शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

चुनाव-चालीसा

जगर-बगर देखत हे
मुसुर-मुसुर हाँसत हे
एकेच बार अऊ भइया रे
हाँत जोड़े काहत हे ।

सियान मन सहीं कथे-
घुरवा के दिन बहुरथे ।
चुनाव के समे का परगे
पुदगू के घलो भाव बढ़गे ।

पाँच साल ले तुम कूद-कूद कमाहू
हमला सुक्खा ठेंगवा देखाहू ।
हमूँ देखबो काखर करा जाहू
हमर मदद बिना कतका वोट पाहू ।

अतका सुनके नेता के जेब ले
रुपया अऊ बोतल निकलत हे
पुदगू के कतिक सइत्ता
देखके तुरत फिसलत हे ।

देखव आज के राजनीति
पइसा चुनाव जितावत हे
राजा पलत हे पाल्हर इहाँ
परजा मन सोंटावत हे ।

बिसमता के दिवाल उंडा के
कब गूँजही गाँधी के नारा-
‘रामराज सा प्यारा भइया
ग्राम सुराज हमारा ।’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!