धर्मप्राण देश भारत सदैव से शांतिमय जीवन का पक्षपाती रहा है, किंतु वर्तमान परिवेष में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अनैतिकता आदि पैशाचिक प्रवृत्तियों ने हमारे जीवन में जड़ें जमा ली है। इस परिस्थिति में आज समस्त राजनैतिक नेताओं एवं धर्मप्रिय संतों का दायित्व बनता है, कि हम भारत वर्ष के उस स्वर्णिम अतीत की याद करते हुये तत्कालीन शांति व्यवस्था की पुर्नस्थापना हेतु प्रयास करें।
इसी उद्देश्य से हमारी समिति ने पुण्य सलिला तांदुला नदी के पावन तट पर स्थित श्री विमल वैदिक सेवा आश्रम पैरी को छत्तीसगढ़ के महान तीर्थ के रूप में विकसित करने हेतु आश्रम के स्वरूप में आमूल-चूल परिवर्तन करने का निर्णय लिया है।
आश्रम के उद्देश्य :
सर्वमान्य जनता का नैतिक, आर्थिक, सामाजिक, विकास कर सुखी व समृद्ध समाज की रचना समिति का उद्देश्य है। इसे निम्नांकित बिंदुओं में प्रस्तुत किया जाता है-
नैतिक : ग्रामों व नगरों में श्रीरामायण सेवा समिति की स्थापना कर रामायण के माध्यम से स्वच्छ एवं आदर्श समाज की संरचना, सत्साहित्य का प्रकाशन व प्रचार-प्रसार। पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन। गौरक्षा हेतु गौशाला का संचालन।
आर्थिक : बेकारी उन्मूलन और गरीबी के निराकरण हेतु ग्रामोद्योग की स्थापना। कुटीर उद्योगों का संचालन। कुटीर उद्योग के अंतर्गत सिलाई-कढ़ाई, अगरबत्ती, मोमबत्ती, सर्फ, साबुन, हवन सामाग्री, काढ़ा आदि बनाने का काम प्रारंभ में किया जाना है इसके सिवाय वेल्डिंग, फिटिंग आदि का प्रशिक्षण।
स्वास्थ्य संवर्धनः सर्वसामान्य जनता को स्वस्थ रखने हेतु स्वास्थ्य संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत चिकित्सा सेवा की व्यवस्था एवं व्यायाम व विभिन्न आसनों का प्रशिक्षण।
सामाजिक : व्यसनमुक्ति (शराब, बिड़ी, गाँजा, मांस, जुआ, चाय तथा व्यभिचार का परित्याग)।
पृष्ठभूमि
सन् १९६१ की घटना है। संत विनोबा भावे अखिल भारतीय पद यात्रा पर थे गाँव-गाँव चलकर समर्थ लोगों से भूमिदान प्राप्तकर जरुरतमंद गरीबों के बीच जमीन वितरण कर रहे थे। इस दल में हमारे गुरुदेव ब्रम्हलीन स्वामी सुजनानंद महाराज भी शामिल थे। ज्ञातब्य हो कि स्वामीजी महाराज सर्वोदयी विचार से प्रभावित होने के नाते भूदान यज्ञ के सृजेता श्री विनोबा जी के सानिध्य में राष्ट्रसेवा में लगे हुये थे। यह दल दुर्ग जिले की यात्रा पर था। इस तारतम्य में एक पड़ाव बालोद विकासखंड के ग्राम लाटाबोड़ में था। यहाँ पर किसानों का विशाल सम्मेलन आयोजित था। इस सम्मेलन को संत विनोबा जी के साथ-साथ अन्य सर्वोदयी नेताओं ने भी संबोधित किया। संबोधन करनेवालों में एक वक्ता स्वामी सुजनानंद जी महाराज (श्री हीरालाल शास्त्री) भी थे। श्री शास्त्री जी के वक्तृत्व शैली से पूरा समुदाय मोहित हो गया। उन्होंने रामचरित मानस के आधार पर सर्वहित की बात रखी। हजारों श्रोताओं में ग्राम पैरी निवासी श्री कलीराम जी पटेल भी थे। श्री पटेल ने स्वामीजी से अपने ग्राम पैरी चलने का अनुरोध किया। श्री कलीरामजी के सादगी पूर्ण व्यवहार एवं रामायण के प्रति श्रद्धा देखकर शास्त्री जी महाराज उनके साथ दिनांक २१-०१-१९६१ को पैरी आ गये। रात में उनका प्रवचन पहली बार पैरी के गुड़ी चौक में हुआ। रामायण के माध्यम से कुण्ठाग्रस्त एवं दिग्भ्रमित समाज कैसे सुधर सकता है इस प्रसंग पर प्रवचन हुआ। यह प्रसंग ग्रामीणों को प्रभावित कर गया और उसी रात ग्राम के ८० भाई-बहन मांस-मदिरा एवं बिड़ी-तम्बाकू का परित्याग करते हुये रामायण सेवा समिति के सदस्य बन गये।
