(नेता खतखुरहा राम अपन हितवारथी मन संग बइठे हें। चुनाव के परसानी ओकर चेहरा ले झलकत हे। आपस मा बातचीत चलत हे।)
खतखुरहा राम- हुसियार सिंग..! अब का होही?
हुसियार सिंग- का होही..? जउन होना हे…तउन होही।
खतखुरहा राम- चुप रे..! अउ जरे मा नून डारथस...जउन होना हे… तउने होही कहिथस..! नाँव हुसियार सिंग…अउ… गोठ गदहा बरोबर करथस।
हुसियार सिंग- अउ… का काहौं त दाऊजी... अरे भइ..! हम अपन… चुनाव परचार मा… कोनों कसर छोड़े हन… त बता।
खतखुरहा राम- अइसन चुनाव परचार मा… चुनाव नइ जीते जा सकय… होसियार सिंग।काली जेन मनखे मन… हमर आगू-पाछू मा… लुटुर-लुटुर करत राहँय।आज उही मनखे मन… इंद्रदेव भइया..! इंद्रदेव भइया..!! चिल्लाए बर धर लेहे।अइसे का लटकना हाबे... जेमा… हमर सब सपोटर मन… उही डाहन उन्डत हे रे....!
हुसियार सिंग- उन्डत हे त…उन्डन दे न दाऊजी..! तुमन… काबर झुँझवात हो।
खतखुरहा राम- काला… नइ झुँझवाहूँ रे? ए अपजिसन वाले… तो मोला पानी पिया दिस... पानी..!
हुसियार सिंग- (संगवारी मन ले) अब काला देखत हो? पानी ले लाव न..! (एक झन पानी लाथे।)
हुसियार सिंग- ए लेव दाऊजी..! पानी।
खतखुरहा राम- अरे हाँ..! (पानी पीथे।)
हुसियार सिंग- एक बात काहौं… दाऊजी?
खतखुरहा राम- अब… अउ का खँगे हे रे..! चुनाव बर…एक दिन बाँचे हे…अउ… का पहाड़ ओदार डारबे?
हुसियार सिंग- पहाड़ ओदारे बर… एक दिन नहीं…एक घंटा गजब हे… दाऊजी..! बस... दिमाक होना चाही।
खतखुरहा राम- गोबर भराय… तोर दिमाक के सेती तो… मे दँदर गेंव रे..! बस… ए पइत तो… चुनाव मोर पुरखा घलो… नइ जीत सके। (थोड़कुन ठहिर के) ए हुसियार सिंग..!
हुसियार सिंग- जी… दाऊ जी..!
खतखुरहा राम- अरे… अपजिसन वाले मन के… कोनों लूझ पइंट तो पता कर रे?
हुसियार सिंग- दाऊजी..! राजनेति करत.. हमर चूँदी पाकत हे…का… अतका हउस नइ रही। चुनाव में खड़े होय के पहिली… हम…अपजिसन के लूझ पइंट खोदिहा डारे रहिथन।
खतखुरहा राम- ता… अभी तक तैंहर… का झख मारत हस?
हुसियार सिंग- ओहो..! निच्चट लकर्रा हो दाऊ जी..! अपरेसन करना हे… त कोनों डाकटर हा….मरीज ला एक हपता पहिली… बेहोसी के दवई नइ देय…सब बुता बर… समे लागथे जी..! अगोरा करौ…उचित समे के।
खतखुरहा राम- त… तोर अपरेसन कब सुरू होही रे?
हुसियार सिंग- काली रात किन ले।
खतखुरहा राम- एक्के रात मा…का तीर मार डारबे रे... लफरहा?
हुसियार सिंग- आज के वोटर मन ला…लइन मा लाय बर…बस एक्के रात काफी हे दाऊजी..!
खतखुरहा राम- ओतेक-ओतेक वोटर..! अउ एक्के रात मा..!
हुसियार सिंग- ओहो..! ते तो… वोटरेच के… बात करथस दाऊजी..! एक रात मा मेहा… अपजिसनवाले के घलो… अपरेसन कर डारहूँ। अइसे चकरी चलाहूँ के…बेटा मन के…अवइया सात पीढ़ी तक घलो…चुनाव लड़े बर… नइ सोंच सकँय।
खतखुरहा राम- अइसे का… जादू चला डारबे रे?
हुसियार सिंग- ओ सब… मोर उप्पर छोड़ देव न दाऊजी..! अच्छा ए बताव… ओ केहे रेहेंव… तेकर बेवस्था हो गेहे… के नीहीं?
खतखुरहा राम- सब बेवस्था हो गेहे हुसियार सिंग... पाँच मेटाडोर मँगवाए हौं... एकक गाँव मा… पाँच-पाँच पेटी बाँटबे… तभ्भो नइ सिराय।
हुसियार सिंग- अउ… कुवालिटी हा… बनेवाला आए ते अइसने ए…पानी मिंझरल?
खतखुरहा राम- ओरिजनल चेपटी आए रे…जेला पीये के बाद… तीन दिन ले झूमरत रहिथें।
हुसियार सिंग- तब तो… संसो करे के कोनों बात नइ हे दाऊजी..! अब देखौ... मोर दिमाक के कसरत।
खतखुरहा राम- ते… कहीं करस हुसियार सिंग... सरी ताकत लगा दे... फेर मोर एकेठन मंसा हे चुनाव जीतना।ए… मोर पोजिसन के सवाल हे।
हुसियार सिंग- अब बस घलो… करव न दाऊजी..! तुमन… अब कान मा तेल डारके सुतौ…अउ चुनाव जीते के बाद उठहू…(अपन हितवारथी मनले) ले चलौ रे..! सब अपन-अपन बुता मा लग जाव।(सब्बो झन चल देथें।)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें