खलक उजड़ना : (i) भीड़ लग जाना। (यथावत)
मुँड़कट्टा चोर ला पुलिस हा धर के लानिस ते देखइया मन के खलक उजड़गे राहय।
(ii) जम्मो झन के तुरते भगा जाना। (सभी का तत्काल भाग जाना)
हुँड़रा ला देखते साठ छेरी मन खलक उजड़गें। छेके ले नइ छेकइन।
(iii) तुरते खतम हो जाना। (तत्काल समाप्त हो जाना)
बजार पहुँचे नइ पाए रिहिसे, बड़े दाऊ हा रद्दा मा ओकर बोझा उतरइस ते उहिच कना जम्मो जाम हा खलक उजड़गे।
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