गुरुवार, 25 अगस्त 2011

इंद्र के पीरा-1


(इंद्रदेव के दरबार लगे हे... नाच-गान चलत हे... इही बीच मा देवरिसी नारद के नरायन-नरायन कहत आगमन होथे।नाच-गान बीचे मा रुक जथे।)
इंद्र- आवौ..! नारद जी महराज..! का हाल-चाल हे?
नारद- हमर किंदरइया-फिरइया के का राजा साहेब..! सब बनेच बने हे... फेर तुमन बतावौ... इंद्रलोक के का हालचाल हे?
इंद्र- हाल तो बनेच बने हे महराज..! अउ चाल तो देखतेच हौ..! देवलोक के जम्मो सुख-सुविधा ला बउरत हन... फेर तुमन ए पइत गजब दिन मा पधारे हावौ..! काँहा बिलम गे रेहेव महराज?
नारद- सिरतोन केहे देवराज..! ए पइत भल्ले दिन होगे... फेर का बतावौं... ए पइत के दौरा मा जइसन-जइसन बात देखेंव... ओला सुरता करथों तेमोर मन गदगदा जाथे।नरायन..! नरायन..! नरायन..!
इंद्र- अइसन का देख परेव महराज तेमा अतिक उदकत हौ..! ए तो बताव... कोन लोक के दौरा मा रेहेव?
नारद- मिरित्युलोक के दौरा मा रेहेंव जी..! अउ उहाँ के चकर-बकर ला देख परेंव ते मोर आँखी चउँधियागे। उहाँ के फेसलेटी..! आ... हा... हा... हा... हा। उहाँ के रहना-बसना..! उहाँ के खाना-पीना..! उहाँ के सान-सउकत...आ... हा... हा... हा...हा..!
इंद्र- कुछु बताहूके अपनेच-अपन गदकत रहू महराज?
नारद- कइसे बतावौं इंद्रदेव जी..! कोन मुड़ा ले सुरु करँव... मोला कुछु समझ नइ आवत हे।वाह रे मिरित्युलोक के फेसलेटी..! नरायन..! नरायन..!
इंद्र- काफेसलेटी-फेसलेटी के रट लगा डारेव महराज? काइंद्रलोक ले घलो बढ़-चढ़ के हावैउहाँ के सुख-सुविधा हा?
नारद- इंद्रलोक..! सरग ले घलो बढ़-चढ़ के हावै भगवान..! तोर इंद्रलोक के फेसलेटी हा तोउहाँ के आधा मा घलो नइ हे।
इंद्र- काबताथौ महराज..! इंद्रलोक के सुख-सुविधा हा जग-जाहिर हे... जिहाँ सुर-सुरा-संघरा मिलथे।का एखरो ले बढ़ गेहेमिरित्युलोक के भोग-बिलास हा?
नारद- हौ देवराज…हौ..!
इंद्र- का उहाँ... इहाँ सरिखसुर-संगीत सुने बर मिलथे?
नारद- इहँचो ले बढ़-चढ़ के राजा साहेब..! अइसन-अइसन संगीत जेन लाअपन ददा पुरखा नइ सुने होहू।एकाध ठन टाइटल सुनावौ का? या हू..! या हा- याहा..! दी रा-दारा..! डीरा-डारा..!
इंद्र- बड़ा बिचित्र हे महराज..! फेर का इहाँ सरिकसुद्ध सोमरसअच्छा कुवालिटी वाला मिलथे?
नारद- हन्डरेड परसेन्ट सुद्ध मउहा के दारूराजाधिराज..!अउकिसिम-किसिम के बिलायती दारू हा तो अभिन तकमोर नाक मा ममहातेच हे।
इंद्र- अच्छा..! अउए रमभा, मेनका, उरबसी, तिलोतमा अइसन, खुबसूरत नरतकी उहाँ हाबे? जिखर नाचा ला देखकेबिसवामित असन मुनि हा मोहाँ जाथे।
नारद- इँखरो ले स्मारट-स्मारट नरतकी राजा साहेब..! जेन मन ला नाक पोंछे के हउस तक नइ हेतउनो लइका मन गजब मयाँ डार केडांसर कहिथें। तोर ए नरतकी मन उँखर बगल मा खड़े हो जाहीं न... ते भूसड़ी चूहके कस दिखहीं। हाय रेउँखर नचई-गवई..! मटकत कनिहाँ..! चमकत आँखी..! दमकत थोथना..! अभिन तकघलो मोर आँखिच-आँखी मा झूलत हे राजा साहेब..! नरायन..! नरायन..! नरायन..!
इंद्र- नारद जी महराज..!
नारद- गोठियावौ देवराज..!
