(नेताजी खतखुरहा राम चुनाव कारयालय के बाहिर अपन सहयोगी मन संग खड़े हें... साथ में हुसियार सिंग घलो हे। एक डाहन इंद्रदेव अउ दूत घलो अपन गिने-चुने संगवारी मन संग आथे।वतकीच बेर माईंक में चुनाव परनाम के घोसना होथे।)
उद्घोसक- आम जनता बर परसारित करे जात हे… के ए पंचबरसी चुनाव मा… ए छेत्र ले …खरतुरहा राम हा अपन लगधीर लड़ंका इंद्र कुमार ले… पच्चास हजार ले जादा वोंट ले चुनाव जीत गेहें। (इंद्रदेव अउ दूत हक्का-बक्का रहि जथें।)
हुसियार सिंग- खतखुरहा भइया..!
सब्बो झन- जिन्दाबाद..! जिन्दाबाद..!
हुसियार सिंग- जीत गे भइ..... जीत गे..!
सब्बो झन- खतखुरहा भइया जीत गे।(धीरे-धीरे सब्बो झन रइली के रूप मा चल देथें।)
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- मेहा सपना देखत हौं…के सिरतोन आए रे?
दूत- ओरिजनल…सिरतोन आए सरकार..!
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- हम ला जनावत हस के…तहूँ हमर… खिल्ली उड़ाय बर लग गे हस?
दूत- सरकार..! अपन अन्नदाता के… खिल्ली उड़ाय के जुररत… मे का कर सकत हौं…मे तो अपन हकीकत… बियान करत हौं सरकार..!
इंद्र- तोर हकीकत बयान ला… चुलहा मा डार रे..! हकीकत तो…ए आए के…हम जीते-जिताय चुनाव ला हार गेन…अइसे कइसे होगे....?
दूत- मे तो… खुदे नइ समझ सकत हौं…के अइसे कइसे होगे सरकार...!
इंद्र- मोला… समझ मा आ गेहे रे…हमर संग दगाबाजी होहे…ए मिरित्युलोक मा… हमर अतेक फजियत..? देवराज इंद्रदेव के… अतेक बेइज्जती..? देवता मन के राजा के… अतेक निरादर..? अतेक अपमान..! अतेक..! (पाछु मुँड़ के देखथे... कोनोंच सहियोगी मन नइ दिखे।) अरे..! हमर सपोटर मन… काँहा गे रे ..?
दूत- उँखर किराया के डेट एसपायरी होगे सरकार..! सब अपन-अपन घर चल दिस।
इंद्र- अतेक गद्दारी..! मे सब ला देख लुहुँ रे ? सब ला....!
दूत- काय करे के… बिचार हे सरकार..?
इंद्र- पाँच साल तक… पानी गिराना बंद…बेटा मन ला…तीनों तिरलोक दिख जही... पता चल जही… के देवराज इंद्रदेव सन… गद्दारी करे के का सजा होथे।
दूत- अब… जउन-होगे-तउन होगे…ए… सब बात ला… भुला जाव न सरकार..!
इंद्र- हाँ..! तेल तो तेली के जरे हे न….मसालची के का फरक परही..? भूला जा कहिथस… परलोखिहा…मोर इज्जत के…देवाला निकलगे…अउ मे भुला जाँव…मोर छाती जरे अउ मे भुला जाँव।
दूत- अब… भुलाय बर तो… लागहीच सरकार..! इही तो राजनेति आए…राजनेति मा तो… अइसन होवत रहिथे।
इंद्र- ए… दोगलई ला… ते राजनेति कहिथस रे....! एहा...राजनेति नीहीं…कूटनीति आए...अउ एखरे सेती… मोर संग दगाबाजी होय हे। कतिक छाती ठोंक के….हम अपन बाई कना… केहे रेहेन के… मिरित्युलोक मा राजनेता बनबो…आज नेता-ते-नेता…ओखर चमचा घलो… नइ बन सकेन। हम… ओखर आगू मा…का मुहुँ ले के जाबो..? जेहू-तेहू हमर ऊपर… खखार के थूकहीं…अउ कहहीं देखत हस… देवलोक के राजा ला… मिरित्युलोक के… नानुक चुनाव ला… नइ जीत सकिस। अपन… उतरे थोथना ला लेके… उहाँ कइसे जाबो रे....?
दूत- अब… जाए बर तो… लागहिच सरकार..! छुट्टी सिराय के पहिली… इहाँ ले तो जानाच…परही।
इंद्र- जाए बर तो जाबोन रे..! फेर… अपन बेज्जती के मजा चखाके जाबोन…पहिली तो ओखर धुर्रा छोड़ाहूँ रे..! जेन हा मोला…. ए नरक मा ढकेले हाबे।
दूत- कोन ला केहेव सरकार..?
इंद्र- उही चुगलहा…कोनों ला… उभराय मा फस्ट…नारद ला।
दूत- अब उँखरो…. का गलती हे सरकार..! जउन देखिस… तउने ला बताइस होही। तुहँर तो चुनावेच… लड़े बर चुर-चुर्राय रीहिसे… तेन ला वहू का करही। अइसन मा… अउ… फजियत झन हो जाय।
इंद्र- अब कुछु हो जाए रे..! पहिली तो… ओखर सिकायत लेके…भगवान बिसनु करा जावत हों। ओ नारद ला… रद्द नइ करा देंव…ओला देवलोक ले… ससपेन्ड नइ करा देंव…त मोरो नाँव… इंद्रदेव नइ हे। दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- चल… हमर पाछू-पाछू।
दूत- त… हमर एरावत हाँथी ला… बला लेथन न सरकार?
इंद्र- रिस के मारे… मोला कुछु नइ सूझत हे रे....! मे अउ जादा अगोरा… नइ कर सकँव...। ओखर आए के पहिली तो… हम छीरसागर पहुँच जबो... चल…।
दूत- ले चलौ भइ…मोला का करे बर हे..!
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