मंगलवार, 14 जून 2011

रद्दा लठ्ठात रही

हवस एकेच झन
कोनों बात नहीं
चलबे रद्दा मा
सब आत रही ।
कहेच भर मा
का लुवाट होही
करबे घलोक
त कोनो बात रही ॥
झन सोच
अकेल्ला काय उखान लेबो
एकेच सुरूज
दुनिया ल जगमगात रही ।
भीड़ के चक्कर में
कोन ला का मिलगे
भेड़िया धसान
सब जात रही ॥
काकरो अगोरा
ते झन कर राज
चलत जा
रद्दा लठ्ठात रही ॥

पुष्करसिंह 'राज

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