प्रातः शास्त्री जी महाराज कलीराम जी के साथ तांदुला नदी जो ग्राम पैरी के समीप बहती है, स्नान के लिये गये। नदी किनारे बीहड़ जमीन जहाँ साँप, बिच्छु एवं अनेक प्रकार के जहरीले जन्तुओं का डेरा था को देखकर महाराज जी ने जिज्ञासा व्यक्त की कि यह जमीन किसकी है। अगर यह जमीन दान में मिल सके तो इस पर एक बढ़िया आश्रम का निर्माण किया जा सकता है, उसी दिन जमीनवालों से संपर्क हुआ। शास्त्री जी के विचार से प्रभावित दान-दाता अपनी जमीन देने तैयार हो गये। धार्मिक कार्यों के लिये दान देनेवाले दाता है-श्री तनगूराम साहू, श्री मनहरण लाल साहू, श्री उजियालिक साहू, श्री चंदूलाल साहू, श्री तुलसी राम साहू आदि। घासफूस की सफाई कर पहले वर्ष इस स्थान पर ग्यारह कुण्डीय गायत्री महायज्ञ संपन्न हुआ। तदंतर सन् १९७५ में १००१ कुण्डीय विशाल गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें स्वामी ओमप्रकाशानंद सरस्वती, स्वामी दिव्यानंद सरस्वती, विश्वबंधु शास्त्री, सत्यमित्र शास्त्री आदि उद्भट विद्वान उपस्थित हुये थे। इसी कार्यक्रम में तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पं.श्यामाचरण शुक्ल का भी इस पावन भूमि पर शुभागमन हुआ था एवं उन्होंने भूमिहीनों को पट्टा वितरण किया था। इसी समय आश्रम पहुँच मार्ग का २-३ दिनों के अंदर तीव्र गति से निर्माण किया गया था। तब से लगातार यह आश्रम इस क्षेत्र में स्वामी सुजनानंद महाराज के निर्देशन में निर्व्यसनी समाज निर्माण की दिशा में गतिशील है। दान में प्राप्त भूमि पर आश्रम के अनुरूप निर्माण कार्य किये जा रहे हैं। इसी बीच १० अगस्त १९९६ को हमारे गुरुदेव ब्रम्हलीन हो गये। ब्रम्हलीन होने के पूर्व गुरुजी ने श्री विमल वैदिक सेवा आश्रम पैरी के लिये समिति तथा श्रीराम जानकी आश्रम सगनी के लिये ट्रस्ट का गठन कर दिया। तब से श्री विमल वैदिक सेवा आश्रम पैरी का संचालन समिति द्वारा किया जा रहा है, एवं दान में प्राप्त भूमि एवं सारी संपत्ति का स्वामित्व श्रीरामायण सेवा समिति के आधीन है। वर्ष भर आश्रम में आयोजित होनेवाले कार्यक्रमों एवं नियमों की जानकारी निम्नानुसार है-
१. बिना अनुमति रात्रि ९ बजे के पश्चात् आश्रम में प्रवेश वर्जित है।
३. आश्रमवासी समस्त भाई-बहनों से प्रातःकालीन प्रार्थना, संध्याकालीन प्रार्थना एवं दैनिक यज्ञ में सम्मिलित होने की अपेक्षा की जाती है।
४. आश्रम में सदैव शांति बनाये रखने का प्रयास किया जावे। बाहर से आनेवाले बच्चों को भी शोरगुल करने की अनुमति नहीं है।
५. दर्शनार्थी दानराशि दानपेटी में ही डालें। बड़ी राशि दान करने के इच्छुक भक्त व्यवस्थापक से संपर्क करें एवं दान की रसीद प्राप्त करें।
६. सदस्य बनने के इच्छुक भाई बहन व्यवस्थापक से संपर्क करें।
७. आश्रम परिसर को सुन्दर व स्वच्छ बनाये रखने में सभी सहयोग करें।
८. अपनों से बड़ों के प्रति सम्मान, छोटों के प्रति स्नेह व बराबर उम्रवालों के प्रति सद्भावना का व्यवहार करें। सभी से नम्रता का व्यवहार करें।
९. अनजान व्यक्ति को आश्रम में रुकने हेतु अध्यक्ष एवं संचालक के निर्देशानुसार अनुमति प्राप्त करना होगा।
९. अनजान व्यक्ति को आश्रम में रुकने हेतु अध्यक्ष एवं संचालक के निर्देशानुसार अनुमति प्राप्त करना होगा।
