गुरुवार, 25 अगस्त 2011

इंद्र के पीरा-6

(समारोह के जम्मो तइयारी हो गेहे हे।हुसियार सिंग के सहयोगी मन खुरसी जमाए बर लगे हे। वतकी बर हुसियार सिंग इंद्रदेव अउ दूत ला सहयोगी मन सहिंत लाके सममान करत बइठाथे।)
हुसियार सिंग- आवौ बइठौ सरकार..! आवौ बइठौ..!! (सब ला अलग-अलग खुरसी मा बइठाथें।)
इंद्र- (बइठत-बइठत) बेवस्था तो बड़ जोरदार लागत हे... हुसियार सिंग..!
हुसियार सिंग- सब तुहँरे मन के नेंवता करे बर आए सरकार..! (सहयोगी मन ले) काँहा हे? भेजव ना।
सहयोगी- बसये आतेच हे हुसियार सिंग जी..! (दु झन नचकारिन अलग-अलग डरेस मा सराब अउ नास्ता धरके आथें अउ इंद्रदेव के आघू मा मड़ा देथें।)
हुसियार सिंग- लेवौ सरकार..!
इंद्र- ए काए हुसियार सिंग?
हुसियार सिंग- एहा सुद्ध बिलायती दारू आए सरकार..!
इंद्र- आँय..! (दूत ले) दूत..! ए नारद जी बताय रिहिसे तइसनेच दारू आए न।
दूत- हाँ सरकार..! ए दारू हा ओइसनेच आय... अउ ये दारूवाली हा घलो नारद जी बताय रिहिस तइसनेच आय... कमाल के खूबसूरत हे सरकार..!
इंद्र- चुप रे..! ए सब बेवस्था मोर बर करे गेहे। ते सिरिफ देख... बोलना कुछु नइ हे।
दूत- तुमन पूछेव त बताए हौं सरकार..!
इंद्र- त जतका पूछेंव वतकच बता ना ऊपरहा कुछु नइ बोलना हे।
दूत- ले अब हम चुप्पे रहिबोन सरकार..!
इंद्र- हाँ अइसे का..! ले चल उठा अपन गिलास। (इंद्रदेव... दूत अउ सबो झन एकक ठन गिलास उठाथे अउ पीथें।)
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- ए का पी परेन रेकुछु समझ नइ आत हे।
दूत- जेन समझ मा आगेतेन पियइच का हरे सरकार..!
इंद्र- अरे चुप..!
दूत- चुप्पे हन ना।
इंद्र- हुसियार सिंग..!
हुसियार सिंग- जी हुजुर..!
इंद्र- ए खाली पियई-खवईच हेके कुछु अउ हे..!
हुसियार सिंग- पूरा बेवस्था हे सरकार..! अभी तुहँर मन के आगू पेस हे..! (संगीत सुरू होथे अउ नचकारिन नाचे ला लगथें। नाच-बाज चलत रहिथे इही बीच मा हुसियार सिंग जनता ला समबोधन करथे) भाई -बहिनी हो..! दाई -दीदी हो..!! लइका-सियान हो..!!! ददा-भइया हो..!!!! तुम सब ला अपन नेता चुने के पूरा अधिकार हे..! अउकइसन नेता चुनना हेतेन तुहँर उप्पर हे।तुमन सब.. अपन दिमाक मा जोर डार के सोंचौ कइसन नेता तुहँर काम आही। जेन नेता हा जनता के सुख-दुख ला भुलाके अपन राग-रंग मा... पियई-खवई मा... नचई-गवई मा बुड़े हे... तेन का तुहँर सेवा कर सकही...? अभी ले इँखर ए हाल हे तब आगू का होहीतुमन खुदे सोचौ-समझौअब मोला अउ कुछु नइ कहना हे।(नाच-बाज चलत रथे... अउ हुसियार सिंग अपन संगी मन संग जनता मा सराब के बोतल अउ रुपिया-पइसा बँटवात रथे। नाच-गान बंद हो जथे... इंद्रदेव अउ सहयोगी मन नसा मा अपन-अपन जगा मा उलंड जथें। नचकारिन मन के जाए के बाद दूत हा हुरहा उठथे।)
दूत- सरकार..! ए सरकार..!
इंद्र- कोने रे..?
दूत- उठौ न सरकार..! यहादेअड़बड़ बेरा होगेओती वोटिंग शुरु होगे होही।
इंद्र- (हड़बड़ाकर उठता हे) अरे हौ रे..! आज तो.. दिल खुस होगे रेचुनाव जीते के बाद तो मे वापिस इंद्रदेव लोक नइ जाँवअइसन इनतजाम उहाँ काँहा हे रे....!
दूत- एकडउल के झन गोठियवौ सरकार..! तीन महिना के छुट्टी मिले हेअउ उहाँ सचीदेवी के का होही?
इंद्र- उहाँ ले इसतिफा दे देबोनअउ सची ला घलो इहँचे बलवा लेबो।
दूत- ले बलवाहू ते बलवाहूफेर अभी तो चलौ... नहा-धोके चुनाव ठउर के दौरा करे बर परही। (सहयोगी मन ले) चलौ उठौ जी..! गजब बेरा होगे। (सब्बो झन हड़बड़ाके उठथे अउ चल देथें।

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