Nvabihan
बुधवार, 7 दिसंबर 2016
रविवार, 6 नवंबर 2016
जंगली प्याज़ : कमर और घुटनों के दर्द के लिये रामबाण इलाज
एक ज़माना था जब अपने आपको नपुंसक अनुभव करने वालो को जमकर लूटा जाता था हर जगह। “नाकाम मर्द निराश ना हों” के विज्ञापन देखने को मिल जाते थे ट्रेन में सफ़र करते हुये शहर आने से पहले ना जाने कितने हकीम, वैद्य और डॉक्टरों के विज्ञापन नपुंसक लोगों को महामर्द बनाने का दावा करते हुये दिखाई दे जाते थे। समय बदला अब लोगों से टी.वी. के विज्ञापनों के द्वारा उगाही शुरू हो गई। इस समय अधिकाँश शातिर लोगों के निशाने पर गंजेपन, घुटने और कमर दर्द से पीड़ित लोग आ गये हैं। इसमें मुझे गंजे लोगों को लूटने वालों पर बहुत गुस्सा आता है क्योंकि एक गंजा इंसान बहुत निरीह और मासूम होता है। उसकी बेचारगी की इन्तेहा देखिये कई बार ठगे जाने के बाद भी वह गंजापन दूर करने वाले नये दावेदार के झाँसे में आ ही जाता है।
बहरहाल आज लेख लिखने का मेरा उद्देश्य घुटने और कमर दर्द से पीड़ित लोगों को व्यर्थ के खर्चे से बचाना है। इन दिनों अन्नू कपूर अस्थिजीवक नाम की दवा का भेराभूत विज्ञापन कर रहे हैं। जब भी टी.वी. खोलो ये महाशय बड़े अपनेपन के साथ पूरे देश के घुटने और कमर दर्द से पीड़ित लोगों कों दर्द से राहत दिलाने के दावे करते नज़र आ जाते हैं।
निश्चित रूप से आयुर्वेद में कई औषधियाँ बेमिसाल हैं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि लोगों की जेब तराशी की जाये। जो लोग ढाई हज़ार की अस्थिजीवक दवा मंगा चुके हैं उन्हें कितना लाभ हुआ होगा यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन मैं आपको एक रामबाण दर्द निवारक दवा के बारे में बताता हूँ।
प्याज जैसी दिखने वाली यह “जंगली प्याज” (indian squill) इन दिनों जंगलों में भरपूर मात्रा में ऊग रही है जहाँ हम लोगों ने वृक्षारोपण किया हुआ है वहाँ यह प्रचुर मात्रा में ऊग रही है। आपको सिर्फ इतना करना है कि इसे प्याज की तरह क़तर कर शुद्ध सरसों के तेल में तब तक तलना (फ्राय करना ) है जब तक वो काली ना पड़ जाय। (दौ सौ ग्राम तेल में जंगली प्याज की दो गाँठें)।
फिर उस तेल को कपड़े से छानकर एक बोतल में सहेज कर रख लीजिये और रोज दो बार घुटनों की मालिश कीजिये दर्द ऐसे खत्म हो जायेगा जैसे कभी था ही नहीं, यह घुटने के दर्द के लिये रामबाण है और लगभग मुफ्त है। चूँकि हम प्रतिदिन यहाँ पौधों पक्षियों की सेवा करते हैं इसलिये घास के बीच इस कंद को पहचान जाते हैं। एक अनजान व्यक्ति के लिये यह कठिन होगा इसलिये फोटो संलग्न है। घास के बीच में लम्बी पत्तियों वाली वनस्पति जंगली प्याज है।
ध्यान रहे इसे खाने का प्रयास ना करें यह जहरीली होती है।
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– अजित भोंसले
रविवार, 14 अगस्त 2016
मोबाइल फ़ोन इंटरनेट यूजर्स के लिये
यदि आपके मोबाइल फ़ोन का इंटरनेट पैक खत्म हो जाता है और mobile data ऑन है तो कंपनी द्वारा पैसे main balance से काट लिये जाते हैं। किसी-किसी का तो पूरा balance ही खत्म हो जाता है यदि धोखे से रात भर डाटा ऑन रह गया हो।
उपरोक्त समस्यायों को देखते हुये ट्राई ने सभी मोबाइल ऑपरेटर्स को सख्त आदेश दिया है कि -
मैसेज बॉक्स में जाकर STOP लिखे और 1925 में भेज दे मेन बैलेंस से राशि कभी नहीं काटी जायेगी, सिर्फ नेट पैक रहेगा या जब नेट पैक करवायेंगे तभी इन्टरनेट काम करेगा। हाँ , यदि आपको कभी कोई इमरजेंसी में नेट यूज़ करना हो और नेट पैक नहीं है अथवा खत्म हो गया हो तो START लिखकर 1925 पर भेजें तो ही main balance से राशि काटी जायेगी। इस जानकारी को अक्सर मोबाइल ऑपरेटर कंपनी ग्राहक से छिपाते हैं यदि आप जान गये या पहले से जानते हैं फिर भी शेयर करें...
