भुँइया ले उगाथन हमन,सोना अउ हीरा ।भ्रष्ट नेता अउ अफसर हरे,घुनहा कीरा ।।कतको खाही तभो ले,उँट के मुह मा जीरा ।इही तो आय हमर,छत्तिसगढ़ के पीरा ।।-खोरबाहरा राम साहू
आप भी चौक गये ना? क्योंकि हमने तो नील तक ही पढ़े थे..!
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