गुरुवार, 25 अगस्त 2011

इंद्र के पीरा- 5


(इंद्रदेव अपन दूत अउ सहयोगी मन ले सलाह मसवरा करत हे।वतकी बेर हुसियार सिंग आथे।)
हुसियार सिंग- इंद्रदेव भइया..! जिन्दाबाद..! इंद्रदेव भइया..! जिन्दाबाद..!
इंद्र- अरे..! आवौ हुसियार सिंग..! का बात हे आज गजब कूलकत हौ।
हुसियार सिंग- अब चुनाव जीतनच हे तब कुलके बर तो लागही न सरकार..! ए पइत तो खतखुरहा राम के बुध पतरा गेहे।सरी जनता हमर डाहर होगे हाबे सरकार..!
इंद्र- ओ तो हे हुसियार सिंगचुनाव तो हमी जीतबोकइसे पीए ..?
दूत- सिरतोन केहेव सरकार..! आखिर चुनाव लड़त कोन हे ..? इंद्रदेव भइया..... जिन्दाबाद..!
सब्बो झन- जिन्दाबाद..! जिन्दाबाद..!!
इंद्र- बस-बसए जोस ला चुनाव जीते के बाद के रइली बर सँइत के राखौ।
हुसियार सिंग- बने केहेव सरकार..! फेर एक ठन बात कहूँ काहत रेहेंव।
इंद्र- बोल ना हुसियार सिंग?
हुसियार सिंग- अब चुनाव तो काली होनाच्छे... हम चाहत रेहेन इही खुसी मा आज तुहँर मन के सनमान करतेन कहिकेतुमन हमर नेंवता ला मानकेसनमान समारोह के मुख्यअतिथि बन जातेव ते अच्छा होतिस।
इंद्र- हम जरुर मानबो हुसियार सिंग..! आखिर तुहँर बात ला हम कइसे टार सकत हनकइसे पीए..?
दूत- तुमन तो मोर मन के बात कहिदेव सरकार..! अउ फेरतुमन ला मुख्यअतिथि बने बर टकरहा घलो होयेच्च ला परही।
इंद्र- अइसे..?
दूत- हौ सरकार..!
इंद्र- हुसियार सिंग..! चलना कतिक बेर हे?
हुसियार सिंग- अभिच्चे चलना हे सरकार..!
इंद्र- चलौ त फेर।
दूत- ले चलौ जी (जम्मो सहयोगी मन ला इसारा करथे अउ जम्मो झन चल देथें।

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