शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

Youtube के विडियो मोबाईल और कम्प्युटर से डाउनलोड करने का बेहतरीन तरीका

वैसे तो बहुत से तरीके और Sites हैं जहाँ से आप Youtube के Video को Download कर सकते हैं, लेकिन आज आपके लिये एक ऐसा तरीका है, जिसे करने के बाद आप अपने Computer  के साथ-साथ अपने Mobile से भी Youtube का कोई भी विडियो Download कर सकते हो- 
सबसे पहले Youtube पर जाकर कोई भी Video पर Click करें Video खुल जाने पर अब उसके URL में Youtube के पहले ss Type कर दें जैसे ये एक गाने का URL है http://www.youtube.com/watch?v=tuyiu5iVpYc अब इसमें आपको बस Youtube से पहले ss Type करना है तब आपका URL हो जायेगा-http://www.ssyoutube.com/watch?v=tuyiu5iVpYc ऐसा करने से आप Youtube के Video को अलग-अलग Farmet में Save कर सकते हैं और अगर आप अपने Mobile से Youtube के Video को Save करना चाहते हैं तो आपके Mobile में इस Video का URL होगा- http://www.m.youtube.com/watch?v=tuyiu5iVpYc इसमें आपको m की जगह बस ss Video करना है और Ok का Button दबाना हैं ऐसा करते ही आप Mobile से भी Youtube के Video को Download कर सकते हैं।

अपने मोबाईल से दूसरे मोबाईल में बैलेंस ट्रांसफर कैसे करें?

आज के समय में मोबाईल सबकी अभिन्न अंग बन गया है। चाहे छोटा हो या बड़ा, हर व्यक्ति मोबाईल का इस्तेमाल करता है। मोबाईल के सहारे ही हम घर से दूर रहकर परिवार के लोगों एवं मित्रों से सुख-दुख बातें कर पाते हैं, लेकिन यह तब संभव है, जब तक की मोबाईल में बैलेंस रहता है। वैसे तो रिचार्ज करने की सुविधा हर जगह उपलब्ध है, परंतु कभी-कभी मोबाईल का बैलेंस ऐसी स्थान पर खत्म होता है, जहाँ पर मोबाईल रिचार्ज करने की कोई सुविधा नहीं होती है। इसी परेशानी से छुटकारा हम और आप अब आसानी से पा सकते हैं। एक मोबाईल से दूसरे मोबाईल में बैलेंस ट्रांसफर करके। हम जब चाहें अपने मोबाईल से बैलेंस अपने मित्र या किसी रिश्तेदार के मोबाईल में अपना बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं, वो भी बहुत आसानी से। 
लेकिन…इसके सुविधा को पाने के लिये थोड़ा सा शुल्क भी अदा करना होगा। इस सुविधा के जरिये हम 5 रुपये से लेकर 100 रुपये तक बैलेंस ट्रांसफर कर सकते है। बशर्ते दोनों नंबरों का नेटवर्क एक ही होना चाहिये। आपके लिये एक आसान सा ट्रिक, जिससे आप एक मोबाईल का बैलेंस दूसरे मोबाईल में आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं। 

अगर आपके पास एयरटेल का सिम हैं तो आप अपने मोबाईल से *141# डॉयल करें और सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन करते हुये किसी भी एयरटेल नेटवर्क पर 5 रुपये से लेकर 50 रुपये तक का बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं। एयरटेल नेटवर्क पर बैलेंस ट्रांसफर करने के लिये आपको 2 या 4 रुपये अतिरिक्त चुकाना पड़ेगा। 

अगर आपके पास aircel का सिम हैं तो आप किसी भी aircel नेटवर्क पर 5 रुपये से लेकर 100 रुपये तक का बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं। बैलेंस ट्रांसफर करने के लिये आपको अपने Aircel सिम से *122*666# डॉयल करना होगा। नंबर डॉयल करने के बाद वह नंबर डालें जिस नंबर पर आपको बैलेंस ट्रांसफर करना है। 

अपने Idea नंबर से दूसरे आईडिया नंबर पर बैलेंस ट्रांसफर करने के लिये आपको एक मैसेज टाइप करना होगा- GIVE (space) Mobile Number (space) Amount लिखकर 55567 पर भेज दें। जैसे GIVE 9852XXXXXX 50 लिख कर 55567 पर SMS करना है। ऐसा करते ही उस मोबाईल नंबर पर उतने रुपये का बैलेंस ट्रांसफर हो जायेगा। 

