गुरुवार, 25 अगस्त 2011

इंद्र के पीरा-3


(नेता खतखुरहा राम अपन सहयोगी मन संग चुनाव फारम भरे बर जात रथें। दुरिहा ले इंद्रदेव अउ दूत उही जुलुस ला देख के आपस मा गोठियाथे।)
इंद्र- दूत..!
दूत- निच्चट सुरुदभुलहा हो सरकार..! अब तुमन.. मोला दूत बोलोच झन।
इंद्र- अरे हाँ..! पीए..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- वहाका के जुलुस आय? मोला तो कोनों चुनाव मा जीते होही तइसे लागथे।वाहदे एक झन उप्पर हार लदा गेहे अउ ओखर आगू सब नाचत हें।
दूत- ओइसन नोहे सरकार..! चुनाव होयेच नइ हे…. त कोन जीत जही।एमन तो चुनाव किता फारम भरे बर जावत हें।
इंद्र- फारम भरे बर अतेक बाजा-गाजा... भीड़-भाड़ काबर हे..!
दूत- इही तो इमपरेसन आए माई बाप..! जतके भीड़ बनाके फारम भरे बर जाही ओतके उम्मीदवार ला सजोर माने जाथे।
इंद्र- हमर कना तो भींड़-भाड़ कहीं नइ हे। ले-दे-के किराया के मनखे धरके वोटर लिस्ट मा नाँव जोंड़वाए हन... अब कोन ला धरबो?
दूत- तुमन काबर संसो करत हौ सरकार..! किराया के मनखे धरके नाँव जोंड़वा सकत हन त किराया मा कतको भीड़ घलो मिल जही। (वतकेच बेर नेताजी के जुलुस हा आमसभा में बदल जथे।)
हुसियार सिंग- दाई हो..! ददा हो..! भाई हो..! भउजी हो..! दीदी हो..! भांटो हो..! हमर नेताजी खतखुरहा राम हा अब तुमन लाकुछु कहना चाहत हे। आवौ नेताजी..! माईंक के आगू तुहँर मन के सुवागत हे।
खतखुरहा राम- ए मंच मा सकलाय जम्मो संगवारी हो..! दाई -दीदी... भाई-बहिनी। जनता-जर्नादन ला मोर हाँत जोड़के परनाम हे।तुहँर मन के मया अउ दुलार लेएसो के चुनाव बर घलो हमर पार्टी हा मोला अपन.. उम्मीदवार बनाए हे।पाछू बच्छर के चुनाव मा जइसे मोला गजब वोट ले जिताए रेहेवएसो घलो अपन कीमती ओट ला मुहिच ला देहूअभी मेहा फारम भरे बर जावत होंएक घाँव फेर तुहँर मन तीर आहूँतुहँर मया माँगे बरए पइत घलोमोला जीता दूहूमे तुहँर मन से वादा करत हों। चुनाव जीते के बाद चाहे तुमन कहीं करोपाँच बच्छर ले मे तुहँर डाहरहिरक के नइ देखौं। अब जादा का गोठियाँव तुमन खुदे समझदार हो... इही कना अपन बकबक ला बिराम देवत हौं। चलौ भइया हो...!
हुसियार सिंग- खतखुरहा भइया..!
सब्बो झन- जिन्दाबाद..!
हुसियार सिंग- खतखुरहा भइया..!
सब्बो झन- जिन्दाबाद..! (सब्बो झन चल देथें।)
इंद्र- पीए..!
दूत- सरकार..!
इंद्र- याहा भासनघलो देय बर लागथे?
दूत- त सरकार..!
इंद्र- त मेहा तो...अपन ददा-पुरखा अइसन भासन नइ देय हौं। अब कइसे करहूँ?
दूत- तुमन ला का के संसो हे सरकार..! जम्मो भासन ला तो मे लिख के देहूँ। तुमन ला याद करके जस के तस बोलना हेयाद नइ होही त देख-देख के बोलहू।इहाँ तो कतको झन देख-देख के बोलथेंदेख-देख के भासन देना तो इहाँ के फइसन आएहुजुर।
इंद्र- अभी तक लेहमर संग जाए बर भीड़-भाड़ नइ दिखत हे?
दूत- अभी फारम तो भर लेव महराज..! ताँह ले इखरो ले जादा भींड़ हमर आगू-पाछू घूमही।
इंद्र- अइसे..!
दूत- हाँ सरकार..!
इंद्र- अब काला अगोरना हे?
दूत- बस चलनच हे सरकार..! (दुनों झन चल देथें। दूसर तरफ नेता के जुलुस फेर दिखथे। वहू हा नारा लगाथे अउ चल देथे। दूसर दिन इंद्र अउ दूत चुनाव परचार बर निकलथे।)
इंद्र- अब... काँहा जात हनहमन?
