जन लोकपाल विधेयक कहता है कि केन्द्रीय स्तर पर जन लोकपाल और हर राज्य स्तर पर जन लोकायुक्त नाम की संस्था बनाई जाएगी। केन्द्र सरकार के विभागों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत जन लोकपाल के पास तथा राज्य सरकार के विभागों से संबंधित भ्रष्टाचार की शिकायतें जन लोकायुक्त के पास की जाएंगी। जन लोकपाल / जन लोकायुक्त में एक अध्यक्ष और दस सदस्य होंगे।
क. जन लोकपाल तथा जन लोकायुक्त की स्वतंत्रता
जन लोकपाल तथा जन लोकायुक्त सरकारी नियंत्रण से पूर्णत: मुक्त होंगे। उनकी स्वतंत्रता निम्न उपायों द्वारा सुनिश्चित की जाएगी :
- प्रशासनिक स्वतंत्रता - ये केंद्रीय निर्वाचन आयोग (CEC) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) एवं सर्वोच्च न्यायलय की तरह स्वतंत्र इकाई होंगे। अत: कोई भी राजनेता या नौकरशाह उनके कार्यों में दखल नहीं दे सकेगा।
- आर्थिक स्वतंत्रता - इनके खर्च भारत या उस राज्य की संकलित निधि से किये जाएंगे इन्हें जितने भी खर्च की ज़रूरत होगी, वो उन्हें उपलब्ध कराये जाएंगे। जन लोकपाल / जन लोकायुक्त ज़रूरत के अनुसार कितने भी कर्मचारियों को नियुक्त कर सकते हैं। यह सरकारी सेवा में लगे हुए कर्मचारियों को या बाहर के किसी भी व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं।
ख. केवल एक भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी
सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा, मुख्य सतर्कता आयोग तथा विभागीय सतर्कता को जन लोकपाल में विलय कर दिया जाएगा। पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा तथा राज्य के सतर्कता विभाग को जन लोकायुक्त में मिला दिया जाएगा। 1986 में जब कर्नाटक में लोकायुक्त बनाया गया था, तब उस समय की सभी भ्रष्टाचार निरोधी और सतर्कता एजेंसियों का लोकायुक्त में विलय कर दिया गया था। वर्तमान में 18 राज्यों में लोकायुक्त की संस्था काम कर रही है। ये केवल सलाह सलाह देती हैं, न तो इनके पास संसाधन है और न ही शक्तियां। जन लोकपाल विधेयक के माध्यम से इनके स्थान पर जन लोकायुक्तों की स्थापना कर दी जाएगी।
ग. केवल सलाहकारी संस्थाएं नहीं !
जन लोकपाल तथा जन लोकायुक्त सलाहकारी संस्थाएं नहीं होगी। इनके पास किसी भी मामले में जांच शुरू करने और मुकदमा चलाने की शक्ति होगी। इसके लिए इन्हें किसी सरकारी एजेंसी से अनुमति नहीं लेनी होगी। जन लोकपाल तथा जन लोकायुक्त को अधिकारियों पर विभागीय दंड लगाने की भी शक्ति होगी।
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