बढ़िया सरकार
झन का
कमजोरहा के आघु मा
तन के झन का
बेइमान मनखे के
बन के झन का ।
हमर कोन्हों
का बिगाड़ लिही
कुकुर मन ला
मनखे झन का ॥
भरे बोजे ला
नंगरा झन का
लोटा ल जबरन
गगरा झन का ।
स्वारथ अपन
सधाये खातिर
सच के संगी ल
लबरा झन का ॥
लूट-खसूट ल
देनहार झन का
छल-कपट ल
दुलार झन का ॥
दे के बहाना
लुटइया मन ला
अपन बढ़िया
सरकार झन का
पुष्करसिंह 'राज’
मंगलवार, 14 जून 2011
बढ़िया सरकार झन का
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