अगर आपके पास BSNL का सिम हैं तो उसमें भी आपको बी.एस.एन.एल. नेटवर्क पर बैलेंस ट्रांसफर करने के लिये मैसेज बॉक्स में जाकर एक मैसेज टाइप करना पड़ेगा, जिसमें आपको लिखना है- GIFT <SPACE> AMMOUNT <SPACE>MOBILE NUMBER लिखकर 53733 पर मैसेज भेज दें, इतना करते ही आपका बैलेंस उस BSNL नंबर पर ट्रांसफर हो जायेगा, जिसका कि आप मैसेज में लिखोगे। जैसा की- GIFT 50 9473XXXXXX 

अगर आपके पास रिलायंस gsm का सिम हैं तो बैलेंस ट्रांसफर करने के लिये आपको अपने रिलायंस मोबाईल से 367 नंबर डॉयल करना होगा और निर्देशों का पालन करते हुये आगे बढ़ना होगा। डिफ़ॉल्ट पिन के रूप में आपको 1 दबाना होगा। ऐसा करते ही आपका बैलेंस उस रिलायंस नंबर पर ट्रांसफर हो जायेगा, जो नंबर आप टाइप करेंगे। 

Uninor का सिम इस्तेमाल करने वालों को Uninor नेटवर्क पर बैलेंस भेजने के लिये *202*mobile number*Ammount# लिखकर डॉयल करना होगा। ऐसा करते ही आपका बैलेंस उस नंबर पर ट्रांसफर हो जायेगा। 

अगर आपके पास VODAFONE का नंबर हैं तो आपको दूसरे वोडाफोन उपभोक्ता के नंबर पर बैलेंस ट्रांसफर करने के लिये *131*AMOUNT*MOBILE NUMBER (जिस पर बैलेंस भेजना हैं ) # डॉयल करना होगा। ऐसा करते ही VODAFONE उपभोक्ता के पास बैलेंस ट्रांसफर हो जायेगा।

