शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

भोजन करने के भी होते हैं कुछ

सबसे प्रमुख बात जो सदैव याद रखनी चाहिये कि भोजन तभी खाना चाहिये जब हमें भूख लगी हो। ऐसा तभी होता है जब पूर्व में किया गया भोजन ठीक से पच जाता है। भोजन पूरी तरह से पच चुका है, इसे निम्न लक्षणों से जानना चाहिये-
1. शरीर में हल्कापन हो।
2. गैस पास हो गई हो।
3. शुद्ध डकार आए।
4. मल व मूत्र सही तरह से निवृत्त हो।
  • खाना कभी भी आवश्यकता से अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिये। खाने की मात्रा का निर्धारण प्रत्येक व्यक्ति की अपनी पाचन शक्ति पर निर्भर करता है। वह मात्रा जो 6-8 घंटे में ठीक तरह से पच जाती हो तथा जिसको खाने के पश्चात सही समय पर सम्यक पाचन के सभी लक्षण दिखाई दे जाते हों तो यही मात्रा उस व्यक्ति के लिए उचित मात्रा मानी जा सकती है।
  • खाना हमेशा प्रसन्नाचित और मन लगाकर खाना चाहिये। तभी यह शरीर व मन को प्रसन्नाता देता है। बातचीत करते व हँसते हुए खाना नहीं खाना चाहिये। यदि आप भावनात्मक रूप से खिन्न है तो इस स्थिति में भी खाना नहीं खाना चाहिये जैसे - क्रोध, दुख आदि। इस स्थिति में खाना खाने से वह ठीक से पचता नहीं है। खाना सदैव बैठकर ही खाना चाहिये, खड़े होकर खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। खाना एकांत व स्वच्छ जगह ही खाना चाहिये।
  • खाना सदैव ताजा बना हुआ, हल्का व सुपाच्य ही खाना चाहिये। बासी खाना पाचक अग्नि को मंद करता है। फ्रिज में रखा खाना भी बार-बार गरम करके खाना स्वास्थ्य के लिए नुकसान देय है।
  • खाना हल्का गर्म ही खाना चाहिये, इससे पाचक अग्नि तीव्र होती है तथा खाने में रुचि बढ़ती है। खाने में अधिक तैल व मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिये। खाना न अत्यंत धीमें ना अधिक जल्दी-जल्दी खाना चाहिये। खाने में 6 रसों का प्रयोग रहना चाहिये मधुर, नमकीन, अम्ल, कटु, तिक्त, कषाय खाने का प्रारंभ मधुर रस से करना चाहिये। खाने में न अधिक रुक्ष (सुखे पदार्थो) नहीं अधिक चिकनाई वाले पदार्थ होने चाहिये।
  • सप्ताह में एक दिन उपवास अवश्य रखना चाहिये। जिससे पाचन तंत्र की शुद्धि होती है। उपवास के समय केवल फलाहार या दुग्धाहार ही लेना चाहिये। लेकिन यह ध्यान रहे कि ज्यादा उपवास रखने या भूखे रहने से भी स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है- जैसे कमजोरी, थकान, हाथ-पैर ढीले पड़ना, खट्टी डकारें, खाने में अरुचि, भूख न लगना एवं निम्न रक्तचाप आदि।
  • खाने के साथ बीच-बीच में पानी पीना लाभप्रद होता है। जबकि खाने के पहले पानी पीने से शरीर भार में कभी तथा बाद में एक साथ पीने से शरीर भार बढ़ता है। खाने में निम्न संयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। इन्हें विरोधी आहार कहते है। जैसे दूध के साथ खट्टी चीजें जैसे आम व दूध। गर्म खाने के साथ ठंडा पानी। गर्म करके दही खाना आदि। सामान्यत: रात्रि में दही नहीं खाना चाहिये।
  • खाने में सेंधा नमक का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है। लाल मिर्च के स्थान पर काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिये। रात्रि का भोजन जल्दी कर लेना चाहिये। खाना खाने के ठीक बाद सोने से पाचन ठीक तरह से नहीं होता दिन में बार-बार न खाकर निश्चित अंतराल के बाद भोजन करना चाहिये।
इस प्रकार भोजन से संबंधित इन छोटे-छोटे नियमों को यदि ध्यान में रखें तो आप न केवल शारीरिक अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे, क्योंकि कहा है, 'जान है तो जहान है'।

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