(इंद्रदेव अपन दूत अउ सहयोगी मन ले सलाह मसवरा करत हे।वतकी बेर हुसियार सिंग आथे।)
हुसियार सिंग- इंद्रदेव भइया..! जिन्दाबाद..! इंद्रदेव भइया..! जिन्दाबाद..!
इंद्र- अरे..! आवौ… हुसियार सिंग..! का बात हे… आज गजब कूलकत हौ।
हुसियार सिंग- अब चुनाव जीतनच हे… तब कुलके बर तो लागही न सरकार..! ए पइत तो… खतखुरहा राम के बुध पतरा गेहे।सरी जनता… हमर डाहर होगे हाबे सरकार..!
इंद्र- ओ तो हे हुसियार सिंग…चुनाव तो हमी जीतबो…कइसे पीए ..?
दूत- सिरतोन केहेव सरकार..! आखिर… चुनाव लड़त कोन हे ..? इंद्रदेव भइया..... जिन्दाबाद..!
सब्बो झन- जिन्दाबाद..! जिन्दाबाद..!!
इंद्र- बस-बस…ए जोस ला… चुनाव जीते के बाद के… रइली बर सँइत के राखौ।
हुसियार सिंग- बने केहेव सरकार..! फेर… एक ठन बात कहूँ काहत रेहेंव।
इंद्र- बोल ना हुसियार सिंग?
हुसियार सिंग- अब चुनाव तो काली होनाच्छे... हम चाहत रेहेन… इही खुसी मा… आज तुहँर मन के… सनमान करतेन कहिके…तुमन हमर नेंवता ला मानके…सनमान समारोह के मुख्यअतिथि बन जातेव ते अच्छा होतिस।
इंद्र- हम जरुर मानबो हुसियार सिंग..! आखिर तुहँर बात ला… हम कइसे टार सकत हन…कइसे पीए..?
दूत- तुमन तो… मोर मन के बात कहिदेव सरकार..! अउ फेर…तुमन ला मुख्यअतिथि बने बर… टकरहा घलो होयेच्च ला परही।
इंद्र- अइसे..?
दूत- हौ सरकार..!
इंद्र- हुसियार सिंग..! चलना कतिक बेर हे?
हुसियार सिंग- अभिच्चे चलना हे सरकार..!
इंद्र- चलौ त फेर।
दूत- ले चलौ जी (जम्मो सहयोगी मन ला इसारा करथे अउ जम्मो झन चल देथें।)
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