उपरोक्त समस्यायों को देखते हुये ट्राई ने सभी मोबाइल ऑपरेटर्स को सख्त आदेश दिया है कि -
मैसेज बॉक्स में जाकर STOP लिखे और 1925 में भेज दे मेन बैलेंस से राशि कभी नहीं काटी जायेगी, सिर्फ नेट पैक रहेगा या जब नेट पैक करवायेंगे तभी इन्टरनेट काम करेगा। हाँ , यदि आपको कभी कोई इमरजेंसी में नेट यूज़ करना हो और नेट पैक नहीं है अथवा खत्म हो गया हो तो START लिखकर 1925 पर भेजें तो ही main balance से राशि काटी जायेगी। इस जानकारी को अक्सर मोबाइल ऑपरेटर कंपनी ग्राहक से छिपाते हैं यदि आप जान गये या पहले से जानते हैं फिर भी शेयर करें...
एक जरुरी हक़ जिसके बारे में आपको शायद पता ही नहीं
आपके एटीएम पर भी है दुर्घटना बीमा
क्या आप जानते हैं कि शहर से लेकर गाँवों तक बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो एटीएम का इस्तेमाल ना करते हों, लेकिन बड़ी संख्या में लोग एटीएम के दुर्घटना स्कीम के बारे में नहीं जानते। आजकल ज्यादातर लोग एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन एटीएम का एक और फायदा है जो आपको पता ही नहीं है और वो जानकारी आपके बेहद काम की है।
यदि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी बैंक का एटीएम आपके पास है तो आपका उस बैंक में अपने आप ही दुर्घटना बीमा हो गया है। ये बीमा 25,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का होता है। इस योजना को शुरु हुये कई साल हो गये हैं, लेकिन 90-95 फीसदी लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं है क्योंकि बैंक कभी खुद ये जानकारी ग्राहकों को नहीं देते।
दुर्घटना बीमा की ये प्रक्रिया क्या है और मुआवजा कैसे मिलता है वो जान लीजिये..?
स्कीम के मुताबिक अगर किसी एटीएम धारक की दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके परिवार के सदस्य को 2 महीने से लेकर 5 महीने के भीतर बैंक की उस ब्रांच में जाना होगा जहाँ उस शख्स का खाता था और वहाँ पर मुआवजे को लेकर एक एप्लीकेशन देनी होगी। अगर आपके पास किसी एक बैंक में एक ही अकाउंट हो या फिर उस बैंक की दूसरी ब्राँच में भी अकाउंट हो तो भी मुआवजा आपको किसी एक एटीएम पर ही मिलेगा जिससे पैसे का लेन-देन किया जा रहा हो। मुआवजा देने के पहले बैंक ये देखेंगे कि मौत से पहले पिछले 45 दिन के भीतर उस एटीएम से किसी तरह का वित्तीय लेन-देन हुआ था या नहीं।
बैंक में अकाउंट खुलने के बाद जैसे ही एटीएम आपको मिलता है बीमा पॉलिसी लागू हो जाती है। बैंक की तरफ से बीमा करवाया जाता है जिससे एटीएम धारक की मौत होने के बाद परिवार को मदद मिल सके।
इस स्कीम के मुताबिक आंशिक विकलाँगता से लेकर मृत्यु होने तक अलग अलग तरह के मुआवजे का प्रावधान दिया गया है। इसके लिये एटीएम धारक को कोई पैसा भी जमा नहीं करना होता, यदि आपके पास एटीएम है तो उस बैंक में ऑटोमैटिक दुर्घटना बीमा का फायदा आपको मिल सकता है। नियम ये है कि अगर एटीएम धारक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके घरवालों को उस बैंक से मुआवजा मिलेगा। ये योजना बैंक के ग्राहकों के लिये ही होती है लेकिन बैंक कभी भी इस बात की जानकारी ग्राहक को नहीं देते।
जानें किस स्थिति में कितना मिल सकता है मुआवजा
अगर आपके पास साधारण एटीएम है तो 1 लाख रुपये तक का मुआवजा परिवार वालों को मिलेगा और अगर कार्ड मास्टरकार्ड है तो ये मुआवजा 2 लाख रुपये तक हो सकता है। आंशिक विकलाँगता की सूची में अगर एक हाथ या एक पैर खराब होता है तो बैंक से 50,000 रुपये का मुआवजा मिल सकता है। वहीं दोनों हाथ या दोनों पैर खराब होने की सूरत में भी 1 लाख रुपये का मुआवजा एटीएम धारक को मिल सकता है।
