आज हर तरफ भारी भ्रष्टाचार है- पंचायत के काम में, सड़क बनाने में, नरेगा, मिड-डे मील, राशन से लेकर खदानों के ठेकों में, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ तक, जहां देखो वहीं भ्रष्टाचार। जन लोकपाल निम्नलिखित प्रावधानों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगा कि हर भ्रष्टाचारी को निश्चित रूप से सज़ा मिले।
जांच की निश्चित समयावधि
भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में जांच का काम एक साल में पूरा करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए की समय अवधि में जांच खतम हो- ज़रूरत पड़ने पर जन लोकपाल या जन लोकायुक्त और अफसरों की भर्ती कर सकेंगे। जांच के बाद निम्न दो कार्रवाई की जाएगी-
- जांच के बाद, यदि पर्याप्त सबूत पाये जाते हैं तो जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के पास भ्रष्ट अफसरों को हटाने या उनके ख़िलाफ़ अन्य किसी विभागीय दण्ड जैसे पदावनति, पदोन्नति पर रोक, लगाने का अधिकार होगा। इन आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।
- जेल भेजने की कार्रवाई- जांच की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर जन लोकपाल या जन लोकायुक्त अदालत में केस दाखिल करेंगे। कोर्ट को एक साल के भीतर सुनवाई पूरी करके सज़ा सुनानी होगी। समय पर ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए जन लोकपाल या जन लोकायुक्त अतिरिक्त कोर्ट स्थापित करने के लिए सरकार को निर्देश दे सकेंगे।
ख. सरकार को हुए नुकसान की वसूली
जांच के दौरान यदि पुख्ता सबूत हों तो जनलोकपाल आरोपी की संपत्ति के हस्तांतरण पर रोक लगा सकता है। यह रोक आरोपी से लाभ पाने वाले लोगों की संपत्तियों पर भी लग सकती है। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट भ्रष्टाचार से सरकार को हुए नुकसान का आंकलन करेगी। इस नुकसान की वसूली इन संपत्तियों द्वारा की जाएगी (मौजूदा कानून में भ्रष्टाचारियों द्वारा ली गई रिश्वत या सरकार को हुए नुकसान की वसूली का कोई प्रावधान नहीं है।
ग. संपत्तियों की कुर्की (ज़ब्त करना)
सभी अफसरों, नेताओं और जजों को हर साल अपने और अपने परिवार के चल एवं अचल संपत्तियों का विवरण जमा करना होगा जिसे सरकारी वेबसाईट पर डाला जायेगा। इसके बाद यदि कोई अघोषित संपत्ति पाई जाती है तो यह मान लिया जायेगा कि इसे भ्रष्टाचार से हासिल किया गया है और इसकी कुर्की की जाएगी। आरोपी के खिलाफ मुकदमें की कार्यवाही शुरू की जाएगी। ऐसे ही, हर चुनाव के बाद भी जन लोकपाल/लोकायुक्त प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा घोषित संपत्तियों की जांच करेगा। यदि कोई अघोषित संपत्ति पाई जाती है तो मामला दर्ज किया जायेगा तथा जांच शुरू की जाएगी।
घ. भ्रष्टाचार के लिए कठोर सज़ा
वर्तमान में, भ्रष्टाचार के लिए कम से कम छ: महीने और अधिक से अधिक सात साल की सज़ा होती है, जो माना जाता है कि बहुत कम है। जन लोकपाल कानून में इसे बढ़ाकर कम से कम एक साल औार अधिकतम आजीवन कारावास करने का प्रस्ताव है।
ड़. अवैध रूप से प्राप्त हुए लाभ को भ्रष्टाचार के माध्यम से अर्जित किया हुआ माना जाएगा
मौजूदा व्यवस्था में, यदि अवैध रूप से सरकार से कोई लाभ प्राप्त करता है तो यह साबित करना बहुत मुश्किल होता है कि उसने इसे रिश्वत देकर प्राप्त किया है। इसलिए, जन लोकपाल बिल यह कहता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी नियम या कायदे-कानून का उल्लंघन करके कोई सरकारी लाभ प्राप्त करेगा है तो उस व्यक्ति के साथ-साथ संबंधित अधिकारी भी भ्रष्टाचार का दोषी मान लिया जाएगा।
च. आदेशों के न मानने पर सज़ा का अधिकार
जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के आदेशों के न मानने पर उसे आर्थिक दंड लगाने का अधिकार होगा और साथ ही दोषी अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही शुरू की जाएगी।
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