आज एक आम आदमी को किसी भी सरकारी दफ्तर में अपना काम कराने के लिये रिश्वत देनी पड़ती है- जैसे राशन कार्ड या पासपोर्ट बनाने में, आयकर रिटर्न या पेंशन लेने में। जन लोकपाल और जन लोकायुक्त आम आदमी को ऐसे रोजमर्रा के भ्रष्टाचार से राहत दिलायेगा।
- सभी सरकारी विभागों को एक नागरिक चार्टर (घोषणा पत्र) तैयार करना होगा, जिसमें यह लिखा होगा कि कौन सा अधिकारी जनता का कौन सा काम कितने दिन में पूरा करेगा। जैसे- कौन सा अफसर राशन कार्ड बनायेगा, कौन सा अफसर पासपोर्ट बनायेगा और इनको बनाने में कितना वक्त लगेगा।
- अगर चार्टर का पालन नहीं किया जाता, तो कोई भी व्यक्ति उसके ख़िलाफ उस विभाग के मुखिया के पास शिकायत कर सकेगा। विभाग का मुखिया जन शिकायत अधिकारी (पीजीओ) के रूप में कार्य करेगा।
- पीजीओ को शिकायत का निपटारा अधिकतम 30 दिनों में करना होगा।
- अगर शिकायतकर्ता पीजीओ के काम से संतुष्ट नहीं होता है, तो वह इसकी शिकायत सीधे सतर्कता अधिकारी यानि विजिलेंस अफसर, से कर सकता है। जन लोकपाल के पास हर जिले में एक सतर्कता अधिकारी और लोकायुक्त के पास हर प्रखंड यानि ब्लॉक में एक सतर्कता अधिकारी होगा।
- ऐसी शिकायतों में यह मान लिया जाएगा कि इनमें रिश्वतखोरी का मामला बनता है।
- सतर्कता अधिकारी को- (i)30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता का काम करवाना होगा। (ii)दोषी अधिकारियों पर जुर्माना लगाना होगा, जो शिकायतकर्ता को मुआवज़े के रूप में मिलेगा।
- दोषी अधिकारी के ख़िलाफ भ्रष्टाचार की कार्यवाही शुरु की जायेगी।
- यदि कोई नागरिक सतर्कता विभाग की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं होता है तो वह जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के मुख्य सतर्कता अधिकारी यानि चीफ विजिलेंस अफसर (सी.वी.ओ.) के पास अपील कर सकेगा।
- किसी विभाग के अधिकारी के खिलाफ लगे आर्थिक या विभागीय दंड के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।
- हमारा मानना है कि जब किसी विभाग के प्रमुख के ऊपर कुछ जुर्माने लगाए जाएंगे, तो वह उचित व्यवस्था लागू करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी शिकायतें न आये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें