शमशाद बेगम द्वारा नाबार्ड के साथ मिलकर खेतीहर, भूमिहीन मजदूर महिलाओं को संगठित कर उन्हें खेती किसानी हेतु रेगहा खेती करने के लिए प्रेरित कर 100 समूह बनाकर 1000 महिलाओं को जोड़कर उन्हें बैंक से 50 लाख कर्ज 3 ब्याज दर पर उपलब्ध कराकर कृषि कार्य को प्रोत्साहित करवाया समूहों को बढ़ावा दिया गया, जिसके फलस्वरूप आसपास की मजदूर, खेतीहर महिलाओं ने भी संगठित होना प्रारंभ कर दिया और अब वे मजदूर से मालकिन बन गई है।
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