सोमवार, 30 जून 2014

अमानत

अमानत— सं. 1.थाती, धरोहर। 2.अतिरिक्त वस्तु या धन।

अमसुरहा

अमसुरहा— वि. आम के स्वाद वाला, खट्टा।

अमसुर

अमसुर— वि. जो आम के स्वर(स्वाद) में हो, खट्टा।

अमसरा

अमसरा— सं.दे. ‘अमरसा’।

अमली

अमली— सं. एक बड़ा पेड़ जिसमें खट्टे, गुदेदार, लंबी-लंबी फल्लियाँ लगती हैं, इमली।

अमलदारी

अमलदारी— सं. अधिकारकाल, कार्यकाल।

अमल

अमल— सं. 1.आचरण। 2.अधिकार।

अमरित-बरसा

अमरित-बरसा— सं. शरद-पूर्णिमा की रात को गिरने वाली ओस।

अमरित

अमरित— सं. सुधा, अमृत।

अमराना

अमराना— अ.क्रि. 1.पकड़ में आना। 2.स्पर्श हो जाना। 

स.क्रि. 1.पकड़ाना। 2.स्पर्श करना। 3.किसी दूसरे स्थान पर ले जाना, पहुँचाना।

अमरसा

अमरसा— सं. 1.पके हुए आम को निचोड़कर निकाला गया रस जिसे सुखाकर पपड़ी के रूप में बना लिया जाता है। 2.उक्त सुखाये हुए रस को दूध में घोलकर बनाया गया मीठा पेय।

अमरबेल

अमरबेल— सं. अमरवल्ली।

अमरपद

अमरपद— सं. मोक्ष, मुक्ति।

अमरउती

अमरउती— सं. वह वस्तु जिसके उपयोग से उम्र का कभी अंत न हो, अमृत।

अमरना

अमरना— अ.क्रि. 1.किसी दूर की वस्तु को पकड़ना। 2.किसी दूर की वस्तु को उछलकर या हाथ बढ़ाकर स्पर्श करना। 3.किसी दूसरे स्थान पर पहुँचना।

अमरई

अमरई— सं. आम का बगीचा, आम्रकुंज।

अमरइया

अमरइया— सं. आम का बगीचा, आम्रकुंज।

अमर

अमर1— सं. सुधा, अमृत। 

अमर2— वि.जिसकी मृत्यु न हो, जो मरे नहीं, चिरंजीवी। 

अमर3— सं. पकड़ने, स्पर्श करने या पहुँचने की क्रिया या स्थिति।

अमन

अमन— चैन सुख-शांति, आराम।

अमटी

अमटी— वि. खट्टा।

अमटासी

अमटासी— सं. खट्टा होने की स्थिति या दशा।

अमटाना

अमटाना— अ.क्रि. खट्टा होना। 

स.क्रि. खट्टा करना।

अमटहा

अमटहा (हूँ)— वि. खट्टा।

अमटइन

अमटइन— सं. खट्टापन, खटाई। 

वि. खट्टा।

अमचुर

अमचुर— सं. आम का चूर्ण।

अमका-ढमका

अमका-ढमका— सं. (अनु.) 1.नाज-नखरा। 2.दिखावे की चीजें।

अमंगल

अमंगल— सं. दुख, अकल्याण।

अभेरा

अभेरा— सं. मिलन, भेंट, जैसे ‘बजार चउँक म दुनों के अभेरा होगे’।

अभेरना

अभेरना— स.क्रि. मिलाना, सटाना।

अभेदान

अभेदान— सं. रक्षा का वचन, निर्भय रहने का वचन।

अभी

अभी— क्रि.वि. इसी वक्त, इसी समय, तत्काल।

अभियासी

अभियासी— वि. अभ्यसित, अभ्यस्त।

अभियावन

अभियावन— वि. 1.देखने से डर का भाव जगे उतना बड़ा आकार वाला, बहुत बड़ा, विशालकाय। 2.भयानक, विकराल।

अभिमानी

अभिमानी— वि. घमंडी, अहंकारी।

अभिमान

अभिमान— सं. घमंड, अहंकार।

बड़ा अलकरहा हे गा...


अभिने

अभिने— सं. अभिनय। 

क्रि.वि. अभी ही, इसी समय ही, तत्काल ही।

अभिन

अभिन— क्रि.वि. अभी, इसी समय, तत्काल।

अभिच्चे

अभिच्चे— क्रि.वि. अभी ही, अभी-अभी।

अभिच

अभिच— क्रि.वि. अभी ही, अभी-अभी।

अभिंचे

अभिंचे— क्रि.वि. अभी ही, अभी-अभी।

अभास

अभास— सं. संकेत, झलक।

अभाव

अभाव— वि. 1.न होना, अविद्यमानता। 2.कमी, त्रुटी।

अभार

अभार— सं. उपकार।

अभागा

अभागा— वि.पु. (स्त्री.अभागिन) जिसके भाग्य में न हो, जिसका भाग्य ठीक न हो, भाग्यहीन।

अभराना

अभराना— स.क्रि. 1.मिलाना। 2.पकड़ाना। 3.भेंट कराना। 4.स्पर्श कराना। 5.चुभाना या गड़ाना।

रविवार, 29 जून 2014

अच्छा दिन


रेट ह बाढ़गे हे...


मुहावरा


ये दे


कुपोषण


अऊ देबे...


जम्मो संगवारी मन ल जै जोहार..!


तेरी शान चली जाती या रूतबा घट गया होता...


डीजल तो एक्‍को कन नइ हे...


पूरा हिन्दुस्तान

ऊई माँ..!


अगर भारत और पाकिस्तान का युद्ध


अब, बस भी कर यार..!


जय राम गा..!


