मंगलवार, 14 जून 2011

राम राज आवत हे

राम राज आवत हे
एक दिन सपना में
बापू आइस
मोर संग बने
हंस के गोठियाइस
कथे-
कस बेटा !
आजकल का चलत हे
में केहेंव-
झन पूछ बापू
तोर गोल्लर मन पलत हे
जे हाल में छोंड़ के गे रेहे
तेखर ले बनें हे
पहिली छोहारा अस रिहिन
अब नगाड़ा अस तनें हे
काबर ?
मेहनत करे मुर्गी
अण्डा खाय फकीर
तें का शहीद होय
खुलगे इंकर तकदीर
जीते जीयत
तोला गोली मारत हे
मर गेस त देख
तोर आरती उतारत हे
तोर ढीले गोल्लर मन
भारत में खात हे
स्वीटजरलैंड में पचात हे
तेखरे सेती देश हमर
बारा के भाव में जात हे
इही बात ल आज
बाबा रामदेव उठात हे
त तोर चेला मन
ओखर सम्पत्ति के जॉंच करात हे
अभी साधू-संत के
सम्पत्ति के जॉंच होत हे
काली तोर चेला मन के पारी आही
बने समझा देबे बापू
नहीं ते
बाबा उन ला कपाल भारती कराही
देख बापू सरग ले
भारत ला देख
इहां का होत हे
हरामखोर मन राज करत हे
मेहनत करइया रोत हे
आफिस में जाबे
त बाबू घुमात हे
नानमून काम बर
दस घांव बलात हे
थक हार के कहुं
पचीस पचास देइ देबे
त अपन पीछू टंगाय
तोर फोटू ल देखाथे
अउ तोर छापावाला
हरियर नोट मंगाथे
अभी तोर चेला
अन्ना हजारे
उम्मीद के किरण बनके निकले हे
फेर एक अन्ना से का होही
इहां तो पूरा तंत्र बिगड़े हे
देख बापू !
बने डगडग ले देख
इहां रूपया चांउर
अउ फोकट मा नून बोहावत हे
विदेशी करजा बाढ़त रहय
राम राज तो आवत हे ।

पुष्करसिंह 'राज

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