जगर-बगर देखत हे
मुसुर-मुसुर हाँसत हे
एकेच बार अऊ भइया रे
हाँत जोड़े काहत हे ।
सियान मन सहीं कथे-
घुरवा के दिन बहुरथे ।
चुनाव के समे का परगे
पुदगू के घलो भाव बढ़गे ।
पाँच साल ले तुम कूद-कूद कमाहू
हमला सुक्खा ठेंगवा देखाहू ।
हमूँ देखबो काखर करा जाहू
हमर मदद बिना कतका वोट पाहू ।
अतका सुनके नेता के जेब ले
रुपया अऊ बोतल निकलत हे
पुदगू के कतिक सइत्ता
देखके तुरत फिसलत हे ।
देखव आज के राजनीति
पइसा चुनाव जितावत हे
राजा पलत हे पाल्हर इहाँ
परजा मन सोंटावत हे ।
बिसमता के दिवाल उंडा के
कब गूँजही गाँधी के नारा-
‘रामराज सा प्यारा भइया
ग्राम सुराज हमारा ।’
मुसुर-मुसुर हाँसत हे
एकेच बार अऊ भइया रे
हाँत जोड़े काहत हे ।
सियान मन सहीं कथे-
घुरवा के दिन बहुरथे ।
चुनाव के समे का परगे
पुदगू के घलो भाव बढ़गे ।
पाँच साल ले तुम कूद-कूद कमाहू
हमला सुक्खा ठेंगवा देखाहू ।
हमूँ देखबो काखर करा जाहू
हमर मदद बिना कतका वोट पाहू ।
अतका सुनके नेता के जेब ले
रुपया अऊ बोतल निकलत हे
पुदगू के कतिक सइत्ता
देखके तुरत फिसलत हे ।
देखव आज के राजनीति
पइसा चुनाव जितावत हे
राजा पलत हे पाल्हर इहाँ
परजा मन सोंटावत हे ।
बिसमता के दिवाल उंडा के
कब गूँजही गाँधी के नारा-
‘रामराज सा प्यारा भइया
ग्राम सुराज हमारा ।’
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