इंद्र- तुहँर गोठ ला सुनकेहमरो मन होथे केहमू थोरिक दिन बर मिरित्युलोक जातेनअउ सैर-सपाटा के मजा लेतेन।फेरए बताव महराजका उहाँ के जम्मो मनखे मनतुमन बताथो तइसन-तइसन फेसलेटी मा हाबे?
नारद-हाँ..! हाँ..! हाँ..! राजा साहेब..! जम्मो मन बर ए फेसलेटी नइ हे।मिलथे तेला मन्दो-मास... नइ मिले ते परे उपास।
इंद्र- त कोन मन लाअइसन सुख-सुविधा मिलथे महराज..! अउ हमला काय करे बर परहीअइसन फेसलेटी पाय बर।
नारद- काला बतावौं राजा साहेब..! मिरित्युलोक के फेसलेटी पाए बर कतको उदिम हे।फेर हाँ..! राजनेता बन जाव जी..!
इंद्र- ए राजनेता कोन ला कहिथे महराज?
नारद- कोनों राजनेतिक पार्टी के मुखिया, संसद, बिधायक बन जाव। ताँहलेजम्मो सुख-सुविधातुहँर आगू-पाछू मा किंदरत-फिरत दिखहीं। अउकहूँ मंतरी बन गेव न..! तबबाथरूम जाहू तभो दु झन गारड मनआगू-पाछू तुहँर सेवा बजाहीं।
इंद्र- अउए राजनेता बने बरका करे ला परही?
नारद- चुनाव लड़े ला परही?
इंद्र- तब तो हम जरूर मिरित्युलोक जाबो महराजअउचुनाव लड़ के राजनेता बनबो (दूत डाहन इसारा करत) अरे दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- छुट्टी के एप्लीकेसन बना रे....!
दूत- जी..! के दिन के छुट्टी लिखँव सरकार?
इंद्र- (नारद जी से) तभो लेकतेक दिन लाग जाही महराज?
नारद- दू महीना तो लागी जाही।काबरअभी असन चुनाव के अधियादेस जारी होवइया हे।
इंद्र- लिख रे दूत... दु महिना के छुट्टी।
दूत- कब-ले-कब तक सरकार?
इंद्र- (नारद से) कब ले छुट्टी लेंवमहराज?
नारद- (सोचते हुए) अभी तो अधियादेस जारी होवइया हे... तेखर पाछू फारम भराही... तब चुनाव होही। त..! आगू महीना लेले लेव राजा साहेब..!
इंद्र- (दूत से) लिख रेआगू महीना के एक तारीख लेआगू दु महीना के छुट्टी।
दूत- ए ले..! एप्लीकेसनअभनेच बना देथौं सरकार।
नारद- अब मे जा सकत हौंदेवराज?
इंद्र- बहुत-बहुत धनबादमहराज? अतिक बढ़िया बात बताएव तेखर सेती। पाँव परत हों महराज..!
नारद- खुसी रा इंद्रदेव..! मे चलत हौं। नरायन..! नरायन..! नरायन..! (नारद चल देथे।)
इंद्र- दूत..! बनगे एप्लीकेसन?
दूत- बनगे सरकार..!
इंद्र- (सब दरबारी मन ले) अच्छा..! आज के सभा हाइही करा उरकत हे।अब तुमनअपन-अपन काम बुता देखौ जावौ..! मेहा भगवान बिसनु करा छुट्टी पास कराय बरजावत हौं। (दूत ले) चल रे दूत..!
(इंद्रदेव अउ दूत भगवान बिसनु कना छीरसागर में।)
दूत- जी सरकार।
इंद्र- पाँव परत हौं... भगवान नरायन।
बिसनु- खुसी रा इंद्रदेव..! का बात हे भइ... आज बिना पहिली बतायहुरहा पहुँचे हौ?
इंद्र- अइसने बुतच आगे भगवान..! मोलादु महिना के छुट्टी चाही... ए लेव एप्लीकेसन।
बिसनु- (पढ़के) हूँ..! त तोला दु महिना के छुट्टी चाही? वहू आगू महिना ले? अइसे का बुता परगे इंद्रदेवजेमा लम्बा छुट्टी माँगत हस?
इंद्र- मिरित्युलोक जाना हे।
बिसनु- काबर?
इंद्र- चुनाव लड़े बर।
बिसनु- इंद्रलोक के राजभोग माका खंगगे राजाधिराज? तेमामिरित्युलोक माचुनाव लड़े बर सउँख लागगे।इहाँजम्मो लोक के देवता मन के राजा कहावत हसतभो तोला चइन नइ हे। अउमिरित्युलोक के राजनेता बने माअइसे का मिल जही?