दूत- चुनाव परचार मा... इही गाँव मा घूमना हे सरकार..!
इंद्र- ते तो भीड़-भाड़ काहत रेहे... भींड़ काँहा गे?
दूत- अच्छा..! वोकिरायावाले मन ला केहेव? अभी तो ए मुड़ा ला हमीं मन सुरवारथन... ताँह ले वो मुड़ा ले वो मन चिल्लावत आहींतभे तो जादा इमपरेसन जमही सरकार..!
इंद्र- हमन कइसे चुनाव परचार करबो?
दूत- सरकार..! हमन घर-घर जाबोन वोट माँगे बरअउ हाँत जोरे ला परही... पाँव परे ला परही।
इंद्र- पाँव घलो परे ला लागहीए मनखे मन के?
दूत- फोकटिहा जीत जहू महराज..!
इंद्र- अच्छा वहू चलहीफेर करना कइसे हे तेला तो बता?
दूत- देखौ सरकार..! हमन ला जम्मो किसम के मनखे मिलहीं- सियान, जवान, लइका, डोकरी, मोटियारी। वो मन ला पाँव परत हों सियान... जय राम भइया... पाँव परत हों दाई... पाँव परत हों दीदी... सब बने-बने नोनी... अइसे बोलना हे।
इंद्र- रहा-रहा..! पाँव परत हों सियान..! जय राम भइया..! पाँव परत हों दाई..! पाँव परत हों दीदी..! सब बने-बने नोनी... अइसे न ..?
दूत- हाँऽऽऽऽ... अब समझ गेव सरकार..! चलौ (एक झन आघू बढ़थें, रद्दा में एक जवान मनखे मिलथे।)
इंद्र- पाँव परत होंसियान (पाँव परे ला धरना)
जवान मनखे - अरे..! अरे..!! कइसे करथस भइया? (बहाँ धर के उचाथे) जय राम गा..! जय राम..!!
दूत- अरेऽऽऽऽऽ..! गड़बड़ कर डारही का जी? (जवान मनखे ला) असल मा हमन वोट माँगे बर.. आए हन भइया..! एदे हा हमर उम्मीदवार आयकुकुरा छाप मा खड़े हे।
जवान मनखे - हौ भइया..! देबोन गा..! काबर नइ देबोन?(हाथ जोंड़े-जोंड़े दुनों झन आघू बढ़थें।)
दूत- कासरकार...! सियान अउ जवान ला समझ के तो बोलौ। जवान ला घलो पाँव परत हों सियान कहिथौ।
इंद्र- तहींच हा तो केहे रेहे..! पहिली पाँव परत हों सियानकहिबे कहिके।
दूत- सरकार....! वोला सियान बर केहे रेहेंवए हा तो जवान आय।
इंद्र- एला काय कहितेंव?
दूत- एलाजय राम भइया..! कहना रिहिसे.‍.!
इंद्र- चल अब ओइसने कहिबोन। (दुनों रेंगत रथें, रद्दा मा एकझन माईं लोगिन मिलथे।)
इंद्र- जय राम भइया..!
माईंलोगिन - अइ.‍.! अइ..!! अइ..!!! एला का होगे या….जय राम भइया कहिथे?
दूत- (झुँझवा के दबे आवाज मा) अरेऽऽऽऽऽ..! फेर बिगाड़ दिस जी..! (इंद्रदेव के हाँत धर के खींचत) कइसे गड़बड़ करथो सरकार..! ए मन ला जय राम थोरे कहिथें जी..!
इंद्र- तीहीं तो केहे रेहे ना?
दूत- अरे ददा..! जवान मनखे ला कहिबे केहे रेहेंव।
इंद्र- एमन ला…. का कहना चाही?
दूत- सरकार..! एमन ला पाँव परत हों दाई केहे जाथे।
इंद्र- अब धोखा नइ होय चल..! (दुनों झन फेर रद्दा रेंगथें। थोरिक दुरिहा मा एक झन सियान मिलथे।)
इंद्र- पाँव परत हों दाई…! (पाँव परथे।)
सियान- कइसे अँधरा हे जी..! दाई अउ ददा के चिन्हारी घलो नइ हेएला।
दूत- (झुँझवा के दबे आवाज मा) निच्चट अड़हा हे जी..! (सियान ले) जबान तायफिसल जथे बबा..!वोट माँगे बर निकले हन सियान..!
सियान- ले कहीं नइ होय... अइसन हो जथे रे भइ..! (चल देथे।)
दूत- (इंद्रदेव ले) का सरकार..! कोन मनखे सन कइसे मिलना हे अतका तो समंझना चाही।
इंद्र- का करौं...! अइसन के मोला थोरको एसपिरियन्स नइ हेना?
