शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ अवाज़ उठाने वालों (व्हि्सल ब्लोअर) का संरक्षण


समस्या क्या है
यदि कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाता है तो ऐसी कोई संस्थानहीं है जो उसे विश्‍वसनीय तथा प्रभावशाली संरक्षण प्रदान कर सके। वह केवल पुलिस के पास जा सकता है। आमतौर पर पुलिस उन्हीं लोगों के नियंत्रण में होती है जो खुद भ्रष्ट हैं। मिसाल के तौर पर, यदि कोई स्थानीय सांसद या विधायक लोगों का उत्पीड़न करता है तो ऐसे में पुलिस कुछ नहीं करती। 

जन लोकपाल बिल में प्रस्तावित व्यवस्था 
जन लोकपाल एक स्वतंत्रसंस्था होने के नाते भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्यक्ति को किसी भी हानि से संरक्षण दिलाने के लिए सक्षम तथा उत्तरदायी होगा और साथ ही इन मामलों में जांच तथा मुकदमें का आदेश देगी । यदि जन लोकपाल के अधिकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले व्यक्ति को पर्याप्त संरक्षण दिलाने में नाकामयाब होता है और व्यक्ति को वाकई में कोई हानि पहुंचती है, तो ऐसे अधिकारी के विरु) आपराधिक कार्यवाही की जाएगी (यदि उसके पासखुद को बेकसूर साबित करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है)। 

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्यक्ति स्थानीय सतर्कता (विजिलेंस) अधिकारी या जन लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्यों से सुरक्षा की मांग कर सकता है। इन्हें मामले की गंभीरता को देखते हुए निश्‍चित समय सीमा में कार्यवाही करनी होगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्यक्ति के पास जन लोकपाल के सदस्यों से व्यक्तिगत तौर पर मिलने या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा बात करने का 

अधिकार होगा (यदि वह स्वयं जन लोकपाल भवन तक जाने में असमर्थ हैं।) 
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्यक्ति का यदि मानसिक उत्पीड़न होता है तो जन लोकपाल शिकायतकर्ता एक महीने के अंदर आवश्यक सुरक्षा दिलाएगा। शारीरिक हानि का भय होने पर, जन लोकपाल भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले व्यक्ति की शिकायत दर्ज कराने के कुछ ही घंटों में या अधिक से अधिक एक सप्ताह के भीतर मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर अनिवार्य सुरक्षा मुहैया कराएगा । यदि शारीरिक नुकसान पहले ही हो चुका है तो जन लोकपाल शिकायत दर्ज कराने के 24 घंटे के भीतर ही आगे होने वाले किसी और नुकसान से संरक्षण दिलायेगा। साथ ही जन लोकपाल पुलिस को नुकसान पहुंचाने वाले के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश भी देगा। 

अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ प्राधिकारियों द्वारा कोई झूठा मामला दर्ज हुआ हो तो जन लोकपाल ऐसे मामले की वापसी भी सुनिश्‍चित करेगा। 

झूठी और भ्रमित करने वाली शिकायतों के खिलाफ सुरक्षा 
झूठी शिकायत : अगर कोई व्यक्ति बिना किसी आधार के किसी अन्य को परेशान करने की मंशा से शिकायत करता है तो शिकायतकर्ता पर जन लोकपाल की ओर से आर्थिक दंड लगाया जाएगा। हालांकि, कमज़ोर सबूतों के होने कि स्थिति में शिकायतकर्ता को दंडित नहीं किया जाएगा। जन लोकपाल या लोकायुक्त के अध्यक्ष या किसी सदस्य के खिलाफ झूठी शिकायत यदि कोई शिकायत बिना किसी आधार के अध्यक्ष या किसी सदस्य को परेशान करने की मंशा से की जाती है तो सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय ऐसे शिकायतकर्ता के खिलाफ आर्थिक दंड लगा सकते हैं तथा जेल की सज़ा भी दे सकते हैं। 

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!