मंगलवार, 14 जून 2011

अच्छा हुआ बापू


अच्छा हुआ बापू
आपका पुनर्जन्म नहीं हुआ
वरना आपकी आत्मा रोती
आपके अनुयायी रहते टीप-टाप
आपको नहीं मिलती लंगोटी
आपके बताये राह पर
जब कोई नहीं चलता
तो आपको भी
हमारी तरह खलता
जीवन भर
आपके नाम पर माल उड़ाते
आपको दो अक्टूबर को
मुश्किल से दो मिनट दे पाते
तो क्या दो मिनट भी
आपका चैन से कटता
क्या आपका कलेजा भी
हमारी तरह नहीं फटता
आपके तस्वीर के नीचे
लोग बेखौफ रिश्‍वत लेते
और शिष्टाचार की संज्ञा देते
आपके आँखों के सामने
गौ-हत्या,भ्रूण हत्यादहेज
जैसे दानव सिर उठाते
तो भी क्या आप
इसी तरह मुस्कुराते
बापू ! इन्सान-इन्सान के
खून का प्यासा क्यों हैं ?
महापुरूषों का देश होकर भी
यह इतनी हताशा क्यों हैं ?
आप जब भी जनम लेना
मेरे सवालों के जवाब जरूर देना ।

पुष्कर सिंह 'राज

  


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