१. प्रातः ०४.०० बजे जागरण, नित्य प्रार्थना एवं चिंतन।
२. प्रातः ०६.०० बजे सामूहिक सफाई।
३. प्रातः ०७.०० बजे स्नान, ध्यान एवं पूजा।
४. प्रातः ०८.०० बजे मंदिर में पूजा।
५. प्रातः ०९.०० बजे दैनिक गायत्री महायज्ञ।
६. प्रातः १०.०० बजे स्वल्पाहार।
७. प्रातः ११.०० बजे आध्यात्मिक चर्चा।
८. दोपहर ०१.०० बजे भोजन एवं विश्राम।
९. दोपहर ०३.०० बजे प्रवचन एवं अध्यात्म चर्चा।
१०. संध्या ०५.०० बजे वायु सेवन भ्रमण।
११. संध्या ०६.०० बजे मंदिरों में पूजा।
१२. संध्या ०७.०० बजे नित्य प्रार्थना, भजन एवं प्रवचन।
१३. रात्रि ०८.०० बजे भोजन।
१४. रात्रि ०९.०० बजे विश्राम।
आयोजन हेतु संस्कृति, पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग द्वारा प्रतिवर्ष ५०००० रू. का अनुदान प्राप्त होता है। इस राशि को बढ़ाने हेतु समिति द्वारा शासन से लगातार माँग की जा रही है। समिति इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने की माँग भी लगातार रख रही है जिससे यह मेला राजिम मेला का स्वरूप ग्रहण कर सके।
आश्रम के मुख्य आयोजन-
१. वार्षिकोत्सव माघ पूर्णिमा मेला, त्रिदिवसीय सत्संग समारोह माघ शुक्ल १३ से पूर्णिमा तक।
२. चैत्र नवरात्रि विश्वकल्याण हेतु ज्याति कलश स्थापना एवं रामनवमीं महोत्सव।
३. गुरु पूर्णिमा-आषाढ़ पूर्णिमा पर क्रमशः पैरी आश्रम/सगनी आश्रम में आयोजन।
४. तुलसी जयंती समारोह-श्रावण शुक्ल सप्तमी
५. क्वॉंर नवरात्रि मनोकामना ज्योति कलश।
६. शरदपूर्णिमा-मानस मर्म विवेचन शिविर श्रद्धालुओं की माँग के अनुसार स्थल निर्धारण।
७. त्रिदिवसीय साधना शिविर शरद् पूर्णिमा महोत्सव के तत्काल पश्चात्।
नोट-
१. सत्र के मध्य में प्रवचन कार्यक्रम रखने हेतु अध्यक्ष से संपर्क करें।
२. आश्रम में पुँसवन, यज्ञोपवीत, मुंडन, आदर्श विवाह, विद्यांरभ, अस्थिविसर्जन के लिये अध्यक्ष से संपर्क करें।
विगत वार्षिक सम्मेलन में आशीर्वन देनेवाले संत एवं राजनेता
श्री विष्णु अरोरा, सुश्री उमाभारती, स्वामी ओमप्रकाशानंद सरस्वती, स्वामी दिव्यानंद सरस्वती, विश्वबंधु शास्त्री, सत्यमित्र शास्त्री, पं.चंद्रप्रकाश कौशिक, श्री असंग साहेब, चंद्रशेखर शास्त्री, गिरिजादेवी शर्मा, आत्माराम कुंभज, संत पन्नालाल ‘सूरदास’, संत नेतराम ‘सूरदास’, श्रीमती शकुंतला देवी वैष्णव, श्री राजन महाराज, रामबिहारी रामायणी, राघवजी, सुश्री जानकी देवी, सिद्धबाबा इलाहाबाद, कमलनारायण आर्य, जगत गुरु स्वामी डॉ. जीवनानंद चैतन्य (ओंकारेश्वर), साध्वी दीदी सत्यप्रिया जी (वृन्दावन)।
राजनेतागण-
पं. श्यामाचरण शुक्ल (मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन), डॉ. रमन सिंह (मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन), अरविंद नेताम (केंद्रीय मंत्री नई दिल्ली), सोहन पोटाई (सांसद कॉंकेर), वासुदेव चंद्राकर (अध्यक्ष, जिला कॉंग्रेस कमेटी दुर्ग), घनाराम साहू (विधायक) ताराचंद साहू (विधायक), डॉ. दयाराम साहू (विधायक, उपाध्यक्ष भाजपा) श्रीमती रमशीला साहू (मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन), श्रीमती झमिता साहू (अध्यक्ष, जिला पंचायत) बृजमोहन अग्रवाल (संस्कृति एवं पर्यटनमंत्री) ननकी राम कँवर (गृहमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन) विरेन्द्र साहू (विधायक)।
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