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

अनेक रोगों का मूल कारणः विरूद्ध आहार

  • जो पदार्थ रस-रक्तादि धातुओं के विरूद्ध गुण-धर्म वाले व वात-पित-कफ इन त्रिदोषों को प्रकुपित करने वाले हैं, उनके सेवन से रोगों की उत्पत्ति होती है। इन पदार्थों में कुछ परस्पर गुण विरुद्ध, कुछ संयोग विरूद्ध, कुछ संस्कार विरूद्ध और कुछ देश, काल, मात्रा स्वभाव आदि से विरूद्ध होते हैं। जैसे – दूध के साथ मूँग, उड़द, चना आदि सभी दालें, सभी प्रकार के खट्टे व मीठे फल, गाजर, शकरकंद, आलु, मूली जैसे कंदमूल, तेल, गुड़, शहद, दही, नारियल, लहसुन, कमलनाल, सभी नमकयुक्त व अम्लीय पदार्थ संयोग विरुद्ध हैं। दूध व इनका सेवन एक साथ नहीं करना चाहिये। इनके बीच कम-से-कम 2 घंटे का अंतर अवश्य रखें। ऐसे ही दही के साथ उड़द, गुड़, काली मिर्च, केला व शहद, शहद के साथ गुड़, घी के साथ तेल नहीं खाना चाहिये।
  • शहद, घी, तेल व पानी इन चार द्रव्यों में से दो अथवा तीन द्रव्यों को समभाग मिलाकर खाना हानिकारक है। गर्म व ठंडे पदार्थों को एक साथ खाने से जठराग्नि व पाचनक्रिया मंद हो जाती है। दही व शहद को गर्म करने से वे विकृत बन जाते हैं।
  • दूध को विकृत कर बनाया गया छेना, पनीर आदि व खमीरीयुक्त पदार्थ (जैसे – डोसा, इडली, खमण) स्वभाव से ही विरुद्ध हैं अर्थात् इनके सेवन से लाभ की जगह हानि ही होती है। रासायनिक खाद व इंजेक्शन द्वारा उगाये गये अनाज व सब्जियाँ तथा रसायनों द्वारा पकाये गये फल भी स्वभाव विरुद्ध हैं। हेमंत व शिशिर इन शीत ऋतुओं में ठंडे, रूखे-सूखे, वातवर्धक पदार्थों का सेवन, अल्प आहार तथा वसंत-ग्रीष्म-शरद इन उष्ण ऋतुओं में उष्ण पदार्थ व दही का सेवन काल विरुद्ध है। मरुभूमि में रूक्ष, उष्ण, तीक्ष्ण पदार्थों (अधिक मिर्च, गर्म मसाले आदि) व समुद्रतटीय प्रदेशों में चिकने ठंडे पदार्थों का सेवन, क्षारयुक्त भूमि के जल का सेवन देश विरुद्ध है।
  • अधिक परिश्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए रूखे-सूखे, वातवर्धक पदार्थ व कम भोजन तथा बैठे-बैठे काम करने वाले व्यक्तियों के लिए चिकने, मीठे, कफवर्धक पदार्थ व अधिक भोजन अवस्था विरूद्ध है।
  • अधकच्चा, अधिक पका हुआ, जला हुआ, बार-बार गर्म किया गया, उच्च तापमान पर पकाया गया (जैसे – ओवन में बना व फास्टफूड), अति शीत तापमान में रखा गया (जैसे – फ्रिज में रखे पदार्थ) भोजन पाक विरूद्ध है।
  • मल-मूत्र का त्याग किये बिना, भूख के बिना अथवा बहुत अधिक भूख लगने पर भोजन करना क्रम विरुद्ध है।
  • जो आहार मनोनुकूल न हो वह हृदय विरुद्ध है क्योंकि अग्नि प्रदीप्त होने पर भी आहार मनोनुकूल न हो तो सम्यक् पाचन नहीं होता।
  • इस प्रकार के विरोधी आहार के सेवन से बल, बुद्धि, वीर्य व आयु का नाश, नपुंसकता, अंधत्व, पागलपन, भगंदर, त्वचाविकार, पेट के रोग, सूजन, बवासीर, अम्लपित्त (एसीडिटी), सफेद दाग, ज्ञानेन्द्रियों में विकृति व अष्टौमहागद अर्थात् आठ प्रकार की असाध्य व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं। विरुद्ध अन्न का सेवन मृत्यु का भी कारण हो सकता है।
  • देश, काल, उम्र, प्रकृति, संस्कार, मात्रा आदि का विचार तथा पथ्य-अपथ्य का विवेक करके नित्य पथ्यकर पदार्थों का ही सेवन करें। अज्ञानवश विरुद्ध आहार के सेवन से हानि हो गयी तो वमन-विरेचनादि पंचकर्म से शरीर की शुद्धि एवं अन्य शास्त्रोक्त उपचार करने चाहिये। ऑपरेशन व अँग्रेजी दवायें रोगों को जड़-मूल से नहीं निकालते। अपना संयम और निःस्वार्थ एवं जानकार वैद्य की देख-रेख में किया गया पंचकर्म विशेष लाभ देता है। इससे रोग तो मिटते ही हैं, 10-15 वर्ष आयुष्य भी बढ़ सकता है।
  • खीर के साथ नमकवाला भोजन, खिचड़ी के साथ आइसक्रीम, मिल्कशेक – ये सब विरुद्ध आहार हैं। इनसे पाश्चात्य जगत के बाल, युवा, वृद्ध सभी बहुत सारी बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। अतः खट्टे-खारे के साथ भूलकर भी दूध की चीज न खायें-न खिलायें।"
ऋतु परिवर्तन विशेष
  • शीत व उष्ण ऋतुओं के बीच में आऩे वाली वसंत ऋतु में न अति शीत, न अति उष्ण पदार्थों का सेवन करना चाहिये। सर्दियों के मेवे, पाक, दही, खजूर, नारियल, गुड़ आदि छोड़कर अब ज्वार की धानी, भुने चने, पुराने जौ, मूँग, तिल का तेल, परवल, सूरन, सहजन, सूआ, बथुआ, मेथी, कोमल बेंगन, ताजी नरम मूली तथा अदरक का सेवन करना चाहिये।
  • सुबह अनुकूल हो ऐसे किसी प्रकार का व्यायाम जरूर करें। वसंत में प्रकुपित होने वाला कफ इससे पिघलता है। प्राणायाम विशेषतः सूर्यभेदी प्राणायाम (बायाँ नथुना बंद करके दाहिने से गहरा श्वाँस लेकर एक मिनट रोक दें फिर बायें से छोड़ें) व सूर्यनमस्कार कफ के शमन का उत्तम उपाय है। इन दिनों दिन में सोना स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है।
  • कफजन्य रोगों में कफ सुखाने के लिए दवाइयों का उपयोग न करें। खानपान में उचित परिवर्तन, प्राणायाम, उपवास, तुलसी पत्र व गोमूत्र के सेवन एवं सूर्यस्नान से कफ का शमन होता है।
  • जोड़ों के दर्द का अनुभूत प्रयोग
  • एक चम्मच पिसा हुआ मेथीदाना, आधा चम्मच हल्दी चूर्ण और आधा चम्मच पीपरामूल चूर्ण एक गिलास पानी में रात को भिगो दें। सुबह आधा गिलास बचने तक उबालें। गुनगुना होने पर छान के खाली पेट केवल पानी पी लें। दर्द खत्म होने तक ले सकते हैं। 20-30 दिन में लाभ महसूस होगा। दर्द अधिक हो तो ज्यादा दिन भी प्रयोग कर सकते हैं।

