- पहले हम माँ के हाथ का बना खाना पंसद करते थे अब हॉटल का खाना ही हमें रास आता है। क्या यही..
- पहले हम बड़ी-बड़ी समस्याओं का हल गाँव में ही पंचायत के माध्यम से कर लिया करते थे और अब छोटी-छोटी बातों के लिये भी पुलिस का सहारा लेते हैं। क्या यही..?
- पहले घर में एक भी दीपक अनावश्यक जलाने पर डाँट लगाते थे और अब सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों बल्ब जलाये जाते हैं, तो भी कोई कुछ नहीं कहता क्या यही..?
- सरकार द्वारा शराब व सिगरेट बेचकर टैक्स लेना और उसी पैसे से बच्चों को मुफ्त में सायकल और पुस्तक कापी बॉंटना क्या यही..?
- पहले चुनाव चरित्र और नीतिगत विषयों पर लड़े जाते थे और अब पैसों व शराब के बल पर लड़े जाते हैं, क्या यही..?
- पहले हम श्रीराम के जीवन चरित्र का अनुसरण करते थे, लेकिन अब जय तो श्रीराम की बोलते हैं, लेकिन आचरण रावण से भी ज्यादा खराब है। क्या यही..?
- पहले सरकार जुआ, सट्टा को अपराध मानती थी और अब खुद टैक्स लेकर वायदा कारोबार व शेयर मार्केट का सट्टा खिलाती है। क्या यही..?
- पहले चिकित्सा को सेवा और शिक्षा को दान मानते थे, ये दोनों कार्य अब व्यवसाय की श्रेणी में आ गये हैं। क्या यही..?
- पहले लोग ऐसे मकानों में रहते थे जो स्वास्थ्य के अनुकूल हो और अब दिखावे के लिये बनायें गये स्वास्थ्य के प्रतिकूल मकानों में रहते हैं। क्या यही..?
- पहले हम चरित्र को ही सबसे बड़ी संपत्ति मानते थे और चरित्रवान को सम्मान मिलता था, अब किसने कितना पैसा कमाया इससे उसकी इज्जत होती है। क्या यही..?
- पहले जब हमारे निर्यातकों को कोई सुविधा नहीं थी तब भी विश्व व्यापार में हमारे निर्यात का हिस्सा ३० से ३५ प्रतिशत तक हुआ करता था और अब सुविधायें मिलने के बाद भी २ प्रतिशत निर्यात नहीं है। क्या यही..?
- दूध, दही के देश में आज एक गिलास शुद्ध दूध नसीब नहीं होता और इसी देश में शराब जितनी चाहे उतनी मिल जायेगी। क्या यही..?
- पहले हम आवश्यकतानुसार चीजें खरीदते थे और सामानों पर खर्च करते थे और अब विज्ञापन देखकर जरुरत बनाते हैं, और लोन लेकर शौक पूरा करते हैं। क्या यही..?
- पहले हमारी जीवनशैली ऐसी थी कि प्रकृति को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता था और तब हम पिछड़े माने जाते थे और अब धरती जल (ग्लोबल वार्मिंग) रही है, उसे ही विकास मान रहते हैं...
- पहले कुआँ या बोर करवाने पर ४०-५० फुट में ही भरपूर पानी मिल जाया करता था और अब ३००-४०० फुट में भी कई बार पानी नहीं मिलता। क्या यही..?
- पहले हम बिना साधन के करोड़ों का हिसाब कर लेते थे, और अब १२÷१२=...? करने के लिये भी कैलकुलेटर की आवश्यकता पड़ती है। क्या यही..?
- पहले हम १, २, ३, ४, ५, ६, ७ को मातृभाषा का अंक मानते थे और अब 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 को मातृभाषा का अंक मानते हैं, क्या यही..?
- पहले लोग शारीरिक रूप से ज्यादा शक्तिशाली हुआ करते थे और अब हमारी हर अगली पीढ़ी कमजोर से कमजोर हो रही है, और हम कहते हैं कि विकास हो रहा है। क्या यही..?
- पहले हर घर में गाय की पूजा की जाती थी, माटी दी जाती थी अब जानते हुये भी कत्लखानों के दलालों को गाय बेच देते हैं। क्या यही..?
- पहले देश में मांस निर्यात होता ही नहीं था और अब विश्व को अहिंसा का संदेश देनेवाले राष्ट्र में ३६००० यॉंत्रिक कत्लखाने हैं। ६००० करोड़ रू.के लगभग मांस का निर्यात होता है। क्या यही..?
- पहले हम जैविक खाद से अन्न उत्पादन करते थे। अब रासायनिक खाद व कीटनाशक कंपनियों के इशारों पर गौ माता को काटने के लिये कत्लखाना खोलने के लिये हमारी सरकार अनुदान देती है। क्या यही..?
- पहले हम क्वालिटी देखकर सामान खरीदते थे और अब विज्ञापन और पैकिंग को देखकर सामान खरीदते हैं। क्या यही..?
- पहले हम अपनी आदर्श और सुन्दर संस्कृति में जीवन जीते थे, और अब पाश्चात्य जीवनशैली को हम अपना रहे हैं, क्या यही..?
- पहले संपन्न वर्ग की जीवनशैली ऐसी थी कि गरीब आदमी भी अपने आपको समान महसूस करता था और अब आये दिन संपन्नता का फूहड़ प्रदर्शन होता है। क्या यही..?
- पहले हर घर हस्तकला और पाककला का प्रशिक्षण केंद्र हुआ करता था, घर की सभी महिला सदस्यों को पापड़, बड़ी, अचार सभी बनाना सिखाया जाता था और आज इसे प्रताड़ना बताया जाता है। क्या यही..?
- पहले हम सामूहिक (बड़ा) परिवार में सुख से रहते थे, और अब एकल (छोटा) परिवार का दुख भोग रहे हैं। क्या यही विकास है, अगर विकास की यही परिभाषा है, तो विनाश किसे कहेंगे?
- -मानसिक गुलामी से मुक्ति के लिये जनचेतना अभियान
गुरुवार, 13 मार्च 2014
अगर विकास की यही परिभाषा है, तो विनाश किसे कहेंगे?
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भारतीय गणना
आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!
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भारत की आजादी के आंदोलन में सक्रिय योगदान देकर एवं तत्कालीन भारत में चल रहे राजनैतिक-सामाजिक परिवर्तन तथा आर्थिक मुक्ति आंदोलन में हिस्सा ले...
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