शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

हमर सुनइय्या कोन हे

पी. डबलू. डी. के बोर्ड सनान हे
रोड ल देखबे त गिट्टी खदान हे ।
नाम हाइवे ! काम पयडगरी के करथे
डोकरा-ढाकरा के चलना मना हे
कल के मरइया आजे मरथे ।
छत्तीसग़ड़ के सीमा मा बोर्ड धँसाय हे
जाके पढ़ न यार साफ-साफ लिखाय हे-
सावधान !
आँखी ल उघार के आबे
ये छत्तीसग़ड़ के सड़क ए
येती कहाँ आवत हस
ये डहर तो नरक हे ।
सरकारी इसकुल के मासटर हा
अपन इसकुल के अउकात ला जानथे
तेखरे सेती त अपन लइका ला
सरसती सिसु मंदिर मा लानथे
एक ला मा एक ला मौसी
ये कइसन तरीका हे
साक्छरता चलाना हे
टीका लगाना हे
सब गुरजी के ठेका हे ?
बाँकी करमचारी तनखा सन झटका
गोंहगों ले धुनत हे
गुरजी बिचारा लइका पढ़ाके
छेरी-पठरु गिनत हे ।
लइकाच ला पढ़वाव
नइते छेरी-पठरू गिनवाव
दूनों कराहू त तो
सिक्छा के हाल बेहाल हे
कुछु कही दिही मासटर
त हो जही टरान्सफर
नेतागिरी तो घलो जी के जंजाल हे ।
सिक्छा बिभाग बर सरकार के
रही अइसने चाल हा
सरकारी इसकुल बचे नीहीं
लगीच जही ताला ।
सरकारी असपताल
मजबूरीच मा मरीज जाथे
त मरीच के आथे ।
काबर !
इहाँ बर आय दवई हा तो
मेडकल मा बेंचाथे ।
आरक्छन के डाकटर
काय इलाज करही
गोड़ ल देखाबे त
बाहाँ ल धरही ।
कोनों ल कुछु आते होही
त सरकारी असपताल मा
काबर दिमाग खपाही
अपन घर मा बलाके
पइसा नीं कमाही ।
हर तरफ हे भस्टाचारी
लबरा के राज मा
सच्चई मउन हे
बतावन त बतावन काला
इहाँ हमर सुनइय्या कोन हे ?

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