दूत- एखरे सेती बतावत होंतेला तो धियान धरना चाही। अरे भइ… सियान ला पाँव परत हों। जवान ला राम-राम भइया। डोकरी ला पाँव परत हों दाई। मोटियारी ला…. पाँव परत हों दीदी।छोकरी ला….सब बने-बने नोनी कहना चाही।ते तोअन्ते-तन्ते गोठियाथस।
इंद्र- ले रे भइ..! अब अइसन भोरहा नइ होय। (दुनों झन रद्दा रेंगथे।थोरिक दुरिहा मा एक झन मोटियारी मिलथे।)
इंद्र- पाँव परत हों सियान..! जय राम भइया..! पाँव परत हों दाई..! पाँव परत हों दीदी..सब बने-बने नोनी..!
मोटियारी - अइ.‍.! अइ..!! अइ..!!! (डर्रा के मोटियारी ह भगा जथे।)
दूत- अरेऽऽऽऽऽ..! एहा बिलहोरहिच का जी? चल..! (हाँत धर के खींचथे।वतकी बेर दूसर डाहन ले भींड़ नारा लगावत आथे।)
एक झन- इंद्रदेव भइया..!
सब्बो झन - जिन्दाबाद..!
एक झन- इंद्रदेव भइया..!
सब्बो झन - जिन्दाबाद..!
एक झन - देस के नेता कइसन हो ..
सब्बो झन - इंद्रदेव भइया जइसन हो..!
इंद्र- दूत..! ए…पीए..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- ए नारा बोलइया ला तो मेहा वो नेता संग घलो देखे हौं रे?
दूत- इही तो मोर कमाल आए सरकार..! उही नारा बोलइयच ला नीहीं... ओमे के आधा झन ला वो नेता संग देखे होबे।वोमन सब किराया के आँय... जेती बम ओती हमवाले।
इंद्र- अउबाकी मन?
दूत- उही मन तो हमर ओरिजनल सपोटर आए सरकार..! बस.. तुमन देखत रहौ... पूरा इलाका हमर सन.. किंदरे बर लग जही।(अब तक भींड़ लट्ठा आ जथे अउ आमसभा के रूप ले लेथे।)
दूत- (माईंक पकड़कर) भाई बहिनी हो..! लइका-सियान हो..!! दाई-दीदी हो..!!! अब हमर उम्मीदवार इंद्र भइया हा माईंक मा अपन बात ला राखही।
इंद्र- (माईंक धरके) तुमन लाजम्मो झन ला मोर परनाम हे... मोर कना कोनों बात नइ हे... जतिक बात हे सब पीए के लिखे आय।
दूत- (बीच में खुसुर-फुसुर करत) अइसन झन कहौ सरकार..!
इंद्र- हाँ..! सब बात मे तुहँर मन तीर रखत हौं। दाई-ददा हो..! भाई होबहनी हो..!! लइका-पिचका हो..!!! तुमन जुन्ना नेता के पाछू पाँच बच्छर ला देखे हौ।जीते के बाद तुहँर गाँव मा अपन थोथना तक नइ देखाए हे। एखरे सेती तुहँर पीरा ला देख के अपन अलगेच पार्टीघेक्खर दल बना के चुनाव मैदान मा मरे हँव।
दूत- (इंद्रदेव के कान मा) मरे हौं नहींखड़े हौं..! खड़े हौं..!!
इंद्र- हाँ..! चुनाव के मइदान मा खड़े हौं । मोर जीते के बाद तुमन ला पानी बर कभ्भू तरसे बर नइ परे... पीये-खाय बर घलो कोनों दुख नइ होही।हम तुहँर गाँव मा खाते-जात(बीच मा धीरकुन) पीए..! ए काए लिखाय हे ..समझ मा नइ आत हे?
दूत- (देखत-देखत धीरकुन) आते-जात रहिबो... हरे सरकार..!
इंद्र- हाँ..! हम तुहँर गाँव माआते-जात रहिबो। तुमन ला कोनों बात केसंसो करे के जरूरत नइ हे। जेन जिनिस हा इहाँ नइ मिलहीतेला बाहिर ले सप्लइ करवा लेबो। हमर पहुँच इँहचेच ले नीहींवहादेवलोक तक ले हे। अब अउ जादा नइ कहौं... बस अतकेच कहूँ... अपन वोट ला सोच समझ केकुकरा छाप मा देना हे।
एक झन- इंद्रदेव भइया..!
सब्बो झन - जिन्दाबाद..!
एक झन - इंद्रदेव भइया..!
सब्बो झन - जिन्दाबाद..!
एक झन- देस के नेता कइसन हो ....!
सब्बो झन - इंद्रदेव भइया जइसन हो..!
(नंगत भींड़ बाढ़ जथे।

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