यार हथियार


कड़वी दवाई


साला जिन्दगी झंड हो गयी है


शनिवार, 28 जून 2014

देश ने पहली बार प्रधानमंत्री चुना है।


जादूगर या भगवान


अभरना

अभरना— अ.क्रि. 1.मिलना, पकड़ में आना। 2.भेंट होना। 3.स्पर्श होना। 4.चुभ जाना, गड़ना।

अभरक

अभरक— सं. अबरक, अभ्रक।

अभरई

अभरई— सं. 1.मिलने या भेंट करने की क्रिया या भाव। 2.चुभने या चुभाने की क्रिया या भाव।

अभरइया

अभरइया— वि. 1.मिलने या भेंट करने वाला। 2.चुभने या चुभाने वाला।

अभगहा

अभगहा— वि. जिसका पैतृक संपत्ति पर कोई भाग न हो अनंश।

अब्भी

अब्भी— क्रि.वि.दे. ‘अभी’। 

अब्बड़हेच

अब्बड़हेच— वि. बहुत अधिक

अब्बड़

अब्बड़— वि.दे.‘अबड़’।

अबोलुक

अबोलुक— वि. अकथनीय, अकथ्य।

अबोला

अबोला— सं. 1.रिस या रंज से न बोलने की स्थिति। 2.रूठकर मौन रहने की क्रिया या भाव। 

वि. जिसे या जिसका नाम न बोला गया हो, अकथित, अनभिहित, अनुक्त।

अबोध

अबोध— सं. समझ का अभाव, मूर्खता। 

वि. नादान, मूर्ख।

अबेरहा

अबेरहा— वि. विलम्ब या देर वाला। 

वि.पु. (स्त्री.अबेरहिन(ही) 1.हमेशा विलम्ब से आने वाला। 2.हमेशा विलम्ब करने वाला।

अबेर

अबेर— सं. विलम्ब, देर, बेसमय।

अबे

अबे— विस्मयादि. अरे! (बहुत छोटे या हीन व्यक्ति के लिये संबोधन।) 

वि. एक गाली।

अबूझ

अबूझ1— वि.पु. नासमझ, बुद्धिहीन, अज्ञानी, मूर्ख। 

अबूझ2— वि. जो बूझा, समझा या जाना न जा सके, अज्ञेय।

अबूज

अबूज— वि.पु. नासमझ, बुद्धिहीन, अज्ञानी, मूर्ख।

अबुझहा

अबुझहा— वि.पु. (स्त्री.अबुझहिन(ही) नासमझ, बुद्धिहीन, मूर्ख।

अबुजहा

अबुजहा— वि.पु. (स्त्री.अबुजहिन(ही) नासमझ, बुद्धिहीन, मूर्ख।

अबिरथा

अबिरथा— वि. अव्यर्थ।

अबिबेकी

अबिबेकी— वि. 1.जिसे विवेक न हो, विवेकहीन। 2.जो विवेकपूर्ण कार्य न करता हो, अज्ञानी, मूर्ख।

अबिभजहा

अबिभजहा— वि. जिसे बाँटा न गया हो, अविभाजित।

अबिबेक

अबिबेक— सं. 1.विवेक का अभाव, अविचार। 2.नादानी, मूर्खता।

अबिबाहित

अबिबाहित— वि. जिसका ब्याह न हुआ हो, कुँआरा या कुँआरी।

अबिनासी

अबिनासी— वि. नष्ट नहीं होने वाला, अविनश्वर, अविनाशी।

अबिकसित

अबिकसित— वि. अविकसित।

अबिजहा

अबिजहा— वि. 1.जो बीज के योग्य न हो। 2.जो बोने योग्य न हो।

अबासा

अबासा— वि. 1.जहाँ निवास न होता हो, निर्जन। 2.सूना। 3.खंडहर। 

अबाद

अबाद1— वि. बहुत अधिक, भरपूर, प्रचुर।

अबाद2— वि. बसा हुआ(घर, गाँव, नगर आदि)।

अब-ले

अब-ले— क्रि.वि. 1.अब-तक, अभी-तक। 2.आज के बाद।

अबाक

अबाक— वि. 1.चुप, मौन, बेबाक। 2.चकित, स्तंम्भित।

अबड़हेच

अबड़हेच— वि. बहुत ही, अत्यधिक।

अबड़

अबड़— वि. बहुत, अधिक।

अबकारी

अबकारी— सं. मादक पदार्थों से संबंध रखने वाला महकमा।

अबक-तबक

अबक-तबक— क्रि.वि. 1.अंतिम अवस्था या स्थिति। 2.ऊभ-चूभ। 3.मृत्यु के करीब, आसन्न मृत्यु।

अब

अब— क्रि.वि. अभी, इस समय, इस वक्त।

अफुटहा

अफुटहा— वि. 1.जो टूटा-फूटा न हो, पूर्णतः सही-सलामत। 2.जो टूटने-फूटने योग्य न हो।

शुक्रवार, 27 जून 2014

अफसर

अफसर— सं. बड़ा अधिकारी।

अफवाही

अफवाही— वि. जो बात सत्य न हो, जिस बात का कोई आधार न हो।

अफवाह

अफवाह— सं. उड़ती खबर, झूठी खबर।

अफँकहा

अफँकहा— वि. 1.बिना कटा हुआ, अविभक्त। 2.जो फटा न हो, अफुटा। 3.धूम्रपान नहीं करने वाला।

अप्पतिहा

अप्पतिहा— वि.पु. जिद्दी स्वभाव वाला, हठी।

अप्पत

अप्पत— वि. 1.लज्जा के विरुद्ध कार्य करने वाला, निर्लज्ज। 2.बुरा कार्य करने वाला। 3.हठी, जिद्दी।

अप्पतहिन

अप्पतहिन (ही)— वि.स्त्री. जिद्दी स्वभाव वाली, हठिली।

अप्पड़

अप्पड़— वि.दे.‘अपड़’।

अपोट्ठ

अपोट्ठ— वि. 1.जो संपन्न न हो, अप्रतिपन्न, निर्धन। 2.जो पुष्ट न हो।

अपुरनी

अपुरनी— सं. पूरा न किया जाने योग्य, अपूरणीय। 

अपिकहा

अपिकहा— वि. 1.वह बीज जो अंकुरित न हो। 2.वह बीज जो बोने के योग्य न हो। 3.वह खेत जो बोया न गया हो।

अपावन

अपावन— वि. अशुद्ध, अपवित्र।

अपासी

अपासी— सं. सिंचाई। 

वि. वह खेत जिसमें सिंचाई की व्यवस्था हो, सिंचाई सुविधायुक्त।

अपार

अपार— वि. 1.जिसके पार का पता न चले, असीम, सीमारहित। 2.जिसकी चाल या चतुराई का पता न चले। 3.समझ से परे, जैसे ‘वोकर महिमा अपार हे’। 4.बहुत अधिक, असंख्य, जैसे ‘पुन्नी के मेला म अपार भीड़ रथे’।

अपहास

अपहास— सं. उपहास, हँसी, खिल्ली।

अपसोसी

अपसोसी— वि. 1.अपने ही स्वार्थ में लगा रहने वाला, मतलबी, स्वार्थी। 2.अधिक खाने वाला। 3.अतिचाहत की भावना रखने वाला। 4.अपने हिस्से से संतुष्ट न रहने वाला, लोलुप।

