सोमवार, 4 जुलाई 2011

छत्तिसगढ़ी खेलकूद

ये हमर मन बर गजब गरब के बात आय के हमर पुरखा मन ल जिनगी के सुख अउ आनंदबर कतनो उपाय के गियान रिहिसतबहे तो मानसिक सांति बरगियान भक्तियोगपूजा-पाठउपवास के संगे-संग तंदरुस्ती बर किसम-किसमके खेलकूद के उदिम करे गे रिहिस। फेर हमर पुरखउती खेल हा तइहा के बात बरोबरधीरे-धीरे नंदावत जात हे अउ कतकोन हा नंदा घलो गेहे। पश्‍चिमी सभ्यता के रंग मा रंग के कइ ठन खेल ल अपनाके हमन गजबेच चुक करडारे हन।  वोला बिसार के अपन माटी ले जुड़ के हमर जुन्नाअउ निंनधा खेल मन ल अपनाय के  जरुरत हे ।
खेलमन के नाव -
● खो खो
● कबड्डी
● गिल्ली डंडा
● बिल्लस
● भौंरा
● बांटी
● फोदा
● डंडा पचरंगा
● सूर
● तिरीपासा
● कौड़ी
● पुक
● रेस टीप
● बिरो
● घानीमुंदी
● अटकन-मटकन
● गेड़ी दउड़
● बोरा दउड़
● सगा-पान
● अंधियारी अंजोरी  
● जनउला
● हानाबाना
● कहानी
● कंथली
पारंपरिक-
● लोक साहित्य
● आल्हा
● लोकगीत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!