ये हमर मन बर गजब गरब के बात आय के हमर पुरखा मन ल जिनगी के सुख अउ आनंदबर कतनो उपाय के गियान रिहिस, तबहे तो मानसिक सांति बरगियान भक्ति, योग, पूजा-पाठ, उपवास के संगे-संग तंदरुस्ती बर किसम-किसमके खेलकूद के उदिम करे गे रिहिस। फेर हमर पुरखउती खेल हा तइहा के बात बरोबरधीरे-धीरे नंदावत जात हे अउ कतकोन हा नंदा घलो गेहे। पश्चिमी सभ्यता के रंग मा रंग के कइ ठन खेल ल अपनाके हमन गजबेच चुक करडारे हन। वोला बिसार के अपन माटी ले जुड़ के हमर जुन्नाअउ निंनधा खेल मन ल अपनाय के जरुरत हे ।
खेलमन के नाव -
● खो खो
● कबड्डी
● फुगड़ी
● गिल्ली डंडा
● बिल्लस
● भौंरा
● बांटी
● फोदा
● डंडा पचरंगा
● सूर
● तिरीपासा
● कौड़ी
● पुक
● रेस टीप
● बिरो
● घानीमुंदी
● अटकन-मटकन
● गेड़ी दउड़
● बोरा दउड़
● सगा-पान
● अंधियारी अंजोरी
● जनउला
● हानाबाना
● कहानी
● कंथली
पारंपरिक-
● लोक साहित्य
● आल्हा
● लोकगीत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें