दूत- (अपने-अपन) ले न गा..! मे तइयार होके आ गेंव... हमर सरकार सम्हरे हे…ते नहीं ते। ए…सरकार..! चलौ न हुजुर..! हम आ गेन भइ..!
इंद्र- अरे वा..! समे के बड़ पाबन्द हस… दूत।महूँ…एकदम तइयार बइठे हों। चलौ..! काँहा हे…एरावत हाँथी हा।
दूत- ए दे हावै…सरकार..! यहू ला खवा-पिया के… तइयार कर देहों। कोनजनी… उहाँ के दानी-पानी…एला पोसाही के नहीं कहिके…इहिंचे कँस के खवा देहों।
इंद्र- ए मामला मा तो…बड़ चतुरा हस दूत।एखरे सेती तो…तुही ला संग मा लेगथौं-लानथौं। ले…अब चल।(दोनों एरावत मा बइठके मिरित्युलोक आत हें।)
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- मिरित्युलोक तो आगेन।अब आगू का करना हे?
दूत- पहिली वोटर लिस्ट मा…नाँव जोड़वाना हे सरकार..! चलौ…उही ठउर ला खोजथन…जिहाँ वोटर लिस्ट मा नाँव जोड़त होही।
इंद्र- ले चल।
दूत- सरकार..! सरकार..!
इंद्र- अब का होगे?
दूत- हमर एरावत ला…इही करा ले…वापिस इंद्रलोक भेज देथन।
इंद्र- काबर?
दूत- एमा चढ़ के…चुनाव दौरा नइ हो सकय सरकार..!
इंद्र- त…अब कइसे जाबो?
दूत- अभिन तो…रेंगत जाबो... बाद मा…चारचकिया गाड़ी बिसा लेबोन न सरकार..!
इंद्र- ले…चल भइ..! ( दुनों रद्दा रेंगथे... तभ्भेच बटोही मिलथें... उँकर ले पूछथें। )
दूत- ए भइया..! सुन तो जी।
बटोही - काए जी..! का बात हे?
दूत- हमला वोटर लिस्ट मा…नाँव जोड़वाना हे... नाँव जोड़इया मन…काँहा बइठथें?
बटोही - नाटक-डरामा वालेमन ला…वोटर लिस्ट ले…का लेना-देना परगे जी..! तुमन तो बस..नाचव-कूदव।ए वोट-फोट के चक्कर मा…झन परौ। ह..! ह..! ह..! ह..! ह..! (जम्मो बटोही मन हाँसथें।)
माईंलोगिन – अइ...! ए मन ला…का सऊँख लागेहे या...! वोटर लिस्ट मा…नाँव जोड़ाए के? ए गाँव ले वो गाँव…किंदर-किंदर के नचइया-गवइया मन ला.!ह…ह…ह…ह…ह…(हाँसत-हाँसत चल देथें।)
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- एमन तो…हमन ला नचकार समझ लिन रे....! अब का होही?
दूत- एमा….इँखर गलती नइ हे सरकार..! याहा डरेस मा हाबन…त हमन ला नचकार तो समझबेच करहीं एमन।
इंद्र- तब…अब का करे ला परही?
दूत- सरकार..! जइसन-जइसन देस... तइसन-तइसन भेस...! ए डरेस ला…बदले बर परही।
इंद्र- हमर कना…अइसनेच-अइसनेच डरेस तो हावै... अब इँकर डरेस ला काँहा ले लानन?
दूत- तुमन…फिकर झन करौ सरकार..! मे…पूरा बेवस्था मा हाबौं। मोर कना… दूसरा डरेस हाबे... ए पहिरे हौ…तेला उतारौ…अउ…एला पहिरौ (कपड़ा ल देथे।)
इंद्र- ए कइसन डरेस आए रे? (पहिनत-पहिनत।)
दूत- इही तो…नेता मन के डरेस आए महराज..! अब धोती तो…पहिरेच हो।ए दे…खादी के कुरता ला घलो पहिरो..! (इंद्रदेव के कुरता पहिने के बाद) जय हो सरकार..! अब बन गेव…पक्का नेता।
इंद्र- (पहनकर) बने हेल-फेल लागिस... तोर दिमाग ला…माने ला परही दूत।मोला तो…अतिक के हउसेच नइ रिहीसे…अउ तँय तो…पूरा बेवस्था मा चले हस।
दूत- आखिर मे तुहँर चाकर हरौं... सरकार..! अतका धियान रखना तो…मोर जुम्मेदारी बनथे। एक बात अउ रिहिसे…महराज..!
