के परसाद ल माइलोगन घर-घर म बगराथे। पुरान के कथा अनसार सागर मंथन म चउदा रतन निकलिस जेमा एक तुलसी घलो रिहिस तुलसी म लवछमी के निवास होथे एकरे सेति पंचामरित य तुलसी के दल डाले जथे। माने जथे के भगवान बिन तुलसी के कोनो परसाद ल गरहन नई करय। तुलसी के महिमा के बखान करत गाँव के माइलोगन गीत गाथे के-
‘‘पानमंजरी काढा बनाबो जरी पेंड़ कंठी माला।
तोर महिमा ल गाबो जय हो उसी माता।।’’
पदमपुरान के अनुसार जे घर म तुलसी के बिरवा हाबे उहाँ तिरदेव बरमहा, बिस्नु अऊ महेस के बास होथे। तुलसी के जरी म जम्मो तीरथ, बीच म जम्मो देवता अऊ उपर के डारा म जम्मो बेद के निवास माने गे हे। संस्किरित म तुलसी ल ‘‘हरिपिरया’’ केहे गेहे। पुरान के कथा के अनुसार राजा भिरगु ले नारद केहे रिहिस के तुलसी के बिरवा के पुजा करे ले ओतके कन फल मिलथे जतका गंगा नहाय म। मरनी के बेरा म जेन मनखे ह तुलसी के बिरवा तीर अपन परान तियागही ओला जमराज ह नई देख पाय चाहे मनखे कतको पापी राहय। बरम्हवैबर्त पुरान म बताय गेहे -
‘‘त्रिलोकेषु च गुल्घाणं वृक्षाणां देवं पुजने।
प्रधान रूपा तुलसी भविष्यति वरानने।।’’
संगवारी हो एखर मतलब हे के तीनो लोक म जतका बिरवा हे ओ जम्मो म तुलसी सरेस्ठ हे। पुरान म तुलसी ल भगवान किरिस्न धरमपत्नि केहे गे हे एकरे सेती हर जग, हवन, उपासना अऊ पुजा-पाठ म तुलसी जरूरी हे। तुलसी के बिरवा अँगना के न सिरफ सोभा बढाथे बल्कि घर के मनखे मन ल सुद्ध हवा घलो देथे। तुलसी, पीपर, बर अऊ लीम ए चारो रूख ह रतिहा म घलो आकसिजन देथे बाकी जम्मो रूख-राई मन रतिहा कारबन डाइ आकसाइड छोंरथे। एकरे सेती ए चारो रूख धारमिक महत्व के संगे-संग अधयातमिक महत्व घलो राखथे। नारद पुरान म केहे गेहे के हुलसी के बिरवा ल पानी अरपित करइया, तुलसी के जरी करा के माटी के टिका लगइया, तुलसी के चारोखुँट काँटा के घेरा करइया अऊ तुलसी के पत्ता ले भगवान बिस्नु के पुजा करइया ल जनम-मरन के चक्कर ले मुक्ति मिल जथे। बाहनमन ल तुलसीदल अरपित करे ले तीन पीढ़ी तक ले बरम्हलोक म जघा मिलथे। तुलसी के अतेक महातम के एला जुठा हाथ म छूए तक नई जाय। परसाद के साथ तुलसीदल के परयोेग सुभ फलदाईं माने जथे। जऊन घर म तुलसी के बिरवा रइथे। वो घर म सुख, समरिद्धि, सांति अऊ संपननता रइथे। घर के वास्तु दोस ह घलो तुलसी के बिरवा लगाय ले सिरा जथे। तुलसी के पत्ती म कईठन गुन समाय रहिथे। मलेरिया के हवा ल सिरवाय बर तुलसी के पत्ती रामबान आवय।
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दिनेश रोहित चतुर्वेदी
खोखरा, जांजगीर
रविवार, 15 नवंबर 2015
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भारतीय गणना
आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!
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भारत की आजादी के आंदोलन में सक्रिय योगदान देकर एवं तत्कालीन भारत में चल रहे राजनैतिक-सामाजिक परिवर्तन तथा आर्थिक मुक्ति आंदोलन में हिस्सा ले...