अपसगुन

अपसगुन— वि. अपशकुन।

अपसोस

अपसोस— सं. 1.दुख। 2.चिंता, सोच।

अपराधी

अपराधी— वि. अपराध करने वाला, दोषी।

अपराध

अपराध— सं. 1.अनुचित काम, बुरा काम। 2.भूल-चूक, गलती। 3.दोष, पाप।

अपरंपार

अपरंपार— वि. 1.जिसके पार या किनारे का पता न चले, असीम, अपार। 2.अथाह। 3.जिसकी चाल या चतुराई का पता न चले। 4.दृष्टि से ओझल। 5.समझ से परे। 6.बहुत अधिक, बेहद।

अपरस

अपरस— सं. एक चर्म रोग जिससे हाथ-पैर में खुजली और जलन होता है, तथा त्वचा का परत निकलता है।

अपया

अपया— सं. 1.बदनामी, अपकीर्ति। 2.कलंक, दुर्गुण, दोष।

अपमान

अपमान— सं. अनादर, तिरस्कार।

अपबित्तर

अपबित्तर— वि. अशुद्ध, अपवित्र।

अपने-अपन

अपने-अपन— क्रि.वि. 1.आप ही आप, बिना कुछ किए। 2.स्वाभाविक रूप से।

अपनो

अपनो— सर्व. स्वयं भी।

अपने

अपने— सर्व. 1.स्वयं ही। 2.अपना ही।

अपनाल

अपनाल (वल)— वि. 1.अपना बनाया हुआ, अपने वश में किया हुआ। 2.ग्रहण किया हुआ, स्वीकार किया हुआ, शरण में लिया हुआ।

अपनाना

अपनाना— सं. क्रि . 1.अपना बनाना, अपने वश में करना। 2.ग्रहण करना, स्वीकार करना, शरण में लेना।

अपनभरोसी

अपनभरोसी— वि. अपने पर भरोसा करने वाला, आत्मावलंबी।

अपन-बिरान

अपन-बिरान— सं.दे. ‘अपन-तुपन’।

अपनभरोसा

अपनभरोसा— सं. अपने पर भरोसा करने की क्रिया, आत्मावलंबन।

अपन-तुपन

अपन-तुपन— सं. 1.अपना-पराया। 2.वाद-विवाद, झगड़ा-झंझट।

अपतई

अपतई— सं. जिद, हठ, ढिठाई।

अपन

अपन— सर्व. स्वयं, निज।

अपड़

अपड़— वि. जो पढ़ा-लिखा न हो, अशिक्षित, निरक्षर।

अपजसहा

अपजसहा— वि.पु. (स्त्री.अपजसहिन(ही) अधर्म पर चलने वाला, अधर्मी, पापी।

अपचहा

अपचहा— वि. 1.जो पचा न हो। 2.जो पच न सके।

अपजस

अपजस— सं. 1.बदनामी, अपकीर्ति। 2.कलंक, दोष, बुराई।

अपखया

अपखया— वि.पु. (स्त्री.अपखहिन(ही) 1.अन्य को भाग न देकर स्वयं खाने वाला। 2.हराम का खाने वाला। 3.स्वार्थी।

अप

अप— उप. एक उपसर्ग जो शब्दों के पहले लगकर उनमें अपकर्ष, विकार आदि का भाव उत्पन्न करता है, जैसे ‘जस-अपजस, मान-अपमान’।

अपंग

अपंग— वि. 1.जिसका कोई अंग टूट गया हो या न हो। 2.काम करने में असक्त, असमर्थ।

अपंगहा

अपंगहा— वि. कमजोर, जो मजबुत न हो। 

वि.पु. (स्त्री.अपंगहिन(ही) 1.लंगड़ा। 2.कमजोर स्वास्थ्य वाला।

अन्नाप-सनाप

अन्नाप-सनाप— वि. अनाप-शनाप, ऊट-पटाँग।

अन्नी

अन्नी— सं. ग्रामीणों द्वारा दंड स्वरूप निर्धारित धान की वह मात्रा जो पशु मालिक द्वारा रख वाले को दिया जाता है।

अन्नकुआँरी

अन्नकुआँरी— सं.स्त्री. 1.अन्न की देवी जिसका प्रतीकात्मक रूप गोलाकार, चिकना और भूरा पत्थर होता है, अक्षय तृतीया को इसकी पूजा की जाती है। 2.अन्नमाता।

अन्न

अन्न— सं. 1.खाद्य पदार्थ। 2.अनाज। 3.धान्य। 4.पकाया हुआ अन्न।

अनेमहाँ

अनेमहाँ— वि. जो नियम के विरुद्ध हो, अनैयमिक। 

वि.पु. (स्त्री.अनेमहिन(ही) नियम विरुद्ध कार्य करने वाला, नियम को न मानने वाला।

गुरुवार, 26 जून 2014

अनेक

अनेक— वि. एक से अधिक, बहुत।

अनूठा

अनूठा— वि. अनोखा।

अनूखा

अनूखा— वि. 1.जो सहसा देखने में न आता हो, विलक्षण। 2.विचित्र, आश्चर्यजनक।

अनुसासन

अनुसासन— सं. अनुशासन।

अनुने

अनुने— सं. विनय, प्रार्थना, निवेदन।

अनुत्तर

अनुत्तर— वि. जो उत्तर न दे सके, अनुत्तर, मौन।

अनुकरन

अनुकरन— सं. देखा-देखी आचरण।

बुधवार, 25 जून 2014

अनीती

अनीती— सं. 1.नीति के विरुद्ध। 2.गलती, अपराध। 

वि. अनैतिक, अन्यायपूर्ण।

अनीत

अनीत— सं. 1.नीति विरुद्ध, अन्याय। 2.गलती, अपराध। 

वि. अनैतिक, अन्यायपूर्ण।

अनिस्चे

अनिस्चे— सं.पु. निश्चय का अभाव अनिश्चय।

अनीक

अनीक— वि. 1.जो अच्छा न हो। 2.जो ठीक न लगे, अरुचिकर, अप्रिय। 3.गंदा। 4.गलत। 5.अहितकारी। 6.अनैतिक। 7.अनुचित।