इंद्र- अभी मे कुछु नइ कहि सकँव भगवान..! मोलासिरिफ छुट्टी चाही।तुमनछुट्टी पास करत हौके नहीं तेला बताव?
बिसनु- जब तोर सुर हा भड़की गेहेतब मोला कुछु नइ कहना हे।तोर छुट्टी..पास कर देवत हौं... फेर दुए महीना के नहीं... तीन महीना के छुट्टी ले... अउ एक महीना आगू नहीं... कालीच इहाँ लेपरस्थान करवौ काबर... पहिली वोटर लिस्ट मा तुहँर नाँव जोड़वाय बर परही... फेरउम्मीदवारी के फारम भरे के पहिली चुनाव किताअपन पक्ष मामाहउल बनाय ला परही।
इंद्र- वा-वा..! वा-वा परमपिता परमेसवर... तुमन कतिक दयालू हावौ।मोर मन के साध ला पूरा करे..बर तहूँ मन मोर कतिक खियाल करथौपरभू।
बिसनु- हमर तो बुताच्चेजम्मो के खियाल रखना इंद्रदेव जी..! अब तुहँर चुनाव लड़ेके सऊँखेच हेतब यहू साध पूरा हो जाए। फेर ए तो बता... तोर छुट्टी मा जाए के बाद तोर बुता ला कोन करही?
इंद्र- मोर घरवाली लाचारज दे देहूँ न भगवान..!
बिसनु- का वोहातोर बुता ला सम्भाल डारही?
इंद्र- कइसे नइ संभाल डारही भगवान..! इहाँ तोमाईंलोगन मन डाकटर, इंजीनियर,संसद, बिधायक, मंतरी बन सकत हे..! तब..मोर बुता हा कोन बड़ा भारी बात हे।मोर सबले जादा इमपारटेंट बुतापानिच बरसाना तो आय।कइसे-कइसे करना हे... तेला समझा के चल नइ दुहूँ परभू।
बिसनु- ले ठीक हे भइ... तोर जइसन मरजी..!
इंद्र- अब चलथौं भगवान... पाँव परत हों।
बिसनु- खुसी रहा इंद्र। ले जा..! तोला जल्दी सद्बुद्धि मिलय।(इंद्रदेव अपन दूत के संग चल देथे) (रद्दा मा)
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- ते अब इही करा लेअपन घर जाअउ बोरिया बिस्तर धर के बिहने ले आ। मे अपन सुवारी ला काम-बुता बर जाक-जोखा समझा केसफर के तइयारी करथों।
दूत- जी हौ..! (जाय ल धरथे ततकी बेर)
इंद्र- अउ..! हाँ... हमर एरावत हाँथी ला घलोखवा-पिया के तइयार कर लेबे... जल्दी निकलना हे।
दूत- हौ सरकार। (दूत अपन घर चल देथे अउ इंद्रदेव अपन भवन चल देथे।)
इंद्र- ए सचीऽऽऽऽ..! नइ हस के वोऽऽऽऽ..! काँहा गेय वो सचीऽऽऽऽ..! ए सची देवीऽऽऽऽ..!
सचीदेवी- का होगे जी..! काबर अतेकबोरोर-बोरोर चिल्लावत हो।थोरको चइन ले नइ बइठन देव... अभिनेच तोपरोसिन घर बइठे बर गे रेहेंव।बने ढंग ले बइठे घलोनइ पाय रेहेंव तुमन हाँक पार देव।घरमा आएवताहने बस... सची..! सची..! सची..! कोन जनी घर ले बाहिर रहिथोत मोर सुरता आथे के नहीं?
इंद्र- एक घाँव का चिल्ला परेंव... सुरु होगे तोर फलर-फलर ओसइ हा।अरेघर मा राहौं के बहिर मा... तोर सुरता तो मोर अंतस मा बसे हे पगली..! अब सुन ए डहर..!
सचीदेवी- का होगे..!
इंद्र- मोला काली बिहनियच-लेटूर मा जाना हे।
सचीदेवी- अइ..! टूर मा जाना हे।काँहा जाहू जी?
इंद्र- मिरित्युलोक जाहूँ।
सचीदेवी- के दिन बर जाहू?
इंद्र- तीन महीना बर जाहूँ।
सचीदेवी- काबर?
इंद्र- चुनाव लड़े बर।
सचीदेवी- अइ... इहाँ दानव मन संग लड़ई मा तुहँर जी नइ भरे हेतेमा मिरित्युलोक मा लड़े बर जावत हो।
इंद्र- एहा ओइसन लड़ई नो हे वो..! एहा चुनाव के लड़ई हरे... कागज पत्तर मा होथे... अउ आजकाल तो वोटिंग मसीन घलो बन गे हे।
सचीदेवी-एमा कइसे होही जी?