क्या आप जानते हैं कि शहर से लेकर गाँवों तक बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो एटीएम का इस्तेमाल ना करते हों, लेकिन बड़ी संख्या में लोग एटीएम के दुर्घटना स्कीम के बारे में नहीं जानते। आजकल ज्यादातर लोग एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन एटीएम का एक और फायदा है जो आपको पता ही नहीं है और वो जानकारी आपके बेहद काम की है।
यदि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी बैंक का एटीएम आपके पास है तो आपका उस बैंक में अपने आप ही दुर्घटना बीमा हो गया है। ये बीमा 25,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का होता है। इस योजना को शुरु हुये कई साल हो गये हैं, लेकिन 90-95 फीसदी लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं है क्योंकि बैंक कभी खुद ये जानकारी ग्राहकों को नहीं देते।
दुर्घटना बीमा की ये प्रक्रिया क्या है और मुआवजा कैसे मिलता है वो जान लीजिये..?
स्कीम के मुताबिक अगर किसी एटीएम धारक की दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके परिवार के सदस्य को 2 महीने से लेकर 5 महीने के भीतर बैंक की उस ब्रांच में जाना होगा जहाँ उस शख्स का खाता था और वहाँ पर मुआवजे को लेकर एक एप्लीकेशन देनी होगी। अगर आपके पास किसी एक बैंक में एक ही अकाउंट हो या फिर उस बैंक की दूसरी ब्राँच में भी अकाउंट हो तो भी मुआवजा आपको किसी एक एटीएम पर ही मिलेगा जिससे पैसे का लेन-देन किया जा रहा हो। मुआवजा देने के पहले बैंक ये देखेंगे कि मौत से पहले पिछले 45 दिन के भीतर उस एटीएम से किसी तरह का वित्तीय लेन-देन हुआ था या नहीं।
बैंक में अकाउंट खुलने के बाद जैसे ही एटीएम आपको मिलता है बीमा पॉलिसी लागू हो जाती है। बैंक की तरफ से बीमा करवाया जाता है जिससे एटीएम धारक की मौत होने के बाद परिवार को मदद मिल सके।
इस स्कीम के मुताबिक आंशिक विकलाँगता से लेकर मृत्यु होने तक अलग अलग तरह के मुआवजे का प्रावधान दिया गया है। इसके लिये एटीएम धारक को कोई पैसा भी जमा नहीं करना होता, यदि आपके पास एटीएम है तो उस बैंक में ऑटोमैटिक दुर्घटना बीमा का फायदा आपको मिल सकता है। नियम ये है कि अगर एटीएम धारक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसके घरवालों को उस बैंक से मुआवजा मिलेगा। ये योजना बैंक के ग्राहकों के लिये ही होती है लेकिन बैंक कभी भी इस बात की जानकारी ग्राहक को नहीं देते।
जानें किस स्थिति में कितना मिल सकता है मुआवजा
अगर आपके पास साधारण एटीएम है तो 1 लाख रुपये तक का मुआवजा परिवार वालों को मिलेगा और अगर कार्ड मास्टरकार्ड है तो ये मुआवजा 2 लाख रुपये तक हो सकता है। आंशिक विकलाँगता की सूची में अगर एक हाथ या एक पैर खराब होता है तो बैंक से 50,000 रुपये का मुआवजा मिल सकता है। वहीं दोनों हाथ या दोनों पैर खराब होने की सूरत में भी 1 लाख रुपये का मुआवजा एटीएम धारक को मिल सकता है।
अलग-एलग एटीएम टाइप पर अलग-अलग बीमा राशि
मास्टर कार्ड धारक को 50 हजार रुपये का बीमा और क्लासिक एटीएम पर 1 लाख रुपये तक का बीमा होता है। सभी वीजा कार्ड पर 2 लाख रुपये का बीमा और मास्टर मित्र कार्ड पर 25 हजार रुपये का बीमा होता है। वहीं प्लैटिनम कार्ड पर 2 लाख रुपये और मास्टर प्लैटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपये तक का बीमा आपको बैंक से मिल सकता है।