खाना खाते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिये...

  • हमें दिन में सिर्फ सुबह और शाम, दो बार ही भोजन करना चाहिये। सुबह के समय और शाम के समय पाचन तंत्र बहुत अच्छी तरह भोजन पचाता है, क्योंकि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक और सूर्यास्त से ढाई घंटे पहले तक जठराग्नि (भूख) पूरे प्रभाव में रहती है। शेष समय में यदि भूख लगे तो फलाहार या हल्का भोजन किया जा सकता है। हर रोज मौसमी फलों का भी सेवन अवश्य करना चाहिये। 
  • कभी भी एकदम भरपेट भोजन नहीं करना चाहिये। भूख से थोड़ा सा कम भोजन सेहत को फायदा पहुँचाता है। जो लोग भूख से थोड़ा कम खाना खाते हैं, वे सेहतमंद, दीर्घायु, बलवान, सुखी और सुन्दर शरीर प्राप्त करते हैं। ऐसे लोगों की संतान भी गुणवान होती है। जबकि जो लोग भूख अधिक भोजन करते हैं, वे आलसी प्रवृत्ति के हो जाते हैं और उन्हें कई प्रकार की बीमारियाँ होने की संभावनायें काफी अधिक होती हैं। 
  • मान्यता है कि हम जब भी खाना खायें तब हमारा मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिये। भोजन करने के लिए ये दिशायें शुभ मानी गई हैं। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिये, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार ऐसे भोजन नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यदि हम हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके ही भोजन करते हैं तो इससे शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता कम हो सकती है। 
  • पलंग पर बैठकर या खड़े होकर भोजन नहीं करना चाहिये। इस बात का भी ध्यान रखें कि टूटे-फूटे बर्तनों में भी भोजन नहीं करना चाहिये। इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है। आलस्य बढ़ता है। 
  • कभी भी रात के समय ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिये। साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि खाना खाने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिये। इससे पाचन तंत्र कमजोर होता है। 
  • कभी भी परोसे गए भोजन की निंदा नहीं करनी चाहिये। ऐसा करने पर भोजन का अपमान होता है और उससे हमें शारीरिक ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाती है। प्रसन्न मन से भोजन करना चाहिये। 
  • भोजन करने से पहले अन्न देवता और अन्नपूर्णा माता का ध्यान करना चाहिये। उन्हें नमन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिये। साथ ही, ऐसी प्रार्थना करें कि सभी भूखों को भी ईश्वर भोजन प्रदान करें। 
  • व्यक्ति को हमेशा शुद्ध मन और शुद्ध शरीर से भोजन बनाना चाहिये। यदि संभव हो तो भोजन बनाने से पहले देवी-देवताओं के मंत्रों का जप करना चाहिये। 
  • यदि कोई व्यक्ति सभी को बता-बताकर आपको खाना खिलाए तो ऐसा भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिये।
  • किसी कुत्ते के द्वारा खाना छू लिया गया हो तो ऐसा खाना न खायें । 
  • पुरानी परंपराओं के अनुसार कभी भी आधा खाया हुआ फल, मिठाईयाँ या शेष बचा हुआ भोजन बाद में पुन: नहीं खाना चाहिये। साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि एक बार खाना छोड़कर उठ जाने पर पुन: भोजन नहीं करना चाहिये। 
  • भोजन के समय मौन रहना चाहिये। खाते समय बातचीत करने से पाचन ठीक से नहीं हो पाता है। 
  • भोजन को बहुत चबा-चबाकर खाना चाहिये। एक पुरानी कहावत है- खाने को पीना चाहिये और पानी को खाना चाहिये। इसका अर्थ यह है- खाने को इतना चबायें कि वह पानी की तरह बन जायें और भोजन के बीच में कम से कम पानी पीना चाहिये। 
  • यदि किसी परिस्थिति में खाना खाने से आपका अनादर हो रहा हो तो वह भोजन भी न खायें । 
  • यदि अवहेलना पूर्ण व्यवहार के साथ भोजन परोसा गया हो तो वह भी नहीं खाना चाहिये। 
  • खाना खाने से पहले हमें अपने पाँच प्रमुख अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह धो लेना चाहिये। इसके बाद भी भोजन करना चाहिये। 
  • 1आमतौर पर किसी भी गृहस्थ व्यक्ति को एक समय में 320 ग्राम से ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिये। 
  • भोजन करते समय सबसे पहले रसदार भोजन करें। इसके बाद गरिष्ठ भोजन करें और अंत में तरल पदार्थ ग्रहण करना श्रेष्ठ रहता है। 
  • भोजन बनाते समय सबसे पहले 3 रोटियाँ अलग निकाल लें। इन रोटियों में से एक रोटी गाय को, एक रोटी कुत्ते को और एक रोटी कौए को दें। भोजन ग्रहण करने से पहले अग्नि देव और अन्य देवी-देवताओं को भी भोग लगाना चाहिये। 
  • यदि आप चाहते हैं कि आप जो भी खायें वह तुरंत पच जाए तो इन भावों के साथ कभी भी भोजन न करें। ये भाव हैं ईर्ष्या भाव, भय, क्रोध, लोभ, दीन भाव, द्वेष भाव आदि। इन भावों के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है।