अनियाय

अनियाय (व)— सं. 1.न्याय विरुद्ध आचरण, अनीति। 2.अत्याचार।

अनिवार्य

अनिवार्य— वि. 1.जिसका होना आवश्यक हो। 2.जिसे हटाया या छोड़ा न जा सके।

अनियई

अनियई— वि. 1.अन्याय करने वाला। 2.अधिक उत्पात मचाने वाला। 3.अंधेर करने वाला।

अनासी

अनासी— वि. जिसका नाश न हो, जिसकी मृत्यु न हो, अमर।

अनारी

अनारी— वि. 1.नासमझ। 2.अज्ञानी। 3.अकुशल।

अनावसियक

अनावसियक— वि. अनावश्यक।

अनारदाना

अनारदाना— सं. अनार के दाने के जैसा किंतु बड़ा और तेज प्रकाश करने वाला एक फटाखा।

अनार

अनार— सं. दाड़िम।

अनायास

अनायास— क्रि.वि. बिना प्रयास या परिश्रम किये, सहसा, अकस्मात।

अनादि

अनादि— वि. 1.जिसका आदि न हो। 2.स्थान और काल से अबद्ध।

अनाथ

अनाथ— वि.पु. (स्त्री.अनाथिन) 1.जिसका कोई पालन करने वाला न हो। 2.असहाय।

अनाड़ी

अनाड़ी— वि. 1.नासमझ। 2.अज्ञानी। 3.अकुशल।

अनाकानी

अनाकानी— सं. किसी कार्य या बात को जानबूझकर टालने या बहाना करने की क्रिया या भाव, टालमटोल। 

अनहोवल

अनहोवल— वि. जो पहले कभी न हुआ हो, अपूर्व।

अनहोनी

अनहोनी— सं. 1.अलौकिक घटना। 2.असंभव बात। 

वि. जैसा पहले कभी घटित न हुआ हो, अभूतपूर्व, जैसे ‘अनहोनी घटना’।

अनहित

अनहित— सं. 1.अहित, हानि, बिगाड़। 2.बुराई, अपकार।

अनहरऊ

अनहरऊ— वि. 1.जिसे हरण या चुराया न जा सके। 2.जिसे धन आदि के द्वारा वश में न किया जा सके, अहार्य।

अनसोभित

अनसोभित— वि. जो शोभा के योग्य न हो, अशोभित।

अनसैती

अनसैती— सं.दे. ‘अनसइती’।

अनसैतिया

अनसैतिया (हा)— वि.पु. (स्त्री.अनसैतिहिन(ही) जलनखोर, ईर्ष्यालु।

अनसैतिन

अनसैतिन— वि.स्त्री. जलनखोर, ईर्ष्यालु।

अनसुहउल

अनसुहउल— वि. जो अच्छा न लगे, अप्रियकर।

अनसैतहा

अनसैतहा— वि.पु. (स्त्री.अनसैतहिन(ही) दे. ‘अनसइतहा’।

अनसुनार

अनसुनार— वि. 1.जिसे सुना न जा सके, जो सुनने योग्य न हो। 2.जिसे सुना न गया हो।

अनसुना

अनसुना— वि. जिसे नहीं सुना गया हो, अश्रुत।

अनसुनहाँ

अनसुनहाँ (हीं) — 1.अनसुना करने वाला। 2.नहीं सुनने वाला, बहरा।

वि. जिसे नहीं सुना गया हो।

अनसुनऊ

अनसुनऊ— वि. न सुनने योग्य, अश्राव्य।

अनसुनल

अनसुनल— वि. जिसे नहीं सुना गया हो, अश्रुत।

अनसिरऊ

अनसिरऊ— वि. जो समाप्त, अविनाशी, अनवसान।

अनसासन

अनसासन— सं. 1.वह विधान जो किसी संस्था या वर्ग के सभी सदस्यों को ठीक से कार्य या आचरण करने के लिए बाध्य करे। 2.प्रशासन। 3.आज्ञा, आदेश। 4.वह विधान जो सामाजिक मर्यादा तथा व्यवहार के अनुरूप हो।

अनसासित

अनसासित— वि. अनुशासित।

अनसार

अनसार— वि. किसी के समान, सदृश।

अनसमझे

अनसमझे— क्रि.वि. बिना सोचे-विचारे, बिना समझे।

अनसम्हार

अनसम्हार— वि. 1.जिसे सँभाला न जा सके, बहुत अधिक। 2.भयंकर। 3.बहुत भारी। 4.विशालकाय। 5.अधिक उत्पाती।

अनसमझी

अनसमझी— सं. 1.अज्ञानता। 2.मूर्खता। 3.नासमझी।

अनसमंज

अनसमंज— वि. समझ में न आने वाला, अनूह।

अनसमझ

अनसमझ— वि. 1.नासमझ, मूर्ख। 2.नादान। 3.अनजान। 4.समझ में न आने वाला, अनूह, अबोध्य।

अनसधल

अनसधल (हा)— वि. 1.जो पूरा या सफल न हुआ हो, अपूर्ण। 2.अकुशल। 3.जिसकी साधना न की गई हो। 4.जो साधा न गया हो, असाधित।

अनसधऊ

अनसधऊ— वि. जिसे साधा न जा सके, असाध्य।

शनिवार, 21 जून 2014

अनसइती

अनसइती— सं. किसी की वस्तु, हित, विकास या लाभ देखकर ईमान खोने की क्रिया या भाव, ईर्ष्या, द्वेष, जलन।

अनसइत्तहा

अनसइत्तहा— वि.पु. (स्त्री.अनसइत्तहिन(ही) दे. ‘अनसइतहा’।

अनसइतहा

अनसइतहा— वि.पु. (स्त्री.अन-सइतहिन(ही) किसी की वस्तु, हित, विकास या लाभ देखकर ईमान खोने वाला, ईर्ष्यालु, जलनखोर।

अनवासा

अनवासा— वि. 1.जहाँ निवास न होता हो। 2.निर्जन, सूना।

अनवासना

अनवासना— स.क्रि. नई वस्तु को उपयोग में लाकर उसकी नवीनता समाप्त करना।

अनवासल

अनवासल— वि. नई वस्तु को उपयोग में लाकर उसकी नवीनता समाप्त किया हुआ।

अनवाद

अनवादसं. भाषांतरण, अनुवाद।

अनवट

अनवट— सं. बिना बटे हुए चाँदी की पट्टी का वह आभूषण जिसे पैर के अँगूठे में पहना जाता है।

अनलगाव

अनलगाव— सं. लगाव न होने की स्थिति, जुड़े न रहने की स्थिति।

अनर्थ

अनर्थ— सं. 1.बिगाड़। 2.उपद्रव, उत्पात। 3.गलत अर्थ।

अनरोध

अनरोध— सं. आग्रह, निवेदन।

अनरूप

अनरूप– वि. अनुकूल, सदृश।

अनरसा

अनरसा— सं.दे. ‘अइरसा।

अनराग

अनराग— सं. प्रीति, प्रेम, आसक्ति।

अनयाँय

अनयाँय (व)— सं. 1.न्याय विरुद्ध आचरण या व्यवहार, अनीति। 2.अत्याचार।

अनमोल

अनमोल— वि. 1.जिसका मोल न हो, अमूल्य, मूल्यवान। 2.सुंदर, उत्तम।

अनमोदित

अनमोदित— वि. वह कार्य या प्रस्ताव जिसे उच्च अधिकारी ने सहमति या स्वीकृति दे दी हो।