इंद्र- का बात ए…पूछ डार।
दूत- इहाँ आए के बाद…अब मोला दूत कहिके… झन बोले करौ।
इंद्र- दूत ला…दूत नइ कहूँ…त का कहूँ?
दूत- पीए…कहिके बलावौ सरकार..!
इंद्र- त…ते तो अभी पीए नइ हस रे....!
दूत- उहूँऽऽऽऽ..! इहाँ के भाखा मा…दूत ला पीए कहिथें सरकार..!
इंद्र- अइसे…का..! त…उही ला…अगवा के नइ बतातेस? चल पीए..!
दूत- ले चलौ। ( दुनों रेंगत रथें। रद्दा मा दु झन पुलिस मिल जथें। इंद्रदेव ल बज्र धरे देखके।)
सिपाही- (हबलदार ले) हबलदार साहेब..! ओदे आवत हे…तेन मन बड़ा खतरनाक आदमी लागथे साहेब... बड़ जबर हथियार धरे हे…अउ काँहा जावत हे ते।
हबलदार- (देखत-देखत) अरे... हौ रामसिंग..! एमन तो दिखेच मा… बड़ा खतरनाक गुंडा-बदमास लागथें … (चिल्ला के) अरे ओए..! एती आव..!
इंद्र- कोन? हमन ला…बलाएव हबलदार..!
हबलदार- नहीं…हम रद्दा सन गोठियात हन। हम तूही मन ला…बलावत हन।
इंद्र- काय बात हे…हबलदार?
हबलदार- काय बात हे हबलदार..! अइसे बात करत हें…जइसे कुछु जानतेच नइ हे।अउ…बात करे के सलीका घलो नइ हे... कोन आदमी से… कइसे बात करना चाही।का बात हे हबलदार..! पुलिसवाले संग…अइसने बात करे जाथे।हबलदार जी…नइ बोल सकस? (चिढ़ावत) का बात हे हबलदार..!
दूत- छिमा करिहौ…हबलदार जी..! अइन्दा से…अइसन गलती अउ होही... ए..! नइ होय... नइ होय... नइ होय। फेर…हमर ले अइसन…का अपराध होगे हबलदार जी..!
हबलदार- अच्छाऽऽऽऽ..! चोरी... उप्पर ले सीना जोरी…का अपराध होगे कहिथस? इहाँ साग पउले के…नानुक चक्कू धर के घुमना अपराध हे।अउ…तुमन यहा…( बज्र छीन के) छय-छय धारवाले…खतरनाक हथियार धर के घुमत हो…फेर…का अपराध करे हन कहिथो?
इंद्र- बात…अइसन हे हबलदार जी..! ए हा… तुमन समझत हो… तइसन हथियार नो हे। असल मा… मे इंद्र आँव। ये हा…(दूत डाहन इसारा करत) मोर दूत आय... अउ…जेन ला तुमन हथियार समझत हो... ए हा… बज्र आय। जेन ला…सदा दिन…मे अपन तीर राखेच रहिथौं।
सिपाही- (हबलदार ला) हबलदार जी..! मोला तो…इँखर दिमाक के इसकुरू हा…थोरिक ढिल्ला हे…तइसे लागथे।
हबलदार- (सिपाही से) थोरिक नीहीं…बनेच ढिल्ला हे। एला मे हा…अभिन कँस देथों (इंद्र अउ दूत ला) अच्छाऽऽऽऽ..! त…ते हा…इंद्रदेव भगवान अस…अउ ए हा…तोर दूत आय?
इंद्र- अवस्य… हबलदार जी..!
हबलदार- हूँऽऽऽऽ..! ते हा इंद्रदेव…अउ ए हा…तोर दूत।त…इंद्रलोक ला छोंड़के…इहाँ का झख मारे बर किंदरत हो।ऐरे-गैरे…हबलदार समझथव का रे..? (सिपाही ला) रामसिंग..!
सिपाही- जी हबलदार जी..!
हबलदार- लान तो…हथकड़ी ला..! (इंद्रदेव अउ दूत ले) चलो बेटा..! अभी जेल के हावा खाहू ना… ताँह ले सब समझ मा आ जही।
दूत- अ…हाँ..! हाँ..! हाँ..! हबलदार जी..! अइसन गजब झन करौ।असल मा…बात अइसन हे…ए हा नेताजी हरे…अउ मेहा…एखर पीए आँव।हमन…वोटर लिस्ट मा…नाँव जोड़ाए बर..जावत हन।
हबलदार- हाँ..! अब आ गेव न…लइन मा। अन्दर जाए के नाँव सुनके तो…बड़े-बड़े के पइजामा खराब हो जथे।अउ…ए तुहँर…बज्र के का होही?
दूत- ए ला…तूही मन राखे राहौ न हलवदार जी..! चुनाव के बाद आके हमन ले जबो।
हबलदार- याने की…मेहा…तुहँर ददा के नउकर हरौं।
दूत- ओइसन झन समझौ न हबलदार जी..! अब…नेता अउ पुलिस वाले तो…आपस मा यार होथेंच। त…अतके…कस्ट नइ करिहौ जी..!
हबलदार- फोकट मा चंदन नइ घिसाय…लल्लू..!
दूत- त…कइसन मा घिंसाही…बताव ना साहेब..? ओखरो…बेवस्था कर देबोन (इंद्रदेव ले) सरकार..!
इंद्र- का होगे…पीए?
दूत- कुछु रुपिया राखे हौ…का?
इंद्र- रुपिया तो नइ हे…एदे..सुवर्न मुदरा हाबे..!
दूत- देवौ…उहू चलही (इंद्रदेव एक मुदरा निकालके देथे।)
दूत- (हबलदार ले) हबलदार जी..! ए ले…चुप्पे धरौ।
हबलदार- (चकित होके) हैंऽऽऽऽऽऽ…सोन्न के पुतरी।
दूत- अब राखौ ना हबलदार जी..!
हबलदार- रखतेच हौं भइया..! ले…जल्दी जाव... अउ आते रहू भइ..!
दूत- (रेंगत-रेंगत) चलौ…जल्दी भगवान…नहीं ते…अउ कोनों बखेड़ा खड़े कर दीही।
इंद्र- अब मोर बज्र के… का होही?
दूत- सरकार..! बज्र ला राखे बर…थाना ले बने ठउर…अउ कोनों नइ होय।परे-परे…अइसने सर जही…फेर… कोनों दूसर मनखे…ओला लेग नइ सकें।
इंद्र- बिना बज्र के मोला तो…हरु-हरु लागत हे।
दूत- लागत हे…त लागन देव... चलौ..!
इंद्र- ले चल भइ..! (दुनों झन चलथें। रद्दा मा वोटर लिस्ट मा नाँव जोड़े के जगा दिखथे।)
दूत- ओदे…दिखत हे महराज..! बड़े-बड़े अच्छर मा लिखाए हे …इहाँ वोटर लिस्ट मा…नाम जोड़े जाथे।(दुनो झन जाथें।)
इंद्र- भइया…हमन ला वोटर लिस्ट मा…नाँव जोड़वाना हे।
बाबू- का नाँव हे?
इंद्र- मेहा…इंद्रदेव अउ ए..!
दूत- (बीचेच मा) उहूँऽऽऽऽऽऽऽऽऽ… एहा…फेर बिगाड़ही तइसे लागथे... बात अइसन ए साहेब... एहा नेताजी आय…अउ मेहा एखर पीए।
बाबू- त…नाँव कुछु होही?