भोजन करने के भी होते हैं कुछ

सबसे प्रमुख बात जो सदैव याद रखनी चाहिये कि भोजन तभी खाना चाहिये जब हमें भूख लगी हो। ऐसा तभी होता है जब पूर्व में किया गया भोजन ठीक से पच जाता है। भोजन पूरी तरह से पच चुका है, इसे निम्न लक्षणों से जानना चाहिये-
1. शरीर में हल्कापन हो।
2. गैस पास हो गई हो।
3. शुद्ध डकार आए।
4. मल व मूत्र सही तरह से निवृत्त हो।
  • खाना कभी भी आवश्यकता से अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिये। खाने की मात्रा का निर्धारण प्रत्येक व्यक्ति की अपनी पाचन शक्ति पर निर्भर करता है। वह मात्रा जो 6-8 घंटे में ठीक तरह से पच जाती हो तथा जिसको खाने के पश्चात सही समय पर सम्यक पाचन के सभी लक्षण दिखाई दे जाते हों तो यही मात्रा उस व्यक्ति के लिए उचित मात्रा मानी जा सकती है।
  • खाना हमेशा प्रसन्नाचित और मन लगाकर खाना चाहिये। तभी यह शरीर व मन को प्रसन्नाता देता है। बातचीत करते व हँसते हुए खाना नहीं खाना चाहिये। यदि आप भावनात्मक रूप से खिन्न है तो इस स्थिति में भी खाना नहीं खाना चाहिये जैसे - क्रोध, दुख आदि। इस स्थिति में खाना खाने से वह ठीक से पचता नहीं है। खाना सदैव बैठकर ही खाना चाहिये, खड़े होकर खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। खाना एकांत व स्वच्छ जगह ही खाना चाहिये।
  • खाना सदैव ताजा बना हुआ, हल्का व सुपाच्य ही खाना चाहिये। बासी खाना पाचक अग्नि को मंद करता है। फ्रिज में रखा खाना भी बार-बार गरम करके खाना स्वास्थ्य के लिए नुकसान देय है।
  • खाना हल्का गर्म ही खाना चाहिये, इससे पाचक अग्नि तीव्र होती है तथा खाने में रुचि बढ़ती है। खाने में अधिक तैल व मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिये। खाना न अत्यंत धीमें ना अधिक जल्दी-जल्दी खाना चाहिये। खाने में 6 रसों का प्रयोग रहना चाहिये मधुर, नमकीन, अम्ल, कटु, तिक्त, कषाय खाने का प्रारंभ मधुर रस से करना चाहिये। खाने में न अधिक रुक्ष (सुखे पदार्थो) नहीं अधिक चिकनाई वाले पदार्थ होने चाहिये।
  • सप्ताह में एक दिन उपवास अवश्य रखना चाहिये। जिससे पाचन तंत्र की शुद्धि होती है। उपवास के समय केवल फलाहार या दुग्धाहार ही लेना चाहिये। लेकिन यह ध्यान रहे कि ज्यादा उपवास रखने या भूखे रहने से भी स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है- जैसे कमजोरी, थकान, हाथ-पैर ढीले पड़ना, खट्टी डकारें, खाने में अरुचि, भूख न लगना एवं निम्न रक्तचाप आदि।
  • खाने के साथ बीच-बीच में पानी पीना लाभप्रद होता है। जबकि खाने के पहले पानी पीने से शरीर भार में कभी तथा बाद में एक साथ पीने से शरीर भार बढ़ता है। खाने में निम्न संयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। इन्हें विरोधी आहार कहते है। जैसे दूध के साथ खट्टी चीजें जैसे आम व दूध। गर्म खाने के साथ ठंडा पानी। गर्म करके दही खाना आदि। सामान्यत: रात्रि में दही नहीं खाना चाहिये।
  • खाने में सेंधा नमक का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है। लाल मिर्च के स्थान पर काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिये। रात्रि का भोजन जल्दी कर लेना चाहिये। खाना खाने के ठीक बाद सोने से पाचन ठीक तरह से नहीं होता दिन में बार-बार न खाकर निश्चित अंतराल के बाद भोजन करना चाहिये।
इस प्रकार भोजन से संबंधित इन छोटे-छोटे नियमों को यदि ध्यान में रखें तो आप न केवल शारीरिक अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे, क्योंकि कहा है, 'जान है तो जहान है'।

