रविवार, 10 जुलाई 2011

बैंक लिंकेज से महिलाएँ सूदखोरों के चुंगुल से मुक्त हुई

समूहों द्वारा जमा राशि का आहरण कर विधिवत राशि की वसूली कर पुन: खाते में जमा किया गया इस प्रकार सेवे लेन-देन की प्रकिया से निपुण हुई । अब उन्हें नाबार्ड बैंक की योजनाओं की जानकारी देते हुए जमा राशि से चार गुणा कर्ज क्रमश: बैंक से दिलवाया गया और समूह सदस्यों से 2% ब्याज दर पर वितरित करने हेतु प्रशिक्षित किया गया और समूहों ने अक्षरस: उसका पालन किया और अलग-अलग समूहों ने जिनकी संख्या 475 है उन्होंने बैंक से 42 लाख 75 हजार रूपये इस वर्ष कर्ज में प्राप्त कर समूह सदस्यों को शादी-ब्याह,पढ़ाई, प्रसव, मकान निर्माण, हेतु वितरीत किये हैं यह क्रम 2003 से सक्रियता पूर्वक से लगातार जारी है । ब्याज से प्राप्त राशि बैंक में भुगतान करने के पश्चात शेष ब्याज राशि समूह सदस्य सालाना आपस में बांटते हैं या फिर समूह के निर्णय अनुसार अन्य गतिविधियों में खर्च करते हैं । अब महिलाएँ सूदखोरों से जमीन-जायजाद, मकान, सोना,चाँदी, सायकल गिरवी रख कर्ज नहीं लेती हैं, बल्कि सूदखोरों के 10% ब्याज दर से मुक्त हो चुकी है अब वे कर्ज सिर्फ बैंक से लेती है और नाबार्ड योजना का भरपूर लाभ उठाकर अपने समूह सदस्यों की मदद करती है ।

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भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!