अनमोदन

अनमोदन— सं. किसी के कार्य या सुझाव को उच्च अधिकारी द्वारा दी जाने वाली स्वीकृति या समर्थन।

अनमेल

अनमेल— वि. 1.जिसका दूसरे से मेल न हो, बेमेल। 2.विषम। 3.मेल न रखने वाला। 4.जिसका किसी से मेल न हो सके, बेजोड़। 5.विपरीत विशेषताओं या गुणों वाला।

अनमान

अनमान— सं. अटकल, अंदाज।

अनमानित

अनमानित— वि. जो अनुमान से सोचा या समझा गया हो।

अनमन

अनमन (ना)— सं. 1.जिसका मन किसी कार्य में न लग रहा हो। 2.उदास, खिन्न। 3.बिना इच्छा के, अनैच्छिक। 4.अस्वस्थ।

अनमाँगे

अनमाँगे— क्रि.वि. बिना माँगे, अयाचित।

अनमती

अनमती— सं. 1.आज्ञा, आदेश। 2.स्वीकृति।







अनभो

अनभो— सं. वह ज्ञान जो कोई काम या प्रयोग करने से प्राप्त हो, जानकारी।

अनभुलऊ

अनभुलऊ— वि. जो भूलने योग्य न हो, अविस्मरणीय।

अनभवी

अनभवी— वि. अनुभव या जानकारी रखने वाला।

अनभव

अनभव— सं. वह ज्ञान जो कोई काम या प्रयोग करने से प्राप्त हो, जानकारी, अनुभव।

अनभल

अनभल— सं. बुराई, अहित, अपकार। 

वि. जिसमें भला न हो, बुरा, खराब।

अनभरोसा (सी)

अनभरोसा (सी)— वि. 1.जो भरोसा के योग्य न हो, अविश्वसनीय। 2.असंभव, जैसे ‘वोकर अवई अनभरोसी लागत हे’।

अनबोलना

अनबोलना— अ.क्रि. नहीं बोलना, चुप रहना। 

वि. वार्तालाप नहीं करने वाला, बातचीत न करने वाला, नहीं बोलने वाला, गूँगा।

अनबोलऊ

अनबोलऊ— वि. जिसे बोला न जा सके, जो बोलने योग्य न हो, अवचनीय।

अनबेधऊ

अनबेधऊ— वि. जिसे छेदा न जा सके।

अनबेंचऊ

अनबेंचऊ— वि. जो बेचने के लिए न हो, अविक्रेय।

अनबेंचरउहा

अनबेंचरउहा— वि. जो बेचने के लिए न हो, अविक्रेय।

अनबिसवाँस

अनबिसवाँस— सं. अविश्वास।

अनबिसवाँसी

अनबिसवाँसी— वि. विश्वास न करने वाला अविश्वासी।

अनबिसरऊ

अनबिसरऊ— वि. जो भूलने योग्य न हो, अविस्मरणीय।

अनबनक

अनबनक— सं. बिगाड़, विनाश, अहित। 

वि.दे. ‘अनबन’।

अनबन

अनबन— सं. 1.व्यवहार न होने की स्थिति, झगड़ा। 2.बातचीत न होने की स्थिति। 3.वैमनश्यता, दुश्मनी।

अनबदलऊ

अनबदलऊ— वि. जिसे बदला नहीं जा सकता, अविवर्त्य।

अनबढ़नउक

अनबढ़नउक— वि. नहीं बढ़ने वाला, अवर्धमान।

अनबँटउल

अनबँटउल— वि. जो बाँटने योग्य न हो, अविभाजनीय।

अनबँटऊ

अनबँटऊ— वि. जो बाँटा न जा सके, अविभाज्य।

अनफोड़उल

अनफोड़उल— वि. जो फोड़ने योग्य न हो, अविभाजनीय।

अनफुटहा

अनफुटहा— वि. जो टूटा न हो, अखंडित।

अनपोता

अनपोतावि. जिसे पोता न गया हो।

अनफभित

अनफभित— वि. जो शोभा के योग्य न हो, अशोभनीय।

अनपैनहाँ

अनपैनहाँ— वि. जहाँ रास्ता न हो, रास्ता विहीन।

अनपानी

अनपानी— सं. भोजन-पानी।

शुक्रवार, 20 जून 2014

अनपस्थिती

अनपस्थिती— सं. अविद्यमानता, अनुपस्थिति।

अनपस्थित

अनपस्थित— वि. अविद्यमान, अनुपस्थित।

अनपढ़

अनपढ़— वि. अशिक्षित, जो पढ़ा-लिखा न हो।

अनपम

अनपम— वि. उपमारहित, बेजोड़, विलक्षण।

अनपड़

अनपड़— वि.दे.‘अनपढ़’।

अनपचहा

अनपचहा— वि. 1.जो पच न सके। 2.जिसे पचाया न जा सके।

अनपचऊ

अनपचऊ— वि. जिसे पचाया न जा सके, अजर्य।

अनपचक

अनपचक— सं. भोजन के नहीं पचने की स्थिति, अपच, अजीर्ण।

अनन्य

अनन्य— वि. अन्य से संबंध न रखने वाला, एक में ही लीन, एकनिष्ठ।

अननय

अननय— सं. विनय, प्रार्थना, निवेदन।

अनदेवी

अनदेवी— सं.स्त्री. अन्न की देवी, अन्नपूर्णा देवी।

अनदेखहा

अनदेखहा— वि. जिसे देखा न गया हो।

अनदेखी

अनदेखी— सं. 1.दूसरे का हित या विकास न देख पाने की क्रिया या भाव, ईर्ष्या, जलन। 2.नकल।

अनदेखल

अनदेखल— वि. न देखा हुआ, अनदेखा।

अनदेखनी

अनदेखनी— सं. दूसरों का हित या विकास न देख सकने की स्थिति, ईर्ष्या, द्वेष।

अनदेखनहाँ

अनदेखनहाँ— वि.पु. (स्त्री.अनदेखनहिन(हीं) 1.दूसरे का हित या विकास न देख पाने वाला, ईर्ष्यालु, जलनखोर। 2.दूसरे को देखकर ईर्ष्यावश नकल करने वाला।

अनदेखना

अनदेखना— वि.पु. (स्त्री.अनदेखनहिन(नी) 1.दूसरे का हित या विकास न देख पाने वाला, ईर्ष्यालु, जलनखोर। 2.दूसरे को देखकर ईर्ष्यावश नकल करने वाला।

