गुरुवार, 25 अगस्त 2011

इंद्र के पीरा- 7

(नेताजी खतखुरहा राम चुनाव कारयालय के बाहिर अपन सहयोगी मन संग खड़े हें... साथ में हुसियार सिंग घलो हे। एक डाहन इंद्रदेव अउ दूत घलो अपन गिने-चुने संगवारी मन संग आथे।वतकीच बेर माईंक में चुनाव परनाम के घोसना होथे।)
उद्घोसक- आम जनता बर परसारित करे जात हे के ए पंचबरसी चुनाव मा ए छेत्र ले खरतुरहा राम हा अपन लगधीर लड़ंका इंद्र कुमार ले पच्चास हजार ले जादा वोंट ले चुनाव जीत गेहें। (इंद्रदेव अउ दूत हक्का-बक्का रहि जथें।)
हुसियार सिंग- खतखुरहा भइया..!
सब्बो झन- जिन्दाबाद..! जिन्दाबाद..!
हुसियार सिंग- जीत गे भइ..... जीत गे..!
सब्बो झन- खतखुरहा भइया जीत गे।(धीरे-धीरे सब्बो झन रइली के रूप मा चल देथें।)
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- मेहा सपना देखत हौंके सिरतोन आए रे?
दूत- ओरिजनलसिरतोन आए सरकार..!
इंद्र- दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- हम ला जनावत हस केतहूँ हमर खिल्ली उड़ाय बर लग गे हस?
दूत- सरकार..! अपन अन्नदाता के खिल्ली उड़ाय के जुररत मे का कर सकत हौंमे तो अपन हकीकत बियान करत हौं सरकार..!
इंद्र- तोर हकीकत बयान ला चुलहा मा डार रे..! हकीकत तोए आए केहम जीते-जिताय चुनाव ला हार गेनअइसे कइसे होगे....?
दूत- मे तो खुदे नइ समझ सकत हौंके अइसे कइसे होगे सरकार...!
इंद्र- मोला समझ मा आ गेहे रेहमर संग दगाबाजी होहेए मिरित्युलोक मा हमर अतेक फजियत..? देवराज इंद्रदेव के अतेक बेइज्जती..? देवता मन के राजा के अतेक निरादर..? अतेक अपमान..! अतेक..! (पाछु मुँड़ के देखथे... कोनोंच सहियोगी मन नइ दिखे।) अरे..! हमर सपोटर मन काँहा गे रे ..?
दूत- उँखर किराया के डेट एसपायरी होगे सरकार..! सब अपन-अपन घर चल दिस।
इंद्र- अतेक गद्दारी..! मे सब ला देख लुहुँ रे ? सब ला....!
दूत- काय करे के बिचार हे सरकार..?
इंद्र- पाँच साल तक पानी गिराना बंदबेटा मन लातीनों तिरलोक दिख जही... पता चल जही के देवराज इंद्रदेव सन गद्दारी करे के का सजा होथे।
दूत- अब जउन-होगे-तउन होगे सब बात ला भुला जाव न सरकार..!
इंद्र- हाँ..! तेल तो तेली के जरे हे न….मसालची के का फरक परही..? भूला जा कहिथस परलोखिहामोर इज्जत केदेवाला निकलगेअउ मे भुला जाँवमोर छाती जरे अउ मे भुला जाँव।
दूत- अब भुलाय बर तो लागहीच सरकार..! इही तो राजनेति आएराजनेति मा तो अइसन होवत रहिथे।
इंद्र- दोगलई ला ते राजनेति कहिथस रे....! एहा...राजनेति नीहींकूटनीति आए...अउ एखरे सेती मोर संग दगाबाजी होय हे। कतिक छाती ठोंक के….हम अपन बाई कना केहे रेहेन के मिरित्युलोक मा राजनेता बनबोआज नेता-ते-नेताओखर चमचा घलो नइ बन सकेन। हम ओखर आगू माका मुहुँ ले के जाबो..? जेहू-तेहू हमर ऊपर खखार के थूकहींअउ कहहीं देखत हस देवलोक के राजा ला मिरित्युलोक के नानुक चुनाव ला नइ जीत सकिस। अपन उतरे थोथना ला लेके उहाँ कइसे जाबो रे....?
दूत- अब जाए बर तो लागहिच सरकार..! छुट्टी सिराय के पहिली इहाँ ले तो जानाचपरही।
इंद्र- जाए बर तो जाबोन रे..! फेर अपन बेज्जती के मजा चखाके जाबोनपहिली तो ओखर धुर्रा छोड़ाहूँ रे..! जेन हा मोला…. ए नरक मा ढकेले हाबे।
दूत- कोन ला केहेव सरकार..?
इंद्र- उही चुगलहाकोनों ला उभराय मा फस्ट…नारद ला।
दूत- अब उँखरो…. का गलती हे सरकार..! जउन देखिस तउने ला बताइस होही। तुहँर तो चुनावेच लड़े बर चुर-चुर्राय रीहिसे तेन ला वहू का करही। अइसन मा अउ फजियत झन हो जाय।
इंद्र- अब कुछु हो जाए रे..! पहिली तो ओखर सिकायत लेकेभगवान बिसनु करा जावत हों। ओ नारद ला रद्द नइ करा देंवओला देवलोक ले ससपेन्ड नइ करा देंवत मोरो नाँव इंद्रदेव नइ हे। दूत..!
दूत- जी सरकार..!
इंद्र- चल हमर पाछू-पाछू।
दूत- हमर एरावत हाँथी ला बला लेथन न सरकार?
इंद्र- रिस के मारे मोला कुछु नइ सूझत हे रे....! मे अउ जादा अगोरा नइ कर सकँव... ओखर आए के पहिली तो हम छीरसागर पहुँच जबो... चल
दूत- ले चलौ भइमोला का करे बर हे..! 

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