मतलब ये कि अगर आपके पास प्लेटिनम कार्ड है जो आपके कार्ड पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा का प्रावधान है। अगर आपके पास क्लासिक कार्ड या फिर किसान डेबिट कार्ड है तो उस पर 50 हजार रुपये की राशि तय की गई है पीएनबी मित्र एटीएम कार्ड पर 25 हजार रुपये का दुर्घटना बीमा होता है। जबकि मास्टर रक्षक प्लेटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपये का बीमा राशि तय की गई है।
जानें अपने हक को
आपके लिये सलाह यही है कि बैंक में अपने एटीएम के बारे में पूछताछ करें और इस बात की जानकारी माँगें कि आपके एटीएम कार्ड पर आपको कितना बीमा मिला है। बैंक अगर इंकार करे तो उसे बतायें कि आपको सरकार द्वारा इस योजना की पूरी जानकारी है। अगर दुर्घटना या एटीएम धारक की मृत्यु हो जाती है तो कार्ड टाइप के अनुसार मिलने वाली बीमा राशि की माँग करें और अगर बैंक इंकार करता है तो कंज्यूमर फोरम में जाकर अपना हक ले सकते हैं।
शुक्रवार, 22 जुलाई 2016
मंगलवार, 19 जुलाई 2016
अलसी से पाइये सम्पूर्ण पोषण
क्या आप अलसी के बारे में नहीं जानते तो जान लीजिये, क्योंकि ये गुणों की खान है। अलसी (Alsi or Flax Seeds) तिल के बीज से थोड़े बड़े आकार में होती है। खाने में इसका प्रयोग बेक की जाने वाली रेसिपी पर छिड़क कर या इसे पीस कर लड्डूओं या कुकीज़, केक आदि में प्रयोग किया जाता है। यदि आप बिना अंडे के केक आदि बनाना चाहते हैं तो अंडे के विकल्प के रूप में भी अलसी के पिसे हुए चूरे को या अलसी के बीज को भिगो कर पीसकर प्रयोग कर सकते हैं।
इसमें प्रोटीन, फाइबर, लिग्नन, ओमेगा-3 फेटी एसिड, विटामिन-बी ग्रुप, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, सेलेनियम आदि तत्व होते हैं। अश्वगंधा व हरी सब्जियों में पाया जाने वाला विटामिन नियासीन भी अलसी में प्रचुरता से होता है।
अलसी रक्तचाप को संतुलित रखती है, कॉलेस्ट्रॉल (LDL-Cholesterol) की मात्रा को कम करती है, दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है, हृदयघात व स्ट्रोक जैसी बीमारियों से बचाव करती है, हृदय की गति को नियंत्रित रखती है और वेन्ट्रीकुलर एरिदमिया से होने वाली मृत्युदर को बहुत कम करती है। यह कब्ज और बबासीर के लिये बहुत कारगर है।
अलसी के एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं जिससे त्वचा आकर्षक, कोमल, नम व बेदाग रहती है। यह स्वस्थ त्वचा जड़ों को भरपूर पोषण दे कर बालों को भी स्वस्थ, चमकदार व मजबूत बनाती है।
अलसी के बीज के चमत्कारों का हाल ही में खुलासा हुआ है कि इनमें 27 प्रकार के कैंसररोधी तत्व खोजे जा चुके हैं। अलसी में पाये जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है। दूसरा महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि अलसी के बीज सेवन से महिलाओं में सेक्स करने की इच्छा तीव्रतर होती है।
कैसे खायें अलसी के बीज
अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून ले्ं। फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख ले्ं। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ ले्ं। इसे सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है।
इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिये, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिये थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखे्ं। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए्। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है।
एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आँच पर पकायें जब तक कि यह पानी आधा न रह जाये। थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शक्कर मिलाकर सेवन करे्ं। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा आदि के उपचार में उपयोगी है।