अनदेखनऊ

अनदेखनऊ— वि. दिखाई न पड़ने वाला, जिसे देखा न जा सके, अदृश्य।

अनदेखऊ

अनदेखऊ— वि. 1.जो दिखाई न दे, अदृश्य। 2.जिसका ज्ञान इंद्रियों को न हो, अगोचर। 3.लुप्त, गायब न जा सके। 3.समझ से परे।

अनथिराव

अनथिराव— सं. विराम का अभाव, अविरति।

अनथहाव

अनथहाव— वि. 1.जिसकी गहराई का पता न लगे, बहुत गहरा। 2.जिसे जाना न जा सके, जिसकी पता न लगाया जा सके। 3.समझ से परे।

अनथकहा

अनथकहा— वि.पु. (स्त्री.अनथकहिन(ही) न थकने वाला, अथक, अक्लांत।

अनथहऊ

अनथहऊ— वि.दे.‘अनथहाव’। 

अनते

अनते क्रि.वि. किसी दूसरी जगह, किसी और स्थान पर, अन्यत्र।

अनतउलहा

अनतउलहा— वि. बिना तौला हुआ, अतुलित।

अनठेरहा

अनठेरहा— वि.पु. (स्त्री.अनठेरहिन(ही) 1.वह जिसकी नजर ठहर नहीं सकती, अस्थिर पुतली वाला। 2.वक्रदृष्टि वाला। 3.बनती हुई बात को बिगाड़ने वाला। 4.लक्षणा में बातें करने वाला।

अनठेहरी

अनठेहरी— सं. वह बात जिसका ठहराव या संबंध अन्य की ओर हो, लक्षणा या व्यंजना में कही जाने वाली बात, व्यंग्य बात।

अनठहिराव

अनठहिराव— सं. विराम का अभाव, अविरति।

अनटेरहा

अनटेरहा— वि. जो दूसरी ओर मुड़ा हो, बेढंगा, अटपटा। 

वि.पु. (स्त्री.अनटेरहिन(ही) 1.विपरीत विचार वाला। 2.विरोध में बातें करने वाला। 3.अकड़बाज, घमंडी।

अनठहराव

अनठहराव— सं. विराम का अभाव, अविरति।

अनटप्पू

अनटप्पू— वि. निशानारहित, अलटप्पू।

अनजोखा

अनजोखा— वि. 1.बिना सोचे-समझे। 2.बिना आदेश-निर्देश के।

अनजोखहा

अनजोखहा— वि. 1.बिना आदेश-निर्देश के। 2.बिना सोच-विचार किये। 3.बिना अनुमान या अंदाज लगाये। 

वि.पु. (स्त्री.अनजोखहिन(ही) 1.जिसे नियुक्त न किया गया हो, जिसे आदेश न दिया गया हो। 2.सोच-विचार नहीं करने वाला।

अनजितऊ

अनजितऊ— वि. जिसे जीता न जा सके, अजेय।

अनजितल

अनजितल— वि. जो जीता न गया हो, अविजित।

अनजाने

अनजाने— क्रि.वि. अज्ञानतावश, नासमझी के कारण, बिना जाने।

अनजान

अनजान— वि. 1.अपरिचित, अज्ञात। 2.नासमझ, अज्ञानी। 

क्रि.वि. अज्ञानतावश, नासमझी के कारण, बिना जाने।

अनजानापन

अनजानापन— सं. जानकारी या परिचय का अभाव, अपरिचय।

गुरुवार, 19 जून 2014

अनजरी

अनजरी— सं. दूसरे को जलाने वाली बात, व्यंग्य बात।

अनजनऊ

अनजनऊ1— वि. जो जाना न जा सके, अविज्ञेय। 

अनजनऊ2— वि. जो स्वाद के योग्य न हो।

अनजतिया

अनजतिया (हा)— वि.पु. अन्य जाति वाला, दूसरी जाति वाला।

अनजतहिन

अनजतहिन (ही)— वि.स्त्री. अन्य जाति वाली, पराई जाति वाली।

अनजतनिन

अनजतनिन— वि.स्त्री. अन्य जाति वाली, दूसरी जाति वाली।

अनजतन

अनजतन— सं. असुरक्षा।

अनछेदहा

अनछेदहा— वि. जिसमें छेद न हुआ हो।

अनछेदऊ

अनछेदऊ— वि. जिसे छेदा न जा सके।

अनछपाल

अनछपाल (वल)— वि. जो छपा न हो, अप्रकाशित।

अनछाहित

अनछाहित— वि. जो सर्वत्र व्याप्त न हो, अव्यापी।

अनछपल

अनछपल— वि. जो छपा न हो, अप्रकाशित।

अनछपऊ

अनछपऊ— वि. प्रकाशन के अयोग्य , अप्रकाश्य।

बुधवार, 18 जून 2014

अनचेतहा

अनचेतहा— वि.पु. (स्त्री.अनचेतहिन(ही) 1.कार्य में जिसका ध्यान न रहता हो, अलीन। 2.ध्यान से कार्य नहीं करने वाला। 3.जिसे अपने कर्तव्य का ज्ञान न हो, अप्रतिपन्न।

अनचिनहारी

अनचिनहारी— सं. पहचान का अभाव, जिसका कोई पहचान न हो, पहचान न होने की स्थिति।

अनचिनहार

अनचिनहार— वि.पु. (स्त्री.अनचिन्हारिन) बिना पहचान वाला, अपरिचित, अनजान। 

अनचिनहऊ

अनचिनहऊ— वि. 1.जो पहचान का न हो, अपरिचित। 2.जो चिन्ह रहित हो, जिसकी पहचान न की जा सके, अलिंग। 3.जिसकी पहचान न हुई हो, अचिन्हित, अनुपलक्षित।

अनचित

अनचित— वि. जो उचित न हो, अनुचित, अनैतिक।

अनचाहित

अनचाहित— वि. 1.बिना चाहे। 2.वह जिसे चाहा न गया हो, अनिच्छित।

अनचहा

अनचहा— वि. चाह या इच्छा के प्रतिकूल, अनिच्छित, अप्रिय। 

अनचकरित

अनचकरित1— वि. 1.बिना चकित हुए, सामान्य, सहज। 2.सीधा-सरल। 

अनचकरित2— क्रि.वि. 1.बिना चक्कर के। 2.बिना घुमाव-फिराव या भटकाव के।

अनघोखऊ

अनघोखऊ— वि. जो विचार करने योग्य न हो, अविचार्य। 

अनगोड़वा

अनगोड़वा— वि. 1.अन्य-अन्य शाखाओं वाला, अनेक शाखाओं वाला। 2.अन्य दिशा में चलने वाला। 3.अन्य कार्य में लिप्त रहने वाला। 4.विषय से हटकर अन्य बातें करने वाला, बेतुकी बात करने वाला। 5.बेसिर-पैर का। 6.अव्यवस्थित।

