ख. निर्वाचित राजनेता (प्रधानमंत्री तथा मंत्री समेत):
यदि कोई राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो जन लोकपाल या जन लोकायुक्त उसके खिलाफ जनता कि किसी शिकायत या खुद से जांच शुरू कर सकता है। जांच पूरी होने के बाद यदि कोई मामला बनता है तो जन लोकपाल या जन लोकायुक्त न्यायालय में मु़कदमा दर्ज करेगा। न्यायालय को उसकी सुनवाई और आदेश एक साल की अवधि के भीतर पूरे करने होंगे। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री समेत सभी मंत्रियों के मामले में किसी भी जांच या मुकदमे को शुरू करने की अनुमति जन लोकपाल या जन लोकायुक्त की पूर्ण पीठ (ग्यारह सदस्यीय) को देनी होगी। प्रधानमंत्री को छोड़ कर अन्य मंत्रियों के संबंध में यदि कोई मामला बनता है तो जन लोकपाल या जन लोकायुक्त की पीठ, राज्यपाल या राष्ट्रपति को ऐसे मंत्री को हटाने की सिफारिश करेगी ।
ग. नौकरशाह
जन लोकपाल या तो खुद से या किसी शिकायत पर किसी भी नौकरशाह के खिलाफ जांच की शुरूआत कर सकता है। जांच के पूरे होने के बाद यदि मामला बनता है तो जन लोकपाल या लोकायुक्त न्यायालय में मुकदमा दर्ज कर सकता है। न्यायालय को 1 वर्ष के अंदर इसका फैसला करना होगा।
नौकरशाहों के मामलों में, जांच पूरी होने के बाद यदि कोई मामला बनता है तो जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के पास विभागीय दंड (पैनल्टी) के साथ-साथ बर्खास्तगी की सिफारिश करने की शक्ति होगी। ऐसी सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी होगी। हालांकि, ऐसी सिफारिशें देने से पहले संभावनाओं की प्रधानता के आधार पर प्रमाणों की जांच की जाएगी। यदि आरोपी संयुक्त सचिव या उससे उच्च पद पर आसीन है तो ऐसा दंड जन लोकपाल या जन लोकायुक्त की पीठ द्वारा सभी पक्षों की सुनवाई के बाद लगाया जाएगा। बाकियों के लिए, ऐसे दंड लोकपाल या लोकायुक्त के उच्च अधिकारियों की पीठ के द्वारा लगाए जायेंगे। इन आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।
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