अलसी के बीज के चूरे को रोटी, दूध, दाल या सब्जी की ग्रेवी में मिलाकर खाया जा सकता है। प्रति व्यक्ति पाँच ग्राम से दस ग्राम तक अलसी का खाना स्वास्थ्य के लिये गुणकारी रहता है।
अलसी को नमक लगे पानी में भिगो कर फिर सूखाकर सेक लें, फिर इसे खाना खाने के बाद मुखवास के तौर पर भी खाया जा सकता है।
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विशेष : अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एसिड थायरायड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिये।
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गर्मी में आप इसकी मात्रा आधी कर लें।
रविवार, 17 जुलाई 2016
मूर्ख हिन्दुओं की मानसिकता
अगर मूर्ख हिन्दुओं के मानसिकता के बारे में जानना हो तो... सोशियल मीडिया फेसबुक आदि में ये एक पोस्ट है जो खुद हिन्दू ही पोस्ट व शेयर कर रहे हैं... ये है वो पोस्ट की मुख्य बातें-
"जब मैं दूरदर्शन पर न्यूज़ देखता हूँ तो मुझे ये लगता है कि...मेरे देश में शांति और सदभाव है। देश धीरे-धीरे विकास भी कर रहा है, सभी कुछ सामान्य सा ही है… फिर जब में प्राइवेट न्यूज़ चैनल देखता हूँ तो मुझे पता लगता है कि पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे चल रहे हैं, हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को मार-काट रहे हैं, दलितों पर भारी अत्याचार हो रहा है, करीब-करीब सारे दलितों की हत्या हो चुकी है और सवर्ण-वर्ग दलितों के घरों को लूट रहे हैं, हिन्दुस्तान में गृह-युद्ध शुरू हो रहा है। इससे घबराकर जब मैं बचने के लिये घर से बाहर निकलता हूँ तो पाता हूँ कि बाज़ार में तो सब कुछ सामान्य सी हलचल है।
कहीं मुस्लिम वर्ग RSS के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर रहा है तो कहीं गणपति के पंडाल में नमाज़ पढ़ी जा रही है… कहीं मंदिर के अंदर मुस्लिम महिला की डिलीवरी हिन्दू महिलायें करवा रही है।
पता लगा कि सारी साम्प्रदायिकता और अशांति न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में और न्यूज़ एंकर के दिमाग में ही थी, जो कि ब्रीफ़केस में भरे हुये कागज़ की शक्ल में स्टूडियो में पहुँचाई जा रही थी।"
इसके बाद कहते हैं कि ये लड़ाई-झगडे सब मीडिया के द्वारा फैलाये गये वहम है... ऐसे हिन्दुओं को देखता हूँ तो खून खौलता है… तो क्या कश्मीरी पंडित मुसलमानों के पुष्पवर्षा से भाग गये..? जितने दंगे मुहर्रम में या आज तक हज़ारों दंगे हुये हैं वो सब दंगे नहीं बल्कि मुसलमानों की तरफ से हिन्दुओं पर किये गये पुष्पवर्षा थे..? अगर मानलें कि मीडिया ने करवाया है तो बाबर ने राममंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद मीडिया के उकसावे में किया है..? औरंगजेब, बाबर, खिलजी, अकबर, टीपू आदि सब AAJTAK, NDTV और ABP देखने के बाद बहक गये और लाखों करोड़ों हिन्दुओं को काट दिया..? जजिया कर लगा दिया..? उस दिन जो ओवैसी ने कहा था..? वो मीडिया की उपज थी..? हज़ारों मंदिर तोड़े गये पर ये लिख रहे हैं कि मुस्लिम तो पूजा कर रहे हैं गणेश भगवान की..? इनके हिसाब से कहीं कुछ नहीं हुआ..? कल भी जितने दंगे हुये तो इनके हिसाब से वो सामान्य हलचल है..? आजकल कश्मीर में जो कुछ हो रहा है वो सब तो बस टीवी स्टूडियो में हो रहे हैं..? इनको सारे दंगे टीवी में ही चलते दिखते हैं... बाहर नहीं..? क्यूँ ..? क्योंकि दंगों की आँच इनके घरों के आसपास अभी तक नहीं पहुँचा है तो.. इनको लगता है कि सबकुछ ठीक है.. सब कुछ सामान्य है… जैसे सावन के अंधे को चारों तरफ हरा ही हरा दिखाई देता है..?