थोड़ी सी सावधानी और आपकी सेहत

  • भोजन के साथ फलों का रस लेना हानिकारक होता है।
  • घी, शहद बराबर मात्रा में नहीं लेना चाहिए। बराबर मात्रा में यह जहर हो जाता है।
  • शहद का प्रयोग गर्म करके नहीं करें। गर्म शहद का प्रयोग करने से आपको अनेक रोग लग जायेंगे। किसी भी गर्म पदार्थ के साथ शहद का प्रयोग करें। मूली के साथ शहद का सेवन हानिकारक है। काँसे के बर्तन में घी दो दिन से ज्यादा रखें। दो दिन से अधिक रखे होने पर घी का प्रयोग करने से वह भी भारी होगा।
  • दूध के साथ नमकीन खाने से त्वचा पर छोटे-छोटे सफेद दाने निकल आते हैं। कटहल के खाने के बाद तुरंत दूध पीयें। इन्फेक्शन होने की संभावना नहीं रहेगी। दूध पीने के बाद दही नहीं खाना चाहिए। पीतल के बर्तन में दूध या दही रखने में खूद हरा पड़ जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। दूध के साथ मांस मछली का सेवन करना भी स्वास्थ्य उपयोगी नहीं। दूध पीने के बाद किसी भी खट्टे पदार्थ का सेवन करें।
  • दही खरबूजा गर्म खाने के साथ नहीं खाना चाहिए। लस्सी, केला खाने के बाद पियें। दूध के साथ कोई फल लें। दूध, मछली, शहद साथ प्रयोग करने कोढ़ होने की संभावना रहती है। चर्बी वाले पदार्थों के साथ शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • एल्यूमीनियम के बर्तन में हरी पत्तेदार सब्जी नहीं बनानी चाहिए। अगर एल्यूमीनियम के बर्तन में हरी सब्जी बनायेंगे तो उसमें एल्यूमीनियम का अंश का जायेगा। दूध भी एल्यूमीनियम के बर्तन में उबालें। दूध में एल्यूमीनियम का अंश होने की संभावना रहती है।
  • नींबू लहसुन एक साथ प्रयोग करें। चावल का माढ़ या पानी निकालें। माढ़ में ही सारे विटामिन होते हैं। अँग्रेजी दवाई खाली पेट लें। तली चीज खाने के तुरंत बाद पानी पियें। भोजन में खाने वाला सोडा डालकर प्रयोग करने से भोजन में विटामिनसीकी मात्रा नष्ट हो जाती है।
  • खाने के तुरंत बाद व्यायाम करें। तरबूज खरबूजा इत्यादि खाने के बाद उसे फेंक दें। दुबारा उसका प्रयोग करें। चाय बनाकर तुरंत प्रयोग में लें। आधा घण्टे पहले रखी हुई चाय का प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक है। कटी हुई प्याज का प्रयोग भी तुरंत कर लें। कटी हुई प्याज कुछ घण्टे रखे होने पर प्रयोग करें।

भारतीय गणना

आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!