अनगोठियऊ

अनगोठियऊ— वि. न बोलने योग्य, अवाच्य।

अनगिन

अनगिन— वि. जिसकी गिनती न हो सके, बहुत अधिक, असंख्य।

अनगामी

अनगामी— वि. पीछे चलने वाला।

अनगहिन

अनगहिन— वि.स्त्री. 1.दूसरे गाँव वाली। 2.अपरिचित स्त्री।

अनगरल

अनगरल— वि. 1.अनैतिक, अन्यायपूर्ण। 2.बेसिर-पैर का। 3.बेकार। 4.भद्दा, बेढंगा। 5.अनुचित।

अनगमन

अनगमन सं. पीछे चलने की क्रिया, अनुसरण।

अनगढ़ल

अनगढ़ल— वि. बिना बनाया हुआ।

अनगनती

अनगनती— वि. अगणित, असंख्य, बहुत अधिक।

अनगढ़न

अनगढ़न— वि. 1.जिसे किसी ने बनाया न हो, प्राकृतिक, स्वयंभू। 2.भद्दा, कुरूप।

अनगइहाँ

अनगइहाँ— वि.पु. 1.दूसरे गाँव का। 2.अपरिचित।

अनगढ़

अनगढ़— वि. बिना गढ़ा हुआ, जिसे किसी ने न बनाया हो, प्राकृतिक।

अनखी

अनखी— सं.दे. ‘अनख’।

अनखाल

अनखाल (वल)— वि. ईर्ष्या या जलन की भावना रखने के लिए प्रवृत्त किया हुआ।

अनखहा

अनखहा— वि.पु. (स्त्री.अनखहिन(ही) ईर्ष्या या जलन की भावना रखने वाला।

अनखाना

अनखाना— प्रे.क्रि. ईर्ष्या या जलन की भावना रखने के लिए प्रवृत्त करना।

अनखना

अनखना— अ.क्रि. ईर्ष्या करना, जलन की भावना रखना।

अनखइया

अनखइया— वि. ईर्ष्या या जलन की भावना रखने वाला।

अनखई

अनखई— सं. ईर्ष्या, या जलन की भावना रखने की क्रिया या भाव।

अनख

अनख— सं. ईर्ष्या, जलन, डाह।

अनकूल

अनकूल— वि. 1.पक्ष में रहने वाला, पक्षधर, हितकर। 2.अनुरूप।

अनकुलता

अनकुलता— सं. अनुरूपता, अनुकूलता।

अनकुवाँरी

अनकुवाँरी— सं.दे. ‘अन्नकुआँरी’।

अनकहा

अनकहा— वि. जिसे या जिसका नाम न कहा गया हो, अनभिहित।

अनकलइत

अनकलइत— वि. 1.जहाँ शांति न हो, शोरगुल, जैसे ‘रोज के अनकलइत म तोला कंझासी नइ लागे’। 2.अरुचिकर, अनिच्छित, जैसे ‘अनकलइत चीज ल मुहूँ म डारे ल नइ भाए’। 3.बेचैन, जैसे ‘पेट के दुख सब ल अनकलइत कर देथे’।

अनकहऊ

अनकहऊ— वि. न कहने योग्य, अवाच्य, अवचनीय।

अनकरन

अनकरन— सं. देखा-देखी आचरण।

अनऐबहा

अनऐबहा— वि.पु. (स्त्री.अनऐबहिन(ही) 1.जिसे कोई बुरी लत न लगी हो, अव्यसन। 2.दोष रहित, शुद्ध।

अनअलगऊ

अनअलगऊ— वि. जिसे अलग नहीं किया जा सकता, अवियोज्य।

अन

अन1— सं. पौधों से उत्पन्न होने वाले वे दानें जिसे भोजन के रूप में ग्रहण किए जाते हैं(चावल, गेहूँ, दाल आदि)। 

अन2— वि. दूसरा, कोई और, अन्य, जैसे ‘अनगइहाँ’। 

अन3— क्रि.वि. बिना, बगैर, रहित, जैसे ‘अनचाहित’। 

अन4— उप. एक उपसर्ग जो भाववाचक संज्ञा या क्रिया के पहले लगकर अभाव या विपरीत भाव सूचित करता है, जैसे ‘अनभरोसी, अनदेखना’।

अनंता

अनंता सं.पु. 1.वह परमतत्व जो अनंत रूपों में रहता है। 2.अनंत रूपों का स्वामी, परमेश्वर, भगवान।

अनंत

अनंत— वि. 1.जिसका अंत ही न हो, असीम। 2.असंख्य।

अनंग

अनंग— वि. देह रहित। 2.अवयव रहित।

अधौंटा

अधौंटा— वि. 1.औंटाकर आधा किया हुआ, अधावट। 2.जो औंटकर आधा हो गया हो।

अधेरहा

अधेरहा— वि. उपयोग के कारण जिसकी नवीनता समाप्त हो चुकी हो। 

पु. (स्त्री.अधेरहिन) 1.जिसकी उम्र आधी हो चुकी हो। 2.जो युवावस्था को पारकर चुका हो, अधवेसू।

अधेड़

अधेड़ (र)— वि. 1.आधी उम्र का। 2.जो युवावस्था को पार कर चुका हो, अधवेसू।

अधूरा

अधूरा— वि. जो पूरा न हो, आधा, अपूर्ण।

अधूरन

अधूरन— वि. 1.आधा, अधूरा, अपूर्ण। 2.जिसमें(किसी कार्य में) दक्षता न हो, अकुशल। 3.अधकचरा।

मंगलवार, 17 जून 2014

अधुवन

अधुवन— वि. अपूर्ण, अधूरा। दे. ‘अधूरन’।

अधीरन

अधीरन— वि. 1.जिसमें धैर्य न हो। 2.उतावला करने वाला। 3.चंचल।

अधीरन

अधीरन— वि. 1.जिसमें धैर्य न हो। 2.उतावला करने वाला। 3.चंचल।

अधीन

अधीन— वि. 1.किसी के सहारे पर रहने वाला, आश्रित। 2.मातहत। 3.अवलंबित। 4.वशीभूत।

अधियाल

अधियाल(वल)— वि. आधा किया हुआ।

अधियार

अधियार (रा)— वि. 1.आधे का हिस्सेदार। 2.कृषि लागत एवं उत्पादन के आधे हिस्से पर काम करने वाला, अर्धसिरी।

अधियाना

अधियाना— स.क्रि. 1.आधा करना। 2.आधा होना।

अधिया

अधिया— सं. कृषि भूमि को लागत एवं उत्पादन के आधे हिस्से पर दूसरे को काम करने के लिए देने की एक पद्धति। 

