संगोष्ठियों, परिचर्चाओं आदि का आयोजन कर महिलाओं के मुद्दे पर जनजागरण का प्रयास किया गया, जिसके फलस्वरूप महिलाओं के विचारों को सामाजिक मंच मिला। अब ग्रामीण महिलाएँ भी अपने विचार एवं भावनाएँ बिना झिझक के प्रस्तुत करने लगी हैं। जिसके फलस्वरूप सारा राष्ट्र जब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था तब दीदी बैंकों की महिलाओं ने 01 जनवरी 2001 से वर्ष के प्रथम दिन अपने-अपने घरों में दीप जलाकर सामूहिक रूप से विश्वशांति की कामना की जो आज पर्यंत निरंतर जारी है ।
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