जब तक ऐसे दिमाग से पैदल टाइप हिन्दू रहेंगे... तब तक भगवान भला करे.. हिन्दुओं का.... खुद तो मूर्ख है ही.... दूसरों को भी असावधान करते हैं.. बेवकूफ बनाते हैं...?
"जब मैं दूरदर्शन पर न्यूज़ देखता हूँ तो मुझे ये लगता है कि...मेरे देश में शांति और सदभाव है। देश धीरे-धीरे विकास भी कर रहा है, सभी कुछ सामान्य सा ही है… फिर जब में प्राइवेट न्यूज़ चैनल देखता हूँ तो मुझे पता लगता है कि पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे चल रहे हैं, हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को मार-काट रहे हैं, दलितों पर भारी अत्याचार हो रहा है, करीब-करीब सारे दलितों की हत्या हो चुकी है और सवर्ण-वर्ग दलितों के घरों को लूट रहे हैं, हिन्दुस्तान में गृह-युद्ध शुरू हो रहा है। इससे घबराकर जब मैं बचने के लिये घर से बाहर निकलता हूँ तो पाता हूँ कि बाज़ार में तो सब कुछ सामान्य सी हलचल है।
कहीं मुस्लिम वर्ग RSS के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर रहा है तो कहीं गणपति के पंडाल में नमाज़ पढ़ी जा रही है… कहीं मंदिर के अंदर मुस्लिम महिला की डिलीवरी हिन्दू महिलायें करवा रही है।
पता लगा कि सारी साम्प्रदायिकता और अशांति न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में और न्यूज़ एंकर के दिमाग में ही थी, जो कि ब्रीफ़केस में भरे हुये कागज़ की शक्ल में स्टूडियो में पहुँचाई जा रही थी।"
इसके बाद कहते हैं कि ये लड़ाई-झगडे सब मीडिया के द्वारा फैलाये गये वहम है... ऐसे हिन्दुओं को देखता हूँ तो खून खौलता है… तो क्या कश्मीरी पंडित मुसलमानों के पुष्पवर्षा से भाग गये..? जितने दंगे मुहर्रम में या आज तक हज़ारों दंगे हुये हैं वो सब दंगे नहीं बल्कि मुसलमानों की तरफ से हिन्दुओं पर किये गये पुष्पवर्षा थे..? अगर मानलें कि मीडिया ने करवाया है तो बाबर ने राममंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद मीडिया के उकसावे में किया है..? औरंगजेब, बाबर, खिलजी, अकबर, टीपू आदि सब AAJTAK, NDTV और ABP देखने के बाद बहक गये और लाखों करोड़ों हिन्दुओं को काट दिया..? जजिया कर लगा दिया..? उस दिन जो ओवैसी ने कहा था..? वो मीडिया की उपज थी..? हज़ारों मंदिर तोड़े गये पर ये लिख रहे हैं कि मुस्लिम तो पूजा कर रहे हैं गणेश भगवान की..? इनके हिसाब से कहीं कुछ नहीं हुआ..? कल भी जितने दंगे हुये तो इनके हिसाब से वो सामान्य हलचल है..? आजकल कश्मीर में जो कुछ हो रहा है वो सब तो बस टीवी स्टूडियो में हो रहे हैं..? इनको सारे दंगे टीवी में ही चलते दिखते हैं... बाहर नहीं..? क्यूँ ..? क्योंकि दंगों की आँच इनके घरों के आसपास अभी तक नहीं पहुँचा है तो.. इनको लगता है कि सबकुछ ठीक है.. सब कुछ सामान्य है… जैसे सावन के अंधे को चारों तरफ हरा ही हरा दिखाई देता है..?
जब तक ऐसे दिमाग से पैदल टाइप हिन्दू रहेंगे... तब तक भगवान भला करे.. हिन्दुओं का.... खुद तो मूर्ख है ही.... दूसरों को भी असावधान करते हैं.. बेवकूफ बनाते हैं...?
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भारतीय गणना
आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!
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