रविवार, 2 नवंबर 2014

घर मा चूल्हा नइ बरना

घर मा चूल्हा नइ बरना : जेवन नइ बनना। (रसोई न बनना)

लइका के दुख ओला अइसे जीन डरिस के दू दिन तक ऊँकर घर चूल्हा नइ बरिस।

घर मा आगी लगाना

घर मा आगी लगाना : घर मा झगरा मताना। (घर में झगड़ा खड़ा करना)

खोरकिंजरा-घरफोड़ुक मन घर मा आगी लगाके तमासा देखत हें।

घर भरना

घर भरना : खूब पूँजी-पसरा होना। (खूब धन-दौलत होना)

दूसर के मुहूँ मा पेरा गोंज के अपन घर ला भरही तउन हा कतिक दिन तक च लही।

घर बुड़ना

घर बुड़ना : धन-जोगानी नास होना। (संपत्ति समाप्त होना)

बसंता हा बड़ जन पुलिया बनाए के ठेका का लिस अपन घरे ला बुड़ो डरिस।

घर बिगाड़ना

घर बिगाड़ना : (i) घर मा लड़ई करना नइते कराना। (घर में लड़ाई कराना या करना)

बारा कोस मा नउकरी करना अउ बँटवारा माँगना हा घर बिगाड़े के उदीम ताय।

(ii) काकरो बहू-बेटी ला गलत रद्दा मा ले जाना। (किसी की बहू-बेटी को गलत मार्ग पर ले जाना)

नउकर हा अपन मालकिन ला भगाके ओकर घर बिगाड़ दिस।

घर बसाना

घर बसाना : बिहाव करना। (विवाह करना)

आज काल तो बहुँत लइका मन महँतारी-बाप ला बिन बताए अपन घर बसा डारथें।

घर बसना

घर बसना : बिहाव होना। (विवाह होना)

लोग लइका मन कमावत हें। सबो के घर बसगे, अब मोला कोनो बात के चिंता नइ हे।

घर बनना

घर बनना : सुख-सुविधा के बेवस्था करना। (सुख सुविधाओं की व्यवस्था करना)

रेखलाल तो सरकारी ठेका लेथे, ओकर घर बनगे। अब काबर भाई मन के चिंता करही।

घर बइठे

घर बइठे : बिन भाग-दउँड़ नइते परियास करे। (बिना भाग-दौड़ या प्रयास किये)

जब भगवान के मरजी होथे तब घर बइठे पइसा झरथे नइते खुरचत रा तभो नइ मिले।

घर बइठना

घर बइठना : (i) नउकरी नइते काम धंधा ला छोंड़ के घर मा खाली रहना। (नौकरी या काम धंधे को छोड़कर घर में ही रहना)

दू बच्छर हो गेहे पटवारी हा घर बइठे हे।

(ii) अपन पति ला छोंड़ के मइके मा रहना। (अपने पति को त्याग कर माय के में रहना)

का बात के झगरा ए ते उही मन जाने, दू बच्छर होगे ओकर सुवारी हा घर बइठे।

घर के बात होना

घर के बात होना : आपसी बात होना। (यथावत)

घर के बात आए, सौदा के का गोठ। आज तोला जरुरत हे, काली महूँ ला तो कोनो जिनिस के जरुरत परही।

घर चलना

घर चलना : घर के खर्च निकलना। (घर का खर्च निकलना)

रोजी-मंजूरी मा जेकर घर च लत हे तउन हा कत्तिक दान-धरम कर डारही।

घर के फरिका उघारना

घर के फरिका उघारना : भेद बताना (यथावत)

घरे के आदमी हा घर के फरिका उघारथे, तभे बिरान हा पोल पाथे।

घर के धूरा थामना

घर के धूरा थामना : घर-परिवार ला चलाना। (गृहस्थी का संचालन करना)

वा भगवान..! अब कउन लीला खेले बर बसंता ला अपन कना बला लेस जउन हा घर के धूरा थामे रिहिसे। अब ये घर के का होही।

घर के घर

घर के घरः अपनेच परवार नइते चिन पहिचान मा। (अपने ही परिवार या जान पहचान में )

खेत ला तोर भतीजा लेहूँ काहत तब ओला दे दे सोनसाय, तुँहर पूँजी-पसरा हा घर के घर रही।

घर के धारन होना

घर के धारन होना : परिवार के मुखिया होना। (परिवार का प्रमुख होना)

पइसा के महत्तम जाने बर घर के धारन बन के देख, सब अपने आप समझ आ जही।

घर के आदमी

घर के आदमीः परवार के सदस्य नइते चीन-पहिचान। (परिवार का सदस्य या जान-पहचान)

ते तो घर के आदमी अस। तोर ले पइसा ले के मोला बदनाम होना हे का?

घर उजारना

घर उजारना : परवार ला छिहीं-भिहीं करना। (परिवार को छिन्न-भिन्न करना)

जुआ अउ मंद के निसा मा पर के ओहा अपन घर उजार डरिस।

घर उजरना

घर उजरना : किरवार नास होना। (परिवार नष्ट होना)

रेल दुरघटना मा बिचारा भालसिंग के घर उजरगे, तब ले बइहा-भुतहा कस किंजरत रथे।

शनिवार, 1 नवंबर 2014

घर उचाना

घर उचाना : घर बनाना। (मकान बनाना)

आजकाल नउकरिहा मन के का ठिकाना, जउने डाहन जाथें तउने डाहन घर उचा लेथें।

घड़ी मारना :

घड़ी मारना : बिलम करना। (विलंब करना)

अत्तिक लकर-धकर काबर करत हस, अभी तो सरी दिन परे हे। एक घड़ी मार के जाबे।

घड़ी मार के आना

घड़ी मार के आना : देरी करके आना। (विलंब से आना)

अभी तो लकलक ले घाम हे। घड़ी मारके जाहू, घरेच तो जाना हे।

घंटी हलाना

घंटी हलाना : (i) बेकार बइठना (बेकार बैठना)

नउकरी-चाकरी छुटगे तब का करे; घर मा घंटी हलावत बइठे हे।

(ii) इनकार करना (यथावत)

बलउद जाए बर काली अपने हा जोजियावत रिहिसे। आज चल कथों तब अपने हा घंटी हलावत हे।

घंट नइ समझना

घंट नइ समझना : ऐरा-गैरा समझना। (ऐरे-गैरे समझना)

बड़े-बड़े विचारवान मनखे मन गली-खोर के चिल्लइया ला घंट नइ समझें।'

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!