शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

जन लोकपाल अधिनियम के बारे में बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्‍न


क) क्या लोकपाल निरंकुश हो जाएगा
एक भ्रांति फैलाई जा रही है कि प्रस्तावित जन लोकपाल निरंकुश हो जाएगा तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरा बन जाएगा। यह बिलकुल गलत है। आइए देखते हैं कि जन लोकपाल अधिनियम में क्या प्रस्तावित है - 

1) राजनेताओं, न्यायाधीशों तथा नौकरशाह के खिलाफ जन लोकपाल भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की जांच करेगा तथा दोषी पाने पर न्यायालय में मामला दर्ज करेगा। सुनवाई या सज़ा का अधिकार केवल न्यायालय के पास होगा। लोकपाल के पास सज़ा देने की कोई शक्ति नहीं होगी। 

2) पर, नौकरशाहों के मामले में, यदि जांच के बाद अधिकारी को दोषी पाया जाता है तो जन लोकपाल के पास विभागीय दंड देने समेत बर्खास्त करने की शक्ति होगी। संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के अधिकारियों के मामले में सभी संबंधित पक्षों की सुनवाई के बाद जन लोकपाल के सदस्यों की एक पीठ इस प्रकार का दंड दे सकेगी। अगर आरोपी संयुक्त सचिव या उससे निचले स्तर का हो तो उस मामले में सुनवाई जन लोकपाल के वरिष्ठ अधिकारियों की एक पीठ द्वारा की जाएगी। जन लोकपाल के इन आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की जा सकेगी। यह व्यवस्था वर्तमान व्यवस्था से काफी बेहतर है, जिसमें आरोपी तथा उनके मित्र ही अपने खिलाफ जांच करने एवं सज़ा निर्धारित करने के लिए उत्तरदायी होते हैं। वर्तमान में, उसी विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच की जाती है (अकसर कनिष्ठ अधिकारी अपने उच्चाधिकारियों के खिलाफ जांच करते हैं।) तथा सज़ा का निर्धारण उसी विभाग या मंत्रालय के अधिकारी द्वारा किया जाता है और उनके खिलाफ अपील भी उसी विभाग या मंत्रालय के किसी अधिकारी के पास की जाती है। चूंकि आरोपी अधिकारी उसी विभाग / मंत्रालय से संबंधित होता है इसलिए वह अपने सहकर्मियों, साथियों तथा मातहतों को प्रभावित करने में कामयाब हो जाता है। ज़्यादातर मामलों में कार्यवाही करने वाले अधिकारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त होते है। 

वर्तमान व्य्वस्था में, इस पूरी प्रक्रिया में जनता या शिकायतकर्ता कुछ कह ही नहीं पाते। गैर-ईमानदार जांच के बाद भ्रष्ट अधिकारियों को छोड़ दिया जाता है। जन लोकपाल बिल के तहत शिकायत करने वाले को मुख्य गवाह माना जाएगा तथा उसे सुनवाई का मौका दिए बिना, मामले को बंद नहीं किया जाएगा। इस प्रकार प्रस्तावित व्यवस्था पहले के मुकाबले काफी निष्पक्ष, पारदर्शी तथा जवाबदेह है। 

ख) क्या जन शिकायतों को लोकपाल की परिधि में लाना चाहिए ?क्या इससे लोकपाल का कार्यभार अत्याधिक बढ़ने के कारण लोकपाल व्यवस्था चरमरा जाएगी
जन लोकपाल बिल में प्रस्तावित शिकायत निवारण व्यवस्था के तहत कोई भी शिकायत सीधे जन लोकपाल के सदस्यों तक नहीं पहुंचेगी। जब किसी विभाग के प्रमुख समेत संबंधित अधिकारी किसी नागरिक की शिकायत का निस्तारण करने में असफल होंगे, तब ये शिकायत जन लोकपाल के सतर्कता अधिकारी तक पहुंचेगी। सतर्कता अधिकारी शिकायत का हल निकालने के अलावा विभाग के प्रमुख समेत संबंधित अधिकारियों को दंडित भी करेगा। यह उम्मीद है कि यह व्यवस्था दंड के डर से विभागों के प्रमुख अपनी व्यवस्था को मजबूत करना शुरू कर देंगे। साथ ही, प्रत्येक विभाग को अपने-अपने नागरिक अधिकार पत्र तैयार करने होंगे। वे पहले खुद इस बात का अंदाज़ा लगाएंगे कि उन्हें अपने नागरिक अधिकार पत्र में क्या रखना है जिससे वे अपनी प्रतिबद्धता को पुख्ता कर सकें। हालांकि, यह माना जा रहा है कि सभी विभाग एक ही साल के भीतर सार्वजनिक कामों से जुड़े मामलों को अपने नागरिक अधिकार पत्र में लाएंगे। 

यह भी आशंका जताई जा रही है कि जन लोकपाल के पास शिकायतों का अम्बार लग जाएगा और काम ठप्प हो जाएगा। यह आशंका सही नहीं है क्योंकि सिर्फ उन्हीं शिकायतों को स्वीकार किया जाएगा जो नागरिक अधिकार पत्र के उल्लंघन से संबंधित होंगी। एक बार के लिए अगर हम मान भी लें कि किसी विभाग के खिलाफ लाखों शिकायतें आ जाती हैं तो भी जन लोकपाल की व्यवस्था ठप्प नहीं होएगी। इनसे केवल कुछ जगहों के कुछ विभागों के सतर्कता अधिकारियों का काम रुक सकता है। ऐसे में यदि जन लोकपाल यह महसूस करता है कि अधिक सतर्कता अधिकारियों की जरूरत है, तो उसके पास और सतर्कता अधिकारियों को नियुक्त करने की शक्ति होगी। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!