दूत- लिख ना… इंद्र।
बाबू- हाँ (लिखत-लिखत) इंद्र..! आगू का..! ए बी सी डी..! कुमार..! सिंह..! लाल..! राम..!
दूत- अरे… कुछु लिख दव जी..!
बाबू- अच्छा…चलौ इंद्र कुमार..! ए बताव संग मा…कोनों गवाही लाय हो?
इंद्र- गवाही तो…कोनों नइ हे।
बाबू- त…तुहँर नाँव…नइ जुड़ सकय।
दूत- कइसे नइ जुड़ सकही…इहाँ…अन्टा-पन्टा आदमी मन के नाँव हा जुड़ जथे…अउ…ते…अउ…दुसर मुलुक ले अवइया मन के…नाँव हा जुड़ जथे…त…अतिक बड़ नेता के नाँव हा…कइसे नइ जुड़ सकही?
बाबू- मोर बात ला समझौ... मे कब काहत हों…नाँव नइ जुड़े कहिके? जरूरी फारमेलटी तो…पूरा करेच ला परही।जेन वारड मा…तुहँर नाँव जोड़वाना हे…उही वारड के रहवइया…कोनों गवाही के दसकत लागही।
इंद्र- अउ…गवाही नइ होही त…?
बाबू- नइ जुड़ सके…तुहँर नाँव... चलौ…फोकट डिसटरब…झन करौ।(अपने-अपन) काँहा-काँहा ले आ जथे… सड़क छाप नेता।
इंद्र- जबान सम्हाल के गोठिया…नहीं ते..!
दूत- अब चलौ…सरकार..! (खींचके ले जथे।)
इंद्र- एखरेच सेती केहेंव…मोर बज्र रहितिस ते… अभी ए कुँदरू ला… बता देतेंव।
दूत- उहूँऽऽऽऽऽऽ…। अब…तुमन…बज्र के नाँव तक ला…भुला जाव…सब बुतच-ला…बिगाड़ दूहू का जी?
इंद्र- तब…का करन?
दूत- चलौ…काखरो…आलिसान बँगला ला किराया मा लेबो।
इंद्र- का…हमन ला दे देहीं।
दूत- कइसे नइ दीही…पइसा मा…का नइ मिलही?
इंद्र- त…हमर कना… पइसा काँहा हे? एदे…सोन के मोहर..!
दूत- (बीच मा) सोन-सोन…कहिके झन रट लगावौ…एहा…इंद्रलोक नोहे…सरकार..! मिरित्युलोक आय।जम्मो बुता बर…सोन के मोहर देवइच करबे…अउ…कहूँ…इनकम टेक्सवाले मन सुन परही…ते पूछ-पूछ के…तुहँर बुध नास कर दीहीं।
इंद्र- सिरतोन बात ला…केहे मा का हे। हमर कना… नगदी पइसा तो नइच हे। इहीच ला तो…खरचा करबोन।
दूत- एला…खरचा नइ करन सरकार..! एला…पहिली भँजा के…रुपिया-पइसा बनाबो। तब…बने बढ़िया असन…बँगला देखबो।तेखर बाद गवाही… अउ…नाँव जोड़ई सब हो जही।
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- ते तो…अइसे गोठियात हस…जानो-मानो…पहिली घाँव नहीं... इहाँ… कइ घाँव… आ गे हस।
दूत- कतकोन खेवन… सरकार..! जब-जब… तुहँर करा ले… छुट्टी लेवौं…तब-तब मे इहँचेच तो घूमे बर आवँव..!
इंद्र- वाह रे… चतुरा..! अतेक बड़ बात होगे… मोला पतच नइ हे…चलौ… सब बनेच हे..!अब तो… अउ… कोनों बात के फिकर नइ हे..!
दूत- चलौ सरकार..! मोर राहत ले तुहँर पाँव मा काटा घलो नइ गड़े।
इंद्र- ले चल। ( दुनो झन चल देथें।)
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