शनिवार, 2 अगस्त 2014

कठवा के बइला

कठवा के बइला : मुरूख। (मूर्ख)

अरे कठवा के बइला, नहर के पानी ला झुक्खा खेत डाहन नइ चौंका देतेस, भरे हे तीही मा भरत हस, तब का काम के।

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आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!