वि. आधा-आधा

अधियहा

अधियहा— वि. अधूरा, अपूर्ण, आधा।

अधियउनी

अधियउनी— सं. आधा करने का खर्च या पारिश्रमिक।

अधियई

अधियई— सं. आधा होने या आधा करने की क्रिया, भाव या खर्च।

अधियइया

अधियइया— वि. 1.आधा होने वाला(मोटापा)। 2.आधा करने वाला।

अधिकारी

अधिकारी— सं. 1.वह जिसे कोई स्वत्व प्राप्त हो। 2.वह जिसमें किसी कार्य या विषय की विशेष योग्यता या क्षमता हो। 3.उपयुक्त पात्र। 4.वह कर्मचारी जो किसी पद पर रहकर कोई कार्य करता हो। 

पु. प्रभु, स्वामी। 

वि. अधिकार रखने वाला, अधिकारधारी।

अधिकार

अधिकार— सं. 1.हक। 2.प्रभुत्व, आधिपत्य। 3.स्वत्व। 4.दावा। 5.योग्यता।

अधिक

अधिक— वि. 1.ज्यादा, बहुत। 2.बचा हुआ, अतिरिक्त।

सोमवार, 16 जून 2014

अधारी

अधारी— सं. सहारा, आश्रय, अवलंबन।

अधार

अधार— सं. 1.सहारा, आश्रय, अवलंबन। 2.नींव। 3.मूल।

अधहरा

अधहरा— सं. वह आग जिसका आधा आँच देर तक जिंदा रहे, कंडे की आग।

अधसुक्खा

अधसुक्खा— वि. आधा सूखा हुआ, अधसूखा।

अधसेरिया

अधसेरिया— वि. दो पाव वाला।

अधसिखहा

अधसिखहा— वि.पु. (स्त्री.अधसिखहिन(ही) जो आधा सीखा हो, असिद्ध।

अधुवन

अधुवन— वि. आधे पर आने की स्थिति में, अधूरा।

अधवन

अधवन— वि. 1.आधा, अधूरा, अपूर्ण। 2.जिसमें(किसी कार्य में) दक्षता न हो, अकुशल। 3.अधकचरा।

अधर्मिन

अधर्मिन— वि.स्त्री. 1.धर्म के अनुसार कार्य नहीं करने वाली, धर्म विरुद्ध आचरण करने वाली। 2.पाप कर्म करने वाली, पापिन।

अधरा

अधरा— सं. कंडे की आग।

अधरमी

अधरमी— वि. धर्म-विरुद्ध कार्य करने वाला, अन्यायी, पापी।

अधरम

अधरम— सं. 1.धर्म के विरुद्ध कार्य, अन्याय। 2.कुकृत्य। 3.पाप।

अधरतिया

अधरतिया (हा)— सं. आधी रात, अर्धरात्रि। 

वि. आधी रात को।

अधर

अधर— वि. बिना सहारे का, बिना टिका हुआ।

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अधमोलहा

अधमोलहा1— वि. 1.वह जो अपने मौलिक रूप में आधा रह गया हो, अर्धमौलिक। 2.टूटा-फुटा हुआ, खंडित। 3.अधूरा। 4.आधा कूटापीसा हुआ। 

अधमोलहा2— वि. 1.आधे मूल्य वाला। 2.सस्ता। 

अधमोलहा3— वि. आधा सूखा हुआ, अर्धशुष्क।

अधमरहा

अधमरहा— वि.पु. (स्त्री.अधमरहिन(ही) 1.पूर्व से मार खाया हुआ, घायल। 2.मरणासन्न। 3.दरिद्र, निर्धन

अधम

अधम— वि. नीच, पतित।

अधबहीं

अधबहीं— सं. आधी बाँह की कमीज।

अधबही

अधबही— वि.स्त्री. अर्धविक्षिप्त।

अधफुटहा

अधफुटहा— वि. जो आधा फूटा हो, आधा कुचला हुआ।

अधफुट्टा

अधफुट्टा— वि.दे.‘अधफुटहा’।

अधपक्का

अधपक्का— वि. जो आधा पका हो, अपक्व।

अधपका

अधपका— वि. जो आधा पका हो, अपक्व।

अधनवाँ

अधनवाँ1— वि. 1.जिसका आधा सामान या भाग नया हो। 2.जिसकी नवीनता अभी समाप्त न हुई हो। 

अधनवाँ2— वि. 1.जो आधा झुका हो। 2.जो आधा मुड़ा हो।

अधझुरहा

अधझुरहा— वि. अधसूखा।

अधझुक्खा

अधझुक्खा— वि. आधा सूखा हुआ, अधसूखा।

अधछरा

अधछरा— वि.दे.‘अधफुटहा’।

अधचुरा

अधचुरा— वि.दे.‘अधचुरहा’।

अधचुरहा

अधचुरहा— वि. जो आधा पका हो, अपक्व(आग में पकाने पर)

अधचरा

अधचरा— वि. आधा चरा हुआ।

अधकुचरा

अधकुचरा— वि.दे.‘अधफुटहा’।

अधखुला

अधखुला— वि. आधा खुला हुआ, जो आधा खुला हो।

अधकार

अधकार— सं. अधिकार, हक।

अधकहा

अधकहा— वि. 1.आधी-अधूरी बात। 2.वह बात जो आधी हो। 

पु.(स्त्री.अधकहिन(ही) आधी-अधूरी बात करने वाला।

अधकपारी

अधकपारी— सं. सिर के आधे हिस्से पर होने वाला दर्द।

अधकच्चा

अधकच्चा— वि. 1.आधा पका हुआ, अपरिपक्व। 2.जिसका ज्ञान अधूरा हो। 3.जो किसी चीज को आधा जानता हो या आधा सीखा हो, अल्पज्ञ।

अध

अध— वि. आधा, अर्ध।

अधअँउटहा

अधअँउटहा— वि. आधा औटा हुआ, अधवट।

अद्भुत

अद्भुत वि. विचित्र, अनूठा, आश्चर्यजनक।

अद्धा

अद्धा(धी)— सं. आधी बोतल(शराब)। 

वि. आधा।

अद्धर

अद्धर— वि. बिना सहारे का, पृथक।

अद्दर

अद्दर— वि. 1.टूटा-फूटा, नष्ट-भ्रष्ट। 2.धूल-धक्कड़ वाला, गंदा, जैसे ‘अद्दर जगा म बइठे हाबस’।

अदौरीबरी

अदौरीबरी— सं. उरद की बरी।

अदेह

अदेह— वि. देह रहित।

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!