इंद्र- ए चुनाव माजेन हा जीतथे... तेहाजनता मन के मुखियामाने राजनेता बनथे।
सचीदेवी- कइसे स्वामी... इहाँ तोपूरा देवता मन के राजा हौ... तब जनता मन के राजा बनेकेका सुर चर्रा गेहे?
इंद्र- ते नइ जानस वो... उहाँ के फेसलेटीइहँचो ले बढ़-चढ़ के हाबे... अउहमर राहत लेवो फेसलेटी ला कोनों दूसर काबर भोगे।मेहा देवलोक के राजा आँव..! देवलोक के..! फेरचुनाव लड़े बर मोर तीन महीना के छुट्टीघलो पास होगे हाबे।
सचीदेवी- अइसन मा हमू जाबो जीतुहँर संग।
इंद्र- तोला संग मा ले जाना होतिस तब अतिक तेल काबर लगातेंव।नइ ले जाना हे तेखर सेती तो सुघ्घर- सुघ्घर गोठियात हों।
सचीदेवी- अइ..! तुमन तीन-तीन महीना बर हमला छोड़ के जाबो कहिथो... त हमइहाँ तुहँर बिना कइसे रहिबो?
इंद्र- अबरेहे बर तो परहिच बाई..! मे इहाँ नइ रहूँतब मोर बुता लातूही ला तो करे बर परही।मोर बुता के चारजतोला देके जाहूँ ना।
सचीदेवी- अइटार..दइ..!हमला नइ आएतुहँर बुता काम हा...!
इंद्र- कइसे नइ आही?कोनों अपन महतारी के पेट लेसीख के आए रहिथे का…? चलमे अभी सिखा देथौं... ताँह लेकइसे नइ कर सकबे? एती आ(सची के हाँत पकड़ के एक डाहन ले जथे... अउ इसारा करत) ए देख..! इहाँ पूरा मोटर पंप लगे हाबे... अउ एदे कोती बटन हाबे।ए मुड़ा मा पानी बरसाय बर होही त एदे बटन ला दबाबे... ए मुड़ा बर ए बटन... ए मुड़ा बर ए बटन... अउ ए मुड़ा बर एदे बटन ला दबाना हे।
सचीदेवी- त एलाकब दबाना हे?
इंद्र- तोर मरजी के मालकिन अस।जब-जब जेन मुड़ा मापानी बरसाय के होही... उही मुड़ा के बटन ला दबा देबे।फेरकभू-कभू मिरित्युलोक के मनखे मनपानी के कमी देख केबरुन जग घलो करथें। कहूँ ओइसनहाँ हो जही ते... जोन मुड़ा मा जग, हवन, पूजन करत दिखहीं... अउकहूँ तोला भागे... तब ओ मुड़ा मापानी बरसा सकत हस।
सचीदेवी- अउ कहूँ... मोटर मन बिगड़ जहींतब?
इंद्र- ओखरतोला का चिन्ता हे। इंद्रलोक के मेकेनिक मन लाबलवा लेबे। अउउँखरों बुती नइ बनहींतब चुपचाप बइठ जबे।मेहाछुट्टी ले आए के बादसुधरवा लेहूँ।
सचीदेवी- फेरमोला गजब फिकर होथे जी..! तुमन नइ रहू तामे कइसे रइहौं?
इंद्र- अरे..! माईंलोगन मन के इही रद्दी आदत हे।अरे भइइहाँ तोलाका बात के कमी हे... नउकर-चाकर... दास-दासी... सबेच तो हाबे। अउकभू बोर लागहीत दरबार मा जाके बइठ जबे... नाच-गान के मजा लेबे।फेरसमे-समे मा फोन करकेतोर सोर-संदेस लेवत रहूँ न रेडारलिंग।
सचीदेवी- अइ..! ए काडारलिंग-वारलिंग आए जी..! अभिन तो रेंगेच नइ हो... अउमोर नाँव घलो भुलावत हौ।
इंद्र- निचट भकली हस वो..!तोर नाँव कइसे भुला जहूँ..! अरे भइउहाँ जाए के बाद माकोनों ला डारलिंग केहे ला पर सकथे..!त…ओखरे रिहरसल करत हों..!
सचीदेवी- लेठीक हे सुवामी..! फेरतुहँर छुट्टी सिराय के पहिलीआ जहू भइ..! तुमन नइ राहौते मोला निच्चटभुकुर-भुकुर लागत रहिथे..!
इंद्र- ते फिकर झन कर..! मे जल्दी आ जहूँ..! लेअब अड़बड़ रतिहा होगे... जल्दी सुत जा..!भिनसरहा उठना हे..!
सचीदेवी- ले हौ जी..! चलवौ..! 

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